नारी अस्तित्व एवं अस्मिता पर धुंधलके क्यों?
सम्पूर्ण विश्व में नारी के प्रति सम्मान एवं प्रशंसा प्रकट करते हुए 8 मार्च का दिन उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में, उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से पहले और बाद में हफ्ते भर तक विचार विमर्श और गोष्ठियां होंगी जिनमें महिलाओं से जुड़े मामलों जैसे महिलाओं की स्थिति, कन्या भू्रण हत्या की बढ़ती घटनाएं, लड़कियों की तुलना में लड़कों की बढ़ती संख्या, गांवों में महिला की अशिक्षा एवं शोषण, महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाएं, अश्लील हरकतें और विशेष रूप से उनके खिलाफ होने वाले अपराध को एक बार फिर चर्चा में लाकर वाहवाही लूट ली जायेगी। लेकिन इन सबके बावजूद एक टीस से मन में उठती है कि आखिर नारी कब तक भोग की वस्तु बनी रहेगी? उसका जीवन कब तक खतरों से घिरा रहेगा? बलात्कार, छेड़खानी, भूण हत्या और दहेज की धधकती आग में वह कब तक भस्म होती रहेगी? कब तक...