श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग श्रीराम द्वारा सीताजी के त्याग का रहस्य
दोहा- रामू अमित गुन सागर थाह कि पावइ कोई।
सन्तह सन जस किछु सुनेऊँ तुम्हहि सुनायउ सोई।।
श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड ९२ (क)
वर्तमान समय में श्रीरामकथामृत के समान कोई भी वस्तु संसार में मनोरम नहीं है, बाल, वृद्ध, वनिता, युवा सब ही इसका पान करके अपने आपको अत्यन्त सौभाग्यशाली मानते हैं। इस श्रीरामकथामृत के प्रभाव से उनमें धैर्यवान, साहसी, न्यायप्रिय, परहित में लगे रहने तथा उनमें प्रेम, दया, सहयोग एवं सहानुभूति के गुणों का समावेश होता है। यद्यपि श्रीरामचरित का वर्णन अनेक प्रकार से सन्तों, महात्माओं ने अपूर्व किया है किन्तु गोस्वामी तुलसीदासजी की तुलना आज भी किसी से नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि भारत के घरों से मंदिरों तक उनकी विश्व प्रसिद्ध कृति- श्रीरामचरितमानस का श्र...