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A new device fabricated for high-density data storage

A new device fabricated for high-density data storage

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A new device fabricated for high-density data storage New Delhi, July 14 (India Science Wire): A multi-institutional team led by researchers from the Indian Institute of Technology (IIT)- Jodhpur has fabricated a memory device for electronic gadgets that promises to provide high-density data storage. The currently available technologies such as hard disk drives (HDD), USB flash drives, SD cards, Solid State Drives (SDD), Dynamical Random-Access Memory (DRAM), and Static Random-Access Memory (SRAM) have limited data storage capacity. They cannot handle the vast quantum of data generated by digital globalization and the internet of things (IoTs). Memory devices need to be miniaturized to store the massive data in a small device. But, the currently available silicon-based memory techno...
क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल?

क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल?

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क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल? मृत्युंजय दीक्षित वर्ष- 2022 में संसद का मानसून सत्र एक नई कहानी लिखने जा रहा है क्योंकि इस बार सांसदों के लिए एक पुस्तिका जारी की गयी है जिसके अनुसार कम से कम 60 शब्दों के बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। विगत कई वर्षों से जब भी संसद कोई सत्र आहूत किया जाता है तो इसका कोई भी दिन बिना हंगामे और शोरगुल के नहीं बीतता है। इसी हंगामे और शोरगुल के बीच माननीय सांसद गण सदन कि मर्यादा को भूलकर असंसदीय शब्दावली का उपयोग करते जिन्हें बाद में सदन की कार्यवाही के रिकार्ड से बाहर किया जाता है। लेकिन इस बार संभवतः दृश्य अलग होगा क्योंकि अब नये नियमों के अनुसार लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सदस्य चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बालबुद्धि, जयचंद, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। लोकसभा सचिवालय ने दोहरा चरित्र...
महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत

महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत

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महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत -ललित गर्ग- भारत के लिये यह बेहद चिन्ताजनक एवं दुखद स्थिति है कि बड़ी संख्या में नवयुवतियां एवं महिलाएं धूम्रपान के जाल में फंसती जा रही है। ताजा अध्ययन बताते हैं कि 20 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू उत्पादों की गिरफ्त में फंस चुकी हैं। वे इस बात से बेखबर है कि धूम्रपान की लत उन्हें जीवनभर की परेशानी दे सकती हैं। जीवन बहुमूल्य है और हमें इस जीवन को खुल कर जीना चाहिए, इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए, लेकिन नशे में बर्बाद करना बुद्धिमानी नहीं है। कितना अच्छा होता कि जो महिलाएं आज तंबाकू का सेवन कर रही हैं और जीवन को धुएं में उड़ा रही हैं, वे अपनी सेहत, संस्कृति एवं परिवार पर इसके असर को समझती। वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स) के मुताबिक, देशभर में 20 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू उत्पादों का शौक रखती हैं। 10 फीसदी लड़कियों ने खुद सिगरेट पीने की बात को स्वीकार किया ह...
बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल

बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल

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बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल (निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार और बंद होते सरकारी स्कूल देश में एक समान शिक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है, उदाहरण के लिए हरियाणा जैसे विकसित राज्य की सरकार अभी सरकारी स्कूली शिक्षा को खत्म करने की चिराग योजना लाई है. अगर आप सरकारी स्कूलों में बच्चे पढ़ाएंगे तो 500₹ आपको भरने हैं, प्राइवेट में पढ़ाएंगे तो 1100₹ सरकार आपके बच्चे की फीस के भरेगी. ये किसे प्रमोट किया जा रहा है? सरकारी स्कूली शिक्षा को या प्राइवेट को?) -सत्यवान 'सौरभ' पिछले तीन दशकों में, भारत ने हर गांव में एक स्कूल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। किसी भी समुदाय में चलो, चाहे वह कितना भी दूरस्थ क्यों न हो, और यह संभव है कि आप एक सरकारी स्कूल देखेंगे। करीब 11 लाख प्राथमिक विद्यालयों के साथ, हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्कूल प्रणाली है। लिंग, जाति या धर्म के बावजूद, स्कूल ...
ज़मानत क़ानून में सुधार की ज़रूरत

