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क्यों नहीं नपें माल्या, दाऊद, नदीम

क्यों नहीं नपें माल्या, दाऊद, नदीम

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एक बात सबकी समझ में अब आ ही जाना चाहिए कि अब देश में हजारों करोड़ के घोटाले करने के बाद या गंभीर अपराधों को अंजाम देकर विदेशों में जाकर शरण लेने वाले अब जरूर नपेंगे। उनकी संपत्ति होगी जब्त। यानी शराब कारोबारी विजय माल्या से लेकर, आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी और दाऊद इब्राहिम से लेकर नदीम तक, कोई अपराधी बचेंगा नहीं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में स्पस्ट किया कि देश छोड़कर भागने वाले भगोड़ों पर नकेल कसने के लिए सरकार सख्त और नए कानून लाने पर विचार कर रही है। माल्या से दाऊद हालांकि उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन साफ है कि उनका इशारा माल्या, ललित मोदी और दाउद जैसों पर ही था। पैसे और राजनीतिक रसूख के बल पर कुछ धनपशुओं को लगने लगा था कि उन्हें कोई छेड़ ही नहीं सकता। बैंकों का करीब 9 हजार करोड़ रुपये माल्या के पास बकाया है। देर से ही भले, परन्तु सरकार का ऐसे लोगों के...
नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

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उत्तराखंड इस समय बदलाव के लिए तैयार दिख रहा है। अपने गठन के बाद से उत्तराखंड में राजनैतिक उथल पुथल चलती रही है। यहां कांग्रेस और भाजपा मवार सरकार का गठन करते रहे हैं। उत्तराखंड के गठन के प्रारम्भिक दौर में जब उत्तर प्रदेश में मायावती मजबूत थीं तब बसपा भी अपना यहां प्रभाव रखती थी। इसके बाद धीरे धीरे बसपा यहां कमजोर होती चली गयी। कांग्रेस के बड़े नेता एक एक कर अब भाजपा में शामिल हो गये हैं। वर्तमान सरकार के कई मंत्री एवं इसी कार्यकाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी अब भाजपाई हैं। कांग्रेस अब बिना नेताओं के सिर्फ पारंपरिक जनाधार के भरोसे उत्तराखंड में उतर रही है। उसके पास न तो काडर बनाने के लिये समय बचा है और न ही अपनी बात कहने के लिये कद्दावरों की फौज। ऐसे में उत्तराखंड की लड़ाई अब युवा कांग्रेसियों के जुनून एवं भाजपा के बढ़ते जनाधार के बीच आकर ठहर गयी है। उत्तराखंड पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी...
पर्रिकर का विकल्प न ढूंढ पाना भारी पड़ रहा भाजपा को

पर्रिकर का विकल्प न ढूंढ पाना भारी पड़ रहा भाजपा को

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कभी कभी कोई व्यक्ति इतना बड़ा बन जाता है कि उसका विकल्प न ढूंढ पाना भी सत्ता वापसी में रोड़े लगा देता है। ऐसा ही कुछ है रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ। वह गोवा छोड़कर केंद्र की राजनीति में क्या गये, गोवा की भाजपा अनाथ हो गयी। एक अच्छी ख़ासी चल रही सरकार, जो सत्ता में पुनर्वापसी कर सकती थी। आज ऐसी स्थिति में है जहां उसकी दोबारा वापसी तो दूर सबसे बड़ी पार्टी बनने के भी लाले पड़े हुये हैं। गोवा की राजनीति पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी का एक आलेख गोवा एक कम क्षेत्रफल वाला राज्य है। कई सालों से यहां कांग्रेस बनाम भाजपा की ज़ंग रही है। इन दोनों दलों के बीच ही सत्ता का हस्तांतरण होता रहा है। इस समय वहां भाजपा की सरकार है। गोवा में कांग्रेस कमजोर है इसलिए आम आदमी पार्टी वहां एक विकल्प के तौर पर उभर चुकी है। जबसे मनोहर पर्रिकर केंद्र में रक्षामंत्री बने हैं तबसे गोवा में किसी बड़े चेहरे के लि...
अप्रवासियों की सक्रियता से रोचक बनता पंजाब चुनाव

