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<strong>विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2024 पर विशेष</strong>

विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2024 पर विशेष

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हिन्दी है राष्ट्रीयता की प्रतीक भाषा, फिर उपेक्षा क्यों?-ललित गर्ग-विश्व हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में फैले हिंदी जानकारों को एकजुट करना, हिन्दी को विश्व स्तर पर स्थापित एवं प्रोत्साहित करना और हिंदी की आवश्यकता से अवगत कराना है। अंग्रेजी भाषा भले ही दुनियाभर के कई देशों में बोली है और लिखी जाती है. लेकिन हिंदी हृदय की भाषा है। विश्व योग दिवस, विश्व अहिंसा दिवस आदि भारतीय अस्मिता एवं अस्तित्व से जुड़े विश्व दिवसों की शृंखला में विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। ताकि विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा हो तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिले। विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी, 2006 को मनाया गया था। आज हिन्दी विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली तीसरी भाषा है, विश्व में हिन्दी की प्रतिष्ठा एवं प्रयोग दिनोंदिन बढ़त...
<strong>घरेलू पर्यटन प्रोत्साहन से मालदीप क्यों बौखलाया?</strong>

घरेलू पर्यटन प्रोत्साहन से मालदीप क्यों बौखलाया?

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-ललित गर्ग- नववर्ष पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लक्षद्वीप की यात्रा पर क्या गये, चीन की कटपुतली बने मालदीव को मिर्ची लग गयी। वहां की नई सरकार और वहां के तमाम लोग इसे अपने पर्यटन उद्योग के लिये गंभीर खतरा मानते हुए भारत एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आपत्तिजनक एवं गैर-जिम्मेदार टिप्पणियां कर दी, नासमझी में की गयी ये टिप्पणियां मालदीप के लिये इतनी भारी पड़ गयी कि भारतीय पर्यटकों ने जहां अपनी मालदीप की यात्रा को रद्द करना प्रारंभ कर दिया, वहीं भारत सरकार की तरफ से भी ऐतराज जताया गया। भारत की त्वरित कार्रवाई को देखकर मालदीप सरकार घबरा गयी और उसने अपने मंत्रियों  के बयान से किनारा कर लिया लेकिन साफ है कि भारत और मालदीव के बीच सदियों पुराने प्रेम एवं सौहार्द के रिश्ते एकाएक तल्ख होते दिखाई दे रहे है। मालदीव की तरफ से लगातार तनाव बढ़ाने वाले बयान आ रहे हैं लेकिन भारत की तरफ से फिर भी...
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में शह और मात की खेल में आतंकवादी संगठन ISIS किस का मोहरा बन गया है !?

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में शह और मात की खेल में आतंकवादी संगठन ISIS किस का मोहरा बन गया है !?

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अब कैसी-कैसी "कूटनीतिक" खेल चल रही है, जब उसे यदि आप 'गहराईयों' से सोचेंगे तो, यहां आप लोगों को लगेगा कि किसी भी देश का कोई दुश्मन नहीं है, पर सभी देशों का कोई न कोई दुश्मन होता है !? यूक्रेन पर रसिया ने आक्रमण किया तो अमेरिकी गठबंधन ने अपनी दम दिखाने के लिए यूक्रेन की आंख मूंदकर सहायता करने लगी. अब रुसकी गठबंधन ने अपनी कूटनीतिक चाल चलकर, अमेरिका की गठबंधन को अरब देशों में फंसा दिया है !? अब चालाक चतुरलो-मड़ी अमेरिका इस "उलझन" से निकलने के लिए आपनी धुर दुश्मन आतंकवादी संगठन ISIS और अलकायदा के साथ हाथ मिलाकर, ईरान पर "आत्मघाती हमला" करना शुरू कर दिया है. जो ईरान अरब मुल्कों को इकट्ठा कर कर शिया-सुन्नी भेदभाव को भुलाने के लिए 'मुहिम' चला रहा था, और इकट्ठा होकर अमेरिकी गठबंधन "इजरायल" से "बदला" लेने के लिए समूह बना रहा था !? और इस्लामिक देशों, और उनके प्राइवेट आर्म...
खेलों में राजनीति खेल और खिलाड़ी दोनों के लिए चिंताजनक।

