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भारत जीवन दर्शन के साथ उदित होने की ओर अग्रसर

भारत जीवन दर्शन के साथ उदित होने की ओर अग्रसर

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अवधेश कुमारहम अंग्रेजों से अपनी मुक्ति का 75 वर्ष पूरा कर चुके हैं। इसे अमृत महोत्सव नाम दिया गया था। जब सूर्य लालिमा के साथ निकल रहा हो और उसका पूर्ण उदय नहीं हुआ हो उसे ही अमृत काल कहते हैं। स्वीकार करना होगा की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को अमृत काल नाम देने के पीछे सोच अत्यंत गहरी है। साफ है कि काफी विचार-विमर्श के बाद अमृत काल नाम दिया गया होगा। राजनीति और मीडिया के बड़े वर्ग ने वातावरण ऐसा बना दिया है जिसमें स्वतंत्रत भारत की स्थिति, स्वतंत्रता संघर्ष के सपने, स्वतंत्रता मिलने के समय की परिस्थितियां, नेताओं की भूमिका आदि पर सच बोलना कठिन हो गया है। कौन उसमें से क्या अर्थ निकालकर बवंडर खड़ा कर देगा अनुमान लगाना आज मुश्किल होता है। स्थिति ऐसी बना दी गई है कि आज विभाजनकालीन परिस्थितियों की बात करने से जानकार लोग भी डरने लगे हैं। पता नहीं कौन उन्हें सांप्रदायिक और क्या-क्या घोषित कर देगा...
Migrant threat  in  USA , Canada , Europe and Australia

Migrant threat  in  USA , Canada , Europe and Australia

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
N.S.Venkataraman    It is reported that the United Kingdom had a high level of knife related crimes  with 50,489 knife related incidents reported in the year ending March,2022.  In the United Kingdom, there was a 7% increase in the number of knife related threats to kill  over the year 2021. These days, shootings in malls , schools and other busy places in the USA are reported  frequently ,  injuring and killing innocent people.  There was huge violence in France a few weeks back, when  an African had to be shot down by the police  due to violation of traffic rules.  In Canada too , shootings in public places are often reported.  Conditions in Australia seem to be  no better. Many discerning observers think that su...
लालकिले की प्राचीर से लोकसभा चुनावों का शंखनाद

लालकिले की प्राचीर से लोकसभा चुनावों का शंखनाद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से किया विकास के वादे साथ अपनी वापसी का दावामृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से से देश को लगातार दसवीं बार संबोधित किया।इस अवसर का लाभ उठाते हुए जहां उन्होंने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं वहीं अपनी गारंटी देते हुए यह भविष्यवाणी भी कर दी कि 2024 की 15 अगस्त को देश की उपलब्धियां बताने के लिए वो ही फिर से आएंगे। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री ने आगामी लोकसभा चुनावों के पूर्व ही यह भविष्यवाणी कर दी कि अगली बार मैं ही देश की उपलब्धियां बताने के लिए आऊंगा। स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री के इस दावे से भाजपा विरोधी ताकतों को सिर दर्द होने लगा और उनकी हताशा भरी प्रतिक्रियाएं आनी प्रारंभ हो गयीं।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के आरम्भ में ही मणिपुर की हिंसा सहित हिमांचल और ...
सीमा और अंजू का प्रेम

सीमा और अंजू का प्रेम

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आचार्य भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में आठ स्थायी भावों और उन पर आधारित आठ रसों को बताया गया है। सर्वप्रथम रस श्रृंगार रस को दो भागों विभक्त किया गया है, संयोग श्रृंगार व वियोग श्रृंगार। संयोग श्रृंगार के अन्तर्गत रति का भाव होता है, जिसमें नायक, नायिका विभिन्न प्रकार के हाव-भाव से एक दूसरे को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। इसी भाव से सम्बन्धित दो प्रकरणों ने समस्त जनता को प्रेम की नवीन परिभाषा पर चिन्तन करने के लिए विवश कर दिया है।प्रेम और जल का प्रवाह एक समान होता है। जब जल नदियों में उफनता है तब उसके प्रवाह को रोकना किसी के लिए भी सरल नहीं होता। उसी प्रकार जब प्रेम परवान चढ़ता है तो वह देश-विदेश के सामाजिक, पारिवारिक बंधनों की परवाह नहीं करता। समाज में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनमें अन्तोत्गत्वा प्रेम के असीम प्रवाह के समक्ष परिवार व समाज को नतमस्तक होना ही पड़ा है अन्यथा निर्दयी समाज कभी-...
टोल का झोल, टैक्स पर टैक्स और खराब सड़कों के लिए टोल टैक्स क्यों?

