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मोरबी पुल टूटने की सजा किसे?

मोरबी पुल टूटने की सजा किसे?

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मोरबी पुल टूटने की सजा किसे?* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* गुजरात के मोरबी में जो पुल टूटा है, उसमें लगभग डेढ़ सौ लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। मृतकों के परिजनों को केंद्र और गुजरात की सरकारें 6-6 लाख रु. का मुआवजा दे रही हैं और घायलों को 50-50 हजार का लेकिन यहां मूल प्रश्न यह है कि क्या सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी ही है? जो लोग मरे हैं, उनके परिजन 6 लाख रु. के ब्याज से अपना घर कैसे चलाएंगे? कई परिवार बिल्कुल अनाथ हो गए हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चों की मौत हुई है। कोई आश्चर्य नहीं कि उस पुल के हादसे में मृतकों की संख्या अभी और बढ़ जाए। लगभग 200 साल पुराने इस पुल की हालत काफी खस्ता थी। कई बार उस पर टूट-फूट हो चुकी है। गुजरात सरकार ने इस पुल के संचालन का ठेका एक गुजराती कंपनी को दिया था। पुल पर आने वाले हर यात्री को वह 17 रुपए का टिकट बेचती थी। लगभग 100 लोगों के ...
महाराष्ट्र-गुजरात से सीखों, मत बांटों इन्हें

महाराष्ट्र-गुजरात से सीखों, मत बांटों इन्हें

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महाराष्ट्र-गुजरात से सीखों, मत बांटों इन्हें आर.के. सिन्हा महाराष्ट्र और गुजरात में आजकल निजी क्षेत्र का निवेश आकर्षित करने को लेकर स्वस्थ स्पर्धा चल रही है। यह अपने आप में सुखद है। ये दोनों राज्य 1 मई, 1960 को अलग-अलग प्रदेश के रूप में देश के मानचित्र में आने से पहले “बॉम्बे स्टेट” के ही अंग थे। यानी वे एक ही प्रदेश का हिस्सा थे। यह सब जानते हैं। ये भाषाई आधार पर अलग-अलग होने के बावजूद एक दूसरे के बेहद निकट हैं।  हाल के दिनों में ही “टाटा एयरबस परियोजना” गुजरात के पाले में गई। यह परियोजना पहले महाराष्ट्र के लिए तय थी, जिसे बाद में गुजरात में स्थापित करने का फैसला किया गया। परियोजना की जगह में बदलाव को लेकर मचे विवाद के बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने सफाई दी। शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र के औद्योगिक क्षेत्र के लिए बड़े निवेश की तैयारी है। टाटा...
खड़गे – कांग्रेस का लोकतंत्र*

खड़गे – कांग्रेस का लोकतंत्र*

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खड़गे - कांग्रेस का लोकतंत्र* कांग्रेस पार्टी में 24 वर्षो के पश्चात अब पुनः लोकतंत्र की स्थापना हुई है। अब परिवारवाद का मजबूत किला ध्वस्त हो गया है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सम्पन्न हुआ और मल्लिकार्जुन खरगे का राज्याभिषेक हुआ। खरगे जो कर्नाटक के निवासी हैं और गांधी परिवार के निकटस्थ माने जाते हैं। यदि हम उनके अतीत पर दृष्टिपात करें तो उनका बाल्यकाल अत्यधिक संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने 7 वर्ष की अल्प आयु में एक दुर्घटना में अपनी माता को खो दिया था। तत्पश्चात खरगे ने अपने राजनीतिक जीवन का शुभारम्भ छात्रसंघ नेता के रूप में किया। वर्ष 1969 में वे एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार बने, वे संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली श्रमिक नेता भी थे एवं उन्होंने मजदूरों के हितार्थ अनेको आन्दोलनों का नेतृत्व भी किया। वर्ष 1969 में ही वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में स...

