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मणिपुर : सियासी रोटियां न सेंकी जाएं

मणिपुर : सियासी रोटियां न सेंकी जाएं

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बलबीर पुंज मणिपुर में दो महिलाओं के साथ जो हुआ, वह अक्षम्य है। परंतु क्या यह भारत के संदर्भ में अपवाद है? क्या भारत या शेष विश्व के किसी भूक्षेत्र में ऐसी बीभत्सता पहली बार हुई है? क्या कोई दावा कर सकता है कि इस पिशाची घटना के बाद ऐसे मामले रुक जाएंगे? कटु सत्य तो यह है कि महिलाओं से इस प्रकार का असहनीय आचरण अक्सर इसलिए होता है, क्योंकि जिन लोगों (अधिकांश राजनीतिक) पर इस प्रकार की नारकीय घटना को रोकने का दायित्व है, वे मूलत: बेईमान और तुच्छ मानसिकता से ग्रस्त है। मणिपुर मामले में समाज का एक वर्ग इसलिए गुस्सा नहीं है, क्योंकि 4 मई को दो महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ, वह बहुत शर्मनाक था, बल्कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्हें इस घटना पर सियासी रोटियां सेकने और भारत को कलंकित करने का अवसर मिल गया है। मणिपुर में जो काली इबारत लिखी गई, वह दुर्भाग्य से देश के अन्य भागों में भी किसी न किसी र...
सर्वसेवा संघ: सत्य और झूठ

सर्वसेवा संघ: सत्य और झूठ

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- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज महात्मा गांधी की मृत्यु के तत्काल बाद गांधी जी के प्रति श्रद्धाभाव रखने वाले और उनके आंदोलन से जुड़े सभी लोगों की एक बैठक हुई जिसमें स्वयं जवाहरलाल नेहरू, यू.एन. ढेबर, आचार्य विनोबा भावे आदि शामिल थे। इसमें गांधीजी की स्मृति में रचनात्मक कार्य जारी रखने के लिये एक गांधी स्मारक निधि के संग्रह का निर्णय लिया गया। वह निधि शासन में विराजमान श्ीार्ष लोगों की प्रेरणा से समाज से संचित हुई और वह एक बड़ी रकम हो गई। उससे गांधी स्मारक निधि एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान नामक शोध केन्द्र का संचालन प्रारंभ हुआ। बाद में निधि की देशभर में लगभग 12 प्रमुख शाखायें हो गईं। जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई सहित अनेक महत्वपूर्ण नगरांे में हैं। शासन ने सब जगह उनके लिये भूमि एवं भवन सुलभ कराये। जो आज भी चल रहे हैं।इन्हीं लोगों ने निर्णय लिया कि रचनात्मक कार्यकर्ताओं का एक अलग संग...
सौर व पवन ऊर्जा में भारत के कदम बेहतरी की ओर।

सौर व पवन ऊर्जा में भारत के कदम बेहतरी की ओर।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
आज भारत समेत संपूर्ण विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है और बढ़ती हुई जनसंख्या के बीच आज के इस आधुनिक समाज की अधिकांश गतिविधियों के लिये ऊर्जा अत्यंत आवश्यक है। इसके पीछे कारण यह है कि ऊर्जा के उपयोग या उपभोग को सामान्यतः जीवन स्तर के सूचकांक के रूप में लिया जाता है। हम ऊर्जा को जलावन की लकड़ी, जीवाश्म ईंधन, एवं विद्युत के रूप में उपयोग करते हैं जिससे हमारा जीवन आरामदायक और सुविधाजनक व सरल बनता है। ऊर्जा के दो प्रकार के स्रोत हैं जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा और अनवीकरणीय ऊर्जा प्रमुख है। नवीकरणीय ऊर्जा के अंतर्गत क्रमशः सौर ऊर्जा, बायोमास, बायोडीजल, जलशक्ति (हाइड्रोपावर), पवन ऊर्जा, तरंग ऊर्जा (वेव एनर्जी), महासागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण, भूतापीय ऊर्जा तथा ईंधन कोष्ठिका तकनीक(फ्यूल सैल टेक्नोलॉजी जो हाइड्रोजन को विद्युत में बदलती है) तथा अनवीकरणीय ऊर्जा के अंतर्गत क्रमशः तेल(पेट्रोलियम)...
<strong>मानव जीवन को बचाने के लिये प्रकृति संरक्षण जरूरी</strong>

