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बच्चों को क्यों पिसवा रहे हैं ?

बच्चों को क्यों पिसवा रहे हैं ?

BREAKING NEWS, सामाजिक
डॉ. वेदप्रताप वैदिक ऐसा लगता है कि उत्तराखंड की सरकार को मूर्खता का दौरा पड़ गया है। जो मूर्खता वह करने जा रही है, वह भारत में आज तक किसी भी सरकार ने नहीं की है। मज़े की बात है कि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। अब उत्तराखंड के 18000 सरकारी स्कूलों में सारे विषयों की पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ और भाजपा के नेता कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे, क्योंकि उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को सबसे ज्यादा पलीता उत्तराखंड की सरकार ही लगाएगी। वह अगले साल से पहली कक्षा से ही बच्चों की सारी पढ़ाई अंग्रेजी में करवाएगी। वह हिरण पर घास लादेगी। सारी दुनिया के शिक्षाशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि बच्चों पर विदेशी भाषा का माध्यम थोप देने से उनका बौद्धिक विकास रुक जाता है। उनकी जो शक्ति किसी विषय को समझने में लगनी चाहिए, वह अंग्रेजी से कुश्ती लड़ने में बर्बाद हो जाएगी। वे रटटू...
उत्तरप्रदेश विधानसभा में विस्फोटक से हडकंप

उत्तरप्रदेश विधानसभा में विस्फोटक से हडकंप

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उत्तर प्रदेश विधानसभा में सदन के अन्दर विस्फोटक पाए जाने से हडकंप मच गया है. हालांकि इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने आपात बैठक बुलाई है, मगर सवाल तो कई उठ रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई कैसे? आखिर विस्फोटक इतनी सुरक्षा परतों को कैसे पार कर गया जबकि विधानसभा के गेट पर सुरक्षाकर्मी मेटल डिटेक्टर के साथ तैनात रहते हैं. यह भी सच है कि पीईटीएन का इस्तेमाल दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाके में किया गया था. यह एक गंधहीन पदार्थ होता है और इसको X-रे मशीन भी नहीं पकड़ पाती है.इस मामले में मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर हो गयी है. इसमें कोई कोताही न बरतते हुए, विस्फोटकों के अन्दर जाने की पूरी जांच होनी चाहिए, हर भूमिका की जांच होनी चाहिए. ...
हम पढ़े लिखे ढक्कन – #AnujAgarwal

हम पढ़े लिखे ढक्कन – #AnujAgarwal

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जी, यह सच है। शायद हमें अंदाज़ ही नही की हम अपनी कमाई का 30 से 50% तक अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और रोजगार के चक्कर मे हर माह खर्च करते जा रहे हैं। लुटेरी नोकरशाही और लंपट नेताओ के गठजोड़ ने हम लोगों को रोज लूटने ओर लूटते रहने के खेल जो खेल रखे हैं। क्या आप जानते हैं कि देश के प्रत्येक राज्य में दो तिहाई से लेकर अस्सी प्रतिशत तक बच्चों की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा ऐसे विद्यालयों में होती है जो गैर मान्यता प्राप्त हैं। देश के हर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी से जिला विद्यालय निरीक्षक तक सारा शिक्षा विभाग जानबूझकर अधिकांश निजी विद्यालयों को मान्यता नहीं देता। पहले उन्हें अपराधी ठहराया जाता है और उसके बाद उनसे अवैध वसूली तो होती ही है साथ ही उनके विद्यालयों में प्रवेश लिए बच्चों का प्रवेश पंजीकरण सरकारी विद्यालयों ओर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में दिखाया जाता है। यद्धपि वे बच्चे कभी भी ...
कश्मीर का इलाज ईसाबेला तो नहीं ?

कश्मीर का इलाज ईसाबेला तो नहीं ?

BREAKING NEWS, राज्य
डॉ. वेदप्रताप वैदिक 2017 का साल कश्मीर के लिए बहुत बुरा रहा। कितने आतंकी हमले हुए और कितने लोग मारे गए- यह बताने की जरुरत नहीं है। सबको पता है। यह सब कुछ तब हो रहा है, जबकि केंद्र और कश्मीर, दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं। यहां प्रश्न यह उठता है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों की ही कश्मीर नीति क्या एक-जैसी नहीं है ? कांग्रेस ने तो अलगाववादियों से बातचीत के रास्ते भी कई बार खोले थे। लेकिन मोदी सरकार न बात चलाती है और न ही लात चलाती है। जो बात न चला सके, उसे लात तो जरा मुस्तैदी से चलानी चाहिए। यदि चलाई होती तो सर्जिकल स्ट्राइक, फर्जीकल स्ट्राइक सिद्ध नहीं हो जाती। आतंकियों के दिल में सरकार की लात की दहशत होती तो क्या अमरनाथ के यात्रियों पर हमला हो सकता था ? इस हमले ने कश्मीरियत और इस्लाम दोनों को कलंकित कर दिया है। पाकिस्तान और कश्मीरी आतंकियों को पता है कि दिल्ली की सरकारें सिर्फ बातें बनात...
अमरनाथ हमला:बहुलतावादी भारत के विचारों पर चोट

