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कोलाहाल में भी गूंजती थी राकेश झुनझुनवाला की आवाज

कोलाहाल में भी गूंजती थी राकेश झुनझुनवाला की आवाज

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कोलाहाल में भी राकेश झुनझुनवाला की आवाज को साफतौर पर सुना जा सकता था। उनकी आवाज में विश्वास और अनुभव को महसूस किया जा सकता था। वे जब किसी से मिलते तो ये ही कहते थे- ‘क्या हाल है आपका ? ‘क्या कर सकता हूं मैं आपके लिए?  ‘मार्केट किस तरफ जायेगी…’ जाहिर है, वे जब मार्केट का जिक्र करते थे तब वे शेयर बाजार की चाल के बारे में अपने करीबियों से भी उनकी राय पूछते थे। हां, पर वे किसी भी कंपनी के स्टॉक में निवेश करते हुये अपने शेयर मार्केट के अनुभव का ही सहारा लेते थे। उनके आकस्मिक निधन से देश के उन लाखों निवेशकों का एक तरह से विश्वस्त मार्गदर्शक विदा हो गया है, जिसे देखकर वे हजारों निवेशक भी शेयर मार्केट में निवेश करके अच्छा पैसा कमाने लगाने थे। वे बेशक आज के दिन के देश की शेयर मार्केट के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसेडर थे। भारत के शेयर बाजार का जिक्र उनकी चर्चा किये बगैर अधूरा ही रहता था। राकेश झुनझुनव...
महोत्सव के बाद अमृत बनाये रखने की चुनौती।

महोत्सव के बाद अमृत बनाये रखने की चुनौती।

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रोजगार विहीन विकास किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षित दांव नहीं है। बेरोजगारी न केवल हमारे मानव संसाधनों के इष्टतम उपयोग की अनुमति देती है बल्कि सामाजिक कलह और विभाजनकारी राजनीति के लिए प्रजनन स्थल भी बनाती है। शिक्षा, स्किलिंग, युवा उद्यमियों और नवप्रवर्तन कर्ताओं को उपयुक्त रोजगार और सहायता, शिक्षा और रोजगार के लिए देश भर में गतिशीलता को आसान बनाना समय की जरूरत है। सांप्रदायिक और भाषाई बाधाएं ऐसी गतिशीलता में बाधा डालती हैं और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। भारत को युवाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। -सत्यवान ‘सौरभ’ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र जल्द ही पृथ्वी पर सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने वाला है। इसलिए, स्वतंत्रता के 75 वर्ष का उत्सव व्यक्तिगत और सामूहिक स्वतंत्रता के संरक्षण और प्रचार में वैश्विक मानकों को स्थापित करने के लिए एक वि...
राजमार्गों का निर्माण: लक्ष्य पूर्ति के लिए गुणवत्ता से न हो समझौता

राजमार्गों का निर्माण: लक्ष्य पूर्ति के लिए गुणवत्ता से न हो समझौता

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*रजनीश कपूर राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का एक विडीओ काफ़ी चर्चा में था। प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने ऐसे कई दावे कर दिए जो यदि समय पर सच हुए तो हर भारतीय का सीना फूला नहीं समाएगा। परंतु सवाल उठता है कि अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए नेताओं द्वारा किए गए ऐसे वादों और दावों में कहीं निर्माण की गुणवत्ता के साथ समझौता तो नहीं हो रहा? पिछले दिनों हुई वर्षा के कारण हिमाचल प्रदेश व अन्य पहाड़ी राज्यों में हुए भूस्खलन की खबरें आपने ज़रूर पढ़ी होंगी। आए दिन ऐसी दुर्घटनाओं में जान-माल का काफ़ी नुक़सान होता है। पहाड़ों पर होने वाली इन दुर्घटनाओं को कुदरत का क़हर कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है। लेकिन सत्य इसके विपरीत है। प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ हमें बहुत महंगी पड़ रही है, इस बात के सैंकड़ों उदाहरण मिल जाएँगे। ऐसी दुर्घटनाओं के पीछे ...
विज्ञान-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया मंच