खेलों में राजनीति खेल और खिलाड़ी दोनों के लिए चिंताजनक।

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खेल संघों पर राजनेता नहीं, खेल प्रतिभाओं को विराजमान करना चाहिए। इन संस्थाओं में पदाधिकारियों का कार्यकाल भी निश्चित होना चाहिए एवं एक टर्म से ज्यादा किसी को भी पद-भार नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार की बंदिशों के बावजूद अधिकांश खेल संघों पर राजनेताओं का कब्जा है। इनमें बड़ा भ्रष्टाचार व्याप्त है, जो वास्तविक खेल प्रतिभाओं को आगे नहीं आने देती। यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फेडरेशनों के अंदर कारगर तंत्र बनाने पर भी गंभीरता से विचार होना चाहिए। सरकार का यह कर्तव्य है कि खिलाड़ियों को सुरक्षित व प्रगतिपूर्ण वातावरण प्रदान किया जाए। इससे खिलाड़ी अपनी क्षमताओं का पूर्ण विकास कर सकेंगे। इसलिए खेल को सियासत के कुचक्र में न फंसाकर राष्ट्र हित में योगदान देना चाहिए। विवादित मुद्दे का राष्ट्र हित और खिलाड़ियों के हक में समाधान किया जाना चाहिए। हमारा प्रयास खिलाड़ियों के लिए अच्छा वातावरण मुहैया...
<strong>अदाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण में कांग्रेस हारी, सत्य जीता</strong>

अदाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण में कांग्रेस हारी, सत्य जीता

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- ललित गर्ग - अदाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस और साथ ही उन तत्वों को बड़ा झटका  एवं सबक है जो झूठ, स्वार्थ एवं अप्रामाणिकता की राजनीति करते हैं। इस मामले को लेकर अदाणी समूह के साथ केंद्र सरकार को भी घेरने में लगे कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों की पौल खुल गयी कि वे अपने राजनीतिक हितों के लिये देश का भी अहित कर सकते हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय पीठ ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि सेबी की जांच में किसी तरह अनियमितता सामने नहीं आई और विशेष जांच दल गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भी महत्वपूर्ण है कि ऐसी जनहित याचिकाएं स्वीकार नहीं की जा सकतीं, जिनमें पर्याप्त शोध की कमी हो और जो अप्रमाणित रिपोर्टों एवं तथ्यों को सच मानती हों। सेबी को 24 मामलों पर जांच को कहा गया था, जिनमें से 2 पर जांच बाकी है जिस...
कॉप 28 रहा कितना सफल

कॉप 28 रहा कितना सफल

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कॉप 28 ने इस संदर्भ में वह कर दिखाया जो विगत 30 सालों से करने का स्वप्न देखा जा रहा था। पहली बार जलवायु परिवर्तन को बदतर बनाने में जीवाश्म ईंधन की भूमिका पर बातचीत हुई। By Avantika Goswami  Photo: Joel Michael / CSE12jav.net संयुक्त राष्ट्र के “फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)”का 28 वां “कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप 28)” सम्मेलन तेल और गैस उत्पादक देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित हुआ। यह सम्मेलन एक तनावपूर्ण परिवेश में संपन्न हुआ क्योंकि अपने देश की राष्ट्रीय तेल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुल्तान अल जबर कॉप 28 के अध्यक्ष की हैसियत से इस सम्मेलन में एक दोहरी भूमिका का निर्वहन कर रहे थे। ऐसी स्थिति में यूएई और अन्य सदस्य देशों के बीच हितों के टकराव की स्वाभाविक आशंका हर किसी को थी। दूसरी तरफ इसराइल और फिलिस्तीन के बीच हिंसक झड़पों के कार...
भारतीय सड़कों पर जिम्मेदारी की भावना लाएगा हिट एंड रन बिल?

