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आदर्श भारत का संकल्प एवं घोषणापत्र…

आदर्श भारत का संकल्प एवं घोषणापत्र…

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जनहित की बात करनेवाला ही जनता के दिल को छुएगा... 1.अच्छी शिक्षा एवं अच्छा स्वास्थ्य सभी के लिए सुनिश्चित होगी।2.निजी अस्पतालों, लैबों एवं बीमा कंपनियां को दी जाने वाली रकम का इस्तेमाल दवा के निर्बाध आपूर्ति एवं टेस्ट और ऑपरेशन हेतु लंबी लाइन को खत्म करने में करेंगे।3.शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सभी के लिए निशुल्क होगी।4.संपूर्ण देश में शिक्षा का एक समान पाठ्यक्रम होगा। नैतिकता व संस्कारयुक्त गुणवत्तापूर्ण रोजगारपरक समानशिक्षा व्यवस्था लागू की जाएगी।5.प्रत्येक परिवार को कम से कम एक सरकारी नौकरी की गारंटी होगी।6.सभी बेरोजगारों के बेरोजगारी भत्ता में वृद्धि होगी।7.वोट देनेवाले सभी वोटरों को वोटर पेंशन दी जाएगी।8.सभी सरकारी योजनाओं की कड़ी मॉनिटरिंग एवं क्रियान्वयन की समीक्षा होगी।9.सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगी।10.तुरंत न्याय, सस्ता न्याय, सुलभ न्याय, सभी...
भाजपा में टिकटों पर मची रार

भाजपा में टिकटों पर मची रार

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रमेश सर्राफ धमोरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में अगले विधानसभा चुनाव के टिकटों को लेकर अंदरूनी गुटबाजी वह आपसी कलह बहुत बढ़ गई है। आगामी नवंबर महीने में देश के पांच प्रदेशों मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान व तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा ने अभी तक मध्य प्रदेश में 136 सीटों पर छत्तीसगढ़ में 84 सीटों पर व राजस्थान में 41 सीटों पर प्रत्याशियों के नामो की घोषणा कर दी है। भाजपा द्वारा जारी की गई सूची में बहुत से मौजूदा विधायकों व पूर्व में प्रत्याशी रहे नेताओं के नाम काट दिए जाने से पार्टी में विरोध की स्थिति उत्पन्न हो रही है। विभिन्न चुनावी एजेंसियों द्वारा किये गए सर्वे में भाजपा की स्थिति बहुत ज्यादा मजबूत नजर नहीं आ रही है। इसीलिए भाजपा ने पार्टी विरोधी लहर को रोकने के लिए बहुत सी सीटों पर प्रत्याशियों में फेरबदल किया है। भाजपा द्वारा राजस्थान में 6 लोक...
इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

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अभी तक अरब जगत को प्रसन्न करने और वोट बैंक की राजनीति के कारण भारतीय नेतृत्व इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर न्याय की बात नहीं कर सका था तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वर्तमान भारतीय नेतृत्व सही के पक्ष में न खड़ा हो। भारत तो वह भूमि है जहाँ ढाई हजार वर्ष पूर्व भी यहूदियों को शरण प्राप्त हुआ था और उसके बाद भी अपनी भूमि से मारे गए, सताए गए यहूदि भारत में आकर शरण लेते रहे। क्या कोई यह बता सकता है कि यहूदी कहाँ उत्पन्न हुए? यहूदी न मक्का में उत्पन्न हुए न मदीना में, न रोम में उत्पन्न हुए न अमेरिका में, न भारत में उत्पन्न हुए न यूरोप में। इजरायल यहूदियों की मूल भूमि है। यहूदी अच्छे हों या बुरे हों, चालाक हों या मक्कार हों, लेकिन जब न्याय की बात आएगी तो यहूदी समाज उन लोगों में है जो मजहबी बर्बरता के सर्वाधिक शिकार हुई। यह अलग बात है कि जिन अब्राहमिक मजहबों ने यहूदियों पर सर्वाधिक बर्बरता ...
आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
11 अक्टूबर पर विशेषः-आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले - लोकनायक जयप्रकाश नारायणमृत्युंजय दीक्षितभारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारन जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब देश विदेशी सत्ता के आधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई थी । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे पटना में बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने के साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व विसकांसन विवि में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियंत्रित करने के लिए खेतों व रेस्टोरेंट में काम किया। वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होनें ए...
वो गुरु जिसने तराशा अमिताभ बच्चन

