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<strong>Why Delhi, Mumbai, </strong>Bengaluru<strong>  infrastructure is in tatters</strong>

Why Delhi, Mumbai, Bengaluru  infrastructure is in tatters

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण
 Time to save big cities Vivek Shukla Barely two months before New Delhi has to host a prestigious G-20 summit that would be attended by heads of states of 20 most powerful nations of the world, the national capital is in tatters due to flooding in river Yamuna and heavy rains. If the flood waters have entered the houses of rich and poor, the water logging across the capital has exposed the callous attitude of all those who are supposed to look after the civic affairs of the city. Imagine the flood waters of Yamuna have entered the plush houses of the rich and famous in the Civil Lines area. This place is at a shouting distance from the official residence of Delhi’s Chief Minister Arvind Kejriwal. Even the Managing Director of famous Sadhna TV Rakesh Gupta and his family was ...
पश्चिम के खेल – प्रशांत सिंह

पश्चिम के खेल – प्रशांत सिंह

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार
मैप को देखिए, इसमें न्यूयॉर्क से मॉस्को के बीच का दो रास्ता दिखाया गया है, एक रास्ता सीधा है उसमे दूरी ज्यादा है, दूसरा रास्ता घुमावदार है उसमें दूरी कम है।क्या ये अजीब बात नहीं है कि घुमावदार रास्ते की दूरी ज्यादा होनी चाहिए थी मगर वो कम है !!इस सवाल आसान जवाब यह है कि मैप दरअसल पृथ्वी के शेप के अनुपात से नहीं बनाई गई है अर्थात पृथ्वी पर हम जैसे जैसे equater से pole की तरफ जाएंगे वैसे वैसे देशांतर (Longitude) के बीच की दूरी घटती जाती है और इस अनुपात में मैप को ऊपर बढ़ते हुए सिकुड़ते हुए बनाया जाना चाहिए था ताकि मैप में दूरी को सही तौर से रिप्रेजेंट किया जा सके,लेकिन मैप वैसा नही बनाया जाता, ऐसा क्यों होता है.? "पश्चिम ने जितना बड़ा बौद्धिक घोटाला कर रखा है, बेइमानी की सरहदें उतनी बार लांग रखी हैं अगर उसपर लिखा जाएगा तो उन घोटाले के ऊपर सैंकड़ों किताबों की एक लाइब्रेरी तैयार हो जाए...
क्यों पतियों को बीवी ‘नो-जॉब’ पसंद है ?

क्यों पतियों को बीवी ‘नो-जॉब’ पसंद है ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक, साहित्य संवाद
 इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को घर के अंदर समेटने का तरीका है उन्हें नौकरी न करने देना। पितृसत्ता के गुलाम लोगों को लगता है कि नौकरी करने अगर बहू घर के बाहर जाएगी, उसके हाथ में पैसे होंगे तो वो घर वालों को कुछ समझेगी नहीं। इसके पीछे की भावना होती है कि लड़की इंडिपेंडेंट होगी। वो अपने लिए खुद फैसले लेंगी और इससे उसपर उनका अधिकार कम होगा। लड़कियों और बहुओं को घर की इज्ज़त का नाम देकर घर में उनका जमकर शोषण किया जाता है। कई पुरुषों में यह सोच हावी है कि महिलाएं नौकरी करेंगी तो उनकी मोबिलिटी अधिक होगी, संपर्क अधिक बढ़ेगा। घर से बाहर निकल कर बाहर के पुरुषों से बात करेंगी। यह उन्हें बर्दाश्त नहीं होता है। पुरुषों को लगता है कि नौकरी करने पर महिलाएं उन पर आश्रित नहीं रहेंगी। वो खुद फैसले ले सकेंगी, उनकी चलेगी नहीं। इसलिए वो नौकरीपेशा महिलाओं को नहीं पसंद करते। -डॉ सत्यवान सौरभ ...
वैश्विकबाजारीशक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं

