
अमरनाथ हमला:बहुलतावादी भारत के विचारों पर चोट
आर.के. सिन्हा
अमरनाथ यात्रा पर गए गुजरात के निहत्थे तीर्थ यात्रियों पर हमले की देश ‘निंदा’, ‘कड़ी निंदा’ और ‘भर्त्सना’ जैसे शब्दों से संतुष्ट नहीं होगा। ये सारे शब्द अब अपने अर्थ खो चुके हैं।इस प्रकार की हिंसा बहुत भयानक और ख़तरनाक है। बर्बरता का इससे बड़ा क्या प्रमाण हो सकता है? निर्दोष की हत्या करना मानवता के प्रति अपराध है। यह हर दृष्टि से बहुत बड़ा पाप है। अब किसी भी तरह आतंकियों को पकड़ा जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए। सुरक्षा प्रबंध और कड़े और किये जायें और पूरे देश के कोने - कोने को फ़्लश करके इन राष्ट्रद्रोही तत्वों का सफ़ाया किया जाय । यदि, ईंट का जवाब पत्थर से अब नहीं दिया जायेगा तो कब दिया जायेगा?
अब सारा देश उन छद्म सेक्युलरवादियों को भी देख रहा है कि वे अमरनाथ यात्रियों पर हुए कातिलाना हमलों को किस तरह से लेते हैं। हालांकि वे तो यही कहेंगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता...