लोकतंत्र में पारदर्शिता
लोकतंत्र में पारदर्शिता
लोकतंत्र की वास्तविक पहचान पारदर्शिता में निहित होती है। यदि किसी देश के लोकतंत्र में पारदर्शिता नहीं दिखाई देती है तो उस देश में लोकतंत्र का अस्तित्व खतरे में होता है। लोकतंत्र जनता का विश्वास है और जब लोकतंत्र में पारदर्शिता समाप्त हो जाती है तो जनता का विश्वास भी धीरे-धीरे समाप्त प्राय होना प्रारम्भ हो जाता है। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जो भी पार्टी सत्ता में आयी, उसने सर्वप्रथम परदर्शिता पर प्रहार किया, परिणामस्वरूप वे सभी पार्टियाँ प्रचण्ड बहुमत प्राप्त करने के पश्चात भी शनै-शनै विघटन की ओर अग्रसर हो गईं।
लोकतंत्र की पारदर्शिता का प्रदर्शन सर्वप्रथम चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली से ही होना चाहिए। यदि चुनाव आयोग ही स्वयं में सशक्त नहीं हैं तो वह देश के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है। आज भी पूर्व चुनाव आयुक्त टी0एन0 शेषन जी के योगदान को जनत...