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लोकतंत्र को कमजोर करती है अवसरवादी राजनीति-ललित गर्ग- कांग्रेस में लगातार वफादार नेताओं का पलायन जारी है, नये नामों में कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, महाराष्ट्र के जिम्मेदार एवं पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा,  निशाना साधने वाले मुक्केबाज विजेंदर, आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, जिन्होंने कांग्रेस को बाय-बाय कर दी है। इन सभी ने कांग्रेस के मुद्दाविहीन होने, मोदी के विकसित भारत के एजेंडे, राहुल गांधी की अपरिपक्व राजनीति एवं कांग्रेस की सनातन-विरोधी होने को पार्टी से पलायन का कारण बताया है। कुछ भी कहे, यह राजनीति में अवसरवाद का उदाहरण है, इस तरह का बढ़ता दौर चिंताजनक है। भारत की राजनीति में दलबदल की विसंगति एवं विडम्बना आजादी के बाद से लगातार देखने को मिलती रही है। पिछले साढ़े सात दशक के भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक पराभव के अक्स गा...
<strong>बांग्लादेश में भारत के दुश्मन कौन ?</strong>

बांग्लादेश में भारत के दुश्मन कौन ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा कोई चाहे तो बांग्लादेश के विपक्ष से एहसान फरामोशी  सीख सकता है। जिस भारत ने बांग्लादेश को , या यूँ कहें कि 1970 तक के पूर्वी पाकिस्तान, की प्रताड़ित और पीड़ित आम  जनता के हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान से युद्ध मोल लिया, उस बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) लगातार भारत के खिलाफ जहर उगलती रहती है। उसके जहरीले अभियान से पड़ोसी मुल्क के कठमुल्लों को भी भारत और अपने ही बांग्लादेश के हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा करने का मौका मिल जाता है। बांग्लादेश में बीएनपी ने हाल ही में भारत के उत्पादों के बॉयकाट का  आहवान भी किया हुआ है। इसके चलते वहां प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना कोई नई बात नहीं है। पिछले साल क्रिकेट विश्व कप में भार...
<strong>क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के</strong>

क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के

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-ललित गर्ग- देश की सबसे पुरानी एवं मजबूत कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है, पार्टी के कद्दावर, निष्ठाशील एवं मजबूत जमीनी नेता पार्टी छोड़कर अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव सन्निकट है। कांग्रेस नेताओं का यह दलबदल आश्चर्य की बात हैं, पार्टी छोड़ने का जैसा सिलसिला चल रहा है, वह देश के इस सबसे पुराने दल की दयनीय दशा और स्याह भविष्य को ही रेखांकित करता है। हालांकि भाजपा और कुछ अन्य दलों के चंद नेता कांग्रेस की शरण में भी गए हैं, लेकिन इसकी तुलना में उसके नेताओं के पार्टी छोड़ने की संख्या कहीं अधिक है। प्रश्न है एक लोकतांत्रिक संगठन की यह दुर्दशा एवं रसातल में जाने की स्थितियां क्यों बनी? इसके कारणों की समीक्षा एवं आत्म-मंथन जरूरी है। कांग्रेस पार्टी लगातार न केवल हार रही है, बल्कि टूट एवं बिखर रही है, जनाधार कमजोर हो रहा है, इ...
श्री अयोध्या धाम में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर ने भारतीय समाज को एक किया है

श्री अयोध्या धाम में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर ने भारतीय समाज को एक किया है

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
22 जनवरी 2024 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा क्योंकि इस दिन श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्रीरामलला के विग्रहों की एक भव्य मंदिर में समारोह पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पूरे देश से धार्मिक, राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के शीर्ष नेतृत्व तथा समस्त मत, पंथ, सम्प्रदाय के पूजनीय संत महात्माओं की गरिमामय उपस्थिति रही थी। इससे निश्चित ही यह आभास हुआ है कि प्रभु श्रीराम मंदिर ने भारत में समस्त समाज को एक कर दिया है। यह भारत के पुनरुत्थान के गौरवशाली अध्याय के प्रारम्भ का संकेत माना जा सकता है।     सामान्यतः किसी भी भवन का ढांचा नीचे से ऊपर की ओर जाता दिखाई देता है परंतु प्रभु श्रीराम मंदिर के बारे में यह कहा जा रहा है कि प्रभु श्रीराम का यह मंदिर जैसे ऊपर से बनकर आया है और पृथ्वी पर स्थापित कर दिया ...
कंगना बनाम कांग्रेस 

