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डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों?

डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों?

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डिजिटल युग में बच्चे गुस्सैल और आक्रामक क्यों? विनीत नारायणआज के डिजिटल युग में, बच्चों का व्यवहार और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। माता-पिता और शिक्षक अक्सर यह शिकायत करते हैं कि बच्चे पहले की तुलना में अधिक गुस्सैल, चिड़चिड़े और आक्रामकहो गए हैं। इसका एक प्रमुख कारण बच्चों का कम उम्र में मोबाइल फोन और इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग है।प्रारंभिक स्क्रीन टाइम और डिजिटल दुनिया बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को नकारात्मक रूप सेप्रभावित कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप उनमें गुस्सा और आक्रामकता बढ़ रही है।आज के बच्चे ‘डिजिटल नेटिव्स’ हैं, यानी वे उस दुनिया में पैदा हुए हैं जहां स्मार्टफोन, टैबलेट और इंटरनेट रोजमर्रा कीजिंदगी का हिस्सा हैं। पहले जहां बच्चे खेल के मैदान में दोस्तों के साथ समय बिताते थे, वहीं अब वे मोबाइल स्क्रीन परगेम खेलने, वीडियो देखने और सोशल मीडि...
पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

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पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा-ललित गर्ग-जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, मंगलवार को एक भीषण, दर्दनाक एवं अमानवीय आतंकी हमले का गवाह बना, एक बार फिर जिहादी आतंक का घिनौना-बर्बर चेहरा दिखा। आतंकियों ने पहलगाम में निर्दाेष-निहत्थे पर्यटकों की जिस तरह पहचान पता करके गोलियां बरसाईं, उससे यही पता चलता है कि वे केवल खौफ ही नहीं पैदा करना चाहते थे, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों का खून बहाकर दुनिया का ध्यान भी खींचना चाहते थे। यह आतंकवाद एवं सांप्रदायिक घृणा का अब तक का सबसे घिनौना एवं बर्बर हमला एवं चेहरा है, जिसमें हिन्दू सुनकर चलाई गोलियां। जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मूल एजेंडे का हिस्सा है। इस जघन्य एवं त्रासद घटना में निर्दोष पर्यटकों को तब मौत की गहरी नींद सुलाया गया, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में हैं और भारतीय प्रधानमंत्री स...
पहलगाम : अब भारत की पारी शुरू

पहलगाम : अब भारत की पारी शुरू

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पहलगाम : अब भारत की पारी शुरू पहलगाम का आतंकी हमला हताशा में किया गया एक ऐसा कुकृत्य है, जिस पर हमेशा की तरह सुई पाकिस्तान की तरफ घूमती है। खुद आतंकवाद का दंश झेल रहा एक देश सरकारी और तैयार आतंकियों के जरिये भारत को बार-बार गहरे जख्म देने की नापाक नीति पर चल रहा है। पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने पर्यटकों पर हुए इस कायरतापूर्ण हमले की जिम्मेदारी ली है। इस दुखद घटना ने वर्ष 2008 में दुस्साहसपूर्ण ढंग से मुंबई और भारत को हिलाकर रख देने वाले लश्कर-ए-तैयबा द्वारा रचे गए नरसंहार की याद दिला दी है। यह महज संयोग नहीं कि यह हमला 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण और पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के भारत विरोधी बयान के बीच हुआ है। मुनीर ने पिछले हफ्ते ही कश्मीर को अपने देश की ‘गले की नस’ बताकर 22 अप्रैल के हमले की भयावहता की जमीन तैया...
पहलगाम – हिन्दुओं पर आतंक की कुदृष्टिआतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी

पहलगाम – हिन्दुओं पर आतंक की कुदृष्टिआतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी

