भारतीय खगोलविदों ने सौर-मंडल से बाहर के ग्रहों को सटीक रूप से समझने के लिए कार्यप्रणाली विकसित की
भारतीय खगोलविदों ने एक ऐसी कार्य प्रणाली विकसित की है जो पृथ्वी के वायुमंडल से हो रहे संदूषण और उपकरणीय प्रभावों तथा अन्य कारकों के कारण होने वाली गड़बड़ी को कम करके हमारे सौर-मंडल से बाहर के ग्रहों (एक्सोप्लैनेट्) से मिलने वाले डेटा की सटीकता को बढ़ा सकता है। इस प्रणाली को क्रिटिकल नॉइज़ ट्रीटमेंट एल्गोरिथम कहा जाता है और यह बेहतर सटीकता के साथ एक्सोप्लैनेट्स के पर्यावरण का अध्ययन करने में मदद कर सकती है।
अत्यधिक सटीकता के साथ हमारे सौर-मंडल से बाहर के ग्रहों (एक्सोप्लैनेट्स) के भौतिक गुणों की समझ उन ग्रहों का पता लगाने में मदद कर सकती है जो पृथ्वी के समान हो सकते हैं और इसलिए भविष्य में रहने योग्य हो सकते हैं। इस उद्देश्य के साथ ही भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बैंगलोर में खगोलविदों का एक समूह भारत में उपलब्ध भू-सतह पर आधारित ऑप्टिकल दूरबीनों और अंतरिक्ष दूरबीन "ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैन...