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क्या Animal अनैतिक फिल्म है?

क्या Animal अनैतिक फिल्म है?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
 जब से Animal रिलीज़ हुई है तब से सोशल मीडिया पर इससे जुड़े काफी रिव्यूज़ पढ़ चुका हूं। बहुत से लोगों ने इसमें रणबीर कपूर के किरदार पर खासी आपत्ति दर्ज की है। लोग रणबीर के Male Chauvinist किरदार से काफी खफा हैं। वो इस बात से नाराज़ हैं कि एक मर्द औरत पर अपनी मर्ज़ी कैसे थोप सकता है? एक मर्द खुद बीवी से धोखा करते हुए उसे खुलेआम ऐसा न करने को कैसे कह सकता है? वो अपनी बहनों पर इतना रौब कैसे मार सकता है? वो खुद अपने जीजा को कैसे मार सकता है?वो बार-बार इस बात को कैसे अंडरलाइन कर सकता है कि मैं एक अल्फा मेल हूं और होगा वही, जो मैं चाहूंगा। इसके अलावा जिस तरह वो खुलेआम अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बोलता है वो भी लोगों को हज़म नहीं होता। फिल्म में जिस लेवल की हिंसा दिखाई गई उससे भी बहुतों को प्रॉब्लम है। इसके अलावा भी नैतिकता के बहुत सारे मापदंड है जिस पर फिल्म को कसा गया है और ये भी कहा ...
भारत में विवाह समारोहों की अर्थव्यवस्था

भारत में विवाह समारोहों की अर्थव्यवस्था

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार पवित्र शादियों के धार्मिक संस्कारों के माध्यम से दो आत्माओं का मिलन कराया जाता है। कहा तो यहां तक भी जाता है कि दूल्हा और दुल्हन शादी के धार्मिक संस्कारों के माध्यम से सात जन्मों तक के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं। इसलिए, शादी के समय विभिन्न अध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांसारिक संस्कारों को सम्पन्न कराने के लिए समाज के गणमान्य नागरिकों, नाते रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों को साथ लेकर विभिन्न प्रकार के भव्य आयोजन सम्पन्न किए जाते हैं। इन आयोजनों में विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं एवं आजकल तो ऐसे शुभ अवसरों पर भारी मात्रा में व्यय भी किया जा रहा है। शादी के विभिन्न आयोजनों पर किए जाने वाले भारी भरकम खर्च से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत में नवम्बर 2023 माह से लेकर आगामी लगभग 4 माह के दौरान 38 लाख से अधिक शादियों के आयोजन सम्प...
ग्लोबल वर्मिंग : विकसित देशों का रवैया ठीक नहीं

ग्लोबल वर्मिंग : विकसित देशों का रवैया ठीक नहीं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
विश्व के तमाम देश लगातार ग्लोबल वार्मिंग से मानवता पर मंडराते संकट को दूर करने के लिये संयुक्त अरब अमीरात में एकजुट हुए । दुबई में आयोजित संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 28वें सम्मेलन से फिर पूरी दुनिया की आस जगी है। दुनिया टकटकी लगाए बैठी है कि कॉप-28 सम्मेलन से धरती को बचाने के लिये कुछ ठोस निर्णय लिए जाएंगे। बीत रहे साल में मौसम के चरम के चलते तापमान वृद्धि, अलनीनो प्रभाव से बढ़ता समुद्री तापमान, अंटार्कटिका में तेजी से बर्फ के पिघलने, बाढ़, अतिवृष्टि, अनावृष्टि और चक्रवातों के जो भयावह परिणाम सामने आए, वो बता रहे हैं कि यदि अब निर्णायक फैसले न हुए तो धरती को बचाना मुश्किल हो जाएगा। अब तक के तमाम पर्यावरण सम्मेलनों में वायदे तो बड़े-बड़े हुए हैं लेकिन ठोस काम इस दिशा में नहीं हो पाया है। खासकर विकसित देशों के अड़ियल रवैये से इस दिशा में आशाजनक प्रगति नहीं हो पायी है। जबकि ...
<strong>बौखलाहट है हिंदी पट्टी के राज्यों को ‘गौमूत्र राज्य’ की संज्ञा देना</strong>

