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फोन ‘हैक’ की राजनीति: आक्रामकता की बजाय संयम जरूरी

फोन ‘हैक’ की राजनीति: आक्रामकता की बजाय संयम जरूरी

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  ललित गर्ग  पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लगातार आक्रामक होने के मध्य में देश के कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं के आईफोन पर निगरानी किये जाने का मामला एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर रहा है। इसे सरकार प्रायोजित बताकर सरकार को घेरने की कोशिशें भी एकाएक उग्र हो गयी है। एप्पल कम्पनी ने इन फोन धारकों को ईमेल सन्देश भेज कर लिखा है कि आपके फोन को किसी ‘मालवेयर वायरस’ से सरकार द्वारा सर्वेक्षण में रखा जा रहा है जिसके माध्यम से आपकी सारी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। मगर इसके साथ ही सरकार ने ऐसी किसी कार्रवाई से इन्कार करते हुए पूरे मामले की सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालय की संसदीय समिति से जांच कराने की घोषणा कर दी है और कहा है कि ऐसा ही एक ई-मेल सन्देश वाणिज्य मन्त्री पीयूष गोयल को भी आया है। फोनों पर निगरानी का आरोप सरकार के लिए भी गंभीर चिन्ता का विषय है क्योंकि यह ऐसा मामला है जिसमें सत...
एर्नाकुलम विस्फोट एक चेतावनी है

एर्नाकुलम विस्फोट एक चेतावनी है

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अवधेश कुमारकिसी आतंकवादी घटना की गंभीरता का मूल्यांकन केवल इस आधार पर नहीं होता कि उसमें कितने लोगों की मौत हुई। केरल में एर्नाकुलम जिले के कलामसेरी के कन्वेंशन सेंटर यानी सम्मेलन केंद्र में हुआ विस्फोट हर दृष्टि से डराने और चिंतित करने वाली घटना है। निस्संदेह , तीन व्यक्तियों की मृत्यु तथा 51 लोगों का घायल होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए थोड़ी राहत का विषय है। हालांकि एक व्यक्ति की भी मृत्यु या घायल होना हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए। यहोवाज विटनेसेस या यहोवा विटनेस समुदाय के तीन दिनों के कार्यक्रम में 2000 के आसपास लोग उपस्थित थे। तीन विस्फोट का मतलब इसकी पहले से पूरी तैयारी की गई थी। यह भी साफ हो गया है कि विस्फोट ईईडी से ही हुआ। अभी यह कहना मुश्किल है कि कोच्चि निवासी डोमिनिक मार्टिन नामक व्यक्ति द्वारा घटना की जिम्मेवारी लेने का सच क्या है। क्या वह अकेले इस विस्फोट में शामिल था या...
इसराइल से भारत की तुलना करना हर प्रकार से असत्य हैं।

इसराइल से भारत की तुलना करना हर प्रकार से असत्य हैं।

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बात केवल आकार की या संख्या की नहीं है ।कम से कम अभी 20वीं शताब्दी ईस्वी के उत्तरार्द्ध में जब इसराइल बना, उसके पहले सैकड़ो वर्षों तक वहां उस राष्ट्र का अस्तित्व नहीं था। यद्यपि उस से बहुत पहले निश्चय ही उस क्षेत्र में यहूदी लोग ही थे अर्थात् उनका ही वह राष्ट्र था, यह हम कह सकते हैं।परंतु शताब्दियों वहां वह राष्ट्र नहीं था। भारत में निरंतर हिंदू राष्ट्र है। इसराइल के किन्हीं सम्राटों नरेशों और प्रतापी राजाओं रानियों के विवरण स्वयं इजरायल के लोगों के पास ऐसे नहीं है कि जो बहुत बड़ी संख्या में हों और जिन्होंने निरंतर मुसलमान को मारा हो और फिर जिनमें से कुछ के सहयोग से मुसलमान वहां काबिज हुए हों। भारत में हजारों ऐसे प्रतापी राजा जागीरदार तथा सम्राट  हुए हैं जिन्होंने निरंतर 1000 से अधिक वर्षों तक मुसलमान को बुरी तरह पीटा ,बहुत बुरी तरह पीटा, कुचला ,रौंदा ,मारा ,नष्ट किया परंतु स...
क्या <em>इजराइल</em> मिट जाएगा?

क्या इजराइल मिट जाएगा?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
*दरअसल इजराइल की जान पर वही जिहादी आफत है, जो भारत के हिन्दुओं पर पिछले हजार, विशेष कर सौ सालों से है! जैसे विविध इस्लामी दस्तों, संगठनों ने भारत पर बाहर-अंदर से हमले किए हैं, उसी तरह इजराइल के बनते ही उस पर मिस्र, इराक, जोर्डन, लेबनान, सीरिया ने इकट्ठा हमला किया था। पर जो इजराइल को ही दुष्ट दोषी मान कर सारा विमर्श करते हैं, उन्हें याद रहे कि यहूदी लोग इतने शान्त स्वभाव रहे हैं कि खुद मुस्लिम उन्हें कायर कहते थे!* *भारत में सदा की तरह फिलीस्तीन का रोना शुरू हो गया है। जबकि इजराइल के लिए बोलने वाले मुख्यतः सोशल मीडिया में कुछ लोग हैं, जिन के हाथ में कुछ नहीं। सत्ता और संसाधन वाले भारतीय नेता व बौद्धिक फिलीस्तीनियों की मदद को उत्साहित हैं। मोटे तौर पर पूरे विश्व में यही दृश्य है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने तो सारा दोष इजराइल पर ही मढ़ दिया है।* *इस तरह, इजराइल अपनी लड़ाई प्रायः अक...
भारत में बैंक ऋण का उपयोग उत्पाद कार्यों हेतु दक्षता के साथ हो रहा है

भारत में बैंक ऋण का उपयोग उत्पाद कार्यों हेतु दक्षता के साथ हो रहा है

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भारत में तेज गति से हो रही आर्थिक प्रगति के चलते व्यवसाईयों, कृषकों, उद्यमियों, उद्योगों, सेवाकर्मियों एवं नागरिकों की, उनकी आर्थिक एवं अन्य गतिविधियों के लिए, पूंजी की आवश्यकता लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान देते हुए विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र की बैंकों को तैयार किया है कि वे देश के समस्त नागरिकों को ऋण के रूप में धन अथवा पूंजी आसान शर्तों पर उपलब्ध कराएं ताकि देश के आर्थिक विकास को बल मिल सके। ऋण का उपयोग यदि उत्पादक कार्यों के लिए किया जाता है एवं इससे यदि धन अर्जित किया जाता है तो बैकों से ऋण लेना कोई बुरी बात नहीं है। बल्कि, इससे तो व्यापार को विस्तार देने में आसानी होती है और पूंजी की कमी महसूस नहीं होती है। भारतीय नागरिक तो वैसे भी सनातन संस्कृति के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए अपने ऋण की किश्तों का भुगतान समय पर करते नजर आते हैं इससे बैकों की अनु...
<strong>लौहपुरुष एवं भारत के बिस्मार्क थे सरदार पटेल</strong>

लौहपुरुष एवं भारत के बिस्मार्क थे सरदार पटेल

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सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जन्म जयन्ती, 31 अक्टूबर, 2023लौहपुरुष एवं भारत के बिस्मार्क थे सरदार पटेल-ललित गर्ग - अदम्य उत्साह, असीम शक्ति एवं कर्मठता से नवजात भारत गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान कर विश्व के राजनीतिक मानचित्र पर एक अमिट आलेख लिखने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय आंदोलन से लेकर आज़ादी के बाद भी, सरदार पटेल का योगदान अविस्मरणीय है। महात्मा गांधी ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी। उनकी अखण्ड भारत को लेकर जितनी बड़ी कल्पनाएं थी, जितने बड़े सपने थे, उसी के अनुरूप लक्ष्य बनाये और उतने ही महत्वपूर्ण कार्य सफलतापूर्वक किये। इसलिये उन्हें भारत के बिस्मार्क के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन एवं आजादी के बाद आधुनिक भारत को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने, 562 रियासतों का एकीकरण कर संगठित...
डॉक्टरों पर हमला करने वालों को भेजो जेल

