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तो क्या कश्मीर की तरह दिल्ली भी सेना के हवाले करनी पड़ेगी?

तो क्या कश्मीर की तरह दिल्ली भी सेना के हवाले करनी पड़ेगी?

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आप पार्षद हाजी ताहिर हसन जिनके घर से पत्थर और पेट्रोल बम की बरसात हुई है। पत्थर, तेज़ाब और पेट्रोल का जखीरा भी मिला है, आईबी कर्मचारी के परिवारीजन जिन पर अपने बेटे की हत्या का आरोप लगा रहे हैं। वह कह रहे हैं कि मुस्लिम आबादी छोड़कर वह हिंदू आबादी में रहने आए। यह ठीक वैसे ही है जैसे कुछ लोग कहते हैं कि हम बाई च्वायस हिंदुस्तान में रुके और पाकिस्तान नहीं गए। तो यह अहसान अपने ऊपर था कि हिंदुस्तान पर? हिंदुस्तान को अब सीरिया बनाने के लिए नहीं गए? जब देखो तब कहते फिरते हैं कि किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े ही है और  हिंदुस्तान को जलाते फिरते रहते हैं। अपने बाप का हिंदुस्तान होता तो इस तरह नहीं जलाते आए दिन। अम्बेडकर ने पाकिस्तान बनने पर खुशी जाहिर करते हुए लिखा है कि अच्छा हुआ इस्लाम नाम का अभिशाप हिंदुस्तान से पाकिस्तान गया। लेकिन आंबेडकर को नहीं मालूम था कि पाकिस्तान बनाने की लड़ाई लड़ने ...
Mutual understanding and unity is essential for the development of the nation

Mutual understanding and unity is essential for the development of the nation

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Mutual understanding and unity is essential for the development of the nation An appeal to all for the establishment of peace Hindus and Muslims are indispensable to each other in this country. To increase mutual trust in each other is the need of the time. The recent outbreak of violence in New Delhi, the national capital, has resulted in the loss of lives and wealth of the common people. Ahmadiyya Muslim community, India stands with those affected by this incident. More than 30 people including a police head constable have lost their lives in this tragic event. Ahmadiyya Muslim community expresses its heartfelt condolences to the families of the victims and pray for those injured and are undergoing treatment and for those who have suffered financially. Since its establishment, Ah...
देश में उपस्थित मिनी पाकिस्तान से हारते दिखे नरेंद्र मोदी

देश में उपस्थित मिनी पाकिस्तान से हारते दिखे नरेंद्र मोदी

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कश्मीर से लगायत दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद आदि समूचे देश में पुलिस पर पत्थरबाजी कौन लोग और क्यों करते हैं? यह भी क्या किसी से कुछ पूछने की ज़रूरत है? जुमे की नमाज के बाद शहर दर शहर बवाल समूचे भारत में क्यों होता है? मोहर्रम में दंगे क्यों होते हैं? होली और दुर्गा पूजा के विसर्जन जुलूस पर हमला कौन करता है? कभी किसी मंदिर, किसी चर्च, किसी गुरूद्वारे से किसी ख़ास मौके पर या सामान्य मौके पर किसी ने किसी को बवाल या उपद्रव करते हुए देखा हो तो कृपया बताए भी। अपने भाई को क्या बार-बार बताना होता है कि यह हमारा भाई है? तो यह भाईचारा, सौहार्द्र, गंगा-जमुनी तहजीब का पाखंड क्यों हर बार रचा जाता है। यह तो हद्द है। इस हद की बाड़ को तोड़ डालिए। इकबाल, फैज़ अहमद फ़ैज़, जावेद अख्तर, असग़र वजाहत जैसे तमाम-तमाम नायाब रचनाकार भी अंतत: क्यों लीगी और जेहादी जुबान बोलने और लिखने लगते हैं। भारतेंदु हरिश्चंद्र, मै...
‘काॅनक्लेव’ से नहीं कर्मठ लोगों से हल हांेगी समस्या

