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किसके दबाव में केस दबाए बैठी है सीबीआई?

किसके दबाव में केस दबाए बैठी है सीबीआई?

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किसके दबाव में केस दबाए बैठी है सीबीआई? *रजनीश कपूर 2014 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्य मंत्री से देश के प्रधान मंत्री बनने की तैयारी में थे तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका आह्वान था, “न खाऊँगा न खाने दूँगा”। इसका असर भी फ़ौरन दिखाई दिया। मोदी जी के प्रधान मंत्री बनने के बाद जिस तरह केंद्र सरकार की नौकरशाही में यह संदेश गया तो हर महकमे में बरसों से चली कोताही ख़त्म होती नज़र आई। तब ऐसा लगा कि सरकारी फ़ाइलों में बरसों से लम्बित मामले भी तेज़ी पकड़ेंगे। पर यहाँ जिस मामले को उठाया जा रहा है वो है सीबीआई कि कोताही का। वैसे तो सीबीआई की छवि बड़े-बड़े मामलों को लम्बा खींचने या दबाए रखने की है। पर मोदी राज में भी यह हो रहा है यह आश्चर्यजनक है। जून 2014 में सीबीआई में तैनात डीआईजी अरुण बोथरा ने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिवों को उनके राज्यों में होने वाले एक घोटाले के ...
समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

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समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो-ललित गर्ग-समान नागरिक आचार संहिता का मुद्दा आज एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल यह मुद्दा आज का नहीं है, यह अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित में चिन्तन, निर्णय एवं क्रियान्वयन की अपेक्षा है। भले ही भाजपा के लिये यह चुनावी मुद्दा रहा हो, लेकिन इसको लागू करने की अपेक्षा सभी जाति, धर्म, वर्ग, भाषा के लोगों के हित में हैं। हां, इसे लागू करने का साहस एवं दूरदर्शिता भाजपा और उसके नेता प्रदर्शित कर रहे हैं, यह स्वागतयोग्य है। इसे मजहब या साम्प्रदायिकता की राजनीति से ऊपर उठ कर पूरे देश की सामाजिक समरसता के नजरिये से देखा जाना चाहिए। संवैधानिक दृष्टि से भी यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि भारत का संविधान धर्म या जाति-बिरादरी अथवा स्त्री-पुरुष या क्षेत्रीय पहचान की परवाह कि...
योगी के लिए बईमान नौकरशाही* *बनेगी मुसीबत

योगी के लिए बईमान नौकरशाही* *बनेगी मुसीबत

EXCLUSIVE NEWS, घोटाला, राज्य, राष्ट्रीय, सामाजिक
*योगी के लिए बईमान नौकरशाही* *बनेगी मुसीबत* *भ्रष्ट नौकरशाही जनकांक्षाओं को कब्र बना देती है* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री बन गये हैं। उनका भारी-भरकम मंत्रिमंडल काम करना भी शुरू कर दिया है। प्रचारित यह किया गया है कि मंत्रिमंडल के गठन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व मिला है, इसलिए सभी वर्गो का विकास सुनिश्चित है। खासकर मुस्लिम वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर खास तरह की चर्चा है। चर्चा यह है कि भाजपा ने ऐसेे व्यक्ति को मंत्रिमंडल में जगह दी है जो शिया मुस्लिम नहीं है बल्कि सुन्नी मुस्लिम है और वह गरीब, अपमानित और हाशिये पर खड़ी मुस्लिम जाति का प्रतिनिधित्व करता है। अब तक भाजपा पर शिया मुस्लिम का प्रभुत्व ही रहता था। योगी के पहले कार्यकाल में जो एक मात्र मुस्लिम मंत्री हुआ करते थे वे शिया मुस्लिम जाति का ही प्रतिनिधित्व करते थे। यूपी और खासकर लखन...
खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद

खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* इधर सर्वोच्च न्यायालय में एक बड़ी मजेदार याचिका पेश की गई है, अश्विनी उपाध्याय के द्वारा! उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि अल्पसंख्यकता के नाम पर कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ठगी चल रही है। जिन राज्यों में जो लोग बहुसंख्यक हैं, वे यह कहते हैं कि हम लोग अखिल भारतीय स्तर पर अल्पसंख्यक हैं, इसलिए हमें अल्पसंख्यकों की सब सुविधाएं अपने राज्य में भी मिलनी चाहिए। जैसे जम्मू-कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं लेकिन उन्हें इसके बावजूद वहां अल्पसंख्यकों की सारी सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं, यहूदियों और बहाईयों को, जो वास्तव में वहां अल्पसंख्यक हैं, उन्हें अल्पसंख्यकों की कोई सुविधा नहीं मिलती। यही हाल मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल, लक्षद्वीप, मणिपुर और पंजाब का है। इन राज्यों में रहनेवाले धार्मिक बहुसंख्यकों को भी अल्पसंख्यक...
‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से

‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से

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‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से अथवा केजरीवाल यह तो जानें बापू के कितने करीब थे भगत सिंह और बाबा साहेब आर.के. सिन्हा पंजाब और दिल्ली सरकारों के दफ्तरों से गांधी जी के चित्र हटा दिए गए हैं। उनका स्थान ले लिया है भगत सिंह और डॉ.भीमराव अंबेडकर के चित्रों ने। दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकारें हैं। आखिर क्यों दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को और पंजाब में भगवंत मान को यह जरूरी लगा कि वे अपने-अपने राज्यो में गांधी जी के चित्र हटवाएं दें? क्या गांधी जी का चित्र हटाना ज़रूरी था? ‘आप’ के इस कदम से संकेत यह जाता है कि वह भगत सिंह और बाबा साहेब को गांधी जी के सामने खड़ा करना चाहती है। हालांकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। ये तीनों ही पूरे देश के लिये आदरणीय हैं। इन सबका देश ह्रदय से आदर सम्मान करता है। गांधी जी का नाम लेकर हुए अन्ना आंदोलन से निकली ‘आप’  ने ऐसा क्यों किया, यह जवाब उन्हें द...
कौन पोछेगा प्रवासी बिहारी मजदूरों के आंसू

