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‘‘होली’’ का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!

‘‘होली’’ का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!

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(1) ‘होली’ भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार:- भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके, लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना होता है। यही कारण है कि भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों में सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। परम पिता परमात्मा से हमारी प्रार्थना है कि होली का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति ...
Amazing scientific inventions by ancient Hindu saints

Amazing scientific inventions by ancient Hindu saints

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Top 10 Biggest Inventions by Indian People India has been a prominent center of learning since ancient times. The land was one of the most advanced regions in various fields of science.The Indian subcontinent has been a major contributor to the world and has excelled in fields of astronomy, numerology, arithmetic, mineralogy, metallurgy, logic, information and technology. Some of the inventions even date back to as early as the Indus Valley Civilization. Historical evidences and excavations by archaeologists ascertain the dominance of India in the field of science and technology.  10. Cotton Gin Cotton Gin is a machine used to separate cotton from the seeds. The evidence of this machine was found through the carvings on Ajanta caves where the pictures of these machines were en...
बजट और मेरा दृष्टिकोण

बजट और मेरा दृष्टिकोण

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    मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं, मैं जब अपने मां के गर्भ में था यदि उस समय मेरी मां को दूध, मक्खन, घी, मछली मांस, अंडा, ड्राई फ्रूट, फल, सब्जी भरपेट खाने को मिला होता तो शायद आज मेरा रंग रूप दूसरा हुआ होता। मैं उस मां के पेट से जन्म लेकर आया हूं जिसको भरपेट भोजन नहीं मिला, वह आधे पेट खाकर सोती थी, कभी-कभी मां के पेट में भी मुझे भूखा रहना पड़ता था। आपने कभी इस पर सोचा, आपके दिल में कभी दर्द हुआ, हम जेल में जाते थे तो गाते थे, धनवानों के राजमहल हम गरीब को फांसीघर चलो बसाएं नया नगर। मैं भी नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, उन्होंने उस मां के दर्द को समझा और गर्भवती महिलाओं को छह हजार रूपये भोजन के लिए दिए। हिन्दी भाषी इलाके के लोग जो पिछड़े हैं, दलित हैं, गरीब हैं, मजदूर हैं, किसान हैं और गांव की झोपड़ी में रहने वाले हों, अपनी-अपनी माताओं तक यह संदेश पहुंचा...
सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण : सांस्कृतिक संध्या एवं परिचर्चा

सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण : सांस्कृतिक संध्या एवं परिचर्चा

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सभ्यता और संस्कृति पर मंडरा रहे विदेशी हस्तक्षेप और बाज़ार के हस्तक्षेप के खतरों पर एक सफल कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में मैथिली भाषा और संस्कृति के लिए संघर्षरत गैरसरकारी संगठन दीपक फाउंडेशन के द्वारा दिनांक 19 फरवरी 2017 को नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्युशनल क्लब के मावलंकर हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम में डायलॉग इंडिया और ओपन कोर्ट सहित कई अन्य संस्थान भी सम्मिलित थे। कार्यक्रम का शीर्षक था सभ्यता, संस्कृति एवं संरक्षण। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम के शीर्षक के अनुसार ही हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों के आगमन तक दर्शकों के सम्मुख नृत्यांगना अनु सिन्हा के नृत्य समूह ने गणेश वन्दना एवं शिव वंदना प्रस्तुत की। इस वंदना ने कार्यक्रम में जहां एक तरफ दर्शकों को मुख्य अतिथि के आने तक बांधे रखा वहीं उन्होंने अपनी संस्कृति के सबसे प्राचीन रूप के भी दर्शन कराए। जब नन्हे नन्हे कदम इस तरह सधे और आ...
रंगों का त्यौहार: जीवन का उल्लास

रंगों का त्यौहार: जीवन का उल्लास

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भारतवर्ष त्यौहारों का देश है। हर एक त्यौहार का अपना एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व होता है। इन सारे त्यौहारों में होली ही एक त्यौहार है जो पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक के साथ-साथ आमोद-प्रमोद के लिये मनाया जाने वाला खुशियों का त्यौहार है।। बुराई पर अच्छाई की विजय का, असत्य पर सत्य और शत्रुता पर मित्रता की स्थापना का यह पर्व विलक्षण एवं अद्भुत है। पुराने गिले-शिकवे भुला कर एक दूसरे के रंग में रंग जाने, हर्ष और उल्लास से एक दूसरे से मिलने और एक दूजे को आपसी सौहार्द एवं खुशियों के रंग लगाने के अनूठे दृश्य इस त्यौहार में मन को ही नहीं माहौल को भी खुशनुमा बनाते हंै। रंगों से ही नहीं, नृत्य गान, ढोलक-मंजीरा एवम अन्य संगीत वादक यंत्रों को बजा कर मनोरंजन करते हंै। पौराणिक मान्यताओं की रोशनी में होली के त्योहार का विराट् समायोजन बदलते परिवेश में विविधताओं का संगम बन गया है। इस अवसर पर...
मावफलांग के खासी