कंगना बनाम कांग्रेस 

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कंगना बनाम कांग्रेस  उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश भी छोटा सा खूबसूरत राज्य है । संयोग है कि दोनों राज्यों में इतने बड़े बड़े धर्मस्थल हैं कि दोनों राज्यों को देवभूमि कहा जाता है । प्रकृति ने इन हिमालयी आभा वाले राज्यों को अपार सौंदर्य से नवाजा है । ये राज्य अध्यात्म , चिंतन , संस्कृति एवम सभ्यता के महान केंद्र हैं । सच कहें तो भारत को ऑक्सीजन देने का बड़ा जिम्मा इन्हीं हिमालयी राज्यों का है । वेद उपनिषद पुराण आदि धर्मग्रंथों के जनक ये दो राज्य कश्मीर , असम और पूर्वोत्तर से मिलकर ज्ञान , तप और साधना के केंद्र हैं । साथ साथ तीर्थाटन एवं पर्यटन के मुख्य आधार रहे हैं । ऐसे में यदि हिमाचल में मंदिरों के गढ़ खूबसूरत मंडी नगर को भाव पूछकर अपमानित किया जाए तो घाव गहरा हो जाता है । इसी क्षेत्र से देश की जानी मानी अभिनेत्री कंगना को उम्मीदवार बनाते ही यदि कोई उनका चित्र डालकर " मंडी मे...
एनडीए बनाम इंडिया या दक्षिण बनाम उत्तर

एनडीए बनाम इंडिया या दक्षिण बनाम उत्तर

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वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। परिवर्तित राजनैतिक समीकरणों के आधार पर यह स्पष्ट हो गया है कि उपरोक्त चुनाव एनडीए बनाम इंडिया अथवा दक्षिण बनाम उत्तर के रूप में होने जा रहा है। इस तथ्य से एनडीए के शिरोमणी नेता मोदी जी भली भांति परिचित हैं साथ ही इंडिया के घटक दलों के नेताओं को भी इसका आभास है। यही कारण है कि मोदी जी दक्षिण की हर छोटी बड़ी पार्टी अथवा नेताओं को एनडीए गठबंधन में जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें उनको पर्याप्त सफलता भी मिल रही है। इस प्रकार की गठबंधन युक्त राजनीति में जहाँ कुछ सकारात्मकता दिखाई देती है वहीं इसमें निहित कुछ नकारात्मक प्रभाव भी जनता के मस्तिष्क पर पड़ता है। उदाहरणस्वरूप महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख नेता अजीत पवार को एनडीए गठबंधन में सम्मिलित करने से जहाँ महाराष्ट्र में भाजपा की छवि पर असर पड़ा है। वहीं उत्तर भारत के नेता ओमप्रकाश राजभर...
विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

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रजनीश कपूरहमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है। विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्याकाफ़ी है। परंतु जैसे-जैसे समय बदला नए-नए शैक्षणिक संस्थान व विश्वविद्यालय दुनिया के कई देशों में भी खुलते गये। इधरभारत में भी जनसंख्या बढ़ने के कारण यहाँ के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िला नहीं मिल पाता। इसीके चलते देश के कई हिस्सों से विद्यार्थियों में पढ़ाई के लिए विदेश जाने की होड़ सी लग गई। परंतु क्या सभी विद्यार्थियों केहिस्से अच्छे संस्थान और उपयोगी डिग्री ही आती है? क्या देश छोड़ कर जाने वाले विद्यार्थियों के साथ कुछ एजेंट धोखा तोनहीं करते? आजकल के माहौल में विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले विद्यार्थियों को कई तरह सावधानी बरतने की भी ज़रूरतहै।विदेशों में उच्च शिक्षा पाने के लिए भारत से छात्र दुनिया के कोने कोने में जाते हैं। इनमें सबसे...
<strong>पाक से क्यों खफा हैं इस्लामिक मुल्क</strong>

