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हिंदी को रोजमर्रा की जिंदगी में लाना होगा और इसे अपनी कार्यशैली में अपनाना होगा-श्री किरेन रीजीजू

हिंदी को रोजमर्रा की जिंदगी में लाना होगा और इसे अपनी कार्यशैली में अपनाना होगा-श्री किरेन रीजीजू

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विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग ने 29 सितंबर, 2022 को हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह का आयोजन किया। माननीय विधि और न्याय मंत्री श्री किरेन रीजीजू, माननीय विधि और न्याय राज्य मंत्री प्रो. एस पी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का आरंभ किया। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि हमें हिंदी भाषा को सही मायने में इसका दर्जा प्रदान करना है तो हमें हिंदी को रोजमर्रा की जिंदगी में लाना होगा और इसे अपनी कार्यशैली में अपनाना होगा। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि विदेशी भाषा हमारी अपनी भाषाओं के ऊपर हावी न हों। इस दौरान उन्होंने गृह राज्य मंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल में राजभाषा के संबंध में किए गए प्रयासों संबंधी अनुभव को साझा किया। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सरकारी कार्यालयों में कोई भी परिपत्र या विज्ञापन आदि हमेशा द्विभाषी रूप में ही जारी ...
आतंक पर कड़ा प्रहार है पीएफआई पर प्रतिबंध

आतंक पर कड़ा प्रहार है पीएफआई पर प्रतिबंध

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आतंक पर कड़ा प्रहार है पीएफआई पर प्रतिबंध मृत्युंजय दीक्षित केंद्र सरकार ने आतंक के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए देश के अंदर रहते हुए देश विरोधी गतिविधियां संचालित करने वाले कुख्यात संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) व उसके सहयोगी संगठनों रिहैब इंडिया फाउंडेशन , कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, एनसीएचआरओ, नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्वायर इंडिया फाउंडेशन, रिहेब फाउंडेंशन (केरल) को पांच साल के लिए उप्पा कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी की गयी सूचना के अनुसार अब राज्य सरकारें भी पीएफआई व उसके सहयोगी संगठनों के सदस्यों व समर्थकों पर बेहिचक कड़ी कानूनी कार्यवाही कर सकती हैं और राज्य स्तर पर भी प्रतिबंध लगा सकती हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय है क्योंकि पीएफआई की गतिविधियां दिन प्रतिदिन राष्ट्रघाती होती जा ...
अज्ञान से नही होगी एकता

अज्ञान से नही होगी एकता

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अज्ञान से नही होगी एकता प्रो रामेश्वर मिश्र पंकज इंडोनेशिया और मलेशिया का उदाहरण भारत के कतिपय हिंदू संगठन बारंबार देते रहे हैं। पहले मैं समझता था कि यह केवल कूटनीतिक वक्तव्य हैं। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद भी वही वक्तव्य दोहराए जाते हैं । जिससे पता चलता है कि संघ और भाजपा के लोग इस विषय में आश्चर्यजनक अज्ञान में जीते हैं। अज्ञान से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इंडोनेशिया और मलेशिया को मुस्लिम देश बताकर वहां अभी भी भारतीय संस्कृति की छाप होने को गरिमा मंडित करना अज्ञान की पराकाष्ठा है । सच यह है कि दोनों ही देशों में डेढ़ हजार वर्षो से अधिक तक हिंदू राज्य रहे हैं और मुस्लिम राज्य हाल ही में हुआ है । इसलिए मुसलमान अभी तक वहां हिंदू संस्कृति और परंपराओं को खा नहीं पाए हैं । धीरे-धीरे वे उस को पूरी तरह खा जाएंगे और खाने के लिए तत्पर हैं । इस तथ्य को जाने बिना ...
कृषि क्षेत्र में उत्पन्न हो रहे हैं रोजगार के नए अवसर