विज्ञान-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया मंच

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नई दिल्ली, 16 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय ने एक नया मंच शुरू करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य उद्योग और वैज्ञानिक अनुसंधान तथा विकास पारिस्थितिकी तंत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है, जिससे संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप भारत के स्थिरता लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिल सके। यह घोषणा स्वतंत्रता के 75 वर्ष (आजादी का अमृत महोत्सव) के अवसर पर की गई है। पीएसए कार्यालय के नेतृत्व में, 'मंथन' नामक इस मंच से भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी- आधारित सामाजिक प्रभाव नवाचार और समाधानों के परिदृश्य को संभावित रूप से बदलने की उम्मीद की जा रही है। यह मंच; सूचना विनिमय सत्रों, प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों के जरिये भविष्य के विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी आधारित विकास की रूपरेखा विकसित करने के लिए ज्ञान हस्त...
लाल किले से 9वीं बार PM मोदी का संबोधन

लाल किले से 9वीं बार PM मोदी का संबोधन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लाल किले की प्राचीर से 9वीं बार देश को संबोधित किया. आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस बार पीएम ने अपने भाषण में परिवारवाद, भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद पर जमकर हमला बोला.,
शोधकर्ताओं ने विकसित किया रोगाणुनाशी पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण

शोधकर्ताओं ने विकसित किया रोगाणुनाशी पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण

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नई दिल्ली, 12 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): रोगजनक बैक्टीरिया के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की चंडीगढ़ स्थित घटक प्रयोगशाला केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईआर-सीएसआईओ) के वैज्ञानिकों ने एक नया रोगाणुनाशी पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टैटिक उपकरण विकसित किया है। कोरोना वायरस सहित अन्य रोगजनक सूक्ष्मजीवों के प्रसार को रोकने में यह उपकरण प्रभावी पाया गया है। यह एक हैंडहेल्ड उपकरण है, जिसे विशेष रूप से हाथ में पकड़कर उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। यह उपकरण इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जो दो मोर्चों पर काम करती है। सबसे पहले, विसंक्रमित करने वाले तरल पदार्थों का छिड़काव करते समय इस उपकरण से विद्युत से आवेशित बूंदें निकलती हैं, जो हवा में वायरस को मारने में सक्षम होती हैं। दूसरी ओर, उपकरण से निकली आवेशित बूंदें किसी भी ...
आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब

आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब

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  आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब आर.के. सिन्हा कहते हैं कि इंसान को बहुत सोच-समझकर ही कुछ बोलना चाहिए। यानी उसे इस तरह की बातें करने से बचना चाहिए जिससे उसे आगे चलकर कष्ट हो। आमिर खान के साथ आज के दिन यही हो रहा है। आमिर खान ने 2015 में बड़ी बुलंदी से कहा था कि “वे देश के मौजूदा वातावरण में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और वे अपने  बच्चों को लेकर  चिंतित हैं और देश छोड़कर जाना चाहते हैं।” उस समय यह बात उन्होंने मोदी सरकार के शासन काल के शुरू होने पर अपनी टिप्पणी के रूप में मोदी विरोधियों की वाहवाही लूटने के लिये कही थीं I उन्हें क्या पता था कि मोदी सरकार लम्बे समय तक भारत पर शासन करने वाला है I आमिर खान अब अपनी पिक्चर लाल सिंह चड्ढा को प्रमोट करते हुये लगभग गिड़गिड़ाने वाले भाव से भारत भर के सिने प्रेमियों से गुजारिश कर रहे हैं कि वे उनकी फिल्म को जरूर देखें। उनकी च...
भारतीय संसद – लोकतंत्र का मंदिर

