
क्या बदले तो बदले भारत : व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?
लोगों के लिए, लोगों के द्वारा, लोगों की सरकार’- यह लोकतंत्र की सर्वमान्य परिभाषा है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया - लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। लोकनियोजन, लोकनीति, लोकस्वामित्व, लोकअभिव्यक्ति और लोक उम्मीदवारी - ये लोकतंत्र के प्रमुख प्रभावी पांच लक्षण है। लोक के साथ तंत्र का सतत् संवाद, सहमति, सहयोग, सहभाग, सहकार और सदाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था संचालन के छह सूत्र हैं। यदि लोकतंत्र के उक्त तीन जोड़, चार स्तंभ, पांच लक्ष्ण और छह सूत्र सक्रिय व सुविचारित रूप से मौजूद हों, तो समझना चाहिए कि व्यवस्था सुचारु और लोकतांत्रिक है। यदि ऐसा न हो तो लोक घाोषणापत्र, लोक निगरानी और लोक-अंकेक्षण, लोक को नियंत्रित करने के तीन औजार हो सकते हैं और लोकउम्मीदवारी तंत्र में लोक के कब्जे का एक सर्वोदयी विचार।
सोचिए!
क्या हमारी पंचायत और ग्रामसभा के बीच, निगम और मोहल्ला समितियों के बीच सतत् औ...