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चिंता का सबब बनता गिरता हुआ रुपया

चिंता का सबब बनता गिरता हुआ रुपया

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चिंता का सबब बनता गिरता हुआ रुपया -सत्यवान 'सौरभ' रुपये के मूल्यह्रास का मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कम मूल्यवान हो गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 77.44 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। सख्त वैश्विक मौद्रिक नीति, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और जोखिम से बचने, और उच्च चालू खाता घाटे से भारतीय रुपये के लिए गिरावट चिंता का विषय है। भारतीय रुपये के मूल्यह्रास के पीछे विभिन्न कारक देखे तो वैश्विक इक्विटी बाजारों में एक बिकवाली जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व (केंद्रीय बैंक) द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि, यूरोप में युद्ध और चीन में कोविड -19 के कारण विकास की चिंताओं से शुरू हुई थी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ, वैश्विक बाजारों में बिकवाली हुई है क्योंकि निवेशक डॉलर की ओर बढ़ गए हैं। डॉलर का बहिर्वाह उच्च कच्चे तेल की कीमतों का परिणाम है और इक्...
लाउडस्पीकर एक धार्मिक इस्तेमाल और अदालती आदेश

लाउडस्पीकर एक धार्मिक इस्तेमाल और अदालती आदेश

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लाउडस्पीकर एक धार्मिक इस्तेमाल और अदालती आदेश यूपी हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कि लाउडस्पीकर पर अजान देना मौलिक अधिकार न हीं है , इस मसले पर मचा कोहराम शान्ति हो जाना चाहिए | आशा की जाती है कि आगे स भी फैसले का पालन करते हुए विवाद को आगे नहीं ले जायेंगे लेकिन वर्तमान माहौल में लगता नहीं कि बात यहीं थम जाएगी क्यूंकि यदि प्रतिवादियों की बात थामने की ही मंशा हो ती तो आज कानून व्यवस्था के लिए विकट खतरा नहीं पैदा हो गया होता | लाउडस्पीकर पर अजान को ले कर बुद्धिजीवियों के बीच जहाँ बहस छिड़ी है वहीँ साम्प्रदायिक अलगाव और धारदार करने के लिए दोनों समुदायों के संगठनों ने कमर कस ली है | अभी कर्नाटक में दोनों समुदायों के बीच बढ़ती कलह के रोकथाम का कोई उपाय भी नहीं हो पाया था कि लाउडस्पीकर से अजान का विवाद महाराष्ट्र की सीमायें पार कर सारे देश में फैलने लगा है | लाउडस्पीकर पर अजान को ले कर व...
कान फ़िल्म महोत्सव के रेड कार्पेट पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी चमक बिखेरी

कान फ़िल्म महोत्सव के रेड कार्पेट पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी चमक बिखेरी

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कान फ़िल्म महोत्सव के रेड कार्पेट पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी चमक बिखेरी फ्रांस के कान फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में सितारों से सजे-धजे रेड कार्पेट पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज 11 सेलेब्रिटीज़ के अब तक के सबसे बड़े आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। भारतीय लोक कलाओं के लिए एक ऐतिहासिक पल के रूप में, श्री मामे खान कान में भारतीय दल की तरफ से रेड कार्पेट का नेतृत्व करने वाले पहले लोक कलाकार बने। भारतीय सिनेमा की विविधता और विशिष्टता को दिखाते हुए इस ग्लैमर से भरे रेड कार्पेट दल में भारत की फिल्मी हस्तियां शामिल थीं। 11 सदस्यों का ये दल जब "पलाइस डेस फेस्टिवल्स" की ऐतिहासिक सीढ़ियों की ओर बढ़ा तो वैश्विक सिनेमा का केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा के सभी प्रतीकों को ये प्रतिनिधिमंडल अपने में संजोए था। मंत्री महोदय के साथ आने...
सर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार

सर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार

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नारद जयंती (17 मई) के पर विशेषसर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार- ललित गर्ग -देव ऋषि नारद या नारद मुनि ब्रह्माजी के पुत्र और भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त महान तपस्वी, तेजस्वी, सम्पूर्ण वेदान्त एवं शस्त्र के ज्ञाता तथा समस्त विद्याओं में पारंगत हैं, वे ब्रह्मतेज एवं अलौकिक तेजोरश्मियों से संपन्न हैं। हैं। वे आदि-पत्रकार हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक जगह की खबर दूसरी जगह पहुंचाने एवं इधर की बात उधर करके, दो लोगों के बीच आग लगाने के लिये काफी प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि उन्हंे सब खबर रहती हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कहाँ क्या हो रहा हैं। मूंह पर नारायण नारायण और हाथ में वीणा लिये, नमक-मिर्च लगा के बातें फैलाना, एक बात को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने, सृष्टि के हित में सृष्टि की किसी बड़ी घटना की आहट को पहचानकर उसे एक लोक से दूसरे लोक में पहुंचाने में उनकी महारत थी। उ...
फग्गन सिंह कुलस्ते प्रभावी राजनेता एवं आदिवासी उन्नायक

फग्गन सिंह कुलस्ते प्रभावी राजनेता एवं आदिवासी उन्नायक

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फग्गन सिंह कुलस्ते प्रभावी राजनेता एवं आदिवासी उन्नायक -ललित गर्ग - भारतीय राजनीति में सादगी, कर्मठता, ईमानदारी एवं राजनीतिक कौशल से अपनी जगह बनाने वाले एवं आदिवासी जनजीवन के लिये उजाला बनने वाले फग्गन सिंह कुलस्ते वर्तमान राजनीति के एक प्रभावी एवं सक्षम राजनेता है। वे अपनी प्रभावी एवं शालीन भूमिका से देश के आदिवासी जन-जीवन के उत्थान एवं उन्नयन की एक बड़ी उम्मीद बने हैं। कुलस्ते एक ऐसे प्रभावी, कठोर, जुझारु, चमत्कारी एवं राजनीति व्यक्तित्व हैं जिन्होंने एक बार नहीं, बल्कि अनेक बार सांसद बनकर अपने राजनीतिक वजूद, कौशल एवं आमजनता पर अपनी पकड़ का परिचय दिया है। वे धैर्य, लगन, आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प, राजनीतिक कौशल के साथ खुद को बुलन्द रखते हैं, जिससेे उनके राजनीतिक रास्ते से बाधाएं हटती ही है और संभावनाओं का उजाला होता ही है। चुनौतीभरे रास्तों में समूचे राष्ट्र में आदिवासियों के लिये उजाले ...
भारत अब भी  युद्ध-विराम की कोशिश करें

भारत अब भी युद्ध-विराम की कोशिश करें

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भारत अब भी  युद्ध-विराम की कोशिश करें -ललित गर्ग-रूस-यूक्रेन युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अधिक विनाश एवं विध्वंस की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। विश्व युद्ध का संकट भी मंडराने लगा है। रूस-यूक्रेन के युद्ध विराम के मामले में भारत ने प्रयास किये, उसे व्यापक प्रयास करते हुए युद्ध विराम का श्रेय हासिल करना चाहिए था, ऐसा करने की सामर्थ्य एवं शक्ति भारत एवं उसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास है, यूक्रेन-विवाद शांत करने के लिए भारत की पहल सबसे ज्यादा सार्थक हो सकती है लेकिन जो पहल हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, उसे आगे बढ़ाना चाहिए था, लेकिन वह कोशिश अब संयुक्तराष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने कर दी और वे काफी हद तक सफल भी हो गए। गुतरेस खुद जाकर पूतिन और झेलेंस्की से मिले। उन्होंने दोनों राष्ट्रों के सर्वोच्च नेतृत्व को समझाने-ब...
अतीत की यादों में समांए तालाब व बावड़ी के लिए वरदान साबित होंगे अमृत सरोवर