कृषि क्षेत्र में उत्पन्न हो रहे हैं रोजगार के नए अवसर

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कृषि क्षेत्र में उत्पन्न हो रहे हैं रोजगार के नए अवसर भारत में लगभग 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि रोजगार के अधिक से अधिक अवसर भी गावों में ही निर्मित होने चाहिए, अन्यथा गावों से शहरों की ओर नागरिकों का पलायन जारी रहेगा और शहरों पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता रहेगा। केंद्र सरकार की सफल आर्थिक नीतियों के चलते अब ग्रामीण इलाकों में भी बेरोजगारी की दर लगातार कम हो रही है, क्योंकि अब ग्रामों में भी रोजगार के अवसर अधिक संख्या में निर्मित हो रहे हैं। भारत में आज न केवल दुग्ध क्रांति हुई है बल्कि कृषि एवं परिष्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात भी बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारत आज दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया है। भारत में करीब 8 करोड़ परिवार दुग्ध उत्पादन और इसके व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। देश में प्रति वर्ष लगभग 9.5 लाख कर...
युवाओं में दिल का दौरा, भारत के हृदय पर बोझ

युवाओं में दिल का दौरा, भारत के हृदय पर बोझ

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29 सितंबर विश्व हृदय दिवस 2022 युवाओं में दिल का दौरा, भारत के हृदय पर बोझ प्रत्येक व्यक्ति को हर साल कम से कम एक ईसीजी करवाना चाहिए। संदेह का एक सूचकांक उठाया जाना चाहिए और विभिन्न स्तरों पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। पोषण शिक्षा के मूल सिद्धांतों को विशेषज्ञता नहीं बनाया जाना चाहिए और इसे स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। खाने की आदतों के हिस्से में, चीनी को प्राकृतिक मिठास जैसे शहद, गुड़, किशमिश, खजूर आदि से बदलना चाहिए। कृत्रिम भोजन की खुराक के बजाय अधिक प्राकृतिक भोजन (फल और सब्जियां) को शामिल करके अच्छे और संतुलित आहार का पालन करना चाहिए। विश्व हृदय दिवस प्रतिवर्ष 29 सितंबर को मनाया और मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हृदय रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके वैश्विक प्रभाव को नकारने के लिए उन्हें कैसे नियंत्रित किया जाए। विश्व स्वास...
हिंदुओं-सिखों से मुक्त होता अफगानिस्तान*

हिंदुओं-सिखों से मुक्त होता अफगानिस्तान*

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हिंदुओं-सिखों से मुक्त होता अफगानिस्तान* _-बलबीर पुंज_ गत 25 सितंबर को 55 अफगान सिख और हिंदू (3 शिशुओं सहित) विशेष विमान से भारत लौट आए। इसी के साथ अनादिकाल तक सांस्कृतिक भारत का हिस्सा रहा अफगानिस्तान भी अपने मूल निवासियों— हिंदू-सिख-बौद्ध से शत-प्रतिशत मुक्त हो गया है। इस जत्थे के बाद अफगानिस्तान में अब शेष हिंदू और सिखों की संख्या नाममात्र 43 रह गई है। यह पलायन कोई पहली बार नहीं हुआ है। इसका पिछले एक हजार वर्षों का एक काला इतिहास है। 1970 के दशक में जिन अफगान हिंदुओं-सिखों की संख्या लगभग सात लाख थी, उनकी संख्या अब गृहयुद्ध, खालिस शरीयत व्यवस्था और तालिबानी जिहाद के बाद निरंतर घटते हुए नगण्य हो गई है। इस प्रकरण में यदि कुछ नया है या यूं कहे कि हतप्रभ करने वाला है, तो वह 11 सितंबर को तालिबान द्वारा पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब के चार 'सरूपों' को 'अफगानिस्तानी विरासत' का अंग बताकर उ...
मोहन भागवत को राष्ट्रपिता कहने का इस्लामिक एजेंडा

