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किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

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ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश की सड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनों को लेकर है। देखा जाए तो ब्रिटिश शासन काल से लेकर आज़ादी के बाद आज तक हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर होने के बावजूद हमारे देश में किसानों की हालत दयनीय है। कर्ज़ में डूबे किसानों की आत्महत्या के आंकड़े खुद इस तथ्य की सच्चाई बयाँ करते हैं। किसानों की इस दयनीय हालात से देश पर सबसे अधिक समय तक सत्ता में रहने का गौरव प्राप्त करने वाली कांग्रेस अनजान हो ऐसा भी नहीं है। यही कारण है कि वो कांग्रेस जब 70 सालों बाद देश से अपने लिए वोट मांगती है तो सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी का वादा करती है। यह अलग खोज का विषय है कि जिन राज्यों में वो ...
मध्य एशिया बनने जा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का पहला मैदान

मध्य एशिया बनने जा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का पहला मैदान

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  ईसाईयत (आर्मीनिया) पर इस्लाम ( अजरबेजान) का हमला हो चुका है। आर्मीनिया के साथ इसराइल, अमेरिका फ़्रांस, ब्रिटेन व भारत आदि नाटो देश हैं तो अजरबेजान के साथ इस्लामिक जगत का स्वयंभू ख़लीफ़ा तुर्की,पाकिस्तान ईरान, उत्तरी कोरिया व चीन जैसी ताक़तें हैं। प्रथम विश्वयुद्ध (१९१४-१८)के बाद ४० देशों में बंटे ख़लीफ़ा ऐ इस्लाम तुर्की ( ऑटमन गणराज्य) को मित्र देशों ने युद्धोपरांत संधि के अंतर्गत सौ साल तक अपमानजनक संधि से बांधकर रखा हुआ था , जो अब पूरी होने जा रही है। इसीलिय मध्य एशिया में उबाल है।कोई बड़ी बात नहीं कि यह चिंगारी यूरोप को भी लपेट ले।विश्व के सबसे बड़े युद्ध क्षेत्र में हो रही यह लड़ाई चंद दिनो के अंदर विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाएगी। इस क्षेत्र में इसराइल बहुत आक्रामक हो ही चुका है और अपने दुश्मन चीन समर्थक इस्लामिक देशी को निशाना बना ही रहा है। अमेरिका पहल पर यूएई से संधि ...
भारतीय तटरक्षक दल का अविश्वसनीय बचाव अभियान

भारतीय तटरक्षक दल का अविश्वसनीय बचाव अभियान

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सितंबर के पहले सप्ताह में हम सभी ने यह समाचार देखा व सुना था कि श्रीलंका के तट पर तेल टैंकर एमटी न्यू डायमंड में लगी आग पर भारतीय तटरक्षक बल व नौसेना की मदद से काबू पा लिया गया है। फिर हम इसको भूल गए।मीडिया ने इसे एक सामान्य घटना की तरह लिया किंतु यह एक सामान्य घटना नहीं थी। सच तो यह है कि यह ओपरेशन जिसमें एक तेल टेंकर जो इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के लिए कुवैत से दो लाख 70 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा कच्चा तेल लेकर भारत आ रहा था में 3 सितंबर 2020 को भयंकर आग लग गयी थी, को जिस प्रकार क़ाबू किया गया वह एक विश्वस्तरीय घटना थी। इतने ज़्यादा तेल में अगर आग लग जाती तो यह विस्फोट एक बड़े परमाणु बम के बराबर होता और फिर इससे होने वाले नुक़सान का अनुमान लगाना संभव ही न होता। अमेरिकन नौसेना भी इस तरह के अभियान को इतनी सक्षमता से निभा पाती इसमें भी जानकारो को संदेह है। हो सकता था कि भारत सरकार इसे चीन की साज...
किसने जलाया बेंगलुरु को

किसने जलाया बेंगलुरु को

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भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरु के कुछ इलाकों में विगत मंगलवार को एक छोटी सी बात को लेकर जिस तरह से सांप्रदायिक हिंसा को भड़काया गया, उसके दोषी बच के न निकल सकें, यह राज्य सरकार को सख्ती से सुनिश्चित करना होगा। उन पर कठोरतम एक्शन हो ताकि आगे से ऐसा दंगा-फसाद करने के संबंध में कोई सोचे भी नहीं। बेंगलुरु की हिंसा में कुछ मासूमों की जानें भी गई, तमाम निर्दोष लोग घायल हुए और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। सबसे अहम बात यह है कि सारी दुनिया में इस हिंसा का बेहद गलत संदेश गया। बेंगलुरु में लाखों विदेशी पेशेवर रहते हैं। जरा सोचिए कि उनके और उनके विदेशों में रह रहे परिवार के जेहन में किस तरह की छवि बनी होगी बेंगलुरु और भारत की इस हिंसा के कारण। बेगलुरू जैसे आधुनिक महानगर में उपद्रवियों ने जगह-जगह गाड़ियों को आग लगाई और एटीएम तक में तोड़फोड़ की गई। उन्होंने कांग्रेस के विधायक के घर पर हमला भी किय...
पिता की मृत्यु हुई हो या नहीं, जन्म से ही बेटी का संपत्ति पर अधिकार

पिता की मृत्यु हुई हो या नहीं, जन्म से ही बेटी का संपत्ति पर अधिकार

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सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने पिता की संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर ही हक है। बेटी के जन्म के साथ ही उसका संपत्ति पर हक है, चाहें पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 के लागू होने से पहले ही क्यों ना हुई हो। इससे पहले हिंदू सक्सेशन (अमेंडमेंट) ऐक्ट, 2005 के तहत बेटी अपने पिता की संपत्ति पर तभी अपने हक के लिए दावा कर सकती थी, जब उसके पिता की मौत 9 सितंबर, 2005 के बाद हुई हो। इसी दिन हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून लागू हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे बदलते हुए कहा, बेटी के हक से पिता की मृत्यु का कोई लेन देने नहीं। बेटियों को बराबर अधिकार देना होगा सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने ये अहम फैसला सुनाया। बेंच ने कहा, बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार देना हो होगा। क्योंकि बेटी पूरी जि...
राजस्थान कांग्रेस संकट का पटाक्षेप

राजस्थान कांग्रेस संकट का पटाक्षेप

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राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के संकट के बादल अब छंटते हुए दिखाई दे रहे हैं। अशोक गहलोत एवं सचिन पायलेट के आपसी मतभेद एवं मनभेद से उपजे राजनीतिक द्वंद्व ने कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व की निर्णयहीनता के साथ-साथ उसकी अचिन्तन एवं अपरिपक्व सोच से जुड़े अनेक प्रश्नचिन्ह टांग दिये हैं। राहुल गांधी से मुलाकात एवं प्रियंका गांधी की सूझबूझ से भले ही बागी कांग्रेसी नेता सचिन पायलट की घर वापसी हो जाये, लेकिन इससे सचिन के राजनीतिक कौशल एवं भविष्य पर भी धुंधलके छाये हैं। ऐसा भी नहीं था कि सचिन के पास और कोई रास्ता ही नहीं बचा था लेकिन उन्होंने दूरगामी सोच एवं होश से काम नहीं लिया था, यदि वे ऐसा करते तो भविष्य की राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका बनती। इस पूरे राजनैतिक घटनाक्रम का एक बड़ा सच यही सामने आया है कि पायलेट अभी राजनीति में कच्चे खिलाड़ी हैं। वह उसी पेड़ की डाल को काटने चले थे ज...