मानव जीवन को बचाने के लिये प्रकृति संरक्षण जरूरी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
- ललित गर्ग-विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। प्रकृति एवं पर्यावरण पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए एवं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव-जंतु, प्राकृतिक स्रोत एवं वनस्पति विलुप्त होने के कारण इस दिवस की प्रासंगिकता बढ़ गयी है। आज चिन्तन का विषय न तो युद्ध है और न मानव अधिकार, न कोई विश्व की राजनैतिक घटना और न ही किसी देश की रक्षा का मामला है। चिन्तन एवं चिन्ता का एक ही मामला है लगातार विकराल एवं भीषण आकार ले रही गर्मी, सिकुड़ रहे जलस्रोत, विनाश की ओर धकेली जा रही पृथ्वी एवं प्रकृति के विनाश के प्रयास। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता प्रदूषण, नष्ट होता पर्यावरण, दूषित गैसों से छिद्रित होती ओजोन की ढाल, प्रकृति एवं पर्यावरण का अत्यधिक दोहन- ये सब पृथ्वी एवं पृथ्वीवासियों के लिए सबसे बडे़ खतरे हैं और इन खतरों का अहसास करना ही विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का ध्ये...
<strong>Opposition parties in India naming their group as” INDIA “mischievous and condemnable</strong>

Opposition parties in India naming their group as” INDIA “mischievous and condemnable

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
N.S.Venkataraman   The recently concluded meeting  of some opposition parties in Bangalore to jointly put their efforts to defeat the Prime Minister Modi in the 2024 election, has named their group as Indian National Developmental  Inclusive  Alliance , which can otherwise  be referred as  “INDIA”  in short. This nomenclature has caused considerable surprise and anxiety amongst the discerning people. Of course, there are a number of political parties in India and the name of such parties  have the term India included such as Indian National Congress, Communist Party of India, All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam.  and so on. There is nothing wrong in having such names with India being there.  However, having a name only ...
<strong>हिंदू राष्ट्रवाद के पितामह थे लोकमान्य तिलक</strong>

हिंदू राष्ट्रवाद के पितामह थे लोकमान्य तिलक

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-ः ललित गर्ग:- बाल गंगाधर तिलक प्रखर राष्ट्रवादी, हिन्दूवादी नेता एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे। वे समाज सुधारक, राष्ट्रीय नेता, थे जिन्हें भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञान में महारथ हासिल थी। तिलक ने ही सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी। स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूंगा। इस नारे ने बहुत से लोगों को प्रोत्साहित किया था। आजादी के परवानों के लिए ये महज कुछ शब्द भर नहीं थे बल्कि एक जोश, एक जुनून था जिसके जरिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां देकर मां भारती को अंग्रेजों से आजादी दिलाई। इस वाक्य को पढ़ने और सुनने वाले को बाल गंगाधर तिलक की याद आ ही जाती है। लोकमान्य का अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत किया गया नेता। लोकमान्य के अलावा इनको हिंदू राष्ट्रवाद का पितामह भी कहा जाता है।बाल गंगाधर तिलक भारतीय राष्ट्रीय...
मणिपुर चीरहरण विशेष

मणिपुर चीरहरण विशेष

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चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौनप्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं। घटना का वीडियो बहुत परेशान करने वाला है। समाज में रहने वाला व्यक्ति इस वीडियो को देखते ही गुस्से से लाल हो रहा हैं,  इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी क़ीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है। हमें स्मरण रखना चाहिए- स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान.. आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक ...
इतनी देर से क्यों जागा डीजीसीए?

इतनी देर से क्यों जागा डीजीसीए?

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*रजनीश कपूरजब भी कभी कोई विमान हादसा होता है या होते-होते टल जाता है तो भारत का नागर विमानन महानिदेशालययानी डीजीसीए ऐसी घटना की जाँच करता है। ऐसे मामलों में जाँच पूरी होने तक डीजीसीए उस विमान केपायलट व क्रू को ‘ग्राउंड’ कर देता है यानी उड़ान भरने पर रोक लगा देता है। सवाल है कि क्या डीजीसीए का सिर्फ़इतना ही फ़र्ज़ है? सवाल ये भी है कि क्या ऐसी दुर्घटनाओं के बाद की जाने वाली ऐसी जाँच में केवल एयरलाइनके स्टाफ़ की ही गलती क्यों सामने आती है? क्या डीजीसीए के अधिकारियों को हवाई जहाज़ की नियमित जाँचऔर रख-रखाव की पड़ताल नहीं करनी चाहिए, जो उनका फ़र्ज़ है? यदि डीजीसीए द्वारा ऐसे निरीक्षण समय-समय पर होते रहें तो ऐसे हादसे टाले जा सकते हैं।आज हम देश की एक नामी एयरलाइन इंडिगो के बारे में बात करेंगे। निजी क्षेत्र की यह एयरलाइन पिछले महीनेकाफ़ी सुर्ख़ियों में रही। कारण था इसके विमानों में लैंडिंग के सम...
अनुवाद एक सेतु है

अनुवाद एक सेतु है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हर भाषा का अपना एक अलग मिज़ाज होता है,अपनी एक अलग प्रकृति होती है जिसे दूसरी भाषा में ढालना या फिर अनुवादित करना असंभव नहीं तो कठिन ज़रूर होता है।भाषा का यह मिज़ाज इस भाषा के बोलने वालों की सांस्कृतिक परम्पराओं,देशकाल-वातावरण,परिवेश,जीवनशैली,रुचियों,चिन्तन-प्रक्रिया आदि से निर्मित होता है।अंग्रेजी का एक शब्द है ‘स्कूटर’। चूंकि इस दुपहिये वाहन का आविष्कार हमने नहीं किया,अत: इससे जुड़ा हर शब्द जैसे: टायर,पंक्चर,सीट,हैंडल,गियर,ट्यूब आदि को अपने इसी रूप में ग्रहण करना और बोलना हमारी विवशता ही नहीं हमारी समझदारी भी कहलाएगी । इन शब्दों के बदले बुद्धिबल से तैयार किये संस्कृत के तत्सम शब्दों की झड़ी लगाना स्थिति को हास्यास्पद बनाना है।आज हर शिक्षित/अर्धशिक्षित/अशिक्षित की जुबां पर ये शब्द सध-से गये हैं। स्टेशन,सिनेमा,बल्ब,पावर,मीटर,पाइप आदि जाने और कितने सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा के ...
<strong>क्यों तड़प उठी दिल्ली में यमुना नदी</strong>

क्यों तड़प उठी दिल्ली में यमुना नदी

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
आर.के. सिन्हा जब भी किसी भी नदी की धारा सूख जाती है, तो लोग उसमें अपना घर बना लेते हैं या तरह-तरह के अतिक्रमण कर लेते हैं और जब बारिश के दिनों में नदी अपने वास्तविक स्वरूप में लौटती है तो कहा जाने लगता है कि देखो,   बाढ़ आ गई। आज जब यमुना अपनी अस्तित्व तो बचाने के लिए अपने पूरे सामर्थ्य के  साथ दिल्ली के लोगों और दिल्ली की गंदगी दोनों से एक साथ लड़ रही है तो दिल्ली भर में हाहाकार मचा हुआ है। सच में, दिल्ली के द्वारा दिए गए कष्ट से ही तड़प उठी है यमुना। दिल्ली को अपनी यमुना को तो हर सूरत में बचाना ही होगा। हालत तो यह बन गई है कि जो यमुना दिल्ली की जीवन रेखा मानी जाती थी, अब उसमें तमाम शहर की गंदगी, गंदे कपड़े,   कबाड़,पॉलिथीन मरे हुए जानवरों फैक्ट्रियों कारखानों से निकलने वाले जहरीले रासायनिक तत्व मिलाए जा रहे हैं। जो यमुना नदी दिल्ली की ...