डॉक्टरों पर हमला करने वालों को भेजो जेल

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आर.के. सिन्हा पिछले दिनों राजधानी में सैकड़ों डॉक्टर राजघाट पर एकत्र हुए। ये वही डॉक्टर हैं, जो जानलेवा कोरोना की दूसरी लहर के समय भगवान के दूत बनकर रोगियों का इलाज कर रहे थे। लेकिन, अब ये डरे-सहमे हुए हैं। इनकी डर की वजह यह है कि इन पर होने वाले हमलों और दुर्व्यवहार के मामलों की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है । केन्द्र सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि वो तुरंत ही कोई सख्त कानून लेकर आए ताकि डॉक्टर बिना किसी भय भाव के काम सकें। फिलहाल तो डॉक्टरों पर हमले लगातार बढ़ते ही चले जा रहे हैं। आप स्वयं गूगल करके देख लें। आपको डॉक्टरों पर हमलों के अनगिनत मामले मिलेंगे। बेशक, डाक्टरों के साथ बदतमीजी या मारपीट करना किसी भी सभ्य समाज में सही नहीं माना जा सकता। इसकी भरपूर निंदा तो होनी ही चाहिए और जो इस तरह की अक्षम्य हरकतें करते हैं, उन्हें कठोर दंड भी मिलना चाहिए। ...
माफिया मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, गैंगस्टर मामले में दस साल की सजा, पांच लाख जुर्माना भी लगा

माफिया मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, गैंगस्टर मामले में दस साल की सजा, पांच लाख जुर्माना भी लगा

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गाजीपुर 27 अक्टूबर। गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट से माफिया मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर के एक और मामले में दस साल की सजा के साथ पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले भी एक अन्य गैंगस्टर के मामले में मुख्तार को दस साल की सजा हो चुकी है। इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या में भी मुख्तार अंसारी को सबसे बड़ी सजा उम्रकैद की सुनाई जा चुकी है। मुख्तार अंसारी को अब तक सात मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। शुक्रवार को गाजीपुर के करंडा थाने में दर्ज केस में एमपीएमएलए कोर्ट के जज अरविंद कुमार मिश्र की अदालत ने फैसला सुनाया। मुख्तार के अलावा सोनू यादव को भी सजा सुनाई गई है। उसे पांच साल की सजा और दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्तार को बांदा ...
पंचांग में चंद्रमा की गणितीय गणना का महत्व

पंचांग में चंद्रमा की गणितीय गणना का महत्व

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पंचांग का महत्व अब भी है और इसी के अनुसार आमजन आज भी अपने कार्यक्रम तय करते हैं - राजू रंजन प्रसाद- पंचांग (पांच अंग ) संस्कृत भाषा का शब्द है, जो ‘तिथि’, ‘वार’, ‘नक्षत्र’, ‘योग’ तथा ‘करण’ को संकेतित करता है। ‘तिथि’, दिनांक अर्थात् तारीख बताती है तो ‘वार’, दिन (यथा रविवार, सोमवार आदि) द्योतित करता है। ‘नक्षत्र’ बतलाता है कि चंद्रमा, तारों के किस समूह में है तथा ‘योग’ इस बात की जानकारी देता है कि सूर्य और चंद्रमा के भोगांशों का योग क्या है। ‘तिथि’ के आधे हिस्से को ‘करण’ कहा गया है। आजकल जो पंचांग हमें उपलब्ध हैं उनमें उपर्युक्त पांच चीजों के अतिरिक्त भी, यथा अंग्रेजी तारीख, दिनमान (अर्थात् सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच की अवधि), चंद्रमा के उदय और अस्त का समय, तथा चुने हुए दिनों पर आकाश में ग्रहों की स्थिति आदि के साथ फलित ज्योतिष की बहुत-सी बातें लिखी रहती हैं।आजकल पंचांग इ...
<strong>भारत में भी तैयार है गाजापट्टी जैसा उन्माद फटने को</strong>

भारत में भी तैयार है गाजापट्टी जैसा उन्माद फटने को

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- ललित गर्ग - समूची दुनिया मजहबी कट्टरता, अमानवीय अत्याचार एवं उन्मादी आतंकवाद के चलते विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी है। हमास के आतंकवादियों ने किस तरह की हैवानियत की थी, छोटे छोटे बच्चों एवं महिलाओं के साथ घर में घुसकर हिंसा, अनाचार किया, गोली मारी, जिंदा जला दिया। पकड़े गये सैनिकों को बारूद में लपेट कर जीवित जला देना, अपने ही हिमायती लोगांे को अपने लिए मानव ढाल बनने के लिए मजबूर करना, उन्हें युद्ध क्षेत्र में रोकना, जिससे अधिक से अधिक लोगों की जान जा सके यह किसी युद्ध की स्थिति नहीं है, यह इस्लामी कट्टरवादी सोच है। यह सारी मानवता को चुनौती है, विश्वशांति को खतरा है, उसके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है। अब सवाल ये है कि गाजा के आम लोगों का इसमें क्या कसूर? क्या हमास की दरिंदगी का बदला गाजा के आम लोगों के खून से चुकाया जाएगा? आखिर कब तक निर्दोष, मासूम एवं आमजन उन्माद एवं आतंक क...