‘काॅनक्लेव’ से नहीं कर्मठ लोगों से हल हांेगी समस्या

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अक्सर देश के बडे़ मीडिया समूह, दिल्ली में राष्ट्रीय समस्याओं पर सम्मेलनों का आयोजन करते हैं। जिनमें देश और दुनिया के तमाम बड़े नेता और मशहूर विचारक भाग लेते हैं। देश की राजधानी में ऐसे सम्मेलन करना अब काफी आम बात होती जा रही है। इन सम्मेलनों में ऐसी सभी समस्याओं पर काफी आंसू बहाऐ जाते है और ऐसी भाव भंगिमा से बात रखी जाती है कि सुनने वाले यही समझे कि अगर इस वक्ता को देश चलाने का मौका मिले तो इन समस्याओं का हल जरूर निकल जाएगा। जबकि हकीकत यह है कि इन वक्ताओं में से अनेकों को अनेक बार सत्ता में रहने का मौका मिला और ये समस्यायें इनके सामने तब भी वेसे ही खड़ी थी जैसे आज खड़ी हैं। इन नेताओं ने अपने शासन काल में ऐसे कोई क्रान्तिकारी कदम नहीं उठाये जिनसे देशवासियों को लगता कि वो ईमानदारी से इन समस्याओं का हल चाहते है। अगर उनके कार्यकाल के निर्णयों कोे बिना राग-द्वेष के मूल्यांकन किया जाए तो यह स्पष्ट ...
मुसलमान भाइयों-बहनों को झूठ और अफवाहों से बचाने के लिए आगे आएं हिन्दू भाई-बहन

मुसलमान भाइयों-बहनों को झूठ और अफवाहों से बचाने के लिए आगे आएं हिन्दू भाई-बहन

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दिल्ली में दंगों की आग बुझ चुकी है, लेकिन चिंता की बात यह है कि देश के अनेक हिस्सों में मुसलमान भाइयों-बहनों के बीच अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि दिल्ली में गुजरात दंगों जैसा कोई मॉडल आजमाया गया है। मकसद साफ है कि अन्य जगहों पर भी उन्हें दंगे करने के लिए उकसाया जा सके। देखा जाए तो यह उनकी पूरी की पूरी कम्युनिटी को दंगाई बनाने की साज़िश है, जिससे उन्हें सावधान रहना होगा। जहां तक दिल्ली दंगों का सवाल है, मुसलमान भाइयों-बहनों को यह समझना होगा कि शातिर सियासतदानों ने उनके कंधों पर बन्दूकें रखकर 40 से ज़्यादा बेगुनाह लोगों को मरवा दिया, जिनमें दोनों समुदायों के अभागे लोग शामिल हैं। इन दंगों की तैयारी शाहीन बाग की स्थापना के साथ ही शुरू हो गई थी और मास्टरमाइंड सियासी दलों ने इसके लिए रेडिकल इस्लामिक एलिमेंट्स को इस्तेमाल किया। आइए, कुछ तथ्यों से आप समझ जाएंगे कि इन दंगों के पीछे रेडिकल हिं...
नई ऊंचाइयों पर भारत अमेरिका सम्बंध

नई ऊंचाइयों पर भारत अमेरिका सम्बंध

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे क्षेत्र को कवर करते हुए व्यापक वार्ता की, जिसमें रक्षा, सुरक्षा और व्यापार और निवेश के प्रमुख क्षेत्र शामिल रहे। इस द्विपक्षीय वार्ता के बाद पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-अमेरिका का साझा बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि भारत-अमेरिका के बीच 3 अरब डॉलर के एक बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। पीएम मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर सहमति बनाने के लिए बातचीत होगी। वहीं, साझा बयान से पहले मीडिया के समक्ष वार्ता में अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत किया और उन्हें भारत यात्रा के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद दिया। इसके जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि भारत में पिछले दो दिन अद्भुत थे, विशेषकर अहमदाबाद के मोटेरा स्ट...
सेठजी ट्रंप के छक्के

सेठजी ट्रंप के छक्के

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस भारत-यात्रा से किसी भी विदेशी राष्ट्रध्यक्ष की यात्रा की तुलना नहीं की जा सकती। कुछ अर्थों में यह अप्रतिम रही है। अब तक आए किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति या किसी अन्य विदेशी नेता ने भारत और उसके प्रधानमंत्री की वैसी तारीफ कभी नहीं की, जैसी कि ट्रंप ने की है। अपने दो दिन के प्रवास में ट्रंप ने एक शब्द भी ऐसा नहीं बोला और कोई भी हरकत ऐसी नहीं की, जिसके लिए वे सारी दुनिया में जाने जाते हैं। दूसरे शब्दों में उनकी भारत-यात्रा ने उन्हें काफी परिपक्व बना दिया। यदि इस परिपक्वता को वे बनाए रखेंगे तो राष्ट्रपति का अगला चुनाव जीतने में उन्हें काफी मदद मिलेगी। ट्रंप ने अपने अहमदाबाद-भाषण में पाकिस्तान का जिक्र भी बड़ी तरकीब से किया। उन्होंने उसके आतंकवाद से लड़ने की तो कसम खाई लेकिन उसे कोई दोष नहीं दिया। उस लड़ाई में उन्होंने उसकी मदद की बात भी कही। यही उच्च कोटि की कू...
किसने भूमिका तैयार की दिल्ली के दॅंगों की?

