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देश कब समझेगा रील और ऱीयल दुनिया के नायकों का अंतर

देश कब समझेगा रील और ऱीयल दुनिया के नायकों का अंतर

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  अभी हाल ही में देश के दो रीयल और रील लाइफ के नायकों के संसार से विदा होने पर जिस तरह की प्रतिक्रिया देश में देखने को मिलीं वह सबकों हैरान करने वाली थी। पहले सशक्त अभिनेता और पीकू, लंच बॉक्स, पान सिंह तोमर जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपने यादगार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले इरफान खान और उसके बाद राज कपूर के छोटे बेटे ऋषि कपूर की मृत्यु पर देश में जिस तरह की शोक की लहर उमड़ी वह निश्चित रूप से अभूतपूर्व और अप्रत्याशित मानी जाएगी ऋषि कपूर ने अपने लगभग आधी सदी लंबे फिल्मी सफर में बॉबी, मुल्क,  लैला-मजनूं जैसी दर्जनों उम्दा फिल्मों में नायक का रोल निभाया । हालांकि वे बीच-बीच में अपने कुछ विवादास्पद बयानों के कारण खबरों में भी आ जाते थे। तो भी यह तो  मानना ही होगा कि वे एक लोकप्रिय सितारें थे। पर इन दोनों के दिवंगत होने के फौरन बाद कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए सेन...
ऍफ़. डी. आई. नीति में बदलाव : एक अच्छी शुरुआत पर आगे लम्बी राह

ऍफ़. डी. आई. नीति में बदलाव : एक अच्छी शुरुआत पर आगे लम्बी राह

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  ऍफ़. डी. आई. नीति में परिवर्तन कर भारत सरकार ने घरेलू कंपनियों में भारी निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण करने के चीनी प्रयास पर अंकुश लगाया । चीन में उत्पन्न हुई महामारी कोविड-१९ ने सम्पूर्ण विश्व को घेर लिया है । भारत में भी इस महामारी ने फरवरी माह में दस्तक दे दी थी और भारतीय सरकार को इससे लड़ने के लिए सम्पूर्ण लॉक-डाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़े । सम्पूर्ण लॉक-डाउन ने इस महामारी के प्रसार पर रोक लगायी परन्तु समूचे देश के आर्थिक क्रियाकलापों पर भी अल्प विराम लगा दिया । जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियां इस समय गंभीर आर्थिक समस्याओं से जूझ रही हैं । विडम्बना यह है कि इस महामारी का उद्गम स्थल चीन न सिर्फ इस महामारी को वश में करता प्रतीत हो रहा है अपितु इस समस्या का लाभ उठाने की लिए भी लालायित दिख रहा है । चीन अपने देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के माध्यम से विश्व भर में तीव्रता से...
कोविड -19 काल: जाने अपने सभी कर्तव्यों को और करें उनका पालन

कोविड -19 काल: जाने अपने सभी कर्तव्यों को और करें उनका पालन

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प्रत्येक अधिकार की प्राप्ति के लिए उससे सम्बंधित कर्त्तव्य का पालन करना अनिवार्य होता है । - गाँधीवादी सिद्धांत कोरोना वायरस जनित बीमारी कोविड -19 का पहला मामला दिसंबर,2019 में वुहान, हुबेई, चीन में पाया गया था। यह वायरस, मानव-से-मानव संचरण की तीव्र क्षमता के कारण, दुनिया भर में तेजी से फैल गया। दिनांक 11.03.2020 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया। इस लेख के लेखन के समय दुनिया भर में कोविड -19 के 20 लाख से अधिक पुष्टित मामले हैं और इसके कारण एक लाख आठ-हज़ार हज़ार से अधिक मौतें हुई हैं। इस समय भारत में कोविड -19 के 12 हजार से अधिक पुष्टित मामले हैं और इस महामारी के कारण 400 से अधिक मौतें हुई हैं । और यह संख्या हर दिन के साथ तेजी से बढ़ रही है । समय रहते केंद्र सरकार और उत्तराखंड राज्य दोनों ने महामारी का मुकाबला करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों...
महायुद्ध – महासंकट के महापरिणाम