अप्रवासियों की सक्रियता से रोचक बनता पंजाब चुनाव

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गोवा और पंजाब दो ऐसे राज्य हैं जहां आम आदमी पार्टी न सिर्फ राजनैतिक परिदृश्य में दिखाई दे रही है बल्कि अपना एक खासा प्रभाव भी रख रही है। एक ओर पंजाब में भाजपा-अकाली दल की सरकार है तो दूसरी ओर गोवा में भी भाजपा की सरकार है। इन दोनों प्रदेशों में नशा और उससे जुड़े कारोबार एक अहम चुनावी मुद्दा है। चूंकि नशे के बड़े दुष्प्रभाव होते हैं इसलिए इसका विरोध करने वाली पार्टी जनभावना की प्रतीक बन जाती है। दोनों जगह वर्तमान सरकार के विरोध स्वरूप आम आदमी पार्टी स्वयं को एक विकल्प दिखाने में सफल रही है। हालांकि, दोनों प्रदेशों में आप बहुमत से दूर दिख रही है फिर भी सत्तासीन दलों को नाको चने चबवाने का काम तो कर ही रही है। गोवा और पंजाब को विश्लेषित करता विशेष संवाददाता अमित त्यागी का एक आलेख। पंजाब की एक बड़ी आबादी विदेशों में निवास करती है। यह अप्रवासी भारतीय विदेश में रहकर अपने पंजाब पर निगाहें लगाये...
11 घटनाएं जो साबित करती हैं कि अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बनने के लायक़ नहीं…।

11 घटनाएं जो साबित करती हैं कि अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बनने के लायक़ नहीं…।

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मुलायम सिंह यादव को अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश यादव खुद सपा के अध्यक्ष बन गये हैं। जनता में बड़ा पॉजिटिव माहौल बना है। पर ये लग रहा है कि अखिलेश हर तरह के ब्लेम से मुक्त हैं। सारी गलती सपा पार्टी की है। सपा के पुराने नेताओं की है। अखिलेश सरकार तो एकदम काम करने के मोड में थी। पिछले छह महीनों में अखिलेश ने यही इमेज बनाने की कोशिश की है और सफल भी रहे हैं। जून 2016 से मुख्तार अंसारी की पार्टी के सपा में विलय को लेकर शिवपाल के खिलाफ निशाना साधा अखिलेश ने। तो तुरंत इमेज बन गई कि अखिलेश गुंडई के खिलाफ लड़ रहे हैं। पर पिछले 5 साल में अगर अखिलेश यादव की सरकार के काम-काज पर ध्यान दें तो कई चीजें ऐसी निकलेंगी जिससे पता चलेगा कि अखिलेश शासन काल के अंत में जागे हैं। ये काम तो हर मुख्यमंत्री करता है। आइए देखते हैं अखिलेश सरकार की नाकामियों को। दंगे जिन्हें अखिलेश रोक नहीं पाये इसकी शुरूआत हुई...
यूपी में गठबंधन : फायदे में सपा, भाजपा को नफा, बसपा सफा

यूपी में गठबंधन : फायदे में सपा, भाजपा को नफा, बसपा सफा

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उत्तर प्रदेश में अब सियासत की महाभारत का मैदान सज चुका है। सभी दलों के योद्धा निर्धारित हो चुके हैं। सब के सब अपने अपने निर्धारित चुनाव क्षेत्रों में जीत के दावे करने लगे हैं। कई महीनों की नूरा कुश्ती के बाद सपा के चाल, चरित्र और चेहरे को नया रंग रोगन करके बाज़ार में लाया जा चुका है। अखिलेश यादव अब साढ़े चार मुख्यमंत्री में आधे नहीं बल्कि पूरे सेनापति बनाके पेश किये जा चुके हैं। नेताजी के द्वारा जिस तरह से अपने बेटे को विरासत सौंपी गयी है उसमें पूरे देश को मज़ा आया। एक सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी यह समझ रहा है कि यह सब एक पिता द्वारा पुत्र के व्यक्तित्व को चमकाने की कवायद थी। जिस तरह फिल्म में खलनायक जितना बड़ा होता है, नायक उतना ही बड़ा बनकर उभरता है ठीक वैसे ही शिवपाल को बड़ा खलनायक बना कर पेश किया गया। पर एक बात समझ में किसी को नहीं आयी कि शिवपाल को खलनायक बनाने के नेताजी के जिस दांव क...
”स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज”

”स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज”

