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मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम ?

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चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।  तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।   एक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा.अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल-बेहाल न होता।   उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल, बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। ...
बड़े बदलावों की नई सुबह

बड़े बदलावों की नई सुबह

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विधानसभा चुनावों में आयी भगवा सूनामी ने नकारात्मक राजनीति के कचरे को बेतरह बहा दिया है और अब देश में सकारात्मक वातावरण में राष्ट्रवादी और भारतपरक राजनीति का उदय हो गया है। हालांकि यह उदय तो मई 2014 में मोदी सरकार आने पर ही हो गया था किंतु देश के सेकुलर-वामपंथी खेमे की कलुषित मानसिकता, स्वार्थ की राजनीति एवं सरकार के हर कदम व कार्य की अबाध आलोचना और खिल्ली उड़ाने की घटिया हरकतों व किसानों, जवानों व जातीय-धार्मिक समूहों को भड़काने की राजनीति से चारों ओर भ्रम व अविश्वास का घना कोहरा छा गया था। मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले दलों कांग्रेस पार्टी, सपा, बसपा और आआपा को जनता ने आत्मकेंद्रित राजनीति की बहुत बड़ी सजा दी है और एक प्रकार से सेकुलर राजनीति की जड़ें ही हिला दी। यह चुनाव देश की जनता के लिए अमृत वर्षा की तरह है, क्योंकि या तो सेकुलर खेमा समाप्त होता जायेगा अथवा उसको राष्ट्रवादी सांचे...
मानवीय गुणों की अभिव्यक्ति ही जीवन का सार है

मानवीय गुणों की अभिव्यक्ति ही जीवन का सार है

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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के खैर के गांव सूरजमल निवासी अमित को किडनी खराब होने का पता उस वक्त चला जब फौज की भर्ती में दौड़ के दौरान अचानक उसका बीपी बढ़ गया। जांच कराने पर पता चला कि उसकी दोनों किडनी खराब हो गई है। आर्थिक रूप से कमजोर अमित हो आॅपरेशन के लिए साढ़े आठ लाख रूपये की जरूरत थी। अमर उजाला-फाउंडेशन की पहल पर अमित को आर्थिक मदद की गयी। ये अभियान था किडनी ट्रांसप्लांट करा कर 20 वर्षीय युवा अमित की जिंदगी बचाने का। जिसमें अमर उजाला फाउंडेशन की अपील पर लोगों से सवा सात लाख रूपये की बड़ी मदद उसको मिली है। अमित का किडनी ट्रांसप्लांट 11 मार्च 2017 को दिल्ली के प्रतिष्ठित सर गंगाराम हास्पिटल में सफलतापूर्वक हुआ। अमित और उसे किडनी देने वाली उसकी मां अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। वैज्ञानिक श्री वैभव तिड़के ने बताया कि मेरा जन्म महाराष्ट्र के ऐसे गांव में हुआ था, जहां विकास की कल्पना तक नहीं की जा सकती थ...
बॉडी के 7 चक्र बनाते हैं चमकदार, आप भी कर सकते हैं उन्हें सक्रिय

बॉडी के 7 चक्र बनाते हैं चमकदार, आप भी कर सकते हैं उन्हें सक्रिय

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1. मूलाधार चक्र :  यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है। मंत्र : लं  चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना। प्रभाव :  इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है। 2. स्वाधिष्ठान चक्...
HAS STRIKE BECOME A HABIT FOR GOVERNMENT EMPLOYEES IN INDIA ?

HAS STRIKE BECOME A HABIT FOR GOVERNMENT EMPLOYEES IN INDIA ?

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On 16th March,2017, employees belonging to government of India including  postal department  went on All India strike, with public losing counts as to how many times the government employees have gone on strike on various pretext in the last few years. In any case, when the government employees went on strike on 16th March, most segment of Indian population who face the brunt of the problems caused due to the strike,  do not know as to what is the purpose of this latest strike. While strike by government employees  no more make news in India as it has become too routine, in the case of the strike on 16th March, most segment of the public were shocked , since the government of India  revised the salaries and perks of the government employees steeply only recently , by accepti...
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 16 गुना अधिक

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 16 गुना अधिक

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पर्यावरण व ऊर्जा विकास के क्षेत्र में काम करनेवाली संस्था सेंटर फाॅर एन्वाॅयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा जारी रिपोर्ट ‘एम्बिएन्ट एयर क्वालिटी फाॅर दिल्ली’ के अनुसार बीते सर्दी के मौसम में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पाया गया, जिसका साफ मतलब है कि यहां की हवा सांस लेने योग्य नहीं रही। रिपोर्ट के अनुसार जाड़े के चार महीनों के मौसम में ऐसा कोई इकलौता दिन नहीं रहा, जब वायु की गुणवत्ता की केटेगरी ‘अच्छी’ रही हो, बल्कि 89 प्रतिशत दिनों में यह ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता के अंतर्गत रही। 6 प्रतिशत दिनों में यह ‘गंभीर’ दर्जे की मानी गयी। वायु प्रदूषण की यह दशा हमारी राजधानी के जीवन स्तर और रहन-सहन पर गंभीर खतरे पेश करती है। बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया के समीप दिल्ली टेक्नोलाॅजिकल युनिवर्सिटी में स्थापित माॅनिटरिंग स्टेशन से प्राप्त प्रदूषित कण यानी पर्टिकुल...
Who are Those Who Have No Trust in The Nation