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पहलगाम – हिन्दुओं पर आतंक की कुदृष्टि आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगीमृत्युंजय दीक्षितजब ऐसा प्रतीत होने लगा कि कश्मीर आतंकवाद के साए से निकलकर विकास और शांति के पथ पर आगे बढ़ रहा है तब ही पाकिस्तान ने अपने आतंकी संगठनों और कश्मीर में अपने बचे खुचे स्लीपर सेल की सहायता से एक बार फिर आतंक का नंगा नाच किया। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में जो हुआ उसने देश की नब्बे के दशक की डरावनी स्मृतियां ताज़ी कर दीं। हथियारबंद आतंकवादियों ने बैसरन पहुंचे हिन्दू पर्यटकों अंधाधुंध फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया। हिन्दुओं से उनका धर्म पूछा, कलमा सुनाने को कहा, नीचे के कपड़े उतारकर मजहब जांचा और सिर में गोली मार दी। बिलखते हुए औरतों और बच्चों से कहा जाओ- मोदी को बताओ। आतंकवादियों ने यह घृणित काम उस समय किया जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस भारत में थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के...
पाक को सबक सिखाना एवं आतंकवाद को उखाड़ना होगा

पाक को सबक सिखाना एवं आतंकवाद को उखाड़ना होगा

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पाक को सबक सिखाना एवं आतंकवाद को उखाड़ना होगा-ललित गर्ग-जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर एवं क्रूर आतंकी हमले से सारा देश गम एवं गुस्से में दिख रहा है, वही मोदी सरकार इस बार आर-पार के मूड में दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ( सीसीएस ) की बैठक के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े और कड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तान पर शिकंजा कसा है, जिससे वह डरा है, सहमा है, घबराया है। इन पंच शिकंजों में 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, राजनयिक मिशन की संख्या घटाई जाएगी, पाकिस्तानी सैन्य राजनयिकों को एक हफ्ते में भारत छोड़ना होगा, पाकिस्तानियों के लिए सार्क वीज़ा रद्द कर दिया गया है और अटारी बॉर्डर को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। ये कदम जहां आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी नीति को दर्शाते हैं वहीं पाकिस...
रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग

रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग

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रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग भारतीय मिसाइलों व रक्षा उपकरणों का बज रहा दुनिया में डंकामृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सर्वांगीण विकास के पथ पर बढ़ता हुआ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। रक्षा क्षेत्र भी इस धारा से अछूता नहीं है इसमें भी अहम और व्यापक परिवर्तन दिख रहा है । 2014 के पूर्व मात्र एक दशक पूर्व तक भारत की पहचान रक्षा उपकरणों के खरीदार की हुआ करती थी। रक्षा खरीद में घोटालों के समाचार आना सामान्य बात थी फिर भी ख़रीदे गए हथियारों की समय पर आपूर्ति नहीं होती थी। मोदी जी के नेतृत्व में ये परिस्थितियाँ तीव्रता के साथ बदल रही हैं। अब भारत जल, थल और नभ तीनों सेनाओं के सभी अंगों को सुदृढ़ करने के लिए दिन-रात प्रयास कर रहा है जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और बल दोनों निरंतर बढ़ रहे हैं। भारत के रक्षा वैज्ञानिक निरंतर शोध में में व्यस्त ...
देश की नवीन प्रतिभाओं के लिए नीति बनाइए

देश की नवीन प्रतिभाओं के लिए नीति बनाइए

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देश की नवीन प्रतिभाओं के लिए नीति बनाइए आँकड़े सामने है कि बीते साल विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी आई है। इसमें भी अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या में 36 और कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में 34 प्रतिशत की कमी आई है। यही स्थिति ब्रिटेन की भी है। आंकड़े वर्ष 2024 के हैं। निश्चित तौर पर जब ट्रंप काल में उखाड़-पछाड़ के दौर के आंकड़े सामने आएंगे, तो वे ज्यादा चौंकाने वाले होंगे। एक समय था कि छात्रों में परदेस जाकर पढ़ाई करने का जुनून उफान पर था। हर साल मां-बाप खून-पसीने की कमाई से और अपना पेट काटकर बच्चों को पढ़ने के लिये विदेश भेज रहे थे। कहीं-कहीं तो खेत बेचकर और घर गिरवी रखकर बच्चों को विदेश पढ़ाने के लिए भेजने के मामले भी प्रकाश में आए। देश में बैंकों से एजुकेशन लोन मिलने की सुविधा ने भी छात्रों की विदेश यात्रा को सुगम बनाया। हर साल लाखों छात्र...
वक़्फ़ नए सिरे से ही सुनवाई होगी

