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योगी बदलेंगे यूपी का चेहरा

योगी बदलेंगे यूपी का चेहरा

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जैसे ही योगी आदित्यनाथ जी के नाम की घोषणा हुई, टीवी चैनलों पर बैठे कुछ टिप्प्णीकारों ने इस समाचार पर असंतोष जताया। उनका कहना था कि योगी समाज में विघटन की राजनीति करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी के विकास के एजेंडे को दरकिनार कर देंगे। यह सोच सरासर गलत है। विकास का एजेंडा हो या कुशल प्रशासन, उसकी पहली शर्त है कि राजनेता चरित्रवान होना चाहिए। आजकल राजनीति में सबसे बड़ा संकट चरित्र का हो गया है। चरित्रवान राजनेता ढूंढे से नहीं मिलते। 21 वर्ष की अल्पायु में समाज और धर्म के लिए घर त्यागने वाला कोई युवा कुछ मजबूत इरादे लेकर ही निकलता है। योगी आदित्यनाथ ने अपने शुद्ध सात्विक आचरण और नैष्टिक ब्रह्मचर्य से अपने चरित्रवान होने का समुचित प्रमाण दे दिया है। पांच बार लोकसभा जीतकर उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता को भी स्थापित कर दिया है। गोरखनाथ पंथ की इस गद्दी का इतिहास रहा है कि इस पर बैठने वाले संत चरित्रवान...
राहुल गांधी होने का सौभाग्य!

राहुल गांधी होने का सौभाग्य!

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कभी-कभी मुझे लगता है कि टाटा नैनो के लिए जो प्यार रतन टाटा का है वही प्यार राहुल गांधी के लिए कांग्रेस का है। टाटा नैनो चलती नहीं, फिर भी रतन टाटा उसे बार-बार रीलांच करते रहते हैं उसी तरह कांग्रेस पार्टी भी राहुल गांधी को लेकर हिम्मत नहीं हार रही। उलटे हर हार के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस में प्रमोशन मिल जाता है। इस बार भी जिस तरह कांग्रेस हारी है उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी को जल्द ही उपाध्यक्ष से कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिए जाएगा। और उन्होंने अगर एक-आधा चुनाव और हरवा दिया तो पार्टी उन्हें संयुक्त राष्ट्र का महासचिव भी बनवा सकती है! कांग्रेस पार्टी का राहुल गांधी से जो रिश्ता है वो शादी में पति को दिलाई जाने वाली कसमों की याद दिलाता है। जिसमें पंडित जी पति से कहते हैं कि तुम जो-जो पुण्य करोगे उसमें आधा हिस्सा तुम्हारी बीवी के खाते में जाएगा और वो जो-जो पाप करेगी उसका आधा तुम्हारे...
कृष्ण होने के मायने

कृष्ण होने के मायने

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श्रीकृष्ण को समझने की बुद्धि प्रशांत भूषण में नही हो सकती क्योंकि उसको क्या पता  कि क्यों कोर्ट में अदालत में शपथ लेते वक्त गीता पर हाथ रखवाते हैं? रामायण पर क्यों नहीं रखवा लेते? उपनिषद पर क्यों नहीं रखवा लेते? बड़ा कारण है। पता नहीं अदालत को पता है या नहीं, लेकिन कारण है; कारण बड़ा है। राम, कितने ही बड़े हों, लेकिन इस मुल्क के चित्त में वे पूर्ण अवतार की तरह नहीं हैं; अंश है उनका अवतार। उपनिषद के ऋषि कितने ही बड़े ज्ञानी हों, लेकिन अवतार नहीं हैं। कृष्ण पूर्ण अवतार हैं। परमात्मा अगर पूरा पृथ्वी पर उतरे, तो करीब-करीब कृष्ण जैसा होगा। इसलिए कृष्ण इस मुल्क के अधिकतम मन को छू पाए हैं; बहुत कारणों से। एक तो पूर्ण अवतार का अर्थ होता है, मल्टी डायमेंशनल, बहुआयामी; जो मनुष्य के समस्त व्यक्तित्व को स्पर्श करता हो। राम वन डायमेंशनल हैं। हर्बर्ट मारक्यूस ने एक किताब लिखी है, वन डायमेंशनल मैन, एक...
लोहिया एवं राजव्यवस्था

