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गत तीन वर्षों में दोगुना हुए भारतीय वैज्ञानिक पेटेंट

गत तीन वर्षों में दोगुना हुए भारतीय वैज्ञानिक पेटेंट

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गत तीन वर्षों में दोगुना हुए भारतीय वैज्ञानिक पेटेंट नई दिल्ली, 04 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत तीन विभाग - विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) वैज्ञानिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तीनों विभागों ने अपने द्वारा समर्थित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों, शोध प्रकाशनों, प्रौद्योगिकी विकास; और देश के समग्र विकास में योगदान देने वाले नवाचारों के माध्यम से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान अर्जित किया है। इसका अंदाजा भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने वाले पेटेंट से लगाया जा सकता है। गत तीन वर्षों में भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों को पहले से दोगुने पेटेंट प्रदान किए गए हैं। वर्ष 2...
10 reasons why Russia had to invade Ukraine.

10 reasons why Russia had to invade Ukraine.

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10 reasons why Russia had to invade Ukraine. 1. Crimea Most of Russia's ports are iced over for about 6 months in a year and hence not useful for global trade by sea. The port at Sevastopol on Crimean peninsular is one of the few ports that operate all year long and through which much of Russian imports and exports flow. Crimea is an existential requirement for Russia and its forceful occupation in 2014, Russia wants to formalise its annexation. 2. Ports on the Black Sea and Sea of Azov There are many other ports that are currently in Ukraine and on the Black Sea, such as Odessa which is essential for both Ukraine and Russia. Russia covets this coastline and to convert Ukraine into a landlocked country so that NATO will not be able to misuse the Black Sea ports to supply Ukraine wi...
जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है

जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है

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जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है शोभा शुक्ला - हर एचआईवी पॉजिटिव इंसान को सही जांच से यह पता होना चाहिए कि वह एचआईवी पॉजिटिव है, सबको जीवन रक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मिलें, और सभी का वायरल लोड नगण्य रहे, तब ही एड्स उन्मूलन सम्भव है। न सिर्फ़ सभी एचआईवी के साथ जीवित लोग पूर्ण ज़िंदगी जी सकेंगे बल्कि एचआईवी के फैलाव पर भी रोकथाम लगेगा। एक ओर जहां नए एचआईवी सम्बंधित शोध को तेज करने की ज़रूरत है जिससे कि अधिक प्रभावकारी जांच, इलाज और बचाव साधन हम सब को मिलें, वहीं यह भी सच है कि हर एक को जाँच, एंटीरेट्रोवायरल दवा और वायरल लोड नियंत्रित करने की सेवा देना आज मुमकिन है - जिससे कि एड्स उन्मूलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ें। यह कहना है डॉ ईश्वर गिलाडा का जो एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के १३ वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अध्यक्ष हैं, और इंटर्नैशनल ए...
डॉ अर्चना शर्मा की शहादत से सबक

डॉ अर्चना शर्मा की शहादत से सबक

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डॉ अर्चना शर्मा की शहादत से सबक ॰विनीत नारायण दौसा ;राजस्थानद्ध की युवा डाक्टर अर्चना शर्मा की ख़ुदकुशी के लिए कौन ज़िम्मेदार हैघ् महिला रोग विशेषज्ञए स्वर्ण पदक विजेताए मेधावी और अपने कार्य में कुशल डॉ अर्चना शर्मा इतना क्यों डर गई कि उन्होंने मासूम बच्चों और डाक्टर पति के भविष्य का भी विचार नहीं किया और एक अख़बार की खबर पढ़ कर आत्महत्या कर ली। पत्रकार होने के नाते डॉ शर्मा की इस दुखद मृत्यु के लिए मैं उस संवाददाता को सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार मानता हूँ जिसने पुलिस की एफ़आईआर को ही आधार बनाकर अपनी खबर इस तरह छापी कि उसके कुछ घण्टों के भीतर ही डॉ अर्चना शर्मा फाँसी के फंदे पर लटक गई। लगता है कि इस संवाददाता ने खबर लिखने से पहले डॉ अर्चना से उनका पक्ष जानने की कोई कोशिश नहीं की। आज मीडिया में ये प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है जब संवाददाता एकतरफ़ा खबर छाप कर सनसनी पैदा करते हैंए किसी प्रति...
नारी के अखंड सौभाग्य का पर्व है गणगौर

नारी के अखंड सौभाग्य का पर्व है गणगौर

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नारी के अखंड सौभाग्य का पर्व है गणगौर  - ललित गर्ग-राजस्थान की उत्सव संस्कृति जहां समृद्ध है वहीं उसमें जीवन के रंग, कला, शौर्य, पराक्रम एवं बलिदान की भावना देखने को मिलती है। यहां का सिरमौर पर्व है गणगौर। इस पर्व में राजस्थान की बहुरंगी संस्कृति, शौर्य और भावों का एक साथ मिलन देखने को मिलता है। एक से बढ़कर एक अद्भुत और अविस्मरणीय संस्कृति के रंग इस पर्व से जुड़े हैं, जो कला और संस्कृति की समृद्धि को सुशोभित करते हैं, जिससे राजस्थानी महिलाओं का जीवन रंग संस्कृति और उत्सव से भरा हुआ दिखाई पड़ता है। गणगौर मेले का आयोजन भी महिलाओं एवं कन्याओं की मस्ती के साथ और मस्ती के लिए किया जाता है। गणगौर का त्यौहार सदियों पुराना हैं। हर युग में कुंआरी कन्याओं एवं नवविवाहिताओं का अपितु संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं का गहरा संबंध इस पर्व से जुड़ा रहा है। यद्यपि इसे सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मान्यता प्राप्त है कि...
हिमालय क्षेत्र में बरसात में वृद्धि, हिमपात में गिरावट