अमरनाथ हमला:बहुलतावादी भारत के विचारों पर चोट

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आर.के. सिन्हा अमरनाथ यात्रा पर गए गुजरात के निहत्थे तीर्थ यात्रियों पर हमले की देश ‘निंदा’, ‘कड़ी निंदा’ और ‘भर्त्सना’ जैसे शब्दों से संतुष्ट नहीं होगा। ये सारे शब्द अब अपने अर्थ खो चुके हैं।इस प्रकार की हिंसा बहुत भयानक और ख़तरनाक है। बर्बरता का इससे बड़ा क्या प्रमाण हो सकता है? निर्दोष की हत्या करना मानवता के प्रति अपराध है। यह हर दृष्टि से बहुत बड़ा पाप है। अब किसी भी तरह आतंकियों को पकड़ा जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए। सुरक्षा प्रबंध और कड़े और किये जायें और पूरे देश के कोने - कोने को फ़्लश करके इन राष्ट्रद्रोही तत्वों का सफ़ाया किया जाय । यदि, ईंट का जवाब पत्थर से अब नहीं दिया जायेगा तो कब दिया जायेगा? अब सारा देश उन छद्म सेक्युलरवादियों को भी देख रहा है कि वे अमरनाथ यात्रियों पर हुए कातिलाना हमलों को किस तरह से लेते हैं। हालांकि वे तो यही कहेंगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता...
राहुल बात को छिपाए क्यों ?

राहुल बात को छिपाए क्यों ?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीनी राजदूत से भेंट की, यह कोई असाधारण घटना नहीं थी लेकिन यह इतनी खबरीली इसलिए बन गई कि इसे छिपाने की कोशिश पहले राहुल ने की और फिर चीनी दूतावास ने की। जब टीवी चैनलों पर हंगामा होने लगा तो कांग्रेस के प्रवक्ता और राहुल भी चारों खाने चित्त हो गए। उन्होंने स्वीकार किया कि राहुल और चीनी राजदूत की बात हुई है लेकिन उन्हें यह बताते अभी भी डर लग रहा है कि बात क्या हुई ? इसमें डरने की बात क्या है ? छिपाने की बात क्या है ? तीन साल पहले जब हाफिज सईद से पाकिस्तान में मेरी बात हुई थी तो कितना बड़ा हंगामा हो गया था, संसद बंद हो गई थी, कुछ टीवी एंकर पगला गए थे लेकिन सबका मैंने मुंहतोड़ जवाब दिया था। मैंने कुछ छिपाया नहीं। हाफिज से हुई तीखी बातचीत को शब्दशः छपा दिया था। साॅंच को आॅंच क्या ? हां, राहुल का यह इरादा रहा हो सकता है कि चीनी राजदूत क...
*ANS NEWS- उप्र विधानसभा में की गयी अमरनाथ यात्रियों पर हमले की निन्दा*

*ANS NEWS- उप्र विधानसभा में की गयी अमरनाथ यात्रियों पर हमले की निन्दा*

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लखनऊ,11जुलाई *एएनएस*। उत्तर प्रदेश विधानसभा में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सोमवार को अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकवादी हमले की आज कड़ी निंदा करते हुए इसमें मारे गये श्रद्धालुओं को कुछ पल का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। बजट सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के बजट भाषण से पहले एक प्रस्ताव पेश करते हुए अनंतनाग में सोमवार को अमरनाथ यात्रियों के एक समूह पर हुए आतंकवादी हमले में सात श्रद्धालुओं के मारे जाने की निन्दा की। उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा से लौट रहे एक समूह पर सोमवार रात अनंतनाग के पास कुछ आतंकी समूहों ने कायराना हमला किया है। हम सब इस घटना की पुरजोर निंदा करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई किसी एक राज्य या सरकार की नहीं बल्कि पूरे देश की लड़ाई है। हम सबको एक नागरिक के रूप में इसमें सहयोग करना चाहिये। योगी ने पूरे सदन से अपील की कि ऐसी किसी घट...
अनंतनाग का रक्त-तिलक