पाक से क्यों खफा हैं इस्लामिक मुल्क

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 आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में आजकल सिर्फ अंदरूनी हालात ही खराब नहीं हैं, उसके सामने कई गंभीर  संकट और भी हैं। उसे उसके दो पड़ोसी देश , जो उसकी तरह से ही इस्लामिक देश हैं, उससे सख़्त नाराज हैं। पहले ईरान और अब अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फिलहाल अफगानिस्तान और पाकिस्तान आमने-सामने हैं। दोनों मुल्कों क बीच सरहद पर झड़प भी  हुई है। झड़प की शुरूआत पाकिस्तान की तरफ से विगत सोमवार को हुई थी। इसके जवाब में, अफगान तालिबान ने भी सीमा पर पाकिस्तानी चौकियों पर गोलीबारी की। ऐसे में सवाल है कि क्या दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? पाकिस्तान के हमलों के बाद तालिबान  ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता पर किसी भी तरह के उल्लंघन के गंभीर परिणाम होंगे। इसके साथ ही तालिबान ने पाकिस्तान की नव...
चार सौ पार क्यों?

चार सौ पार क्यों?

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चार सौ पार क्यों?* यूँ तो सुलझे हुए नेता और विचारक सत्ता और प्रतिपक्ष दोनों में ही है। दोनों ख़ेमों में इन दिनों चर्चा का मुद्दा चार सौ पार की जरूरत क्यों? ही है। इसका स्पष्टीकरण देते हुए भाजपा के कर्नाटक से सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार हेगड़े ने कहा कि संविधान को बदलने के लिए पार्टी को 400 सीटों की जरूरत होगी। ‘‘कांग्रेस ने संविधान को विकृत कर दिया है। उसका मूल स्वरूप बदल दिया है। उसने संविधान में अनावश्यक चीजें ठूंस दी हैं। ऐसे कानून बनाए गए हैं जो हिन्दू समुदाय का दमन करते हैं। ऐसे में अगर इस स्थिति को बदला जाना है, अगर संविधान को बदला जाना है, तो वह उतनी सीटों से संभव नहीं है जितनी अभी हमारे पास हैं।’’ हालाँकि भाजपा ने इस बयान से दूरी बना ली है । उसने कहा कि वह अपने सांसद के वक्तव्य का अनुमोदन नहीं करती। मगर एक बात पक्की है, भाजपा में इस तरह के बयान और दावे कोई नई ब...
संयुक्तराष्ट्र महासभा का खतरनाक दोहरा रवैया

संयुक्तराष्ट्र महासभा का खतरनाक दोहरा रवैया

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
मृत्युंजय दीक्षितविश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जब लोकतंत्र के महापर्व की रणभेरी बजने वाली थी तब सयुंक्तराष्ट्र महासभा में पाकिस्तान और चीन ने अपनी विकृत भारत विरोधी विचारधारा से प्रेरित, इस्लामोफोबिया के नाम पर अयोध्या व सीएए का गलत उल्लेख करते हुए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जो इन देशों की मानसिकता को तो दर्शाता ही है साथ ही संयुक्तराष्ट्र महासभा के दोहरे मापदंड को भी बेनकाब करता है। भारत विगत कई वर्षो से संयुक्तराष्ट्र महासभा में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए, “वसुधैव कुटुम्बकम” की नीति के बल पर अथक प्रयास कर रहा है किंतु चीन हर बार भारत के नेतृत्व में चल रहे सयुंक्तराष्ट्र महासभा के सुधार अभियान और भारत की स्थायी सदस्यत के खिलाफ वीटो कर देता है। संयुक्तराष्ट्र महासभा में अकातंकवाद के खिलाफ लड़ाई को भी अगर कोई देश कमजोर कर रहा है तो वह चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी है जि...