जीवन रक्षक दवाओं पर अनिवार्य-लाइसेंस की मांग जिससे कि जेनेरिक उत्पादन हो सके
ज़रा सोचे कि जीवन रक्षक दवा हर ज़रूरतमंद इंसान को मिलनी चाहिए कि नहीं? यदि दवा कंपनी के पास पेटेंट हो और कीमत इंसान की पहुँच के बाहर हो तब भी वैश्विक व्यापार संधि में ऐसे प्रावधान हैं कि सरकारें, जनहित में जनता की ज़रूरत को देखते हुए, पेटेंट वाली दवा पर अनिवार्य-लाइसेंस (कम्पलसरी लाइसेंस) ज़ारी करें जिससे कि स्थानीय उत्पादन हो सके और जीवन रक्षा हो सके. इसीलिए विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि जो दवा वैज्ञानिक रूप से कोरोनावायरस रोग में असरकारी दिख रही है उसपर अनिवार्य-लाइसेंस ज़ारी हो.
अनिवार्य लाइसेंस न सिर्फ जन स्वास्थ्य के लिए बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी ज़रूरी कदम है जो सरकारों को पेटेंट-वाली दवाओं को स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने की, इस्तेमाल करने की, आयात-निर्यात करने की, कम कीमतों पर विक्रय करने की, शक्ति देता है. जब भी बौद्धिक सम्पदा और पेटेंट जैसे रोड़े आते हैं, अनेक देशों की सरकारों...