Who are Those Who Have No Trust in The Nation

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A new class of people who are never satisfied has emerged on the national scene. The one point agenda of this class is to get all benefit from the country and then campaign and act against the nation. This class loses faith in the Supreme Court when Yakub Memon, accused in Mimbai serial blast is sentenced to death. They had no faith in the President of India Pranab Mukherjee who rejected the clemency petition of the accused Yakub. The lose faith in the nation and in the Army after the successful surgical strike when they demand proof of the operation. Now when this class lost in the just concluded assembly elections in Uttar Pradesh they have lost faith in the EVM machines, This class now says the voting machines were tampered with. This so called secular and progressive forces get their...
एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा प्राप्त गांव मावलिन्नांग

एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा प्राप्त गांव मावलिन्नांग

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हर घर में शौचालय हो; गांव-गांव सफाई हो; सभी को स्वच्छ-सुरक्षित पीने का पानी मिले; हर शहर में ठोस-द्रव अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था हो - इन्ही उद्देश्यों को लेकर दो अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई थी। कहा गया कि जब दो अक्तूबर, 2019 को महात्मा गांधी जी का 150वां जन्म दिवस मनाया जाये, तब तक स्वच्छ भारत अभियान अपना लक्ष्य हासिल कर ले; राष्ट्रपिता को राष्ट्र की ओर यही सबसे अच्छी और सच्ची श्रृद्धांजलि होगी। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए 62,009 करोड़ का पंचवर्षीय अनुमानित बजट भी तय किया गया था। अब हम मार्च, 2017 मंे हैं। अभियान की शुरुआत हुए ढाई वर्ष यानी आधा समय बीत चुका है। लक्ष्य का आधा हासिल हो जाना चाहिए था। खर्च तो आधे से अधिक का आंकड़ा पार करता दिखाई दे रहा है। कितने करोड़ तो विज्ञापन पर ही खर्च हो गये। हमारी सरकारें अभी सिर्फ शौचालयों की गिनती बढ़ाने में लगी है। सफाई के असल पैमा...
एक नवाचारी सोच पर आधारित-  विमुक्त भागीदारी (फ्री पार्टनरशिप) का मंत्र

एक नवाचारी सोच पर आधारित- विमुक्त भागीदारी (फ्री पार्टनरशिप) का मंत्र

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  डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व सम्मोहक तथा बहुपक्षीय था। उनका महत्त्व रामेश्वरम् के एक अनजान ग्रामीण लड़के से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा तक सीमित नहीं थी। वह बचपन से ही मानवीयता तथा आध्यात्मिकता से प्रेरित रहे। उन्होंने अपने जीवन में सपनों को साकार करने का प्रयत्न किया और सफलता ने उनका दामन नहीं छोड़ा। ‘मिसाइल पुरुष’ नाम से प्रख्यात् डाॅ0 कलाम सन् 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाना चाहते थे। वह हमेशा आकाश की ऊँचाईयों तक पहुँचने के इच्छुक रहे। वे समाज के सभी वर्गों के साथ-साथ विशेषरूप से बच्चों के मस्तिष्क को प्रज्वलित करने के लिए जीवनपर्यन्त प्रयत्नशील रहे। जो भी व्यक्ति उनके सम्पर्क में आता था, वह उनके अनेक गुणों जैसे: सादगी, सद्भावना, संवेदनशीलता, विनम्रता, आत्मीयता, मैत्रीपूर्ण व्यवहार आदि से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था। वे सदैव अच्छे कार्यों की प्रशं...
साहसी महिलायें हर क्षेत्र में बदलाव की मिसाल कायम कर रही हैं

साहसी महिलायें हर क्षेत्र में बदलाव की मिसाल कायम कर रही हैं

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विश्व की साहसी महिलायें हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं। कुछ ऐसी बहादुर तथा विश्वास से भरी बेटियों से रूबरू होते हैं, जिन्होंने समाज में बदलाव और महिला सम्मान के लिए सराहनीय तथा अनुकरणीय मिसाल पेश की है। देश में डीजल इंजन ट्रेन चलाने वाली पहली महिला मुमताज काजी हो या पश्चिम बंगाल में बाल और महिला तस्करी के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनोयारा खातून। ऐसी कई आम महिलाएं हैं जो भले ही बहुत लोकप्रिय न हो लेकिन उन्हें इस साल नारी शक्ति पुरस्कार के लिए चुना गया। राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को 30 महिलाओं को पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाने वालों में नागालैण्ड की महिला पत्रकार बानो हारालू भी शामिल है जो नागालैण्ड में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है। उत्तराखण्ड की दिव्या रावत ग्रामीणों के साथ मशरूम की खेती को विकसित करने की भूमिका निभा रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस मे...