अनंतनाग का रक्त-तिलक

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भारत-विभाजन के समय के लोमहर्षक नरसंहार से लेकर कश्मीरी पंडितों का विस्थापन, गोधरा की आग, और अब ये मालदा, धुलागढ़, बशीरहाट तक के प्रकरण और अब अनंतनाग की वीभत्स घटनाएँ, ये सब पैदावार हैं उन्ही घटिया और संकर बीजों की, जो आज़ादी के समय भारत के तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व, जी हाँ, बड़बोले चच्चा नेहरू और अलोकतांत्रिक और अव्यवहारिक व्यक्तित्व मोहनदास करमचंद गाँधी की बात कर रहा हूँ, ने अन्य भारतीय नेताओं की असहमतियों और भिन्न विचारधाराओं को दरकिनार कर बलात बोए थे। तिलक-सुभाष, राजेन्द्र प्रसाद-पटेल, इंका-आपातकाल के संदर्भ से लेकर एडविना, मनुबेन, धीरेंद्र ब्रह्मचारी तक के प्रसंगों का निरपेक्ष पुनरावलोकन जिन निष्कर्षों तक हमे-आपको ले जाता, उसकी मुक्त-मीमाँसा और निरपेक्ष-चर्चा तक को इन बगुला-भगतों और उनके राजनैतिक और वैचारिक उत्तराधिकारियों और लाभान्वितों द्वारा मिलकर योजनाबद्ध तरीके से गढ़े गए, खड़े किए गए...
योगी आदित्यनाथ जी हकीकत देखिए !

योगी आदित्यनाथ जी हकीकत देखिए !

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विनीत नारायण ऑडियो विज्युअल मीडिया ऐसा खिलाड़ी है कि डिटर्जेंट जैसे प्रकृति के दुश्मन जहर को ‘दूध सी सफेदी’ का लालच दिखाकर और शीतल पेय ‘कोला’ जैसे जहर को अमृत बताकर घर-घर बेचता है, पर इनसे सेहत पर पड़ने वाले नुकसान की बात तक नही करता । यही हाल सत्तानशीं होने वाले पीएम या सीएम का भी होता है । उनके इर्द-गिर्द का कॉकस हमेशा ही उन्हें इस तरह जकड़ लेता है कि उन्हें जमीनी हकीकत तब तक पता नहीं चलती, जब तक वो गद्दी से उतर नहीं जाते । टीवी चैनलों पर साक्षात्कार, रोज नयी-नयी योजनाओं के उद्घाटन समारोह, भारतीय सनातन पंरपरा के विरूद्ध महंगे-महंगे फूलों के बुके, जो क्षण भर में फेंक दिये जाते हैं, फोटोग्राफरों की फ्लैश लाईट्स की चमक-धमक में योगी आदित्यानाथ जैसा संत और निष्काम राजनेता भी शायद दिग्भ्रमित हो जाता है और इन फ़िज़ूल के कामों में उनका समय बर्बाद हो जाता है । फिर उन्हें अपने आस-पास, लखनऊ के चारबाग ...
लालू को आप ‘हीरो’ तो नहीं बना रहे ?

लालू को आप ‘हीरो’ तो नहीं बना रहे ?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक लालूप्रसाद यादव और उसके परिवार के सदस्यों के यहां जो छापे पड़ रहे हैं, वे निश्चित रुप से राजनीति की वजह से पड़ रहे होंगे, वरना अकेले लालू को ही क्यों फंसाया जा रहा है ? क्या देश में किसी भी पार्टी का कोई भी नेता ऐसा है, जो खम ठोककर कहे कि मैं ईमानदार हूं। मैंने कभी कोई भ्रष्टाचार नहीं किया। मैंने हमेशा कानून का पालन किया है। मैंने कभी कोई अनैतिक काम नहीं किया है। कम से कम जान-बूझकर नहीं किया है। इसका अर्थ यह नहीं कि लालू कोई महात्मा है या बेदाग है या बेकसूर है। वह तो पहले ही जेल की हवा खा चुका है लेकिन आश्चर्य है कि बिहार के पिछले चुनाव में उसकी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। अभी लालू पर जितने भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, वे पता नहीं लालू के जीते-जी अदालतों में सिद्ध होंगे या नहीं लेकिन एक तथ्य तो स्वयंसिद्ध है कि लालू और उसके बेटों, बेटी और दामाद के पास अरबों...