वो गुरु जिसने तराशा अमिताभ बच्चन

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(11 अक्टूबर, जन्मदिन पर खास) अथवा क्यों अमिताभ बच्चन कृतज्ञ हैं अपने उस अनाम गुरु के आर.के. सिन्हा अमिताभ बच्चन ने जब अपने फिल्मी करियर का श्रीगणेश किया तब 1970 के दशक का आरंभ हो रहा था। तब भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे। वो आधी सदी पहले की दुनिया आज से हर मायने में अलग थी। पर इन पचास सालों में बहुत कुछ बदला, पर अमिताभ बच्चन अब भी करोडों सिने प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं। उन्होंने इस दौरान ना जाने कितनी सुपर हिट फिल्में दीं, टीवी पर अपनी धाक जमाई और विज्ञापन के संसार के शिखर पर रहे। कुछ समय तक राजनीति करने के बाद उसे इस तरह से छोड़ा कि फिर मुड़कर नहीं देखा। उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वकालिक महानतम अभिनेता माना जा सकता है। अमिताभ ने अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पु...
चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं

चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं

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चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं   ललित गर्ग :- आजादी के अमृतकाल के पहले लोकसभा एवं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की आहट अब साफ-साफ सुनाई देे रही है, राज्यों में चुनावी सरगर्मियां उग्र हो चुकी है। भारत के सभी राजनीतिक दल अब पूरी तरह चुनावी मुद्रा में आ गये हैं और प्रत्येक प्रमुख राजनैतिक दल इसी के अनुरूप बिछ रही चुनावी बिसात में अपनी गोटियां सजाने में लगे दिखाई पड़ने लगे हैं। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें राजस्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बहुत पहले ही विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है, वे हर दिन किसी-न-किसी लुभावनी एवं जनकल्याणकारी योजना की घोषणा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा सहित विभिन्न योजनाओं की तरह अब उन्होंने प्रदेश के 240 राजकीय विद्यालयों को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्याल...
अंग्रेजों का निमाड़ क्षेत्र में सामूहिक दमन

अंग्रेजों का निमाड़ क्षेत्र में सामूहिक दमन

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वीर सीताराम कंवर के नेतृत्व में 78 क्राँतिकारियों के बलिदान ---रमेश शर्मा सत्य और स्वत्वाधिकार की स्थापना के लिये महा भारत के बाद सबसे बड़े महा युद्ध 1857 में भारतीय वीरों की पराजय के बाद अंग्रेजों ने देश में स्थानीय स्तर पर दमन आरंभ किया । जिसमें उनका लक्ष्य वनवासी क्षेत्र ही रहे । इसका कारण यह था कि उस 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के बाद अधिकाँश क्राँतिकारी वनों में चले गये थे । अंग्रेजी टुकड़ियां उनकी तलाश करने वनों में टूट पड़ी । अंग्रेजी टुकड़ियों के वनवासियों पर हुये इस अत्याचार और आतंक का न तो कहीं विधिवत वर्णन मिलता है और न कहीं दस्तावेज । हाँ अंग्रेज अफसरों के पत्र व्यवहार में इसकी झलक अवश्य मिलती है । इसी से हम अनुमान लगा सकते हैं कि 1857 क्रांति की असफलता के बाद अंग्रेजों के दमन के कितने शिकार वनवासी अंचल ही हुये । इसमें मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल भी प्रमुख है ...
रुबिका लियाकत ने स्वीकारा कि पूर्वज हिन्दू थे