मावफलांग के खासी

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भारत का पहला रेड पायलट समुदाय मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित है ज़िला-ईस्ट खासी हिल्स। यहां की जयंतिया पहाड़ियों के बीच सिमटी है घाटी – मावफलांग। समुद्र से 5,000 फीट की ऊंचाई पर बसे मावफलांग के पवित्र जंगलों की दास्तानें काफी पुरानी व दिलचस्प है। दैवशक्ति लबासा की निगाह में पवित्र जंगल का बुरा करना अथवा जंगल के भीतर बुरा सोचना-बोलना किसी बड़े अपराध से कम नहीं। इसकी सजा अत्यंत घातक होती है। इसी विश्वास और जंगल पर सामुदायिक हकदारी ने लंबे अरसे तक मावफलांग के जंगल बचाये रखे। जंगलों पर हकदारी और जवाबदारी दोनो ही हिमाओं के हाथ में है। हिमा यानी खासी आदिवासी सामुदायिक सत्ता; संवैधानिक शब्दो में हिमा को कई ग्राम समूहों की अपनी सरकार कह सकते हैं। मावफलांग के जंगलों के बीच खडे़ विशाल पत्थर इस सत्य के मूक गवाह हैं कि हिमाओं ने जंगलों को उस ब्रितानी हुकूमत के दौर में भी ...
सच्चर रिपोर्ट के दस साल:- क्या खाक मेहरबान होंगें

सच्चर रिपोर्ट के दस साल:- क्या खाक मेहरबान होंगें

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आजादी के बाद पिछले करीब सात दशकों के दौरान देश का विकास तो काफी हुआ है लेकिन इसमें सभी तबकों, समूहों की समुचित भागीदारी नही हो सकी है. देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह मुसलिम समुदाय की दोहरी त्रासदी यह रही कि वह एक तरफ तो विकास की प्रक्रिया में हाशिये पर पहुँचता गया तो दूसरी तरफ असुरक्षा, भेदभाव, संदेह और तुष्टीकरण के आरोपों का भी शिकार रहा. आजादी के करीब 60 सालों बाद मुसलिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिणक स्थिति की पड़ताल करने के लिए जस्टिस राजेन्द्र सच्चर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया. सच्चर समिति ने अपनी रिर्पोट के जरिये मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन सम्बंधी उन सच्चाइयों को आकंड़ों के ठोस बुनियाद पर रेखाकिंत करते हुए उन्हें औपचारिक स्वीकृती दिलाई है जिन पर पहले ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, साथ ही साथ इस रिर्पोट ने बहुत सारे ऐसे मिथकों, भ्रामक दुष्प्रचारों व तुष्टीकरणी के आरो...
नारी अस्तित्व एवं अस्मिता पर धुंधलके क्यों?

नारी अस्तित्व एवं अस्मिता पर धुंधलके क्यों?

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सम्पूर्ण विश्व में नारी के प्रति सम्मान एवं प्रशंसा प्रकट करते हुए 8 मार्च का दिन उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में, उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से पहले और बाद में हफ्ते भर तक विचार विमर्श और गोष्ठियां होंगी जिनमें महिलाओं से जुड़े मामलों जैसे महिलाओं की स्थिति, कन्या भू्रण हत्या की बढ़ती घटनाएं, लड़कियों की तुलना में लड़कों की बढ़ती संख्या, गांवों में महिला की अशिक्षा एवं शोषण, महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाएं, अश्लील हरकतें और विशेष रूप से उनके खिलाफ होने वाले अपराध को एक बार फिर चर्चा में लाकर वाहवाही लूट ली जायेगी। लेकिन इन सबके बावजूद एक टीस से मन में उठती है कि आखिर नारी कब तक भोग की वस्तु बनी रहेगी?  उसका जीवन कब तक खतरों से घिरा रहेगा? बलात्कार, छेड़खानी, भूण हत्या और दहेज की धधकती आग में वह कब तक भस्म होती रहेगी? कब तक...
Friend, father & philosopher of black money is Chidambaram

Friend, father & philosopher of black money is Chidambaram

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Palaniappan Chidambaram, whom I shall for the sake of brevity call just Chidambaram, is best seen through black and white. And please don’t get me wrong and accuse me of racism. I refer not to epidermis or mane, but to the economic colour of money. Some of his greatest contributions to the economy of India are his brilliant pioneering initiatives for changing the colour of money from black to white. And this passion has never left him. Many of us have forgotten the Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) 1997, which he announced when he was Finance Minister with the United Front government, granting income-tax defaulters indefinite immunity from prosecution under the Foreign Exchange Regulation Act, 1973, Income Tax Act, 1961, Wealth Tax Act, 1957, and Companies Act, 1956, in excha...
बयान पर विवाद या कटु सत्य पर प्रहार

बयान पर विवाद या कटु सत्य पर प्रहार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश के फतेहपुर की एक रैली में यह कहा जाना कि अगर किसी गांव को कब्रगाह के निर्माण के लिए कोष मिलता है,तो उस गांव को श्मशान की जमीन के लिए भी कोष मिलना चाहिए. गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए. अगर आप ईद में बिजलीकी आपूर्ति निर्बाध करते हैं, तो आपको दीपावाली में भी बिजली की आपूर्ति निर्बाध करनी चाहिए.यानि,  भेदभाव नहीं होना चाहिए. भाजपा सांसद साक्षी महाराज द्वारा यह कहा जाना कि ”चाहे नाम कब्रिस्‍तान हो, चाहे नाम श्‍मशान हो, दाह होना चाहिए। किसी को गाड़ने की आवश्‍यकता नहीं है।”  गाड़ने से देश में जगह की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्‍होंने कहा कि ”2-2.5 करोड़ साधु हैं सबकी समाधि लगे, कितनी जमीन जाएगी।20 करोड़ मुस्लिम हैं सबको कब्र चाहिए हिंदुस्‍तान में जगह कहां मिलेगी।” अगर सबको दफनाते रहे तो देश में खेती के लिए जगह कहां से आएगी...