किसने भूमिका तैयार की दिल्ली के दॅंगों की?

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अब तो आग की लपटों से बाहर निकल आई है दिल्ली। अब मासूमों को मारने के लिए सड़कों पर उतरे मौत के सौदागर अपना सुनियोजित काम करके पतली गली से निकल चुके हैं। लेकिन, तीन-चार दिनों तक दिल्ली में मानवता बार-बार मरती रही। दर्जनों लोग मार डाले गए और सैकड़ों घायल हुए। हजारों दूकानें और घर राख में तब्दील कर दिए गए। इतना सब कुछ होने के बावजूद अब भी यहां पर ‘मेरा-तुम्हारा’ करने वाले सक्रिय हैं। वे अब भी दुखी हैं इस बात से हैं कि किछ उनके मजहब वाले  भी दंगों में शिकार हुए। उन्हें दूसरे मजहब के मानने वाले मृतकों या घायलों को लेकर किसी तरह का सहानुभूति का भाव ही नहीं है। तो इतना पत्थर दिल बन गये हैं हमारे  समाज के कुछ नकाबपोश। गंगा-जमुनी तहजीब की बातें मानों बेमानी सी ही लगती है।  बहरहाल, दिल्ली के दंगों के लिए एक खास समूह कपिल मिश्र की गिरप्तारी की मांग कर रहा है। उन्हें इन दंगों के लिए दोष दे र...
सरकार और प्रशासन की नाकामी है दिल्ली दंगे

सरकार और प्रशासन की नाकामी है दिल्ली दंगे

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शाहीनबाग़ संयोग या प्रयोग हो सकता है लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान देश की राजधानी में होने वाले दंगे संयोग कतई नहीं हो सकते। अब तक इन दंगों में एक पुलिसकर्मी और एक इंटेलीजेंस कर्मी समेत लगभग 42 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। नागरिकता कानून बनने के बाद 15 दिसंबर से दिल्ली समेत पूरे देश में होने वाला इसका विरोध इस कदर हिंसक रूप भी ले सकता है इसे भांपने में निश्चित ही सरकार और प्रशासन दोनों ही नाकाम रहे। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि सांप्रदायिक हिंसा की इन संवेदनशील परिस्थितियों में भी भारत ही नहीं विश्व भर के मीडिया में इसकेपक्षपातपूर्ण विश्लेषणात्मक विवरण की  भरमार है जबकि इस समय सख्त जरूरत निष्पक्षता और संयम की होती है। देश में अराजकता की ऐसी किसी घटना के बाद सरकार की नाकामी, पुलिस की निष्क्रियता, सत्ता पक्ष का विपक्ष को या विपक्ष का सरकार को दोष देने की राजनीति इस द...
मुसलमान भाई-बहन समझें कि मानवता के नाते अनाथ बच्चों को गोद लिया जाता है, मां-बाप वाले बच्चों को नहीं

मुसलमान भाई-बहन समझें कि मानवता के नाते अनाथ बच्चों को गोद लिया जाता है, मां-बाप वाले बच्चों को नहीं

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जब भी कोई दंगा होता है। मानवता कराहती है और समाज नंगा होता है। मैं भी चाहता तो हूँ कि दिल्ली दंगों के दौरान अनेक हिंदुओं ने जिस तरह से जान पर खेलकर अनेक मुसलमानों को बचाया, और अनेक मुसलमानों ने जिस तरह से जान पर खेलकर अनेक हिंदुओं को बचाया, उससे राहत की सांस लूं और तसल्ली रखूं कि इंसानियत अभी ज़िंदा है, लेकिन कुछ सियासी दलों ने जिस तरह से खेल खेला है और बिना किसी बात के हमारे मुसलमान भाइयों-बहनों को युद्ध के मैदान में खड़ा कर दिया है, वह चिंताजनक है। इस सियासी खेल का अंजाम यह होगा कि मुसलमान भाई-बहन दिन-ब-दिन मुख्य धारा से और कटते जाएंगे और हिंदुओं में भी मुसलमानों के प्रति शंकाएं बढ़ती ही जाएंगी, जो अंततः इस टकराव को और बढ़ाएगा। फिर,40 लोगों की मौत के बाद मेरे जैसे लोग इस बात पर गर्व नहीं कर सकते कि मारने वाले थे, तो बचाने वाले भी थे। मैं समस्या को उसकी जड़ से खत्म होते हुए दे...