हिमालय क्षेत्र में बरसात में वृद्धि, हिमपात में गिरावट

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हिमालय क्षेत्र में बरसात में वृद्धि, हिमपात में गिरावट   नई दिल्ली, 02 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): पिछले कुछ वर्षों में हिमालय में होने वाले हिमपात में कमी आयी है, जबकि वर्षा की मात्रा बढ़ी है। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा राज्यसभा  में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी प्रदान की गई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के अध्ययन का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि पश्चिमी हिमालय के चार ग्लेशियर बेसिन (चंद्रा, भागा, मियार और पार्वती) क्षेत्र में वर्ष 1979 से 2018 के दौरान वर्षण में समग्र रूप से गिरावट की ...
IIT-Madras gets world’s first on-campus gas turbine testing facility

IIT-Madras gets world’s first on-campus gas turbine testing facility

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dras gets world’s first on-campus gas turbine testing facility New Delhi, April 01 (India Science Wire): Efforts to build fuel-efficient and less polluting next-generation gas turbines are expected to get a major boost with the Indian Institute of Technology (IIT)-Madras and the American multinational firm, General Electric (GE), establishing a state-of-the-art expanded gas turbine combustor testing facility at the National Centre for Combustion Research and Development (NCCRD) at IIT-Madras. In any gas turbine engine, the combustor is one of the most essential parts dictating fuel efficiency and the extent of pollution released into the atmosphere. Several improved combustor concepts have emerged recently, intending to reduce pollution. However, bringing these concepts into reality ...
भारत की तटीय रेखा का एक तिहाई भाग अपरदन का शिकार

भारत की तटीय रेखा का एक तिहाई भाग अपरदन का शिकार

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भारत की तटीय रेखा का एक तिहाई भाग अपरदन का शिकार नई दिल्ली, 01 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): देश के नौ तटीय राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 33.6 प्रतिशत तटरेखा में अलग-अलग स्तर का कटाव हो रहा है। इन राज्यों में छह हजार किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा का विश्लेषण करने के बाद ये तथ्य उभरकर आये हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से संबद्ध राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर) वर्ष 1990 से रिमोट सेंसिंग डेटा तथा जीआईस मैपिंग तकनीकों का प्रयोग करते हुए तटरेखा में होने वाले कटाव की निगरानी कर रहा है। वर्ष 1990 से 2018 के दौरान भारतीय मुख्यभूमि की कुल 6,632 किलोमीटर लंबी तटरेखा का विश्वलेषण किया गया है, जिसमें से 2156 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा में कटाव होने का खुलासा हुआ है। पश्चिम बंगाल की 534 किलोमीटर तटरेखा के सबसे अधिक 60 प्रतिशत हिस्से में कटाव हो रहा है। वहीं, 139.64 किलोमीटर लंबी ...
Indian Antarctic Bill’ introduced in Lok Sabha

Indian Antarctic Bill’ introduced in Lok Sabha

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Indian Antarctic Bill’ introduced in Lok Sabha Union Minister of State (Independent Charge) Science & Technology; Minister of State (Independent Charge) Earth Sciences; Minister of State PMO, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Dr Jitendra Singh on Friday introduced a Bill in Parliament to provide for national measures for protecting the environment of Antarctic and dependent and associated ecosystem and to give effect to the Antarctic Treaty, the Convention on the Conservation of Antarctic Marine Living Resources and Protocol on the Environmental Protection to the Antarctic Treaty. Antarctica, the southernmost continent with a geographical area of 14 million square km, has no indigenous population. However, around 1000 – 5000 people reside there in ...
क्या भारत में दो टाइम ज़ोन होने चाहिये?

क्या भारत में दो टाइम ज़ोन होने चाहिये?

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क्या भारत में दो टाइम ज़ोन होने चाहिये? - प्रियंका 'सौरभ' साल 2002 से संसद के हर सत्र में बार-बार दोहराया गय सवाल है; क्या भारत में दो समय क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है और इसे लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? सबसे पहले  ये सवाल मार्च 2002 में उठाया गया था, उस वर्ष के अगस्त में प्रश्न को प्रभावी ढंग से सुलझा लिया गया था। उस वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गठित एक 'उच्च स्तरीय समिति' ने इस मुद्दे का अध्ययन किया था और निष्कर्ष निकाला था कि कई ज़ोन 'कठिनाइयों' का कारण बन सकते हैं जो "एयरलाइंस, रेलवे, रेडियो, टेलीविज़न" और टेलीफोन सेवाएं” के सुचारू कामकाज को बाधित करेंगे।  इसलिए एकीकृत समय के साथ जारी रखना सबसे अच्छा था। भारत पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3000 किमी तक फैला हुआ है। देश के पूर्वी और पश्चिमी छोरों के बीच लगभग 28 डिग्री देशांतर है जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी और पूर्...