वैश्विकबाजारीशक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, राष्ट्रीय
सनातन भारतीय संस्कारों के अनुसार भारत में कुटुंब को एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया गया है एवं भारत में संयुक्त परिवार इसकी परिणती के रूप में दिखाई देते है। परंतु, पश्चिमी आर्थिक दर्शन में संयुक्त परिवार लगभग नहीं के बराबर ही दिखाई देते हैं एवं विकसित देशों में सामान्यतः बच्चों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करते ही, वे अपना अलग परिवार बसा लेते हैं तथा अपने माता पिता से अलग मकान लेकर रहने लगते हैं। इस चलन के पीछे संभवत आर्थिक पक्ष इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि जितने अधिक परिवार होंगे उतने ही अधिक मकानों की आवश्यकता होगी, कारों की आवश्यकता होगी, टीवी की आवश्यकता होगी, फ्रिज की आवश्यकता होगी, आदि। लगभग समस्त उत्पादों की आवश्यकता इससे बढ़ेगी जो अंततः मांग में वृद्धि के रूप में दिखाई देगी एवं इससे इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा। ज्यादा वस्तुएं  बिकने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लाभप्रदता में...
पंचायत चुनाव प्रबंधन- दीदी जरा सीखें योगी से

पंचायत चुनाव प्रबंधन- दीदी जरा सीखें योगी से

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा यूपी में विगत मई महीने में पंचायत चुनाव हुए और पश्चिम बंगाल में इसी जुलाई में। दोनों ही देश के आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से खास राज्य हैं। पर पंचायत चुनावों के दौरान जहां यूपी में पूर्ण शांति रही, वहीं पश्चिम बंगाल ने हिंसा,आगजनी और निर्मम हत्याएं होती देखीं। राजनीतिक एकाधिकार के लिए पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की संस्कृति अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में कहीं अधिक विद्रूप रूप धारण कर गई है। देखा जा रहा है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों की संस्कृति, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में हाल के कुछ वर्षों में यहां कुछ ज्यादा ही फली-फूली है। पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के दौरान खूब–खराबा हुआ जिसमें तीन दर्जन से अधिक राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। इस बात की पुष्टि करता है कि दीदी यानी ममता बनर्जी की सरकार सत्ता की हनक को बरकरार...
क्या टीपू सुल्तान न्यायप्रिय शासक था?

क्या टीपू सुल्तान न्यायप्रिय शासक था?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
४ मई को जिहादी गिद्ध टीपू सुल्तान अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करते हुए मारा गया था। टीपू सुल्तान के समर्थन में पाकिस्तान की सरकार का एका-एक प्रेम उमड़ा और उसने टीपू सुल्तान की याद पढ़े। बुद्धिजीवी समाज में सत्य और असत्य के मध्य भी एक युद्ध लड़ा जाता हैं। इसे बौद्धिक युद्ध कहते है। यहाँ पर तलवार का स्थान कलम ले लेती हैं और बाहुबल का स्थान मस्तिष्क की तर्कपूर्ण सोच ले लेती हैं। इसी कड़ी में इस बौद्धिक युद्ध का एक नया पहलु है टीपू सुल्तान, अकबर और औरंगजेब जैसे मुस्लिम शासकों को धर्म निरपेक्ष, हिन्दू हितैषी ,हिन्दू मंदिरों और मठों को दान देने वाला, न्याय प्रिय और प्रजा पालक सिद्ध करने का प्रयास। इस कड़ी में अनेक भ्रामक लेख प्रकाशित किये जा रहे हैं। इन लेखों में इतिहास की दृष्टी से प्रमाण कम है,शब्द जाल का प्रयोग अधिक किया गया है। परन्तु हज़ार बार चिल्लाने से भी असत्य सत्य सिद्ध नहीं हो जाता। इस ...
सरकारी भ्रष्ट्राचार का प्रमाण मिटाती और जेबें भी गर्म करती है बाढ