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बालिका के स्वास्‍थ्‍य का चिंतन समाज के विकास एवं देश के भविष्य से जुड़ा हुआ हैं। मौजूदा समय में हम इससे नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं। यह मानना है स्वस्थ भारत न्यास के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह का। वह अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज विषय पर यह कार्यक्रम स्पंदन व विवि के गर्भ तपोवन संस्कांर केंद्र के सहयोग से किया गया था। समारोह का शुभारंभ मॉ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर किया गया। इस अवसर पर डॉ अभय चौधरी, डॉ यशवंत मिश्रा, कुमार कृष्णन और विनोद कुमार मौजूद थे।  यहां बता दें, आशुतोष कुमार सिंह अपने सहयोगियों के साथ बालिकाओं के स्वस्थ  जागरूकता के मुद्दे को लेकर स्वस्थ भारत यात्रा पर हैं। श्री सिंह ने बालिका स्वस्थ पर जहां चिंता जाहिर की वहीं स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की अवधारणा पर विचार भी व्यंक्तय किया। उन...
भाजपा की नीति-मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा साफ

भाजपा की नीति-मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा साफ

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भारत हो या अन्य लोकतांत्रिक देश राजनीतिक दल बिना चंदे के चुनाव लडऩे की सोच भी नहीं सकते है। यह भी सच है कि अगर चंदे में पारदर्शिता न हो तो यह भ्रष्टाचार की जड़ बन जाता है। असल में देश के ज्यादातर राजनीतिक दल चंदे के हिसाब-किताब में पारदर्शिता नहीं रखते हैं। हालाकि देश में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे को लेकर इन दिनों खूब हो हल्ला मचा हुआ है। वित्त मंत्री अरूण जेटली नेे अबकि बार अपने बजट भाषण में राजनीतिक चंदे पर एक बड़ी घोषणा कर यह जताने की कोशिश की है कि भाजपा ही वह पार्टी है जिसे चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने की फिक्र है। इस बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने राजनीतिक पार्टियां को कैश में चंदा लेने की अधिकतम सीमा 2000 रुपये निर्धारित कर दी है। नई घोषणा के साथ ही अब राजनीतिक दलों को चंदा लेने के लिए चेक और डिजिटल माध्यम का सहारा लेना पड़ेगा। इसके साथ ही पार्टियों को चंदा देने ...
आम बजट २०१७ या भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध का शंखनाद!

आम बजट २०१७ या भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध का शंखनाद!

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आठ नवम्बर २०१६ की रात्रि ८ बजे प्रधान मंत्री द्वारा देश की ८६% मुद्रा के एक झटके में विमुद्रीकरण (५०० व १००० के नोट बंदी) की घोषणा के बाद अब केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली ने भी संसद में वर्ष २०१७-१८ का आम बजट पेश करते हुए अनेक कीर्तिमान बना डाले हैं.  उनके बजट भाषण में देश की रग-रग में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के संकल्प की अभिव्यक्ति भी स्पष्ट नजर आती है. जहां आयकर की दर १० से घटाकर ५ प्रतिशत कर ईमानदार करदाताओं या वेतनभोगी कर्मचारियों या यूं कहें कि उस तबके को जो नोटबंदी से सर्वाधिक परेशान हुआ, किन्तु धैर्य नहीं खोया, को, विशेष राहत प्रदान की है वहीँ, विविध सरकारी योजनाओं का लाभ गरीवों किसानों कामगारों अनुसूचित जातियों अनुसूचित जन जातियों युवाओं महिलाओं तथा समाज के अन्य निचले तबकों तक सीधा पहुंचाए जाने हेतु विविध प्रबंध भी साफ़ देखे जा सकते हैं. ...
Logic of having size of 100-rupee note bigger than that of rupees 500 or 2000 notes

Logic of having size of 100-rupee note bigger than that of rupees 500 or 2000 notes

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It refers to media-reports about Reserve Bank of India (RBI) issuing new series of rupees 100 notes with same design but with signature of new RBI governor Urjit Patel. Earlier new series of currency-notes of rupees 20 and 50 were issued as per RBI notification dated 04.12.2016 which were equal in sizes and similar in design to earlier currency-notes of respective same denominations, except for some light colour of front portions of these notes due to change in print-procedure and signed by new RBI governor Urjit R Patel.   Issuance of similar sized notes of rupees 20, 50 and 100 will be disproportionate to small-sized new currency-notes of rupees 500 and 2000. There had been quite sufficient time for all concerned ones including central government, RBI, subsidiary companies of ...