टोल का झोल, टैक्स पर टैक्स और खराब सड़कों के लिए टोल टैक्स क्यों?

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सड़क विकास और रखरखाव के वित्तपोषण के लिए टोल एकत्र किए जाते हैं। परिणामस्वरूप, यह टोल टैक्स लगाकर नवनिर्मित टोल सड़कों की लागत की भरपाई करता है। यह टोल सड़कों के रखरखाव के लिए भी शुल्क लेता है। टोल टैक्स एनएचएआई को आय प्रदान करता है, जिसे विभिन्न निजी पार्टियों/ठेकेदारों को वितरित किया जाता है। कई ऐसी सड़कें हैं जहां बड़ी संख्या में गड्ढे मौजूद हैं। टोल सड़कें रखरखाव की बहुत खराब स्थिति में हैं। फ़ास्ट टैग प्रणालियाँ दोषपूर्ण या धीमी हैं जिसके कारण भारी देरी और असुविधा होती है। यह या तो ऑपरेटरों की अक्षमता या रखरखाव की कमी है। सरकार की ओर से बड़े-बड़े दावे करने का कोई मतलब नहीं है। इस मुद्दे को उच्चतम स्तर पर उठाया जाना चाहिए। अब इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कंपनियां भी प्रवेश कर रही है। ये अपने फायदे के लिए काम करती है और खूब पैसा वसूल करती है तभी आप देख रहे है कि देश भर में अरबों ...
संवेदनशील क्षेत्रों में हिंसा का मुकाबला।

संवेदनशील क्षेत्रों में हिंसा का मुकाबला।

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ऐसे कई उदाहरण हैं जहां विकास कार्यक्रमों और दृष्टिकोणों से हिंसा का मुकाबला करने में सकारात्मक परिणाम मिले हैं। "राजस्थान मदरसा बोर्ड" पहल राज्य में पारंपरिक इस्लामी स्कूलों (मदरसों) के आधुनिकीकरण पर केंद्रित है। धार्मिक अध्ययन के साथ-साथ पाठ्यक्रम में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों को शामिल करके, इसने छात्रों को अधिक सर्वांगीण शिक्षा प्रदान की। परिणामस्वरूप, छात्र चरमपंथी विचारधाराओं के प्रति कम संवेदनशील हो गए। आंध्र प्रदेश में "सद्भावना" परियोजना का उद्देश्य विविध समुदायों के बीच सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है। इसने विभिन्न धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को सामुदायिक कार्यक्रमों, खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक साथ लाया। इससे समझ बढ़ी, अविश्वास कम हुआ और समुदायों के बीच मजबूत संबंध बनाने में मदद मिली। "उड़ान" कार्यक्रम कश्मीर घाटी में युवाओं को कौशल विकास और नौकरी प्रशि...
एक गरीब पिछड़ा जिला पर सांप्रदायिकता में अव्वल