सरकारी भ्रष्ट्राचार का प्रमाण मिटाती और जेबें भी गर्म करती है बाढ

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS
बाढ को सरकारी आमंत्रण भी मिलता है ==================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती मानसून की पहली बर्षा में ही त्राहिमाम मच गया। लाखों नहीं, करोड़ों नहीं, अरबो नहीं बल्कि खरबों रूपयों का नुकसान हो गया। इतना ही नहीं बल्कि इस बाढ में हमारी अर्थव्यवस्था भी डूब गयी है। भविष्य में हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बाढ विनाश का कारण भी बनेगी। पर समस्या तो यह भी है कि सरकार बाढ को आमंत्रण भी देती है। क्या सरकार की योजनाएं ग्लेशियरों से छेड़छाड़ नहीं करती हैं, क्या सरकार की योजनाएं नदियों के प्रवाह से छेड़छाड़ नहीं करती हैं, क्या सरकार अपनी रिश्वतखोरी के प्रतीक पुल और सड़कों आदि का भौतिक अस्तित्व मिटाने और अपनी रिश्वतखोरी की सबूत मिटाने के लिए बाढ का इंतजार नहीं करती हैं? सरकारी अधिकारियों के समर्थन के बिना क्या नदियों के प्रवाह क्षेत्र और नालों पर अतिक्रमण संभव है? बाढ़ पीड़ितों के लिए आयी धन राशि सर...
एक और अनोखी उड़ान, क्या होगा भारत का चाँद ?

एक और अनोखी उड़ान, क्या होगा भारत का चाँद ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार, सामाजिक
सांप और साधुओं का देश कहा जाने वाला भारत आज स्पेस टेक्नोलॉजी में दुनिया के ताकतवर देशों के साथ खड़ा है। भारत का लक्ष्य अपने चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनना है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का रोवर चांद की सतह का अध्ययन करेगा और यह लैंडर के अंदर बैठकर जा रहा है। इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा। लैंडर के मिशन की पूरी अवधि एक चंद्र दिवस की रहने वाली है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। पिछली बार क्रैश लैंडिंग हुई थी। पर इस बार अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बनने के लिए तैयार है। 'स्पेस के क्षेत्र में हमारी विशेषज्ञता में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। चांद को चूमने में अब भारत को ज्यादा इंतजार नहीं करना है।' -प्रियंका सौरभ ...
राजनीतिक वादे और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

राजनीतिक वादे और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
मध्यप्रदेश सहित पाँच राज्य विधानसभा चुनाव की दहलीज़ पर खड़े हैं। इन राज्यों में एक समान नौटंकी शुरू होने जा रही है, वादों की नौटंकी। यह विडंबना ही है कि जनता के हितों की दुहाई देकर सत्ता में आने पर राजनीतिक दलों द्वारा किए गये वादे और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। वे दावे तो आसमान से तारे तोड़ लाने के करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक ही होती है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि थोड़े से काम को इस तरह प्रचारित किया जाता है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। जबकि हकीकत में जनता के करों से अर्जित धन को निर्ममता से प्रचार-प्रसार में उड़ाया जाता है। विकास की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज करके सरकारी धन को विज्ञापनों व फिजूलखर्ची में उड़ाने वाली एक राज्य सरकार, दिल्ली सरकार की कारगुजारियों पर शीर्ष अदालत की फटकार को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। अदालत ने सख्त लहजे में कहा भी कि ऐसा क्यों है कि ...
हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर बदनुमा दाग

हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर बदनुमा दाग

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-ः ललित गर्ग:- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को हिंसक प्रतिस्पर्धा में नहीं बदला जा सकता, लोकतंत्र का यह सबसे महत्वपूर्ण पाठ पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस एवं अन्य राजनीतिक दलों को याद रखने की जरूरत है। जैसाकि पश्चिम बंगाल में इन दिनों पंचायत चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा देखने को मिली, इससे पूर्व वर्ष 2013 और 2018 के पंचायत चुनावों में भी ऐसी ही हिंसा सामने आई। 2019 के लोकसभा चुनावों में एवं 2021 के विधानसभा चुनावों में भी व्यापक हिंसा हुई थी। अब पंचायत चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद राजनीतिक दल एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। राज्य चुनाव आयुक्त भी बेबस बना हुआ इस हिंसा का जिम्मेदार जिला प्रशासन को ठहराकर अपना पल्ला झाड़ना चाहता है। निश्चित ही हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है। आखिर यह किस लोकतंत्र का चेहरा है। इस तरह की हिंसा से कोई जीत भी गया तो वह कि...