बौखलाहट है हिंदी पट्टी के राज्यों को ‘गौमूत्र राज्य’ की संज्ञा देना

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
-ललित गर्ग- तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक एवं शानदार जीत से इंडिया गठबंधन के विभिन्न राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। इसी बौखलाहट का नतीजा है तमिलनाडु की सत्ताधारी दल डीएमके पार्टी के सांसद डीएनवी सेंथिलकुमार के द्वारा संसद में हिंदी पट्टी के राज्यों को ‘गौमूत्र राज्य’ की संज्ञा देना। उनके ऐसा बोलते ही संसद से लेकर बाहर के राजनीतिक गलियारों में हंगामा खड़ा हो गया। भाजपा ने सेंथिलकुमार के इस बयान का विरोध किया तो सांसद ने माफी मांग ली और लोकसभा की कार्यवाही से उनका बयान अब हटा दिया गया है। साथ ही कांग्रेस ने भी उनके इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है। राजनीतिक स्वार्थों एवं संकीर्णताओं के चलते भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति एवं परम्परा को धुंधलाने एवं झुठलाने के ये षड़यंत्र राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की बड़ी बाध...
राम हमारे : हरि अनंत हरि कथा अनंता..!

राम हमारे : हरि अनंत हरि कथा अनंता..!

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल हमारी सनातनी परम्परा - संस्कृति श्रेष्ठ जीवन मूल्यों की जननी है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने सम्पूर्ण जीवन चरित्र से राष्ट्र को उसके आदर्श सौंपे हैं। बाल्यकाल से लेकर जीवन के सम्पूर्ण क्रम में प्रभु श्री राम का चरित मनुष्यत्व से देवत्व की साधना का मार्ग प्रशस्त करता है। और उनका मार्ग एकदम सुगम - सहज- सरल तथा मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा का अमृत कुम्भ है। इसी अमृत कुम्भ में ही सम्पूर्ण सृष्टि के कुशल सञ्चालन- शान्ति- समन्वय- साहचर्य की गर्भनाल गड़ी हुई है। दशरथ पुत्र कौशल्या नन्दन बालक राम का बाल्यकाल वर्तमान परिदृश्य के लिए सर्वाधिक प्रेरणादायी है। प्रकृति के पञ्चभूत -पञ्चतत्वों यथा - भूमि, जल,आकाश, अग्नि वायु से लेकर माता -पिता , गुरुजनों, सम्पूर्ण समाज के प्रति जिस आदर एवं श्रद्धा के मानकों को स्थापित किया है ,वह अनुकरणीय है। विद्या अध्ययन के सम...
ईश्वरीय शक्ति का अद्भुत चमत्कार है श्रमिकों का सुरक्षित बाहर निकलना!

ईश्वरीय शक्ति का अद्भुत चमत्कार है श्रमिकों का सुरक्षित बाहर निकलना!

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म
मृत्युंजय दीक्षितउत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के पास सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन से फंसे आठ राज्यों के 41 कर्मवीरों को 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है । इस खतरनाक हादसे और फिर कर्मवीरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जिस प्रकार आपरेशन जिंदगी चलाया गया अदभुत जीवटता का कार्य है। श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए चलाये जा रहे अभियान पर भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व की दृष्टि थी । अंततः भारत के 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के श्रम और अनथक प्रयासों का सकारात्मक प्रतिफल मिला और 17 दिन बाद सभी कर्मवीरों के घरों में खुशियों के दीप जलाये गये । सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की यह घटना एक बहुत ही महत्वपूर्ण है और अध्ययन किये जाने योग्य है।इस घटना का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह रहा कि जहां विदेशी मशीनों ने ने भी साथ छोड़ दिया और परिस...
टहनियों तक जाये बिना सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा।

टहनियों तक जाये बिना सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
“मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।” लोग नई चीजें हासिल करने के बजाय आसान चीजों में लग जाते हैं। लोग नई चीजों का आविष्कार करने या अपना खुद का स्टार्टअप बनाने के बजाय और सुरक्षित नौकरियों में चले जाते हैं। इसके अलावा, डर से आत्मविश्वास और अपने ऊपर भरोसे की कमी भी हो सकती है। जो व्यक्ति लगातार डर के साथ जी रहे हैं, वे अपनी क्षमताओं पर संदेह करते हैं और जोखिम लेने के साथ आने वाली चुनौतियों के लिए खुद को तैयार नहीं पाते हैं। सिडनी बॉक्सिंग डे टेस्ट में सचिन तेंदुलकर पहली पारी में अपनी कम क्षमता के कारण नहीं बल्कि ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद के डर के कारण आउट हुए। अगली पारी में उन्होंने किसी भी ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद को न खेलने का जोखिम उठाने के लिए मानसिक रूप से तैयारी की और इसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक दोहरा शतक बनाया। -प्रियंका सौरभ 13वीं...
क्रिकेट की ये दीवानगी कहाँ ले जायेगी ?