भारतीय सड़कों पर जिम्मेदारी की भावना लाएगा हिट एंड रन बिल?

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कानून में ये भी हो अगर आम पब्लिक एक्सीडेंट के दौरान वाहन चालक के साथ मारपीट करती है तो उनको भी सजा हो। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून के तहत अगर कोई ड्राइवर रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाता है और घायल को सड़क पर ही छोड़ देता है तो उसे 10 साल की सजा होगी। वहीं, अगर एक्सीडेंट करने वाला शख्स, घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी। इसके साथ ही कानून में ये भी हो अगर आम पब्लिक एक्सीडेंट के दौरान वाहन चालक के साथ मारपीट करती है तो उनको भी सजा हो। तब वाहन चालक इसकी गारंटी लेगा  और केस में पीड़ित को अस्पताल तक पहुंचाएगा। हिट-एंड-रन मामला भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक आम मामला बन गया है। सरल शब्दों में, हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं को एक ऐसे मामले के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जहां एक व्यक्ति गाड़ी चलाते समय दूसरे वाहन को टक्कर...
भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

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विश्व के कुछ देश वर्ष 2024 में मंदी की मार झेल सकते हैं, यह कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का आंकलन है। परंतु, वैश्विक स्तर पर अर्थव्यस्था के गिरने की सम्भावनाओं के बीच एक देश ऐसा भी है, जिस पर समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक, की नजरें टिकी है, वह है भारत। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति समस्त विदेशी वित्तीय संस्थान आशावान हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब भारत ही सहारा देने की क्षमता रखता है।   अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अभी हाल ही में एक प्रतिवेदन जारी किया है। इसमें भारत के प्रति मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं। प्रथम, भारत आज विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। दूसरे, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरे, वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में ...
कतर में भी बजा भारत का डंका !!

कतर में भी बजा भारत का डंका !!

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मृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की कूटनीति का डंका पूरे विश्व बज रहा है, इसी के परिणाम स्वरुप कतर से एक प्रसन्नतादायी समाचार आया है जिससे हर भारतवासी गर्व का अनुभव कर रहा है। कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा से राहत मिल गयी है।दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलाजी में कार्यरत भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था । इन नौसेनिक अधिकारियों में राष्ट्रपति स्वर्ण पदक विजेता कैप्टन नवतेज गिल के अलावा कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी,अमित नागवाल, एस के गुप्ता, कमांडर वी के वर्मा सुगुनकर पाकला और रागेश शामिल हैं। 26 अक्तूबर 2023 को कतर के एक न्यायालय ने इन अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी फिलहाल अब इन सभी अधिकारियों को फांसी की सजा से राहत मिल चुकी है हालांकि अ...
नए आपराधिक क़ानून क्यों हैं सवालों के घेरे में?

नए आपराधिक क़ानून क्यों हैं सवालों के घेरे में?

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नए आपराधिक क़ानून क्यों हैं सवालों के घेरे में? रजनीश कपूरदेश की संसद ने भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम, 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को बदल कर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का नाम दिया हैजहां इन नए क़ानूनों में कई अहम प्रावधान लाए गए हैं। वहीं इनकी ख़ामियों को लेकर विवाद भी पैदा हो रहे हैं। देश भर में हर दल में मौजूद बड़े-बड़े वकील या क़ानून के विशेषज्ञ एक ओर इसका समर्थन कर रहे हैं वहीं इन क़ानूनों को लागू करने में आने वाली दिक़्क़तों की बात भी कर रहे हैं।“जब भी कभी कोई नया क़ानून लाया जाता है या इस से संबंधित कोई विधेयक पास होता है तो आम जनता में यह उम्मीद जगती है कि स्थिति पहले से बेहतर होगी और उन्हें न्याय मिलने में देरी नहीं होगी।” ऐसा मानना है देश के पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी यशोवर्धन आज़ाद का। एक टीवी चै...