लोहिया एवं राजव्यवस्था

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23 मार्च को डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म दिवस है। कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। तस्वीरों पर फूल मालाएं चढ़ायी जाएगी परन्तु उनके दर्शन, सिद्धान्त और नीतियों को भुला दिया जाएगा। समलक्ष-समबोध, समदृष्टि, समता समाज और समूल परिवर्तन की राह पर चलकर उनका अनुसरण नहीं किया जाएगा। जाति प्रथा के समूल नाश के लिए वे जीवन भर सामाजिक चेतना जागृत करने में लगे रहे। जब तक जाति प्रथा रहेगी तब तक जातिवाद और जातीयता चलती रहेगी। जब तक जातिवाद रहेगा तब तक परिवार वाद और सामाजिक सामन्तवाद चलता रहेगा। इसको तोडऩे के लिए कोई पार्टी और सरकार कुछ नहीं कर रही है। इस पर चिन्तन करना चाहिए। एक कारण लगता है कि चुनाव लडऩे वाली सभी पार्टियां जातियों का धु्रवीकरण कर सत्ता प्राप्त करना चाहती है। वाणी से जातीयता का विरोध और कर्म से समर्थन करते हैं। डॉ. लोहिया जीवन भर जाति तोड़ो सम्मेलन करवाते रहे। उन्होंने कार्यक्रम दिया था...
बदलाव की ओर पंजाब, बिखराव की ओर ‘आप’

बदलाव की ओर पंजाब, बिखराव की ओर ‘आप’

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पंजाब भोले और खुशमिजाज़ लोगों की धरती है। यहां के लोग हर त्योहार को आनंद से मनाते हैं। चुनाव के दौरान भी पंजाब में उत्सव का माहौल दिखा। पंजाब वर्तमान में युवाओं में बढ़ती नशे की लत से जूझ रहा है। पाकिस्तान के सीमावर्ती होने के कारण पंजाब में एक जिम्मेदार सरकार का होना आवश्यक था। अप्रवासी भारतीयों में पंजाबियों का एक बड़ा वर्ग है जो देश से प्यार करता है। इस बार वह पंजाब में बदलाव की नीयत से कई माह से चुनाव प्रचार में जुटा था। एक बड़ी संख्या में अप्रवासी भारतीयों द्वारा चुनाव प्रचार एवं प्रोफेशनल्स के चुनाव लडऩे के कारण रोचक बने पंजाब चुनाव के परिणामों का विश्लेषण विशेष संवाददाता अमित त्यागी कर रहे हैं । जाब में अकाली-भाजपा सरकार का विरोध था। उनकी हार तय तो सभी मान रहे थे किन्तु इन सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह था कि क्या पंजाब में आप का शासन आ जायेगा? क्या सिर्फ मोदी विरोध के द्वारा खुद को रा...
भाजपा चुस्त, कांग्रेस सुस्त  (उच्चतम न्यायालय ने कहा दुरुस्त)

भाजपा चुस्त, कांग्रेस सुस्त (उच्चतम न्यायालय ने कहा दुरुस्त)

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  जब कुछ करने के लिये ठान लिया जाता है तब उसके लिये रास्ते भी निकलने लगते हैं। अमित शाह गोवा में सरकार बनाने की ठान चुके थे। पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो भी सरकार बनाने की जोड़तोड़ में वह लगे रहे। सबसे बड़ा दल न बनने के बावजूद उनके रणनीतिक कौशल ने रातोंरात गोवा में सरकार का गठन करवा दिया। चुनाव पूर्व आम आदमी पार्टी के चंगुल से गोवा को बचाते हुये और चुनाव परिणाम उपरांत कांग्रेस को सरकार बनाने से विफल करती भाजपा की राजनीति बता रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। गोवा एक ऐसा राज्य था जहां आम आदमी पार्टी अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगी थी। कमजोर होती कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा की सत्ताविरोधी लहर के चलते 'आप’ गोवा में पूरी तरह रायता फैलाने के मूड में थी। यदि छह माह पहले गोवा में चुनाव होते तो वहां की राजनैतिक परिस्थितियां ऐसी थीं कि अपनी ईमानदार छवि के पीछे एक धूर्त मुखौटा छिपाये अरविंद के...
मणिपुर का लोकतान्त्रिक उत्तर दिल्ली से जुड़ता पूर्वोत्तर

मणिपुर का लोकतान्त्रिक उत्तर दिल्ली से जुड़ता पूर्वोत्तर

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मणिपुर में पिछले 15 सालों से कांग्रेस के ओकराम इबोबी मुख्यमंत्री थे। लगातार इतने सालों से मुख्यमंत्री रहने के कारण उनके विरोध में एक सत्ता विरोधी लहर तो उनके पिछले कार्यकालों के दौरान भी साफ तौर पर थी किन्तु किसी मजबूत विकल्प न होने के कारण सत्ता का बदलाव मुश्किल था। असम की जीत के बाद भाजपा की मजबूती मणिपुर में भी बढ़ी। वहां पैदा हुये आत्मविश्वास ने इस बार मणिपुर में भाजपा को एक विकल्प के रूप में खुद ब खुद पेश कर दिया। गोवा और मणिपुर में हालांकि भाजपा दूसरे नंबर पर थी किन्तु भाजपा के शीर्ष रणनीतिकारों के बेहतर रणनीतिक कौशल के कारण मणिपुर में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही। मणिपुर पर अमित त्यागी का एक लेख। भारत में लोकतन्त्र मजबूत होता दिखने लगा है। जनता जागरूक होने लगी है। इसकी वजह यह है कि जनता अब उन विषयों पर जागरूक होने लगी है जो राष्ट्रनिर्माण से सरोकार रखते हैं। जिनसे देश की आंतर...
केसरिया हुयी देवभूमि

