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रेल मंत्री प्रभु जी की ‘स्पेशल ट्रेन’ का पहिया जाम

रेल मंत्री प्रभु जी की ‘स्पेशल ट्रेन’ का पहिया जाम

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मैं घनश्याम लाल शर्मा 27/11/2016 को दैनिक हिंदुस्तान, हिंदी संस्करण, गाजिय़ाबाद का (अख़बार) पढ़ रहा था तो मेरी नजर प्रथम पेज की एक खबर पर टिकी कि माननीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु जी किसी कार्यक्रम के लिए दादरी आये थे और वापसी स्पेशल ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे कि अचानक गाजिय़ाबाद से पहले ट्रेन के पहिये से धुंआ निकला और ट्रेन एक्सीडेंट होने से बची, अख़बार के मुताबिक खराबी ठीक कर 20 मिनेट में ट्रेन दिल्ली को रवाना हुई। मुझे एकदम याद आया कि वर्ष 1978 में मैं और मेरे मित्र देवेंद्र जी कानपुर से बांदा शहर ट्रेन से एक बड़े पुलिस अफसर का फ्रिज ठीक करने के लिए जा रहे थे, बांदा शहर से पहले कबरई स्टेशन से ट्रेन चली और अचानक रुक गई। हम दोनों आपस में बात कर रहे थे कि पता नहीं क्या हो गया, इसी सोच विचार करने में जब लगभग 1 घण्टे बाद नीचे उतर कर देखा तो सभी यात्री इंजन कि तरफ जा रहे थे। हम दोनों भी इंजन के प...
विरोध से और मजबूत होंगे ट्रंप!

विरोध से और मजबूत होंगे ट्रंप!

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  अमेरिकी प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप अति-पूर्वाग्रह का शिकार हो रहे हैं? ट्रंप पर उनके विरोधी और लिबरल ताकतें जानबूझकर लगातार हमले कर रहे हैं? वाकई ट्रंप ऐसा कदम उठाएंगे जो अमेरिका के लिए आत्मघाती होगी? क्या ट्रंप ने 20 जनवरी को प्रेजिडेंट पद संभालने के बाद वास्तव में ऐसा कर दिया कि पूरी दुनिया को उनसे खतरा हो गया या ऐसा माहौल बनाने की कोशिश हो रही है? ट्रंप से जुड़े तमाम विवादों के बीच अब ये काउंटर क्वेश्चन भी सामने आ रहे हैं। ट्रंप के सपोर्टर अब उनके पक्ष में आ रहे हैं और बता रहे हैं कि किस तरह तिल का ताड़ बनाया जा रहा है और नए प्रेजिडेंट को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। वहीं जानकार मानते हैं कि अगर ट्रंप पर एकतरफा हमले जारी रहे तो इससे उन्हें राजनीतिक नुकसान से अधिक फायदा ही होगा और अंत में लिबरल ताकतों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है। एनबीटी ने जब ट्रंप से जुड़े विवादों के दू...
सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण : सांस्कृतिक संध्या एवं परिचर्चा

सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण : सांस्कृतिक संध्या एवं परिचर्चा

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सभ्यता और संस्कृति पर मंडरा रहे विदेशी हस्तक्षेप और बाज़ार के हस्तक्षेप के खतरों पर एक सफल कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में मैथिली भाषा और संस्कृति के लिए संघर्षरत गैरसरकारी संगठन दीपक फाउंडेशन के द्वारा दिनांक 19 फरवरी 2017 को नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्युशनल क्लब के मावलंकर हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम में डायलॉग इंडिया और ओपन कोर्ट सहित कई अन्य संस्थान भी सम्मिलित थे। कार्यक्रम का शीर्षक था सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के शीर्षक के अनुसार ही हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों के आगमन तक दर्शकों के सम्मुख नृत्यांगना अनु सिन्हा के नृत्य समूह ने गणेश वन्दना एवं शिव वंदना प्रस्तुत की। इस वंदना ने कार्यक्रम में जहां एक तरफ दर्शकों को मुख्य अतिथि के आने तक बांधे रखा वहीं उन्होंने अपनी संस्कृति के सबसे प्राचीन रूप के भी दर्शन कराए। जब नन्हे नन्हे कदम इस तरह सधे और आ...
क्या देवबंद मदरसा आतंकवाद का अड्डा है

क्या देवबंद मदरसा आतंकवाद का अड्डा है

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यह शीर्षक पढ़ कर कट्टरपंथी मुल्ला आक्रोशित अवश्य होंगे पर "देवबंद मदरसा है आतंकवाद का अड्डा" शीर्षक से सच्चाई लिखने वाले कोई और नहीं प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान व लेखक श्री मुजफ्फर हुसैन है। इनके उपरोक्त शीर्षक से लिखे तथ्यपरक लेख को दिल्ली से प्रकाशित होने वाले हिंदी साप्ताहिक 'पाञ्चजन्य' ने 15 फरवरी 2009 को प्रकाशित किया था। आज इसकी चर्चा का अवसर क्यों आया यह भी जानना आवश्यक है। अमरीका की राजधानी वाशिंगटन के 'यू एस कैपिटोल'  में दिल्ली के थिंक टैंक कहे जाने वाली संस्था "विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन" द्वारा 2 मार्च को आयोजित एक कार्यक्रम में वहां के एक प्रभावशाली सांसद एड रॉयस ने अपने स्पष्ट विचार व्यक्त किये। उन्होंने जिहाद को नियंत्रित करने के लिये पाकिस्तान को परामर्श देते हुए कहा कि " पाकिस्तान को अपने यहां चल रहे  देवबंदी मदरसों को बंद करने के लिऐ गंभीरता से सोचना चाहिये । उनके अनुसार ...
Government plans on electric vehicles are non-starters: CSE

