अकेले असम में हैं डेढ़ करोड़ बांग्लादेशी तो पूरे भारत में क्या होगा हाल ?
जनसँख्या का असंतुलन यूं ही नहीं बिगड़ा था . यूं ही नहीं वहां के मूल निवासी बोडो के अस्तित्व पर संकट आया था , ये सब चल रहा था उस तथाकथित धर्म निरपेक्ष सरकार के नाक के नीचे और निश्चित तौर पर उन सबकी जानकारी में भी . भारत को न जाने किस राह पर ले जाने की सोच उस शासन और उस समय की सरकारों में थी , काफी देर सी हो चुकी है फिलहाल अभी और सिर्फ असम के हालत ही भयावह नहीं बल्कि तमाम अन्य राज्यों में भी कुछ ऐसे ही माहौल बनता जा रहा है . हैरानी की बात ये भी है कि इसके बावजूद लाखों रोहिंग्या अपराधियों को भारत में रखने की पैरवी संसद से कोर्ट तक की जा रही है .
विदित हो कि असम सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए 31 दिसंबर 2017 की आधी रात राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का पहला ड्राफ्ट जारी किया. राज्य सरकार ने सिर्फ 1 करोड़ 90 लाख लोगों को ही भारत का वैध नागरिक माना है, जबकि करीब 3 करोड़ 29 लाख ...