केसरिया हुयी देवभूमि

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उत्तराखंड में भाजपा के जीतने में किसी को कोई शक शुबा नहीं था। पिछले पांच सालों में जिस तरह कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने उत्तराखंड में लूट खसोट और भ्रष्टाचार किया था उसके बाद जनता ने मन तो साल भर पहले ही बना लिया था। वह तो सिर्फ चुनाव का इंतज़ार कर रही थी कि कैसे हरीश रावत सरकार से छुटकारा मिले। हरीश रावत को अपने मुख्यमंत्री रहते इस बात का आभास था इसलिए उन्होंने इस बार दो विधानसभा से चुनाव लड़ा। अपेक्षित रूप से दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों से उनकी हार हुयी। बसपा तो इस बार खाता भी नहीं खोल सकी। 2017 के चुनाव परिणामों में सबसे बड़ी विजय के साथ जीती भाजपा की रणनीति एवं राष्ट्रपति चुनावों पर इसके प्रभावों पर अमित त्यागी प्रकाश डाल रहे हैं। देवभूमि देवताओं का निवास मानी जाती है। इस बार देवभूमि ने एक नहीं दो मुख्यमंत्री दिये। एक उत्तराखंड को, दूसरा उत्तर प्रदेश को। पांचों राज्यों के चुनावों में ...
यूपी चुनाव परिणाम :  भगवा सुनामी के बाद

यूपी चुनाव परिणाम : भगवा सुनामी के बाद

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  यूपी में भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने सभी को चकित कर दिया है व  देश की राजनीति को एक नयी दिशा दी है और वो है विकास की राजनीति। अर्थात जो दल जनता को काम करके दिखाएगा जनता उसी को अपना समर्थन देगी। हालिया चुनावों में भाजपा को इतनी बड़ी जीत नरेन्द्र मोदी जी की सबका साथ सबका विकास की छवि को लेकर मिले हैं। किन्तु भाजपा की राह अब आगे और मुश्किल होने जा रही है क्योंकि उसके समक्ष जनता के इस विश्वास को बनाए रखने की चुनौति है और 2 वर्ष के भीतर कुछ करके दिखाना है जिससे 2019 का लक्ष्य साधा जा सके। प्रस्तुत है एक आलेख   उत्तरप्रदेश के विस्मयकारी, अप्रत्याशित और राजनैतिक भूकंप लाने वाले परिणाम आए। खुद भाजपा के कट्टर समर्थकों को भी यह उम्मीद नहीं थी कि भाजपा को यूपी में तीन सौ से अधिक सीटें मिलेंगी। यहां तक कि अंतिम चरण का प्रचार आते-आते खुद मोदीजी भी एक-दो सभाओं में गठबंधन की बातें कर...
नये नये रंग बदलता उत्तर प्रदेश

नये नये रंग बदलता उत्तर प्रदेश

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पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर के परिणामों से देश की राजनीति में कुछ हलचल जरूर मची किंतु तूफ़ान तो यूपी के परिणामों से ही आया। सेकुलर खेमा जो माया और अखिलेश में बंट गया विचित्र स्थिति में है। सच कहें तो सन् 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए उसका अस्तित्व ही दांव पर है। बिहार के आमने सामने के मुकाबले के विपरीत त्रिकोणीय मुकाबले से दो चार यह प्रदेश पूरे उत्तर प्रदेश में बह रही आंधी के बीच भाजपा की शानदार जीत बढ़त की कहानी कह रहा है। यानि नीले और हरे के बाद अब भगवा युग की तूफानी वापसी। अब नितीश भी बिहार में लालू को लात मार भाजपा का हाथ कभी भी थाम सकते हैं। कांग्रेस पाताल में चली गयी है और मोदी अजेय हो गये हैं। अगड़े, गैर यादव पिछड़े और गैर जाटव दलित का एक धड़ा यानि 50 प्रतिशत से भी अधिक वोट बैंक को कब्जे में करने की मोदी और शाह की कोशिशें जाटों और वैश्यों के आरंभिक विरोध के बाबजूद परवान चढ़ ...