महायुद्ध – महासंकट के महापरिणाम

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  अंततः अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने स्वीकार कर ही लिया कि कोरोना महामारी नहीं वरन उनके देश पर चीन का आक्रमण है। उनके देश पर ही नहीं वरन पूरी दुनिया पर। बिना हथियार चलाए चीन ने एक वायरस के माध्यम से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है और पूरी दुनिया मौत के साए में नपुंसक सी अपनी बर्बादी का यह ख़ौफ़नाक दृश्य 24 घंटे देख रही है। मजेदार बात यह कि जिस लेब में यह वायरस पैदा किया गया उसकी फंडिंग अमेरिका से हो रही थी। शांति पूर्ण ढंग से वायरोलॉजी के उपयोग के लिए संयुक्त प्रयासों से चल रही इस लेब का इतना खतरनाक उपयोग कोई शायद ही सोच पाया हो। क्या विडंबना है कि जिस विश्व स्वास्थ्य संगठन को दुनिया के बड़े देश चीन की कठपुतली मां चुके हैं उसी के निर्देशों पर ही दुनिया के देश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। क्या इस संस्था के माध्यम से चीन दुनिया को अपने इशारों पर चला रहा है और बर्बा...
सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था

सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था

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सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। लेकिन सऊदी के कबीलों को यह नहीं पसंद था कि तुर्की का खलीफा उस पर राज करें क्योंकि अरबी मुस्लिम अपने आप को श्रेष्ठ समझते थे और तुर्क अपने आप को श्रेष्ठ समझते थे। तुर्की के खलीफा ने इस्तांबुल से अम्मान फिर अम्मान से दमास्कस यानी दमिश्क़ फिर दमास्कस से होते हुए सऊदी अरब के विशाल रेगिस्तान को पार करके मक्का और मदीना तक रेलवे लाइन बिछाई थी जिसे हेजाज रेलवे कहते हैं मैंने इसके बारे में पहले भी विस्तार से लिखा हुआ है तुर्की का खलीफा सऊदी अरब के लोगों से एक गुलाम की तरह व्यवहार करता था और उसका कमांडर जब चाहे तब अरबों को मार डालता था उसी समय अंग्रेज तुर्की के खलीफा का पतन करना चाहते थे अंग्रेजों को यह बहुत अच्छा मौका मिला और उन्होंने कैप्टन लॉरेंस को इस गुप्त ऑपरेशन पर लगा दिया । लॉरेंस पहले भी इजिप्ट लीबिया सीरिया इत्याद...
आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

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कोरोना वायरस के असर से अब संसार का कोई भी देश बचा नहीं है। कोरोना वायरस ने सच में सारी दुनिया को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है। हर जगह कोरोना से रोज हजारों मौतें हो रही हैं। दुनिया इस वायरस के असर के कारण डरी-सहमी है। पर इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन, जहां से इस वायरस की उत्पति हुई और अन्य कई विकसित देशों के पेशेवर मैनेजर मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत में रहने वाले हजारों नागरिक अपने को यहां पर अपने खुद के देश की बजाय ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। फिलहाल ये अपने देशों में वापस जाने के लिए भी तैयार नहीं हैं। विमान की और मुफ्त सफ़र की व्यवस्था के बावजूद आनाकानी कर रहे हैं । अगर बात अमेरिका से शुरू करें तो वहां पर रोज बड़ी संख्या में लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। अपने को सर्वशक्तिमान समझने वाले अमेरिका की दर्दनाक स्थिति अब तो इतनी खराब हो ग...
चीन द्वारा 10 दिन में अस्पताल खड़ा करना क्रूरता, बर्बरता व धूर्तता पूर्ण सामाजिक-धोखा

चीन द्वारा 10 दिन में अस्पताल खड़ा करना क्रूरता, बर्बरता व धूर्तता पूर्ण सामाजिक-धोखा

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  चीन में प्रतिदिन कई-कई हजार लाशें क्रेमेशन सेंटर्स (शवदाह गृहों) में लाद-लाद कर पहुंचाई जा रहीं थीं। लेकिन चीन दुनिया के सामने फर्जी दावा ठोंक रहा था कि पूरे कोरोना-काल में केवल कुछ हजार ही मौतें हुईं हैं। (जितनी कुल मौतें चीन ने बताई, उतनी तो लाशें हर रोज क्रेमेशन सेटर्स पहुंच रहीं थीं)। चीन ने दुनिया को धोखे में रखा, दुनिया के अनेक देशों ने कोरोना को हल्के में लिया, गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण देशों को भारी व अकल्पनीय क्षतियां उठानी पड़ीं। चीन में लाखों लोग बीमार थे। डाक्टरों के पास साधारण मास्क तक नहीं थे। मरीजों के लिए बिस्तर तक नहीं थे। अस्पताल कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे थे। लोग अपने माता-पिता, रिश्तेदारों व मित्रों को अपनी आंखों के सामने तड़प-तड़प कर मरता देख रहे थे। लाखों लोग छोटे-छोटे माचिस के डब्बेनुमा घरों में कोरोना संक्रमित लोगों के साथ रहने को ब...
मरकज से मुरादाबाद- तक कौन भटका रहे हैं मुसलमानों को

