
आर्थिक असमानता एवं संघ की चिन्ता के मायने
आर्थिक असमानता एवं संघ की चिन्ता के मायने- ललित गर्ग -राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की समस्याओं पर निरन्तर नजर रखता रहा है। गरीबी, महंगाई, अभाव, शिक्षा, चिकित्सा, सेवा और बेरोजगारी आदि क्षेत्रों में उसकी दखल से देश में व्यापक सकारात्मक बदलाव होते हुए देखे गये हैं। संघ की दृष्टि में आजादी के 75 साल बाद भी गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी अगर देश के प्रमुख मुद्दे बन कर छाए रहें, तो यह चिंता की बात होनी ही चाहिए। इस चिन्ता को महसूस करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के एक कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संघ का आर्थिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सरकार के दौरान इन समस्याओं के बरकरार रहने पर चिन्ता जताई। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि 23 करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे हैं। देश के बड़े हिस्से को आज भी साफ पानी और दो समय के भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। निश्चित ही हो...