
“भारतीय संस्कृति से विश्व का कल्याण होगा”
भारतीय संस्कृति पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आघात शतकों से होता आ रहा है। विदेशी धर्मान्ध आक्रांताओं द्वारा सत्य सनातन वैदिक हिन्दू धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुप्रयासों का अत्याचारी इतिहास भुलाया नहीं जा सकता। सत्य,अहिंसा,सहिष्णुता,उदारता व क्षमा के मार्गों पर चलने की प्रेरणा देने वाली भारतीय संस्कृति विश्व को एक परिवार का रूप मानती रहीं है। लेकिन कोई जब इन सद्गुणों का अनुचित लाभ उठा कर अत्याचारी व अन्यायी हो जाये तो उसका प्रतिकार करना भी भारतीय संस्कृति के अनुसार अनुचित नहीं बल्कि धर्म सम्मत एवं सार्थक है। हमारे शास्त्रों में आचार्यों के स्पष्ट संकेत हैं कि जब आत्मरक्षा , स्वाभिमान व अस्तित्व पर संकट हो तो उस स्थिति में साम, दाम, दंड व भेद की नीतियों का सहारा लेना भी धर्म होता है।
अतः जैसे को तैसा का आचरण अपना कर "दुर्जन के आगे कैसी सज्जनता व हिंसक के सामने कैसी अहिंसा" ही सर्...