रुबिका लियाकत ने स्वीकारा कि पूर्वज हिन्दू थे

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बाँदा नबाब, शेख अब्दुल्ला नबाब छतारी से लेकर गुलामनबी आजाद तक सत्य स्वीकार करने वालों की लंबी श्रृंखला --रमेश शर्मा सुप्रसिद्ध टीवी एंकर रूबिका लियाकत ने हाल हीएक सार्वजानिक कार्यक्रम में स्वीकार किया कि उनके पूर्वज हिन्दू थे । पूर्वजों के हिन्दू होने का सत्य स्वीकार करने वाली रूबिका लियाकत पहली नहीं हैं। उनसे पहले असंख्य बुद्धीजीवी इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं। इनमें 1857 की क्रांति में सहभागी बने बाँदा नबाब, कश्मीर में अलगाव की आग्नि प्रज्ज्वलित करने वाले शेख अब्दुल्ला, मध्यप्रदेश में राज्यपाल रहे कुँअर मेहमूद अली, काँग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से लेकर बिहार सुन्नी बक्फ बोर्ड अध्यक्ष इरशादुल्लाह तक अपने पूर्वजों को हिन्दु बताने वालों की एक लंबी सूची है ।यूँ तो रुबिका लियाकत विभिन्न राष्ट्रीय चैनलों पर अपनी एकरिंग के लिये सदैव चर्चित रहीं हैं पर हाल हीतब और चर्चा मेंआईं जब एक ...
जाति जनगणना की जरूरत का समय

जाति जनगणना की जरूरत का समय

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21वीं सदी भारत के जाति प्रश्न को हल करने का सही समय है, अन्यथा हमें न केवल सामाजिक रूप से, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक रूप से भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और हम विकास  में पिछड़ जायेंगे। जाति जनगणना का अर्थ है भारत की सभी जातियों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित जनसंख्या का जाति-वार सारणीबद्ध होना, न कि केवल एससी और एसटी। 1952 की जनगणना में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) पर पहला अलग डेटा प्रकाशित किया गया था। पहली जाति जनगणना के आंकड़े 1931 में जारी किए गए थे। 2011 की जनगणना में जाति जनगणना होने के बावजूद डेटा जारी नहीं किया गया था। शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जातिगत पहचान के आधार पर प्रदान किया जाता है। ताजा जाति जनगणना डेटा की अनुपस्थिति का मतलब है कि 1931 के जाति अनुमानों को 2021 में कल्याणकारी नीतियां तैयार करने के लिए पेश किया...
‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर हमें क्या खिलाया जा रहा है?

‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर हमें क्या खिलाया जा रहा है?

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*रजनीश कपूर आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में हम अपने भोजन पर उतना ध्यान नहीं देते जितना हमें स्वस्थ रहने के लिए देनाचाहिए। इसीलिए आए दिन हमारे शरीर में कोई-न-कोई दिक़्क़त उत्पन्न होती रहती है। रोज़मर्रा के खाने में पौष्टिकतत्वों की कमी के कारण अक्सर बीमार पड़ने पर डॉक्टर भी हमें ताज़ी और शुद्ध चीज़ें खाने की ही सलाह देते हैं।इसके साथ हमारी डाइट को ‘हेल्थ फ़ूड’ पर आधारित होने कि भी सलाह देते हैं। अपनी सेहत की चिंता करते हुएहम बाज़ार में ‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर मिलने वाली वस्तुएँ ख़रीदने की होड़ में लग जाते हैं। परंतु यहाँ सवाल उठताहै कि क्या ‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर बिकने वाले डिब्बा बंद या सील बंद उत्पादन वास्तव में हमारे शरीर के लिए‘हेल्थी’ हैं?बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादनों ने बाज़ार में एक ऐसा मायाजाल बिछाया है जिसके शिकंजे में हम बड़ी आसानीसे फँस जाते हैं। यह कंपनियाँ अपने उत्पादनों को ‘हे...