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सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

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आर.के. सिन्हा सुप्रीम कोर्ट में देश की आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी सिर्फ अंग्रेजी में ही जिरह करने की अनिवार्यता बताना उन तमाम भारतीय भाषाओं की अनदेखी और अपमान ही माना जाएगा, जिसमें इस देश के करोड़ों लोग आपस में संवाद करते हैं। अंग्रेजी से किसी को ऐतराज़ भी नहीं है। अंग्रेजी एक तरह से विश्व संवाद की एक भाषा है और हमारे अपने देश में भी इसका हर स्तर पर उपयोग होता है। जहाँ ज़रूरी होने में हर्ज भी नहीं है। पर सुप्रीम कोर्ट में तो सिर्फ इसी का उपयोग किया जा सकता है। यह सही कैसे माना जाए? यह तो अंग्रेजों की गुलामी को दर्शाने वाली व्यवस्था है जो तत्काल खत्म होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में कुछ समय पहले ही एक अलग ही तरह का शर्मनाक मामला देखने को मिला जहां हिंदी में दलील दे रहे एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने टोक दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा जैसे ही अपने के...
राहुल का अद्भुत भोलापन

राहुल का अद्भुत भोलापन

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक राहुल गांधी की मध्यप्रदेश-यात्रा सर्वाधिक सफल रहने की उम्मीद है। पिछले तीन-चार दिनों में मुझे यहां के कई शहरों और गांवों से गुजरने का अवसर मिला है। जगह-जगह राहुल, कमलनाथ, दिग्विजयसिंह और स्थानीय नेताओं के पोस्टरों से रास्ते सजे हुए हैं। लेकिन राहुल के कुछ बयान इतने अटपटे होते हैं कि वे इस यात्रा पर पानी फेर देते हैं। जैसे जातीय जन-गणना और सावरकर पर कुछ दिन पहले दिए गए बयानों ने यह सिद्ध कर दिया था कि वह अपनी दादीजी और माताजी की राय के भी विरूद्ध बोलने का साहस कर रहे हैं। ये कथन सचमुच सा​हसिक होते तो प्रशंसनीय भी शायद कहलाते। लेकिन वे साहसिक कम अज्ञानपूर्ण ज्यादा थे। इसके लिए असली दोष उनका है, जो राहुल को पर्दे के पीछे से पट्ठी पढ़ाते रहते हैं। अब मप्र के महान स्वतंत्र​ता-सेनानी टंट्या भील के जन्म स्थान पर पहुंचकर उन्होंने कह दिया कि टंट्या भील ने अंग्रेजों के विरुद्...
धरती संरक्षण की राह तलाशती दुनिया

धरती संरक्षण की राह तलाशती दुनिया

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विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस -26 नवम्बर 2022-ललित गर्ग-विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस  प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए मनाते हैं। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब दो-तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण से जुड़ी हुई है, बढ़ता प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, भयंकर तूफान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदाओं का होना आदि ज्वलंत समस्याएं विकराल होती जा रही है। ये समस्याएं जितनी गंभीर होती जा रही है, इससे निपटने के गंभीर प्रयासों का उतना ही अभाव महसूस हो रहा है। अमीर एवं शक्तिशाली देश इस वैश्विक समस्या के प्रति उदासीन है। गरीब देश इस समस्या से जूझ रहे हैं और उनके पास इसके निदान के ...
दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है बैक्टीरियल इन्फेक्शन

दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है बैक्टीरियल इन्फेक्शन

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लैंसेट में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि ह्रदय रोग के बाद बैक्टीरियल इन्फेक्शन दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा है। ह्रदय रोगों में दिल का दौरा भी शामिल है। पता चला है कि 2019 में इन्फेक्शन की वजह से दुनिया भर में 1.37 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। मतलब कि हर आठ में से एक मौत के लिए यह इन्फेक्शन ही जिम्मेवार था। इनमें से 77 लाख मौतों के लिए केवल 33 जीवाणु रोगजनक जिम्मेदार थे, जोकि रोगाणुरोधी प्रतिरोधी और अतिसंवेदनशील दोनों ही हैं। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों में से 13.6 फीसदी मौतों के लिए यह 33 बैक्टीरियल पैथोजन ही जिम्मेदार हैं। वहीं यदि इससे होने वाली मृत्यु दर की बात करें तो वो प्रति लाख की आबादी पर 99.6 दर्ज की गई है।  यही वजह है कि जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित इस नई रिसर्च में 204 देशों में इन 33 जीवाणु रोगजनकों और 11 प्रकार के संक्रमणों...
पाकिस्तान में फौजी भ्रष्टाचार

पाकिस्तान में फौजी भ्रष्टाचार

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* पाकिस्तान की फौज को दुनिया की सबसे ज्यादा भ्रष्ट फौज माना जाता है। पाकिस्तान का हर महत्वाकांक्षी नौजवान फौज में भर्ती होना चाहता है, क्योंकि वहां मूंछों पर ताव देकर रहना और पैसा बनाना सबसे आसान होता है। पाकिस्तान के लोग फौजियों का जरूरत से ज्यादा सम्मान करते हैं या उनसे बहुत ज्यादा डरते हैं, कहा नहीं जा सकता। अब से लगभग 40 साल पहले जब मैं पहली बार पाकिस्तान गया तो रावलपिंडी में फौज के मुख्यालय के पास एक दुकान में किताबें खरीदने गया। मुझे देखते ही उस दुकान के मालिक और सारे कर्मचारी मुझे सेल्यूट मारने लगे, क्योंकि उन दिनों मैं सफारी सूट पहना करता था और मूंछें भी थोड़ी बड़ी रखता था। किताबें चुनने के बाद जब मैंने बिल मांगा तो मालिक बोला, सर आप कैसी बात कर रहे हैं? मैं किताबें आपकी कार में रखवा चुका हूँ। मैं पाकिस्तान के कई राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और बड़े उद्योग...
सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है

सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है

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साभार...भारतीय सेना उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कल रात यह कहकर सनसनी फैला दी कि सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है !उन्होंने कहा कि बस भारत सरकार के आदेश की प्रतीक्षा है ! कुछ ही दिन बीते जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर में कहा था कि पीओके में कश्मीरी भाई नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं !उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार इधर के कश्मीर में निर्माण का दौर चला है वैसा ही विकास का दौर एक दिन गिलगित बाल्टिस्तान तक चलने वाला है ! सेना की ओर से ऐसा बयान ऐसे समय आया है जब सर्दियां सिर पर हैं । पाकिस्तान के भीतरी हालात कमजोर हैं , राजनैतिक नेतृत्व बेहद कमजोर है । बाजवा को सेनाध्यक्ष के पद से हटाने की तैयारी चल रही है । नए सेनाध्यक्ष को लेकर खुद सेना में भारी मतभेद हैं । याद रखिए , गृह मंत्री अमित शाह धारा 370 हटाते समय संसद में सीना ठोककर कह चुके हैं ...
वीर सावरकर कौन थे

वीर सावरकर कौन थे

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वीर सावरकर कौन थे..? जिन्हें आज कांग्रेसी और वामपंथी कोस रहे हैं! *ये 25 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा। इसको पढ़े बिना आज़ादी का ज्ञान अधूरा है!* *आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेली की उसके बारे में कल्पना करके ही इस देश के करोड़ों भारत माँ के कायर पुत्रों में सिहरन पैदा हो जायेगी।* *जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंने माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी। वो थे हमारे परम वीर सावरकर।* 1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के नि...
स्वयं से संघर्षरत पाकिस्तान

स्वयं से संघर्षरत पाकिस्तान

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-बलबीर पुंज पाकिस्तान का अगला सेनाध्यक्ष कौन होगा? 29 नवंबर को उसके वर्तमान सेना मुखिया जनरल कमर जावेद बाजवा का दूसरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट की माने, तो पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को जिन नामों की सूची भेजी है, उसमें— लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास प्रबल उम्मीदवार हैं। नए सेनाध्यक्ष का शरीफ बंधुओं (नवाज-शहबाज) और इमरान खान के बीच संबंध कैसा होगा? इन प्रश्नों के उत्तरों का पाकिस्तान के भविष्य से सीधा संबंध है। पाकिस्तानी सेना से सीधा टकराने वाले इमरान अगले सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में या तो सरकार-विपक्ष में आम-सहमति होने या इसे चुनाव तक टालने की बात कर रहे है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शरीफ सरकार द्वारा प्रस्तावित विकल्पों में जनरल मुनीर का हर समय नियमों से चलने वाला व्यवहार, इमरान को 'पसं...
जाकिर से आहत होती फीफा खेलों की संस्कृति

जाकिर से आहत होती फीफा खेलों की संस्कृति

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ललित गर्ग -कतर में फुटबॉल के ‘महाकुंभ’ फीफा विश्वकप 2022 का आयोजन प्रारंभ हो चुका है। अल खोर शहर के 60 हजार क्षमता वाले भव्य अल वायत स्टेडियम में दुनियाभर से फूटबाल प्रेमी पहुंचे हैं, जिनमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अरब देश में आयोजित यह पहला विश्वकप आयोजन है, जो भव्यतम खेल आयोजनों की दृष्टि से नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस आयोजन की अनेकानेक विलक्षण, आश्चर्यकारी घटनाओं एवं व्यवस्थाओं के बीच विवादित धर्मगुरु जाकिर नाइक को आमंत्रित कर खेल परम्पराओं पर साम्प्रदायिक विषता का रंग देने की कुचेष्ठा हुई है, निश्चित ही इससे अनेक प्रश्न खड़े हुए है, विवाद का वातावरण बना है, खेल की सौहार्द एवं सद्भावनामूलक भावनाओं को आहत किया गया है। क्योंकि जाकिर खेल देखने नहीं, बल्कि बाकायदा एक षडयंत्र एवं सोची समझी नीति के तहत फीफा विश्व कप के दौरान धार्मिक व्याख्यान देने...
कैसे लग जाते हैं विचारों को पंख?

कैसे लग जाते हैं विचारों को पंख?

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हमारे लिए लिखना जरुरी क्यू हैं? सागर की बड़ी –बड़ी लहरें आपको उन्माद से भर जाती हैं। आप लहरों संग ऊपर –नीचे करने लगते हो। समुद्र में उतरने से ही पहले।ऐसे में भला कहां समझ आता हैं कि जाएं या न जाएं। कानों में अलग-अलग आवाज़ें कैद होती रहती हैं और मचलने लगता है मन, कि चलो। अब तो चलना ही है । सार्थक रूप से बात करने या लिखने के लिए अनुभव और जीवन सीखने से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष अनुभव भी स्मृति में उकेरा जाता है और कोई भी वास्तव में पाठकों को अनुभव के बारे में विश्वास दिला सकता है। -प्रियंका सौरभ सभी लेखक और लेखक अक्सर अपने स्वयं के जीवन के अनुभवों के बारे में लिखते हैं। जीवन के अनुभव की कमी के कारण, कोई अर्थपूर्ण ढंग से नहीं लिख सकता या दर्शकों को बांध नहीं सकता। युद्ध में जाने का अनुभव इसके बारे में पढ़ने से अलग है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो व्यक्ति कभी सेना में नही...