परदेस में कितने देसी नेता

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परदेस में कितने देसी नेता*विनीत नारायणक्या आप जानते हैं कि इंग्लैंड के अलावा भी कई देशों में भारतीय मूल के प्रधान मंत्री हैं? दीपावली के दिन जैसे हीये खबर आई कि ऋषि सौनक निर्विरोध ब्रिटेन के प्रधान मंत्री चुन लिए गये हैं, तो विश्व भर के हिंदुओं में ख़ुशी कीलहर दौड़ पड़ी, विशेषकर भारत में। लोग बल्लियों उछलने लगा। मानो भारत ने इंग्लैंड को जीत लिया हो।औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त रहे भारतीयों के लिए निश्चय ही ये एक गर्व का विषय है कि ऋषि सौनक उनगोरों के प्रधान मंत्री हैं जो कभी भारतीयों को शासन करने में नाकारा बताते थे। यह भी सही है की ऋषि सौनक केपूर्वजों की जड़ें पूर्वी पाकिस्तान और भारत से जुड़ी हैं और वे इंफ़ोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति के दामाद हैं।इससे भी ज़्यादा यह कि वे स्वयं को हिंदू घोषित कर चुके हैं और उन्होंने अपनी सांसदीय शपथ भी भगवद् गीतापर हाथ रख कर ली थी। इससे आगे ऐसा कुछ नही...

भारत में जीएम सरसों के फ़ील्ड ट्रायल को स्वीकृति”

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भारत में जीएम सरसों के फ़ील्ड ट्रायल को स्वीकृति”यह समाचार सुनकर आज बड़े बड़े Hospitals, Doctors और Medical Industry खुशी से नाच रहे होंगे । अब शुरू होगा असली खेल ।दवाईयों का कारोबार बढ़ेगा , Hospitals के भविष्य का इंतेजाम हो गया , Doctors ने अभी अपनी पत्नी बच्चों के लिए Yorkshire में Luxury घर बुक कर दिया होगा । इसी वर्णसंकरता के चलते आज कोई भी वनस्पति औषधि सब्जी फल अपने मूल रूप में नहीं बचे हैं । पहले धनिया बस घर में आ जाता था तो पूरा घर महकता था । बस एक पत्ती डल जाए किसी भी भोजन में तो पता लग जाता था , आज हम धनिया की जगह घास खाते हैं । पहले चने की पत्ती खा लो तो इतनी स्वादिष्ट और खट्टी और आज ऐसे लगता है जैसे घास खा रहे हैं । पहले एक टमाटर भोजन में डाल दो तो स्वाद आ जाता था , आज टमाटर ऐसे ही खा लो या 10 टमाटर भी भोजन में डाल दो वह स्वाद नहीं दे पाता । पहले मूली , पालक , च...

टूटता नाटो

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शीर्ष फ्रांसीसी नेतृत्व जर्मनी द्वारा अपने घरेलू ऊर्जा उद्योगों को यूरोपियन यूनियन से अनुमति लिए बिना ही अरबों यूरो का एकतरफा बेलआउट पैकेज देने के निर्णय से भन्नाया हुआ है और इसे ब्लॉक के हितों के विरुद्ध मानता है। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी आज खुद रूस से गैस सप्लाई ठप होने के बाद तंगहाली में दिन काट रहा है, और उसके लिए कोढ़ में खाज पैदा कर रहे हैं हिटलर द्वारा पीड़ित नाटो देश - जिनका कहना है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उनके देशों पर नाजियों के कब्जे के बदले जर्मनी को उन्हें सैकड़ों अरब यूरो का मुआवजा देना होगा। पहले ग्रीस ने इस आशय का दावा ठोंका, और आज पोलैंड भी ठीक वही कह रहा है। इधर बाइडेन प्रशासन द्वारा लाये गए 'इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट' के खिलाफ जर्मनी और फ्रांस की सरकारों में गुस्सा है क्योंकि वे इसे अमेरिका के घरेलू उद्योगों के प्रति संरक्षणवादी और...
1962 की जंग- भारत वापस लेगा चीन से अपनी जमीन