ज़मानत क़ानून में सुधार की ज़रूरत

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ज़मानत क़ानून में सुधार की ज़रूरत *रजनीश कपूर गर्मियों की छुट्टियों के बाद जहां एक दिन में 44 फ़ैसले सुना कर सुप्रीम कोर्ट ने अपने इतिहास में एक नया रिकोर्ड बनाया वहीं ज़मानत के क़ानून में सुधार को लेकर केंद्र सरकार को एक नया क़ानून बनाने पर विचार करने को भी कहा। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल व न्यायमूर्ति एमएम सुंद्रेश की बेंच वाली कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि “भारत को कभी भी एक पुलिस स्टेट नहीं बनना चाहिए, जहां जांच एजेंसियां औपनिवेशिक युग की तरह काम करें।” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिकाओं के निपटारे के लिए समय-सीमा की जरूरत को भी दोहराया है। कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि महिला क़ैदियों के साथ लगभग एक हज़ार बच्चों को भी जेलों में रहना पड़ रहा है। ये बच्चे बड़े हो कर अपराधी बनेंगे इस बात के अंदेशे से इन्कार नहीं किया जा सकता। क़ानून में यह बात स्पष्ट रूप से लिखी...
चारित्रिक अवमूल्यन जॉनसन को ले डूबा

चारित्रिक अवमूल्यन जॉनसन को ले डूबा

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चारित्रिक अवमूल्यन जॉनसन को ले डूबा-ललित गर्ग-ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की विदाई का कारण स्वच्छन्द, भ्रष्ट एवं अनैतिक राजनीति बना। समूची दुनिया के शासनकर्त्ताओं को एक सन्देश है बोरिस की इस बेकद्री से बेआबरु होकर विदा होना। किस तरह कांड-दर-कांड का सिलसिला चला और जॉनसन ने 2019 के चुनावों में जो राजनीतिक प्रतिष्ठा अर्जित की थी, वह धीरे-धीरे  राजनीतिक अहंकार एवं अनैतिक कृत्यों के कारण गायब होती गई। उन्हें जो व्यापक जनादेश मिला था, उसका फायदा वह नहीं उठा पाए, क्योंकि जो अनुशासन, चरित्र की प्रतिष्ठा, संयम एवं मूल्यों का सृजन उनके प्रशासन में होना चाहिए था, वह कमोबेश नदारद रहा। जिस तेजतर्रार तेवर के साथ जॉनसन ने ब्रेग्जिट अभियान को अपने हाथों में लिया था और उसके बाद 2019 के आम चुनाव में जीत हासिल की थी, उस तेवर को वह बरकरार नहीं रख पाए। इसी वजह से विगत कुछ महीनों से उनकी कंजर्वेटिव पार्...
क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है?

क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है?

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क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है? (आखिर एक तनख्वाह से, कितनी बार टेक्स दें और क्यों ? आयकर दाताओं को स्वच्छ पानी, सांस लेने योग्य हवा, निजी सुरक्षा और अब तेजी से टोल के रूप में सड़क उपयोग के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है। देश के सांसद विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं जो कोई कर दान नहीं करता है; वे अपना वेतन खुद तय करते हैं, और उनकी आय पर कर स्रोत पर नहीं काटा जाता है।)-प्रियंका 'सौरभ' वेतन पाने वाले आय का उच्चतम प्रतिशत करों में देते हैं, बदले में कम मिलता है और उनके कर का रुपया वोटों के लिए उपयोग किया जाता है। भारत में सामाजिक समानता का मतलब है कि मुंबई में हर महीने 6,000 रुपये कमाने वाले एक क्लर्क को आयकर का भुगतान करना होगा, लेकिन पंजाब के गुरदासपुर में एक स्ट्रॉबेरी किसान को जिसकी हर महीने 1.5 लाख रुपये की कमाई है, उसे कर-मुक्त स्थिति क...
अवसादों भरा हफ़्ता

