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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग श्रीराम द्वारा सीताजी के त्याग का रहस्य दोहा- रामू अमित गुन सागर थाह कि पावइ कोई। सन्तह सन जस किछु सुनेऊँ तुम्हहि सुनायउ सोई।। श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड ९२ (क) वर्तमान समय में श्रीरामकथामृत के समान कोई भी वस्तु संसार में मनोरम नहीं है, बाल, वृद्ध, वनिता, युवा सब ही इसका पान करके अपने आपको अत्यन्त सौभाग्यशाली मानते हैं। इस श्रीरामकथामृत के प्रभाव से उनमें धैर्यवान, साहसी, न्यायप्रिय, परहित में लगे रहने तथा उनमें प्रेम, दया, सहयोग एवं सहानुभूति के गुणों का समावेश होता है। यद्यपि श्रीरामचरित का वर्णन अनेक प्रकार से सन्तों, महात्माओं ने अपूर्व किया है किन्तु गोस्वामी तुलसीदासजी की तुलना आज भी किसी से नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि भारत के घरों से मंदिरों तक उनकी विश्व प्रसिद्ध कृति- श्रीरामचरितमानस का श्र...
मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’

मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’

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मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’ नई दिल्ली, 20 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): मंगल पर भविष्य में बस्तियां बसाने और लाल ग्रह पर निर्माण की संभावनाओं की तलाश में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय वैज्ञानिकों को एक नयी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने मंगल पर बस्तियां बसाने में उपयोगी ‘अंतरिक्ष ईंट’ बनाने के लिए बैक्टीरिया आधारित एक विशिष्ट तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर इस तरह की ईंट बनाने में हो सकता है। बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने ‘अंतरिक्ष ईंट’ बनाने के लिए मंगल की सिमुलेंट सॉयल (एमएसएस) यानी प्रतिकृति मिट्टी और यूरिया का उपयोग किया है। इन ‘अंतरिक्ष ईंटों’ का उपयोग मंगल ग्रह पर भवन जैसी संरचनाओं के निर्माण के लिए किया जा सकता है, जो लाल ग्रह पर मानव को ...
कोविड-19 संक्रमण-रोधी नया सुरक्षित डिसइन्फेक्टेंट

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कोविड-19 संक्रमण-रोधी नया सुरक्षित डिसइन्फेक्टेंट नई दिल्ली, 20 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): कोविड-19 महामारी ने बेहतर रोगाणुनाशकों की तत्काल आवश्यकता पैदा कर दी है, जो संक्रामक रोगों के प्रसार को रोक सकें। एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं ने शीत वायुमंडलीय दबाव प्लाज्मा (सीएपी) की मदद से प्लाज्मा-आधारित रोगाणुनाशक विकसित किया है, जो कोविड-19 और इसके जैसे अन्य रोगों का संक्रमण रोकने में हरित विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है। भारतीय शोधकर्ताओं की यह खोज महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश रोगाणुनाशकों में ऐसे रसायनों का उपयोग होता है, जो पर्यावरण को हानि पहुँचाने के लिए जाने जाते हैं। इसी कारण, दुनियाभर के शोधकर्ता रोगजनक सूक्ष्मजीवों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए हरित विकल्पों की खोज में जुटे हुए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सम्बद्ध विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन ...
जम्मू की ‘पल्ली’ बनेगी देश की पहली ‘कार्बन तटस्थ’ ग्राम पंचायत

जम्मू की ‘पल्ली’ बनेगी देश की पहली ‘कार्बन तटस्थ’ ग्राम पंचायत

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जम्मू की ‘पल्ली’ बनेगी देश की पहली ‘कार्बन तटस्थ’ ग्राम पंचायत नई दिल्ली, 18 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की पल्ली पंचायत में 340 घरों को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू यात्रा के दौरान सौर ऊर्जा का उपहार मिलने जा रहा है। पल्ली में 500 केवी क्षमता का सौर संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इससे पल्ली पंचायत के घरों को स्वच्छ बिजली और प्रकाश मिल सकेगा, जो इसे भारत सरकार के ‘ग्राम ऊर्जा स्वराज’ कार्यक्रम के तहत पहली कार्बन तटस्थ पंचायत बना देगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वक्तव्य में इसकी जानकारी प्रदान की गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के अंतर्गत कार्यरत भारत सरकार के उद्यम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) द्वारा 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में पल्ली ...
याद रखना बाबा साहेब के उन अनाम साथियों को

याद रखना बाबा साहेब के उन अनाम साथियों को

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याद रखना बाबा साहेब के उन अनाम साथियों को आर.के. सिन्हा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 27 सितंबर,1951 को पंडित जवाहरलाल नेहरु की केन्द्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। दोनों में हिन्दू कोड बिल पर गहरे मतभेद उभर आए थे। बाबा साहेब ने अपने इस्तीफे की जानकारी संसद में दिए अपने भाषण में दी। वे दिन में तीन-चार बजे अपने सरकारी आवास वापस आए। वे इस्तीफे के अगले ही दिन अपने 22 पृथ्वीराज रोड के आवास को छोड़कर 26 अलीपुर रोड में शिफ्ट कर गए। कैबिनेट से बाहर होने के बाद बाबा साहेब का सारा वक्त अध्ययन और लेखन में गुजरने लगा। उन्होंने 26, अलीपुर रोड में रहते हुए ही ‘'द बुद्धा ऐण्ड हिज़ धम्मा' नाम से अपनी अंतिम पुस्तक लिखी। इसमें डॉ.अंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों की व्याख्या की है। इसका हिन्दी, गुजराती, तेलुगु, तमिल, मराठी, मलयालम, कन्नड़, जापानी सहित और कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। बाबा साहेब की 26 ...
रामनवमी या रावणनवमी?