क्रिकेट की ये दीवानगी कहाँ ले जायेगी ?

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-विनीत नारायण23 साल के राहुल ने कोलकाता में आत्महत्या कर ली। वो क्रिकेट के विश्व कप में भारतीय टीम की हार का सदमाबर्दाश्त नहीं कर सका। ये तो एक उदाहरण है। देश के अन्य हिस्सों में दूसरे नौजवानों ने हार के सदमे को कैसे झेलाइसका पूरा विवरण उपलब्ध नहीं है। यह सही है कि अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अपने देश की टीम के साथदेशवासियों की भावनाएँ जुड़ी होती हैं और इसलिए जब परिणाम आशा के विपरीत आते हैं तो उस खेल के चाहनेवाले हताश हो जाते हैं। खेलों में हार जीत को लेकर अक्सर प्रशंसकों के बीच हाथापाई या हिंसा भी हो जाती है।इसके उदाहरण हैं, दक्षिणी अमरीका के देश जहां फुटबॉल के मैच अक्सर हिंसक झड़पों में बदल जाते हैं। यूरोप औरअमरीका में भी लोकप्रिय खेलों के प्रशंसकों के बीच ऐसी वारदातें होती रहती हैं।अंतर्राष्ट्रीय खेलों में इसकी संभावना कम रहती है क्योंकि वहाँ खेलने वाली टीमों में जो बाहर से आती...
वैदिक शिक्षा : एक बेहतरीन पहल

वैदिक शिक्षा : एक बेहतरीन पहल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
वैदिक शिक्षा : एक बेहतरीन पहल* इसे भारत का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आजादी के बाद देश में वैदिक ज्ञान को शिक्षा प्रणाली में समुचित स्थान नहीं मिल पाया है जिसका नतीजा समाज में नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट है। कहने को वेदों को शिक्षा प्रणाली से जोडऩे के लिए 100 करोड़ रुपए की परियोजनाएं बनाई गई हैं। यह धनराशि केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है। गौरतलब है कि वैदिक शिक्षा पर आधारित बोर्ड से दसवीं और बारहवीं कक्षा पास करने वाले छात्र अब उच्च शिक्षा के लिए किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने के पात्र होंगे। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा नामित निकाय, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) द्वारा लिए गए निर्णय पर आधारित है। वैदिक शिक्षा सांस्कृतिक दृष्टि पर बल देती थी।इसके मुताबिक शिक्षित व्यक्ति को साहित्य, कला, संगीत आदि की ...
क्यों नहीं अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर भरोसा ?

क्यों नहीं अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर भरोसा ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
हालिया अध्ययन ने पुष्टि की है कि शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण माता-पिता को सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं है और वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना पसंद करते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें ट्यूशन और अन्य फीस पर काफी अधिक खर्च करना पड़े। आज देश भर के सरकारी स्कूल गरीबों और अशिक्षितों के बच्चों का सहारा बन गए, जहां उन्हें नौकरशाही और शिक्षक संघों की दया पर रहना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप इन स्कूलों के लिए स्थापित मानकों-पाठ्यपुस्पुतकों की गुणवत्ता और प्रासंगिकता, विद्यार्थियों की उपलब्धियों का निरीक्षण का विकास थम गया। आज नब्बे प्रतिशत से ज्यादा सार्वजर्वनिक खर्च की राशि भारतीय स्कूलों में अध्यापकों के वेतन और प्रशासन पर ही खर्च होती है। फिर भी विश्व में बिना अनुमति अवकाश लेने वाले अध्यापकों की संख्या भारत में सबसे अधिक है। हमारे स्कूलों में अध्यापक आते ही नहीं हैं और चार में...