वक़्फ़ नए सिरे से ही सुनवाई होगी

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वक़्फ़ नए सिरे से ही सुनवाई होगी देश की सर्वोच्च अदालत ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर ‘अंतरिम आदेश’ जारी किया है, लेकिन कानून पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई है। ‘अंतरिम आदेश’ भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिए, केंद्र सरकार की ‘अंडरटेकिंग’ के बाद ही, जारी किया गया है। केंद्र की सहमति रही कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। यदि राज्य बोर्ड में ऐसी नियुक्ति की जाती है, तो उसे ‘शून्य’, अमान्य समझा जाए। ‘वक्फ बाय यूजर’ की संपत्तियों, पंजीकृत, राजपत्रित या गैर-पंजीकृत, को ‘डी-नोटिफाई’ नहीं किया जाएगा। बताया जाता है कि ‘वक्फ बाय यूजर’ की 4 लाख से अधिक संपत्तियां हैं। जांच या सर्वे के बाद कलेक्टर वक्फ संपत्ति पर कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। इन प्रावधानों पर सॉलिसिटर जनरल ने सर्वोच्च अदालत की न्यायिक पीठ को आश्वस्त किया है कि यथास्...
जजों की संपत्ति का प्रकटीकरण पारदर्शिता की ओर कदम

जजों की संपत्ति का प्रकटीकरण पारदर्शिता की ओर कदम

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जजों की संपत्ति का प्रकटीकरण पारदर्शिता की ओर कदम-ललित गर्ग- न्यायपालिका पर जनता का भरोसा लोकतंत्र का अहम आधार है। न्यायिक प्रणाली में किसी संदेह की गुंजाइश नहीं रहे, इसके लिये न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता, जबावदेही एवं निष्पक्षता की जरूरत है, इसके लिये सर्वोच्च न्यायालय से निचली अदालतों तक के न्यायाधीशों को संपत्ति सार्वजनिक करने जैसे कदम उठाए जाने की अपेक्षा आजादी के अमृतकाल में तीव्रता से की जा रही थी, ताकि न्यायपालिका की पारदर्शिता को लेकर उठने वाले संदेह दूर हो सकें, यह मुद्दा जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कथित तौर पर जली हुई नोटों की गड्डी मिलने जैसी घटनाओं और उनसे उपजे विवादों के बाद गंभीर सार्वजनिक विमर्श का बन गया था। जनचर्चाओं एवं आदर्श राष्ट्र-निर्माण की अपेक्षाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने पर जो सहमति जताई है, वह सही दिशा...
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं

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न्यायपालिका में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं, विनीत नारायण भारत के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस रामस्वामी पर अनैतिक आचरण के चलते 1993 मेंसंसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। पर कांग्रेस पार्टी ने मतदान के पहले लोकसभा से बहिर्गमन करके उन्हेंबचा लिया। 1997 में मैंने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस वर्मा के अनैतिक आचरण को उजागरकिया तो सर्वोच्च अदालत, संसद व मीडिया तूफ़ान खड़ा हो गया था। पर अंततः उन्हें भी सज़ा के बदले तत्कालीनसत्ता व विपक्ष दोनों का संरक्षण मिला। 2000 में एक बार फिर मैंने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डॉ ए एसआनंद के छह ज़मीन घोटाले उजागर किए तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये मामला चर्चा में रहा व तत्कालीन क़ानून मंत्रीराम जेठमलानी की कुर्सी चली गई। पर तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विपक्ष के सहयोग से उन्हें सज़ा देने के बदलेभारत के मानव...