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महामंदी के दौर में भी चमक रहा है सोना

महामंदी के दौर में भी चमक रहा है सोना

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कोरोना काल के इस महामंदी के दौर में भी सोने की कीमतों में लगातार जबरदस्त बढ़ोतरी जारी है, हाल ही में भारत में सोने की कीमतें 50000 हज़ार रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी पार कर गईं है, जब संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था संकुचित हो रही है तब सोने की कीमतों में बढ़ोतरी क्यों देखने को मिल रही है? कोरोना वायरस महामारी फैलने और दुनियाभर में लॉकडाउन के बीच जो एक चीज सबसे ज्यादा महंगी हुई है वो है सोना ऐसा क्यों हुआ है ? अंतरराष्ट्रीय कारोबार में नरमी और आर्थिक गतिविधियों के कमजोर पड़ने के बावजूद सोने के दामों में कोई कमी नहीं आई इसके पीछे क्या कारण है ?. इसके उलट पूरी दुनिया में इसके दाम बढ़ते जा रहें है. दुनिया में चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता माना जाता है। इस वर्ष की पहली छमाही में सोने का भाव काफी ऊँचा रहा है और मार्च माह के अंत तक ...
CSIR to carry study to ascertain is COVID-19 airborne or not

CSIR to carry study to ascertain is COVID-19 airborne or not

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New Delhi, Jul 23 (India Science Wire): After World Health Organisation recent acknowledgement that there is emerging evidence of airborne spread of the novel coronavirus whole scientific community has started looking the mode of transmission of novel coronavirus with different perspective. Director General, Council of Scientific and Industrial Research (DG-CSIR), Dr Shekhar C Mande said in a blog post “Airborne transmission of COVID possible, wear masks in enclosed spaces”. Is novel coronavirus really transmitting through air? To answer this question Institute of Microbial Technology (IMTECH) in Chandigarh and Centre for Cellular and Molecular Biology (CCMB) in Hyderabad, two labs under the CSIR are gearing up to conduct study When we sneeze, cough, talk or sing, droplets are spra...
भारत न बने अमेरिकी मोहरा

भारत न बने अमेरिकी मोहरा

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आजकल भारत और अमेरिका के बीच जैसा प्रेमालाप चल रहा है, मेरी याददाश्त में कभी किसी देश के साथ भारत का नहीं चला। शीतयुद्ध के घनेरे बादलों के दौरान जवाहरलाल नेहरु और सोवियत नेता ख्रुश्चोफ और बुल्गानिन के बीच भी नहीं। इसका कारण शायद यही समझा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की मोहिनी ने डोनाल्ड ट्रंप को सम्मोहित कर लिया है। यह समझ नहीं, भ्रम है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में व्यक्तिगत संबंधों की भूमिका बहुत सीमित होती है। उसका संचालन राष्ट्रहितों के आधार पर होता है। इस समय ट्रंप प्रशासन चीन के घुटने टिकवाने के लिए कमर कसे हुआ है। इसीलिए वह भारत के प्रति जरुरत से ज्यादा नरम दिखाई पड़ रहा है। उसने कोविड-19 के लिए चीन को सारी दुनिया में सबसे ज्यादा बदनाम किया। उसने चीन के विरुद्ध यूरोपीय संघ और आग्नेय एशिया के राष्ट्रों को लामबंद किया। अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में चीन को धमकाने के लिए एक प्रस्ताव भी लाया गया।...
SC:Probe behind Vikas Dubey getting bail and parole despite 65 criminal cases against him

SC:Probe behind Vikas Dubey getting bail and parole despite 65 criminal cases against him

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It is perhaps for the first time that Supreme Court has also included probe into getting easy bail and parole by notorious gangster Vikas Dubey (Kanpur) as priority terms of reference of the committee set up to probe in killing of notorious gangster Vikas Dubey of Kanpur in police-encounter with retired Supreme Court judge BS Chauhan as the Chairperson. It should be hoped that the probe will expose those granting bail and approving parole to Vikas Dubey. Such exposure may make justice-delivery-system strong when courts may not grant easy bails on deliberate weak contesting of cases by government-counsels. Not only suspension, but even criminal cases need to be filed against all those involved in granting and assisting easy bail and parole to Vikas Dubey. Assisting such gangsters in any man...
लगता है हम जल्द परास्त करेंगे कोरोना को