अवसादों भरा हफ़्ता

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अवसादों भरा हफ़्ता विनीत नारायण पिछला हफ़्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसादों से भरा रहा। जो घटनाएँ घटीं उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर भारत पर भी पड़ेगा। इस क्रम में सबसे ज़्यादा दुखद घटना जापान के पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे की नृशंस हत्या है। वे न केवल जापान के सशक्त और लोकप्रिय नेता थे बल्कि विश्व राजनीति में भी उनका सर्वमान्य प्रभावशाली व्यक्तित्व था। इस तरह की हिंसा जापान की संस्कृति में अनहोनी घटना है। कुछ लोगों को अंदेशा है कि इसके पीछे चीन का हाथ हो सकता है। जिसने हत्यारे को मनोवैज्ञानिक रूप से इस हाराकिरी के लिए उकसाया होगा। ऐसे षड्यंत्रों का प्रमाण आसानी से जग-ज़ाहिर नहीं होता, इसलिए दावे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। पर ऐसा अंदेशा लगाने वालों का तार्किक आधार यह है कि ‘साउथ एशिया सी’ में चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने की जो पहल शिंजो आबे ने की उससे चीन जाहिरन बहुत विचलित...
धार्मिक भावनाओं पर दोहरी राजनीति

धार्मिक भावनाओं पर दोहरी राजनीति

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धार्मिक भावनाओं पर दोहरी राजनीति  श्री शंकर शरण (लेखक: राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर एवं वरिष्ठ स्तंभकार हैं) काग्रेस नेता शशि थरूर का यह कथन चर्चा में है कि 'हमारा यह हाल हो गया है कि धर्म-मजहब के किसी पक्ष पर कुछ भी कहने पर कोई न कोई भावना आहत होने का दावा कर नाराज होने लगता है।' तृणमूल नेत्री महुआ मोइत्रा द्वारा देवी काली के बारे में दिए गए बयान के संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि 'ऐसी बातें सहजता से लेनी चाहिए, क्योंकि इसके पीछे किसी को चोट पहुंचाने का भाव नहीं रहता।' थरूर की बात सही है। समस्या यह है कि उन जैसे अधिकांश नेता और बौद्धिक तब चुप रह जाते हैं, जब मामला इस्लामी प्रसंगों का होता है। तब अभिव्यक्ति के सहज अधिकार पर दोहरापन झलकता है, जो सबसे बड़ा संकट है। लोग किसी चोट से अधिक उस पर शासन और बुद्धिजीवियों के दो तरह के रुख दिखाने से अधिक क्षुब्ध होते हैं। महुआ मोइत्रा के पक्ष मे...
डिजिटल दुनिया की मोबाइल-लैपटॉप जैसी डिवाइस तोड़ रही हैं आपके पैरेंट बनना का सपना

डिजिटल दुनिया की मोबाइल-लैपटॉप जैसी डिवाइस तोड़ रही हैं आपके पैरेंट बनना का सपना

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डिजिटल दुनिया की मोबाइल-लैपटॉप जैसी डिवाइस तोड़ रही हैं आपके पैरेंट बनना का सपना डॉ. गुंजन गुप्ता गोविल फाउंडर और चेयरमैन गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड ग्रुप शादी के बाद हर कपल का सपना होता है उनकी घर में बेबी आए और घर की रौनकें बढ़ जाएं. लेकिन कई बार शारीरिक समस्याएं उनके इस ख्वाब को पूरा नहीं होने देतीं. फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) से जुड़ी दिक्कतें हंसते-खेलते परिवारों की चिंता बढ़ा रही है. ऐसे होने क्या कारण हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है, नई-नई टेक्नॉलजी ने आज बहुत सारे काम आसान जरूर कर दिए हैं, लेकिन इन आविष्कारों का इंसान की सेहत पर बुरा असर भी पड़ रहा है. स्मार्टफोन्स का बेतहाशा इस्तेमाल, लैपटॉप, कम्प्यूटर और वायरलेस कनेक्शन जैसी चीजें अब जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन गई हैं. लेकिन ये तमाम चीजें न सिर्फ व्यक्ति को खुद पर निर्भर बना रही हैं बल्कि हेल्थ को भी प्रभावित कर रही हैं. कोरोना महामा...