अतीत की यादों में समांए तालाब व बावड़ी के लिए वरदान साबित होंगे अमृत सरोवर

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अतीत की यादों में समांए तालाब व बावड़ी के लिए वरदान साबित होंगे अमृत सरोवर (पूर्वजों की देन व पानी संरक्षण के लिए तालाब व बावड़ी के रूप में किया गया उनका बेहतर प्रयास आज अतीत की यादों में समां गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार की उदासीनता ही रही है।अमृत सरोवर योजना से सिंचाई का कार्य भी किया जाएगा और बरसाती पानी को संरक्षित भी किया जाएगा।) -सत्यवान 'सौरभ' गर्मियों में पूरे भारत में बड़े पैमाने पर जल संकट पैदा हो जाता है; इस समस्या को देखते हुए आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हरियाणा सरकार ने अपने गांवों में अस्तित्व खोते जा रहे तालाब एवं जोहड़ों को बचाने के लिए राज्य के जोहड़ तालाबों को अमृत सरोवर के रूप में विकसित करने पर जोर शोर से काम शुरू किया है। यह अमृत सरोवर जल संरक्षण के साथ-साथ किसानों के लिए भी एक वरदान साबित होंगे। इन अमृत सरोवर के पानी से सिंचाई करने का भी प्रावधान रखा जा...
संगीन आर्थिक अपराध के आरोपियों को गिरफ़्तार करने से क्यों बच रही है नॉएडा की पुलिस ?

संगीन आर्थिक अपराध के आरोपियों को गिरफ़्तार करने से क्यों बच रही है नॉएडा की पुलिस ?

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संगीन आर्थिक अपराध के आरोपियों को गिरफ़्तार करने से क्यों बच रही है नॉएडा की पुलिस ? *रजनीश कपूर भाजपा नेता तज़िंदेर बग्गा का मामला हो या नॉएडा की एक आईएएस अधिकारी का मामला हो। यदि किसी पर भी कोई आरोप लगता है और उसकी जाँच के लिए पुलिस उससे सहयोग की अपेक्षा करती है, तो एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते उसका फ़र्ज़ है कि वह व्यक्ति पुलिस का सहयोग करें। पुलिस के दृष्टिकोण से, एफ़आइआर का अर्थ उस कथित अपराध के बारे में पूरी जानकारी एकत्र करना होता है। यदि किसी के ख़िलाफ़ कोई एफ़आइआर दर्ज हो जाती है तो पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने में बुलाती है और यदि एफ़आइआर में मामला संगीन हो तो उसको गिरफ़्तार भी किया जा सकता है। अपराध की धारा पर निर्भर करेगा कि उसे ज़मानत थाने में ही मिल जाएगी या उसे अदालत का रुख़ करना पड़ेगा। यदि किसी को पता है कि उससे कोई जुर्म हुआ है तो उसके क़ानूनी सलाहकार उसको ज...
सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव

सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव

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सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव । पंछी उड़े प्रदेश को, बांधे अपने पाँव ।। -सत्यवान 'सौरभ' पक्षियों को पर्यावरण की स्थिति के सबसे महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक माना जाता है। क्योंकि वे आवास परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं और पक्षी पारिस्थितिकीविद् के पसंदीदा उपकरण हैं। पक्षियों की आबादी में परिवर्तन अक्सर पर्यावरणीय समस्याओं का पहला संकेत होता है। चाहे कृषि उत्पादन, वन्य जीवन, पानी या पर्यटन के लिए पारिस्थितिक तंत्र का प्रबंधन किया जाए, सफलता को पक्षियों के स्वास्थ्य से मापा जा सकता है। पक्षियों की संख्या में गिरावट हमें बताती है कि हम आवास विखंडन और विनाश, प्रदूषण और कीटनाशकों, प्रचलित प्रजातियों और कई अन्य प्रभावों के माध्यम से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बदल रहे हर रोज ही, हैं मौसम के रूप । सर्दी के मौसम हुई, गर्मी जैसी धूप ।। सूनी बगिया देखकर, ‘तितली है खामोश’ । ज...
परिवारों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

परिवारों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

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(15 मई - परिवारों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस) टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव । प्रेम जताते ग़ैर से, अपनों से अलगाव ।। ---------------------------------------- (भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों की अच्छी शिक्षाओं के अभाव में घरों में छोटे रिश्तों को ताक पर रखकर निर्णय लेने लगे है.  फलस्वरूप आज परिजन ही अपनों को काटने पर तुले है. एक तरफ सुख में पडोसी हलवा चाट रहें है तो दुःख अकेले भोगने पड़ रहें है. हमें ये सोचना -समझना होगा कि अगर हम सार्थक जीवन जीना चाहते है तो हमें परिवार की महत्ता समझनी होगी और आपसी तकरारों को छोड़कर परिवार के साथ खड़ा होना होग...