Government plans on electric vehicles are non-starters: CSE

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Centre for Science and Environment presents its latest analysis here today at a stakeholders’ round table meeting. Almost 60 per cent of the FAME incentives have gone to mild diesel hybrid cars that already enjoy substantial excise cuts. Electric and strong hybrids have remained neglected. 95 per cent of all four-wheeled vehicles sold under this programme have been mild diesel hybrid versions; a mere 3 per cent have been strong hybrids and 2 per cent, electric cars. Defeats the original purpose of promoting electric vehicles. Undercuts the fuel efficiency and emissions-saving benefits of the programme. Has not worked for public transport at all. Blurs the power ministry’s vision of 100 per cent electric vehicles by 2030.    No course correction done to ensure that the pr...
Tata strategy of Manda

Tata strategy of Manda

BREAKING NEWS, आर्थिक
As a Prof. of Strategy, for past 3 years I knew it was a matter of time before the situation exploded. Cyrus Mistry never had a chance as Ratan Tata handed over to him nothing short of a financial disaster. I assure you the worst is yet to come, and the blame will be wrongly placed on Cyrus's shoulders. And, am tempted to say that I told you so in 2014 ! Excerpt from my Case study published (ref. 314-361-1) at The Case Center, U.K. in 2014 M&A Melodrama at Tata Group : Frenzy to Freeze In 2004, the 'sweet n shy' Tata group embarked on an uncharacteristic pursuit. In a radical departure from an average of one acquisition each year during 1995-2003, the group carried out 51 mergers and acquisitions during 2004-08 i.e. one M&A deal every 35.8 days for 5 years in a row. It may we...
Delhi Media Is Hurting Brand India With Distortions

Delhi Media Is Hurting Brand India With Distortions

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There has been a worrisome tendency over the last two years of Delhi-based media using highly local events, mostly in Delhi, to broad-brush the entire country as religiously intolerant; increasingly intolerant; as Freedom of Expression (FOE) and our rights being under attack; becoming increasingly communal; becoming fascist, etc. The good citizens of India are perplexed, hurt and angry at being so branded. The same media also brands citizens who do not agree with their India view as communal, intolerant, Bhakts, internet Hindus and the like, reducing the space for a genuine debate on multiple issues. Local incidents are blown up as All-India issues. Known and unknown political leaders who hold strong extreme views have often had mics thrust into their faces and their vi...
मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन

मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन

BREAKING NEWS, प्रेस विज्ञप्ति
सम्मानित साथियों सादर प्रणाम। आशा है आप स्वस्थ व सानन्द होंगे। साथियों, मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी के गठन हेतू बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की महत्वपूर्ण बैठक दिनांक 04/03/2017 को  कार्यलय -  A - 74,सेक्टर 2 में आयोजित की गयी। यह तय किया गया कि धीरे धीरे एक छाया मंत्रिमण्डल का निर्माण कर केंद्र सरकार के कामकाज पर पूरी नज़र रखते हुए उन्हें सुझाव दिए जाएंगे। मोदी सरकार के ' न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' की नीति को कार्यरूप में लाने के लिए लगातार सरकारीकरण को कम कर निजी और स्थानीय क्षेत्र को सशक्त करने के सुझाव एवं कार्ययोजना भी सरकार को दी जायेगी।  3.देश की दो तिहाई विपन्न जनता के उत्थान के लिए इनका रोजगरपरक विकास जो ग्राम और कृषि आधारित हो और पर्यावरपूरक हो के विकास के लिए कार्य किया जायेगा।   4.ग्राम स्वराज्य यानि स्थानीय निकायों का सशक्तिकरण, कृषि आधारित उद्योग धंधों का ...
दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

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देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था कि भारत के इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने खुल रहा है। हमारे पास अपने आप को बधाई देने की वजह है कि हम सब इस मुबारक मौके के भागीदार बन रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का भी अवसर है। लेकिन इस गौरव बोध और जश्न के साथ हमें अपने कर्तव्यों और दायित्वों को भी याद रखने की जरूरत है। हमें अपने-अपने दिल व दिमाग को साफ करके खुद से, नए गणराज्य से और देश से यह वादा करना चाहिए कि हम ईमानदार आचरण करेंगे। हमें याद रखने की जरूरत है कि हम कौन हैं, हमें क्या विरासत मिली है और हमने क्या हासिल किया है? राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि नकदी रहित लेन-देन होने से अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2016-17 की शुरूआत में ...
The Corrupt Chief Justices of The Supreme Court of India

The Corrupt Chief Justices of The Supreme Court of India

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Rudimentary logic demands that the highest chairs must have the soundest legs. By that measure, judges ought to have impeccable moral character. But in India, judges are protected less by their sterling reputations than by an arcane law: the “contempt of court” act, which - strangely, only in India! - prohibits raising any questions about judges or their actions. This has reduced talk of judicial corruption to a sullen whisper rather than a democratic debate. Supreme Court lawyer Prashant Bhushan has fought this unhealthy immunity for 20 years. In September 2009, partly as a result of his relentless campaigns, the judiciary finally agreed to declare their financial assets. It was a big first step. Much remained to be done. Soon after, in an interview w...