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रामनवमी या रावणनवमी? डॉ. वेदप्रताप वैदिक इस बार भारत में हमने रामनवमी कैसे मनाई ? हमने रामनवमी को रावणनवमी में बदल दिया। देश के कई शहरों और गांवों में एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय से भिड़ गए। यहां तक की जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र, जिन्हें देश में अत्यंत प्रबुद्ध माना जाता है, वे भी आपस में भिड़ गए। कई शहरों में लाठियां, ईंट और गोलियां भी चलीं। कुछ प्रदर्शनकारी पुलिस की ज्यादती के भी शिकार हुए। यह सब हुआ है, उसके जन्म दिन पर, जिसे अल्लामा इक़बाल ने ‘इमामे हिंद’ कहा है। इकबाल का शेर है- है राम के वजूद पे हिंदोस्तां को नाज़। अहले-नज़र समझते हैं इसको इमामे हिंद!! राम को भगवान भी कहा जाता है और मर्यादा पुरुषोत्तम भी। लेकिन राम के नाम पर कौनसी मर्यादा रखी गई? राम को सांप्रदायिकता के कीचड़ में घसीट लिया गया। इसके लिए हमारे देश के वामपंथी और दक्षिणपंथी तथा हिंदू और मुसलमान, दोनों जिम्मेद...
कश्मीर में हिन्दुओं की वापसी राष्ट्रीय मुद्दा बने

कश्मीर में हिन्दुओं की वापसी राष्ट्रीय मुद्दा बने

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कश्मीर में हिन्दुओं की वापसी राष्ट्रीय मुद्दा बने - ललित गर्ग- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कश्मीरी हिन्दुओं की कश्मीर में वापसी इस तरह होनी चाहिए कि उन्हें फिर उजाड़ा न जा सके, उस पर सरकार ही नहीं, सभी दलों को भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। भागवत का यह बयान न केवल कश्मीरी पंडितों के दर्द, वेदना, उपेक्षा के घावों पर मरहम लगाने का काम कर रहा है, बल्कि उनके दर्द को समझने के साथ ऐसा वातावरण बनाने में सहयोग देने की अपेक्षा को भी उजागर कर रहा है कि कश्मीर में हिन्दुओं की वापसी सम्मानजनक तरीके से हो, उनको इस तरह मजबूती से बसाया जाये कि कोई भी शक्ति उन्हें उजाड़ न सके, उन्हें बहिर्गमन करने की विवशता को न भोगना पड़े। यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बनना चाहिए। कश्मीरी हिंदुओं का बहिर्गमन एक त्रासदी थी, एक उत्पीड़न की चरम पराकाष्ठा थी, एक राजनीतिक स्वार्थ की घिनौनी एवं अशोभनीय मा...
10 reasons why Russia had to invade Ukraine.

10 reasons why Russia had to invade Ukraine.

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10 reasons why Russia had to invade Ukraine. 1. Crimea Most of Russia's ports are iced over for about 6 months in a year and hence not useful for global trade by sea. The port at Sevastopol on Crimean peninsular is one of the few ports that operate all year long and through which much of Russian imports and exports flow. Crimea is an existential requirement for Russia and its forceful occupation in 2014, Russia wants to formalise its annexation. 2. Ports on the Black Sea and Sea of Azov There are many other ports that are currently in Ukraine and on the Black Sea, such as Odessa which is essential for both Ukraine and Russia. Russia covets this coastline and to convert Ukraine into a landlocked country so that NATO will not be able to misuse the Black Sea ports to supply Ukraine wi...
‘रोहनात’ गांव जहां आज़ादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा

‘रोहनात’ गांव जहां आज़ादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा

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'रोहनात' गांव जहां आज़ादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा -सत्यवान 'सौरभ' आजादी की लड़ाई में भारत के लाखों शूरवीरों ने अपने प्राण न्याैछावर किए थे। मगर आज कुछ यादों को संजोया गया है तो कुछ की किसी को जानकारी ही नहीं है। इसी में शामिल थी 1857 की क्रांति की एक कहानी, जिसमें अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ाने वाले गांव रोहनात हिसार (हरियाणा) के वीर थे। वो 29 मई 1857 की तारीख थी। हरियाणा के रोहनात गांव में ब्रिटिश फ़ौज ने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर ख़ूनख़राबे को अंजाम दिया था। बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गांव को नष्ट कर दिया।  लोग गांव छोड़कर भागने लगे और पीछे रह गई वो तपती धरती जिस पर दशकों तक कोई आबादी नहीं बसी। दरअसल यह 1857 के गदर या सैनिक विद्रोह, जिसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भी कहते हैं, के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के कत्लेआम की जवाबी कार्रवाई थी। रो...