1962 की जंग- भारत वापस लेगा चीन से अपनी जमीन

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1962 की जंग- भारत वापस लेगा चीन से अपनी जमीन आर.के. सिन्हा अब भी देश की 70 की उम्र पार कर गई पीढ़ी को याद है जब भारत-चीन युद्ध 20 अक्तूबर 1962 को शुरू हुआ था। चीन ने 20 अक्तूबर को अचानक से भारत की सीमा पर हमला बोला था। हालांकि तब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल तो रहा था, पर चीन की एकतरफा कार्रवाई की किसी ने उम्मीद नहीं की थी। देश 1962 से अब तक उस जंग के खलनायकों पर बार-बार चर्चा करता रहा है। पर जरा देखिए कि उस जंग के एक बड़े खलनायक की राजधानी में लगी आदमकद मूर्ति को देखकर हरेक सच्चे भारतवासी का मन उदास हो जाता है। हम बात कर रहे हैं  कृष्ण मेनन मार्ग पर लगी वी.के. कृष्ण मेनन की मूर्ति की। वे भारत के पूर्व रक्षा मंत्री थे। क्या इस सड़क का नाम आज के दिन कृष्ण मेनन मार्ग होना चाहिए, जो कि भारत के रक्षा मंत...
केदारनाथ मंदिर आज भी एक अनसुलझी पहेली है I

केदारनाथ मंदिर आज भी एक अनसुलझी पहेली है I

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केदारनाथ मंदिर आज भी एक अनसुलझी पहेली है I केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था इसके बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक। आज का विज्ञान बताता है कि केदारनाथ मंदिर शायद 8वीं शताब्दी में बना था।यदि आप ना भी कहते हैं, तो भी अनेक तत्कालीन विवरणों के आधार पर यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। केदारनाथ की भूमि 21वीं सदी में भी बहुत प्रतिकूल है।एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है।इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ इस पुराण में लिखे गए हैं। यह क्षेत्र "मंदाकिनी नदी" का एकमात्र जलसंग्रहण क्षेत्र है। यह मंदिर एक कलाकृति है I कितना बड़ा असम्भव कार्य रहा होगा ऐसी जगह पर कलाकृति जैसा मन्दि...
खुशियों और सौगातों का त्योहार है दीपावली

खुशियों और सौगातों का त्योहार है दीपावली

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खुशियों और सौगातों का त्योहार है दीपावली बाकी सारे त्योहारों का धार्मिक महत्व है पर दीपावली का एक व्यावसायिक महत्व है। सोना और चांदी की बिक्री भी इसी सीजन में सबसे ज्यादा होती है और कपड़ों की भी। इस मौके पर उपहार और भेंटें देने के कारण भी तमाम सारे गिफ्ट आइटमों की बिक्री भी बढ़ जाती है। यानी अकेले दीपावली का बाजार अपने देश में करीब अरबों का है। भारतीय उपभोक्ता का असली बाजार दरअसल दीपावली है। ऐसा त्योहार क्यों न हर एक के लिए खुशियां और सौगात लेकर आए। दीपावली की यह रौनक और यह उत्साह बना रहना चाहिए। -प्रियंका सौरभ देश में "रोशनी का त्योहार" दिवाली के रूप में जाना जाता है। दीवाली, जिसे कभी-कभी दिवाली के रूप में लिखा जाता है, एक हिंदू, सिख और जैन धार्मिक उत्सव है जो अंधेरे के 13 वें दिन शुरू होता है। चन्द्रमा का आधा चक्र अश्विना और चन्द्र मास कार्तिक की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ...
गुजरात के शिक्षा उपक्रमों को ‘आप’ की नकल कहना गलत

गुजरात के शिक्षा उपक्रमों को ‘आप’ की नकल कहना गलत

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-ललित गर्ग- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुजरात में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के उद्घाटन पर आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जो प्रतिक्रिया व्यक्त की है वह हास्यास्पद होने के साथ अतिश्योक्तिपूर्ण है। मोदी छात्रों के बीच गए और उनके साथ एक स्मार्ट क्लास में बैठे। उन्होंने कुछ देर स्मार्ट क्लास का जायजा लिया और एक छात्र द्वारा बताई गई बातों को ध्यान से सुना। इन सब घटनाओं को केजरीवाल की नकल करार देना निश्चित ही विरोधाभासी है। भले ही आप पार्टी ने शिक्षा की दृष्टि से दिल्ली में उल्लेखनीय काम किया है, लेकिन गुजरात में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस एवं गुजरात में चल रहे शिक्षा उपक्रमों को ‘आप’ की नकल कहना एक तरह से आम आदमी पार्टी द्वारा गुजरात में अपनी राजनीति चमकाने का घटिया एवं अलोकतांत्रिक तरीका है। यह मूल्यहीन राजनीति की पराका...