नींद उड़ाते “हैकर” और “क्रिप्टो करेंसी

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आज हैकिंग  एक आम बात होती जा रही है | कभी कभी सरकारें भी  हैकिंग कराती  है, तो कभी प्रायवेट हैकर ठेके पर इस कारगुजारी को अंजाम देते हैं |“ हैकर’ शब्द का परिचय विश्व को १९८०  के दशक में मिला था | ‘द हैकर्स पेपर्स’ में ‘हैकर’ शब्द का उल्लेख आया था। इसके बाद १९८२ में आई फिल्म ‘ट्रॉन’ में एक पात्र कंप्यूटर सिस्टम में घुसपैठ का अपना इरादा बताते हुए दिखा था। उस पात्र का डॉयलॉग था कि मैं इस कंप्यूटर में हैकिंग जैसा कुछ कर रहा हूं।इसके बाद  ‘हैकिंग’ शब्द का इस्तेमाल आम बोलचाल में किया जाने लगा। यहां तक कि कुछ देशों में यह चर्चा भी होने लगी कि कैसे हैकर बनकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। भारत में अब यह मर्ज फैल रहा है इससे पहले यह समस्या बने इसका इलाज़ जरूरी है | इसी की सहोदरा क्रिप्टो करेंसी है | आमतौर पर हैकर वह व्यक्ति कहलाता है जो सुरक्षा के सारे उपायों को धता बताते हुए किसी कंप्यू...
Accidents because of ignoring recommendations for air-safety are killing by system

Accidents because of ignoring recommendations for air-safety are killing by system

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It refers to unfortunate crash-landing of Air India Express aircraft Boeing-737 at Kozhikode (Kerala) in evening of 07.08.2020 because of skidding of the unlucky aircraft in heavy rains from the table-top runway. Accident was a repeat of similar accident on 22.05.2010 at Mangalore airport of Karnataka under the same circumstances with exception that fortunately there was no fire in crash-landing on 07.08.2020 unlike to the one at Mangalore airport a decade back taking many lives. Big question is why aircrafts are allowed to land in such heavy rain especially on table-top runways that too in bad light conditions. Air Control Tower must not allow landing in such circumstances even if pilot may be confident of safe landing. It is even more regretting that recommendations of committees abou...
कोरोना काल और दुर्बल होता मानसिक स्वास्थ्य

कोरोना काल और दुर्बल होता मानसिक स्वास्थ्य

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कोरोना बचपन के महत्वपूर्ण क्षणों को निगल रहा है |भारत समेत दुनिया में कोरोना संक्रमण के फैलाव के कारण लगाये गये प्रतिबंधों का असर बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है| इन दिनों अपने घरों में सीमित होने की वजह से बच्चे न तो अपने दोस्तों से मिल पा रहे हैं और न ही वे पसंदीदा खेल खेल पा रहे हैं| वे सामान्य सामाजिक सपंर्क से भी कट गये हैं, जो उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा था| वे बचपन के महत्वपूर्ण क्षणों को जीने से वंचित हो रहे हैं| इन बच्चों में से कई के माता-पिता लालन-पालन से जुड़ी सलाह के लिए मनोचिकित्सकों के पास जा रहे हैं|अनेक देशों में  माता-पिता भी इन दिनों मानसिक समस्या, जैसे- चिंता एवं नींद की कमी, से जूझ रहे हैं| कोरोना की स्थिति का मनोवैज्ञानिक प्रभाव सभी वर्गों पर है, लेकिन बच्चों एवं किशोरों पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है क्योंकि वे अक्सर अपने दैनिक जीवन और गतिविधियों म...
नई शिक्षा नीति-मातृभाषा में पढ़ोगे तो बनोगे गुरुदेव और राजेन्द्र प्रसाद

नई शिक्षा नीति-मातृभाषा में पढ़ोगे तो बनोगे गुरुदेव और राजेन्द्र प्रसाद

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नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा हो गई है। इसके विभिन्न बिन्दुओं पर बहस तो  होगी ही । पर इसने एक बड़े और महत्वपूर्ण दिशा में कदम बढ़ाने का इरादा व्यक्त किया है। उदाहरण के रूप में नई शिक्षा नीति में पाँचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को ही पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। इसे क्लास आठ या उससे आगे तक भी बढ़ाया जा सकता है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी स्तर  से होगी।  नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को विद्यार्थियों पर जबरदस्ती थोपा नहीं जाएगा। यह बार-बार सिद्ध हो चुका है कि बच्चा सबसे आराम से सहज भाव से अपनी भाषा में पढाए जाने पर उसे तत्काल ग्रहण करता है । जैसे ही उसे मातृभाषा की जगह किसी अन्य भाषा में पढ़ाया जाने लगता है, तब ही गड़बड़ चालू हो जाती है। जो बच्चे अपनी मातृभाषा में शुरू से ही पढ़ना चालू करते हैं उनके लिए शिक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ने की संभाव...