भारत जीवन दर्शन के साथ उदित होने की ओर अग्रसर
अवधेश कुमारहम अंग्रेजों से अपनी मुक्ति का 75 वर्ष पूरा कर चुके हैं। इसे अमृत महोत्सव नाम दिया गया था। जब सूर्य लालिमा के साथ निकल रहा हो और उसका पूर्ण उदय नहीं हुआ हो उसे ही अमृत काल कहते हैं। स्वीकार करना होगा की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को अमृत काल नाम देने के पीछे सोच अत्यंत गहरी है। साफ है कि काफी विचार-विमर्श के बाद अमृत काल नाम दिया गया होगा। राजनीति और मीडिया के बड़े वर्ग ने वातावरण ऐसा बना दिया है जिसमें स्वतंत्रत भारत की स्थिति, स्वतंत्रता संघर्ष के सपने, स्वतंत्रता मिलने के समय की परिस्थितियां, नेताओं की भूमिका आदि पर सच बोलना कठिन हो गया है। कौन उसमें से क्या अर्थ निकालकर बवंडर खड़ा कर देगा अनुमान लगाना आज मुश्किल होता है। स्थिति ऐसी बना दी गई है कि आज विभाजनकालीन परिस्थितियों की बात करने से जानकार लोग भी डरने लगे हैं। पता नहीं कौन उन्हें सांप्रदायिक और क्या-क्या घोषित कर देगा...