एक गरीब पिछड़ा जिला पर सांप्रदायिकता में अव्वल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
हरियाणा में नूंह के सांप्रदायिक अंधड़ के बाद की कार्रवाई जारी है, लेकिन क्या दबा-छिपा है, उसकी संभावनाएं कोई भी भी नहीं बता सकता । सर्वोच्च अदालत का आदेश है कि सरकारें तय करें कि कोई नफरती भाषण न दिया जाए। माहौल को भडक़ाया-उकसाया न जाए। हिंसा की कोई गुंजाइश न हो| यह जिम्मेदारी हरियाणा, दिल्ली, उप्र और केंद्र की सरकारों की तय की गई है। अदालत ने जुलूस, रैली, प्रदर्शन आदि की वीडियोग्राफी और रिकॉर्डिंग के भी आदेश दिए हैं। फिलहाल सुनवाई जारी है। नूंह हिंसा के पूरे प्रकरण में मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी, कथित गोरक्षकों, को ‘खलनायक’ चित्रित किया गया है। क्या सिर्फ दो हिंदूवादी चेहरों के कारण हरियाणा के एक संवेदनशील इलाके को हिंसा और दंगे की आग में झोंका गया? सांप्रदायिक दोफाड़ के हालात पैदा किए गए? मासूम लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हुए। जिला अदालत की अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्टे्रट...
बहुत घातक है ये “कृत्रिम मिठास”

बहुत घातक है ये “कृत्रिम मिठास”

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आज का “प्रतिदिन” चेतावनी है, सरकार से अपेक्षा है और उन सारे लोगों को सलाह है जो मिठास के लिए चीनी के विकल्प के रूप में रासायनिक मिठास ‘शुगर फ्री’ का उपयोगकर रहे हैं। इस कृत्रिम मिठास से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले घातक प्रभावों को लेकर नये सिरे से बहस छिड़ हुई है। कृत्रिम रूप से खाद्य पदार्थों को मीठा करने वाले एस्पार्टेम को कैंसर कारक के रूप में वर्गीकृत तो किया गया है, लेकिन इसके सेवन को लेकर निर्णायक चेतावनी जारी न किये जाने पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण व खाद्य सुरक्षा विभाग के तहत दो समूहों में हजारों वैज्ञानिकों के शोध अध्ययन सामने के बाद कृत्रिम मीठे को कैंसर के कारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। ये निष्कर्ष सामने आना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया में भीमकाय कंपनियां कृत्रिम मीठे से बने उत्पादों का खरबों रुपये का कारोबार करती हैं। साथ ही ...
मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक, साहित्य संवाद
मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं।  -प्रियंका सौरभभारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? भारतीय मध्यम वर्ग वह वर्ग है जिसे समाज में अपनी मान मर्यादा को भी बनाए रखना होता है। बच्चों की शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान देना होता है तथा समाज में क्या चल रहा है? इसका भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों के विवाह पर भी इन्हें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त दूसरे के यहां भी कोई फंक्शन होने प...
मेवात- चूक कहाँ हुई ?

मेवात- चूक कहाँ हुई ?

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, सामाजिक
-एक समय था जब अनेक स्थानों पर मुस्लिम दुबारा हिन्दू बनना चाहते थे. परन्तु हमने रोटी बेटी का रिश्ता नहीं जोड़ा. हरियाणा के मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र में आर्य समाज के स्वामी समर्पणानंद जी ने मुस्लिम नेताओं के सामने हिन्दू बनने का प्रस्ताव रखा था, इसके उत्तर में उस समय के मुस्लिम नेता खुर्शिद अहमद, जो स्वयं धोती कुर्ता पहनते थे और पगड़ी बांधते थे- ने स्वामी दी के प्रस्ताव के उत्तर में कहा था, बाबा जी हिन्दू लोग हमारी लड़कियाँ तो ले लेंगे, हमारी लड़कियाँ सुन्दर होती हैं परन्तु हमारे लड़कों को आपके लोग लड़की देंगे ? यह प्रस्ताव कार्यान्वित नहीं हो सका | उस घटना को लगभग 50 साल हो चुके हैं. मेवात में हिन्दूओं की सैंकड़ों बेटियां लव जेहाद का शिकार हो कर मुस्लिम बन चुकी हैं. -अब यह समस्या लाइलाज बन चुकी है क्योंकि 1980 के बाद आए पेट्रोडालर ने बाजी ही पलट दी है. सऊदी पैसा आने के बाद उत्तरप्रद...