मोहन भागवत को राष्ट्रपिता कहने का इस्लामिक एजेंडा

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राष्ट्र-चिंतन* *मोहन भागवत को राष्ट्रपिता कहने का इस्लामिक एजेंडा* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* ==================== सरकारी सड़क के गोल चक्कर को घेर कर बैठने वाले और इमामों का संगठन चलाने वाले ऑल इंडिया इमाम ऑगनाइजेशन के अध्यक्ष इमाम उमर अहमद इलियासी वर्तमान में बहुत ही चर्चित है, उनकी चर्चा सिर्फ राजनीति में ही नहीं है बल्कि मुस्लिम पंथ में भी खूब हो रही है। चर्चा होनी भी स्वाभिवक है। आखिर उनके दर पर मोहन भागवत जो पहुंच गये, उमर इलियासी भी मोहन भागवत को राष्ट्रपति करार जो दिया।खासकर मुस्लिम राजनीति भी उबल पड़ी। मुस्लिम राजनीति में उनकी चर्चा कुछ ज्यादा ही हो रही है। अधिकतर मुस्लिम राजनीति के सहचर उन्हें खलनायक और भस्मासुर की उपाधि दे रहे हैं, उन्हें इस्लाम का सत्यानाशी करार दे रहे हैं, कुछ मुस्लिम संगठन तो उन्हें अपशब्द भी कह रहें हैं और न लिखने योग्य गालियां भी बक रहे हैं। जहां तक इमामों ...
आधुनिक सतही और भ्रमित युवा: कारण और समाधान

आधुनिक सतही और भ्रमित युवा: कारण और समाधान

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आधुनिक सतही और भ्रमित युवा: कारण और समाधान भारत में 15 से 35 वर्ष की आयु के युवा एक मूल्यवान संसाधन हैं जो ज्ञान, कौशल और विकास की पहचान हैं और अक्सर कई आंतरिक और बाहरी कारकों से प्रभावित होते हैं जो उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। अवधि शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परिवर्तनों के साथ-साथ सामाजिक संबंधों और संबंधों के बदलते रूप की विशेषता है। युवावस्था एक स्वस्थ और उत्पादक वयस्कता स्थापित करने और जीवन में बाद में स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को कम करने का एक अवसर है। अधिकांश युवा लोगों को स्वस्थ माना जाता है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अनुमानित 2.6 मिलियन युवा 10 से 24 वर्ष की आयु के बीच हर साल मर जाते हैं, और इससे भी अधिक संख्या में बीमारियों या "दुर्व्यवहार" से पीड़ित होते हैं जो वे विकसित करते हैं। होने की क्षमता को सीमित करता है। सभी समय से पहले होने वाली मौतों ...
संघ और मुसलमानों में संवाद से दुखी होने वाले कौन

संघ और मुसलमानों में संवाद से दुखी होने वाले कौन

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संघ और मुसलमानों में संवाद से दुखी होने वाले कौन आर.के. सिन्हा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत आजकल मुस्लिम बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं से लगातार मिल रहे हैं। आरएसएस प्रमुख देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र को मजबूत करने के लिए चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने पहले दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और कारोबारी सईद शेरवानी जैसे प्रबुद्ध मुसलमानों से मुलाकात की। ये सब मुस्लिम समाज के असरदार नाम हैं। शाहिद सिद्दीकी उर्दू अखबार नई दुनिया के संपादक भी हैं। डॉ. मोहन भागवत ने इनके बाद देश के हजारों इमामों की नुमाइंदगी करने वाले संगठन ‘अखिल भारतीय इमाम संगठन’ के प्रमुख मौलाना उमेर अहमद इलियासी से मुलाकात की। इन मुलाकातों के नतीजे सकारा...
सोशल मीडिया पर स्क्रॉल होती जिंदगी

सोशल मीडिया पर स्क्रॉल होती जिंदगी

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सोशल मीडिया पर स्क्रॉल होती जिंदगी (हम में से ज्यादातर लोग आज सोशल मीडिया के आदी हैं। चाहे आप इसका इस्तेमाल दोस्तों और रिश्तेदारों से जुड़ने के लिए करें या वीडियो देखने के लिए, सोशल मीडिया हम में से हर एक के लिए जाना-पहचाना तरीका है। प्रौद्योगिकी और स्मार्ट उपकरणों के प्रभुत्व वाली दुनिया में नेटफ्लिक्स को बिंग करना या फेसबुक पर स्क्रॉल करना, इन दिनों मिनटों और घंटों को खोना बहुत आम है। ये वेबसाइट और ऐप हमारा ज्यादातर समय खा रहे हैं, इतना कि यह अब एक लत में बदल गया है। सोशल मीडिया की लत जल्दी से उस कीमती समय को खा सकती है जो कौशल विकसित करने, प्रियजनों के साथ समय का आनंद लेने या बाहरी दुनिया की खोज में खर्च किया जा सकता है।) -डॉ सत्यवान सौरभ अगर आप समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं, और सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स पर ज्यादा समय बिताते हैं तो एक नए...