कौन पोछेगा प्रवासी बिहारी मजदूरों के आंसू

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कौन पोछेगा प्रवासी बिहारी मजदूरों के आंसू आर.के. सिन्हा बिहार दिवस के ठीक बाद हैदराबाद  से बिहार के लिए एक बुरी खबर सामने आई कि वहां पर हुई एक भीषण आगजनी की घटना में बिहार राज्य के 11 मजदूर जिंदा जल गए। ये सभी सारण और कटिहार जिलों के थे। ये सब अभागे मददूर कबाड़ गोदाम में लगी भीषण आग में फंस गए थे। आग इतनी तेज थी कि फायर ब्रि‍गेड की नौ गाड़ियों को आग पर काबू करने में तीन घंटों से भी अधिक का समय लगा। इन मजदूरों के परिवारों के लिए तेलंगाना सरकार और बिहार सरकारों ने कुछ मुआवजे की घोषणा की रस्म तो पूरी कर दी है। मुआवजा की घोषणा का मतलब यह हुआ कि अब केस खत्म हो गया। अब कोई इस विषय पर विचार नहीं करेगा कि देश के चप्पे –चप्पे पर होने वाले निर्माण कार्यों से लेकर छोटे-मोटे मजदूरी के कामों में बिहारी ही क्यों लगे हुए हैं? आप  लद्दाख की राजधानी लेह से लेकर गोवा के सुदूर क्षेत्...
Researchers develop new materials to help power up low power electronics

Researchers develop new materials to help power up low power electronics

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS
Researchers develop new materials to help power up low power electronics Efforts to fabricate better and more effective energy sources for sensors and other low power electronics is expected to get a boost with a team of researchers from the Indian Institute of Technology Guwahati, and Daegu Gyeongbuk Institute of Science and Technology (DGIST), South Korea, developing a set of new materials for devices that help convert biomechanical energy into electrical energy. Following the rapid growth of the Internet of Things (IoT) in recent years, many small electronics such as sensors, actuators, and wireless transmitters are being produced for various applications ranging from health monitoring and environmental protection to remote control equipment. Presently, batteries are commonly ...
Suicide by Sanctions and other means

Suicide by Sanctions and other means

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After the disintegration of the Soviet Union and its divorce from its East European allies, Russia believing itself European, tried its hardest to integrate itself with Europe and America. The West purchased many, key Russian technologies, assets and industries in the distressed Russian economy at a huge discount, and positioned themselves to at will exert a vice-like grip on Russia's financial, technological, communications, media etc. sectors. An arrogant America and Europe, the winners of the Cold War, had no place on the high table for Russia. American leader Senator John McCain disparagingly voiced the common thinking of America, that "Russia is a gas station, disguised as a nation". Americans and Europeans viewed Russia as an old, beleaguered empire to be merely exploited and mil...
संस्कृति मंत्रालय द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है

संस्कृति मंत्रालय द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है

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संस्कृति मंत्रालय द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है संस्कृति मंत्रालय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश के इलाके में फैले हिमालयी क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने, संरक्षित करने और इसे बचाये रखने के उद्देश्य से अनुसंधान, प्रलेखन, प्रसार आदि के माध्यम से एक वित्तीय अनुदान योजना लागू करता है, जिसे हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता योजना के रूप में जाना जाता है। इस योजना के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों सहित स्वैच्छिक संगठनों को सांस्कृतिक विरासत पर अध्ययन व अनुसंधान, कला और संस्कृति के दृश्य कार्यक्रम तथा पारंपरिक एवं लोक कला प्रशिक्षण, पुरानी पांडुलिपियों, साहित्य, कला व शिल्प के संरक्षण और सांस्...
हिजाब पर फैसले में बाबा साहेब की राय कितनी अहम

हिजाब पर फैसले में बाबा साहेब की राय कितनी अहम

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हिजाब पर फैसले में बाबा साहेब की राय कितनी अहम आर.के. सिन्हा बाबा साहेब डॉ बी० आर० अम्बेडकर किसी गंभीर और संवेदनशील मसले पर भी अपनी राय  बेबाकी से ही रखते थे। उनकी मुस्लिम समाज की औरतों के हिजाब और बुर्का पहनने पर प्रगट किये गए सार्वजनिक विचार 75 सालों के बाद भी समीचिन और स्पष्ट हैं। इसलिए ही  कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के स्कूलों में हिजाब पहनने या ना पहनने को लेकर चल रही बहस पर अपना फैसला सुनाते हुए बाबा साहेब के विचारों का भी विस्तार से हवाला दिया। बाबा साहब ने अपनी मशहूर किताब “पाकिस्तान ओर द पार्टिशन ऑफ इंडिया (1945)”  में लिखा था, 'एक मुस्लिम महिला सिर्फ अपने बेटे, भाई, पिता, चाचा ताऊ और शौहर को देख सकती है या फिर अपने वैसे रिश्तेदारों को जिन पर विश्वास किया जा सकता है। वो मस्जिद में नमाज अदा करने तक भी नहीं जा सकती। मुसलमानों में भी हिंदुओं की तरह और कई जगह तो उनसे भी ज्यादा साम...