भारतीय संसद – लोकतंत्र का मंदिर

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भारतीय संसद - लोकतंत्र का मंदिर हमारे संविधान ने हमें शासन की संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था दी है। जब भारत में इस व्यवस्था की नींव राखी गई, तो कई लोग ये सोचते थे कि भारत की भयावह गरीबी, व्यापक निरक्षरता, विशाल और बहुआयामी आबादी के साथ जाति, पंथ, धर्म और भाषा की विविधता को देखते हुए लोकतंत्र भारत के लिए उपयुक्त नहीं होगा। निराशावाद के वे सभी समर्थक गलत साबित हुए हैं। 26.01.1950 को हमारे संविधान के गठन के बाद से इन सभी वर्षों में काम करने वाला भारत का संसदीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर खरा उतरा है और एक कार्यशील लोकतंत्र के रूप में बना हुआ है। भारतीय जनता के विशाल मतदाताओं ने जब भी आवश्यकता होती है, 'जिम्मेदारी और अदम्य ज्ञान' की भारी भावना के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण दुनिया को दिखाया है, उन्होंने अपने मत का इस्तेमाल सत्ता में एक पार्टी को उखाड़ फेंकने के लि...
नीतीश ‘सुशासन बाबू’ से ‘पलटू राम’ कैसे हो गये?

नीतीश ‘सुशासन बाबू’ से ‘पलटू राम’ कैसे हो गये?

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नीतीश ‘सुशासन बाबू’ से ‘पलटू राम’ कैसे हो गये?-ललित गर्ग -बिहार में ‘सुशासन बाबू’ कहलाने वाले नीतीश कुमार अब पक्के तौर पर ‘पलटू राम’ हो गये हैं। दो दिन की गहमागहमी के बाद उन्होंने पहले इस्तिफा देकर आखिर राज्यपाल से मुलाकात कर 160 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। इसे अस्तित्व की लड़ाई कहें या राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा लेकिन यह सच है कि सत्ता की खातिर पाला बदलने में कोई दल पीछे नहीं रहता। लोकतांत्रिक मूल्य, प्रामाणिकता, राजनीतिक सिद्धान्त तो शायद राजनीतिक दलों के शब्दकोश से गायब ही हो गए लगते हैं। भले ही गठबंधन राजनीति में टूट-फूट नई बात न हो, और न ही जनादेश की अनदेखी किया जाना, लेकिन यह एक तथ्य है कि बार-बार पाला बदलने वाले दल अपनी साख गंवाते हैं। भारतीय राजनीति से नैतिकता इतनी जल्दी भाग रही है कि उसे थामकर रोक पाना किसी के लिए सम्भव नहीं है।आज राष्ट्र पंजों के बल खड़ा...
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस- 8 अगस्त 2022 पर विशेष

विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस- 8 अगस्त 2022 पर विशेष

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विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस- 8 अगस्त 2022 पर विशेष वृद्ध वार्धक्य को ओढ़े नहीं, बल्कि जीएं - ललित गर्ग - यह सत्य है कि आज भारत में बुजुर्गों की उपेक्षा हो रही है। इसके लिए कई कारण हैं। बढ़ती हुई महंगाई, पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण, संसाधनों की कमी, संकुचित विचारधारा आदि आदि। आज की पीढ़ी बुजुर्गों के त्याग को समझना ही नहीं चाहती। इसीलिये संसार के बुजुर्ग लोगों को सम्मान देने के लिये विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा इसका शुभारंभ किया गया था। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य वृद्धों की वर्तमान समस्याओं, उपेक्षाओं एवं संवेदनहीनता के बारे में जनमानस में जागरूकता बढ़ाना है। वृद्धजनों की उपेक्षा का अर्थ है जीवन में विविध ज्ञान और अनुभवों से वंचित होना। वृद्ध साक्षात देवता हैं। वृद्ध हमारी सभ्यता और संस्कृति की धरोहर व समाज के मेरुदं...