मरकज से मुरादाबाद- तक कौन भटका रहे हैं मुसलमानों को

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  दिल्ली में तलबीगी मरकज में हजारों की संख्या में कोरोना संक्रमितों के साथ छिपकर देश को कोरोना वायरस के जाल में फंसाने वाले ये तथाकथित खुदा के बंदे बाज नहीं आ रहे हैं। जब तबलीगियों पर थोड़ा सा शिकंजा कसने लगा तो उनके हमदर्द मुम्बई में लॉकडाउन तोड़ने लगे। बांद्रा और थाणे में हजारों की संख्या में बिला वजह इकट्ठे होकर पुलिस और कानून-व्यवस्था को चुनौती देने लगे और मुरादाबाद से लेकर इंदौर तथा बिहार के मोतिहारी और औरंगाबाद में पुलिस और डाक्टरों की टीम पर पथराव करने लगे। जरा इनकी हिम्मत तो देखें। अब कोई यह तो न कहे कि सरकार इन्हें दोयम दर्जे का नागरिक-मानती समझती है। ये तो सरकार और बहुसंख्यकों के सिर पर चढ़कर खुलेआम पेशाब कर रहे हैं। डाक्टरों से मारपीट, महिला नर्सों से अश्लीलता और सफाई कर्मचारियों पर थूकना आम्बत है। इनकी महिलायें छतों से ईंटे बरसा कर पुलिस पर हमला कर रही हैं। उत्तर प्रदेश ...
इस्लामिक देश बनाने के लिए तबलीगी जमात का भारत सरकार पर वार

इस्लामिक देश बनाने के लिए तबलीगी जमात का भारत सरकार पर वार

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दिल्ली के भीड़भाड़ भरे निजामउद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मुख्यालय से निकाले गए हजारों लोगों में इंडोनेशिया, मलेशिया बंगला देश आदि देशों के नागरिकों का होना भारतीय समाज की आंखें खोलने वाली घटना है. जमात ने तो भारत की पीठ पर वार किया है. वह तो भारत को इस तरह का घाव देना चाह रहा था ताकि भारत कभी उबर ही न सके. अब इस आशंका को तो ठोस आधार मिल चुका है कि तबलीगी जमात के विदेशी कार्यकर्ता भारत को कोरोना वायरस से भयंकर रूप से संक्रमित करना चाह रहे थे. यानी वे भारत की एक बड़ी आबादी को कोरोना का शिकार बनाकर यहां पर इस्लामिक देश बनाने का सपना देख रहे थे. मोटा-मोटी तबलीगी जमात का लक्ष्य तो भारत के मुसलमानों को कट्टरपंथी बनाने और गैर-मुसलमानों को इस्लाम से जोड़ना ही है. यह तो कहने की बातें हैं कि तबलीगी जमात के लोग मुसलमानों को बेहतर मुसलमान बनाने के मार्ग पर लेकर जाते हैं. राजधानी की तबलीगी जमा...
सड़कों पे दौड़ते बदहवास लोग

सड़कों पे दौड़ते बदहवास लोग

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1894 में स्पैनिश फ्लू से भारत में लगभग 2 करोड़ लोग मारे थे जबकि उस वक्त भारत की आबादी 20 करोड़ थी। कोरोना का असर कब तक, कितना घातक और किस किस इलाके में होगा उसका अभी कोई आँकलन नहीं है। कारण यह है कि जब से चीन में कोरोना फैला है तब से दुनिया भर से लगभग 15 लाख लोग भारत आ चुके हैं और ये पूरे भारत में फैल गए हैं। इनमें से कितने लोग कोरोना के पॉजिटिव हैं कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। क्योंकि कोरोना के परीक्षण करने की बहुत सीमित सुविधाएँ देश में उपलब्ध हैं। ऐसे में विभिन्न देशों के अलग अलग विशेषज्ञों द्वारा भारत में कोरोना के सम्भावित असर पर अनेकों तरह की भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं। जो झकझोरने और आतंकित करने वाली हैं। इन सब विशेषज्ञों का मानना है कि भारत बहुसंख्यक गरीब आबादी जिसके लिए सामाजिक दूरी बना कर रहना असम्भव है, अगर वो इस बीमारी की चपेट में आ गई तो इस भयावक स्तिथि पर काबू पाना दुष्कर हो...