लगता है हम जल्द परास्त करेंगे कोरोना को

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वैश्विक महामारी कोरोना से पराजित होती दुनिया के सामने अचानक से एक उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। ब्रिटेन की विश्व विख्यात ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और रूप से वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने का लगभग एक ही साथ दावा किया है। इन दावों के बाद मानो पूरी दुनिया की जान में जान आ गई है। लगने लगा है कि पृथ्वी और मानवता पर आया संकट अब खत्म होने ही जा रहा है। आज संसार का हर मनुष्य बच्चा-बूढ़ा सभी कोरोना वायरस से भयभीत हैं ।  आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जिस  वैक्सीन को ईजाद किया है  उसे मनुष्यों के लिए सुरक्षित पाया गया है। ऐसा दावा किया गया है I यह सच में बेहद अहम खबर है। दरअसल इस वैक्सीन के किए गए परीक्षणों से इंसान में वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़  जाती है। नामुराद कोरोना वायरस तो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों पर सीधा ही प्रहार करता है। इस वायरस के फैलने के बाद से ही तम...
Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

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Consumer Protection Act 2019 has come into force from 20.07.2020 with several added features to safeguard interests of consumers. But big question is why some basic root-level changes are not incorporated either in the Act itself or by simultaneous modifications in existing system. National Anti-Profiteering Authority (NAPP) presently working under Department of Revenue should be shifted to Department of Consumer Affairs. Unfortunately there is no provision of entertaining feedback and suggestions coming from experts either by NAPP or by so many bodies constituted under Consumer Protection Act 2019. There must be some body which may have power to study and implement suggestions (if feasible) so that problems may not arise at root-level required to be tackled by NAPP or other bodies cons...
कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

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वर्तमान कोरोना वायरस रोग (कोविड-१९) महामारी के कारणवश इस वर्ष का विश्व जनसंख्या दिवस बहुत ही प्रासंगिक और सामयिक रहा क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, कोविड-१९ महामारी से सम्बंधित तालाबंदी के दौरान महिला-हिंसा और प्रताड़ना में बढ़ोतरी ही हुई है. भारत की प्रख्यात महिलाधिकार कार्यकर्ता, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अनुबद्ध प्रोफेसर और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से जुड़ीं डॉ गीता सेन ने इस बात पर दुःख जताया कि कोविड-१९ महामारी के चलते एशिया पैसिफिक देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) में महिलाओं/ किशोरियों से सम्बंधित अनेक प्रचलित हानिकारक प्रथाओं के जोखिम को बढ़ावा मिला है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के यूएनएफपीए की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट २०२० में कहा गया है. महामारी के दौरान महिला-हिंसा की समानांतर महामारी करीब ४० सालों से महिलाधिकार के लिए समर्पित डॉ गीता सेन ने बताया कि म...
One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

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It refers to news-item about Delhi Chief Minister directing fast disposal of 1.80 lakh pending applications for ration cards at rate of 40000 applications per month. But Delhi should be selected for experimenting ideal one-nation one-card system as announced by Union Finance Minister on 14.05.2020 for complete population of Delhi on a fast track rather than disposing just 1.80 lakh pending applications for ration-cards covering only 8 lakh people of the city out of total population of more than 2 crores. Since ultimately one-nation one-card system is to be adopted, any issue of new ration-cards for pending 1.80 lakh applications will be duplication of work resulting in over-spent of public-resources.   One-nation one-card system if made compulsory, will serve multiple purposes if Aad...
ऑनलाइन पढाई बच्चों  को रास नहीं आई

ऑनलाइन पढाई बच्चों को रास नहीं आई

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ऑनलाइन शिक्षा के परिणाम समाज के सामने आने लगे है | बच्चों और उनके अभिभावकों का एक बड़ा प्रतिशत एकाएक गाज की तरह सर पर आ गिरी इस मुसीबत से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार नहीं थे | जिन बच्चों ने कभी घर पर किताब खोली तक नहीं थी, अब उन्हें घर पर ही बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। यह और बात है कि किताब-कापी  उन्हें अब भी नहीं खोलनी, बस कंप्यूटर खोलना है। बड़े नामी स्कूल तो पूरी बेहरहमी के साथ घर में भी स्कूली यूनिफार्म के साथ ऑन लाइन होने की हिदायत देते हैं | मध्यम श्रेणी स्कूल भी बड़े स्कूलों की तरह पूरी निष्ठुरता से फ़ीस वसूल रहे है | इन स्कूलों ने छात्रों  को स्कूलों की वर्दी आदि से छूट है| ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब ४३ प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई में ओ...
उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

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आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का उपयोग करते हुए कोई महिला या पुरूष अपने ऐसे विचार समाज के सामने रखते हैं तो इस समाज के कुछ लोगों को यह उदारवाद रास नहीं आता और इनके द्वारा उस महिला या पुरुष का जीना ही दूभर कर दिया जाता है। वो लोग जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं वो दूसरों की असहमती को स्वीकार ही नहीं कर पाते। हाल ही के कुछ घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं। 1.हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को सोशल मीडिया पर धमकी दी गई है कि यूनिवर्सिटी खुलने के बाद उसे जबरन पीतल का हिजाब पहनाया जाएगा। उसक...