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State of India’s Environment report of 2024 sounds alarm bells on the Himalayas

State of India’s Environment report of 2024 sounds alarm bells on the Himalayas

TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति
Himalayas in dire straits, one or more ‘tipping points’ already crossed, leading to faster and irreversible changes in the region’s climate system: State of India’s Environment 2024 report 44 per cent of India’s disasters happened in Himalayas between 2013 and 2022. Floods, landslides and thunderstorms had the lion’s share Hindu Kush Himalayas has seen a 65 per cent faster loss of glacier mass.Ice-melt from glaciers is creating new glacial lakes. Triggered by cloudbursts, these lakes overflow and cause floods The State of India’s Environment 2024 report is available on sale here: https://csestore.cse.org.in/default/books/state-of-india-s-environment-2024.html Nimli (near Alwar), February 29, 2024: Between 2013 and 2022, the Himalayan region in India accounted for 44 per cent o...
<strong>क्यों यूपी लोकसभा चुनाव में भरेगा भाजपा की झोली</strong>

क्यों यूपी लोकसभा चुनाव में भरेगा भाजपा की झोली

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य
आर.के. सिन्हा अब कुछ हफ्तों के बाद ही देश में लोकसभा चुनावों की घोषणा हो जाएगी। पर उत्तर प्रदेश (यूपी) को छोड़कर देश के लगभग सभी राज्यों की लोकसभा सीटों के लिए कांटे की टक्कर होने की संभावना है । लेकिन, उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर नतीजे कुल मिलाकर लगभग तय हैं। यह बात उत्तर प्रदेश के शिखर सियासी नेताओं से लेकर आम इंसान तक को भलीभांति यह पता हैं। कभी जंगलराज, भाई भतीजावाद, भ्रष्टाचार से जूझने वाला यूपी अब भारी-भरकम मोटा निवेश भी खींच रहा है। सात साल पहले तक तो यूपी की गिनती बीमारु राज्यों में होती थी,  लोग मजाक में यू.पी. को उल्टा प्रदेश भी कहते थे I लेकिन, आज यूपी की पहचान देश के  खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में भी होने लगी है। यूपी आज विकास की असीमित संभावनाओं के प्रदेश के रूप में स्थापित हो चुका है। यूपी देश...
शिक्षा : छात्र हिंसक क्यों हो रहे हैं?

शिक्षा : छात्र हिंसक क्यों हो रहे हैं?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
यह विडंबना देश का दुर्भाग्य ही है कि जिस उम्र में छात्रों को एकाग्र होकर पढ़ाई-लिखाई में बेहतर करके अपना भविष्य संवारना चाहिए था, उस उम्र में वे हिंसक गतिविधियों में लिप्त दिख रहे हैं। किशोरों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति हमारे समाज के लिये एक चेतावनी ही है। आए दिन स्कूली छात्रों के खूनी टकराव और छात्रों की जान जाने की खबरें आ रही हैं। जो शिक्षकों और अभिभावकों के लिये गंभीर चिंता की बात है। विचारणीय प्रश्न यह है कि खेलने-खाने की उम्र में छात्रों के व्यवहार में यह आक्रामकता क्यों आ रही है? इसी संकट की आहट को महसूस करते हुए कुछ राज्य सरकारों के शिक्षा निदेशालयों ने स्कूलों को आदेश दिया है कि विद्यार्थियों के बस्ते की औचक जांच के लिए एक समिति बनायी जाए। जिसका मकसद है कि किसी लड़ाई-झगड़े में छात्रों को नुकसान पहुंचने वाली घातक वस्तुओं की निगरानी करना। ताकि किसी टकराव और संघर्ष की स्थिति म...
चुनाव : भाजपा अपनी लीक पर चलेगी

चुनाव : भाजपा अपनी लीक पर चलेगी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा इस बार भी आम चुनाव में कुछ नया करने जाती दिख रही है।लोकसभा चुनाव में भले एन डी ए सरकार की बात कही जाए, भाजपा का पूरा प्रयास अपने दम पर सरकार बनाने का है। जो संकेत मिल रहे हैं, वे 2019 से पृथक नहीं हैं। जैसे कि जब पिछले लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने जब प्रत्याशियों की घोषणा की तो उसने अपने 268 में से 99 सांसदों यानी 36 प्रतिशत के टिकट एक झटके में काट दिए। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के 282 सांसद जीत कर लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन कुछ सासंदों की मौत होने और कुछ उपचुनावों में हार के कारण उसके 268 सांसद ही बचे थे। तब पार्टी ने जितने सांसदों के टिकट काटे, उनकी जगह सेवानिवृत्त अफसरशाहों, कलाकारों, क्रिकेटरों जैसे नए चेहरों को मैदान में उतारा। इनमें फिल्मी सितारे सनी देओल, रवि किशन, लॉकेट चटर्जी, गायक हंसराज हंस, क्रिकेटर गौतम गंभीर एवं अपराजिता सारंगी जैसे ब्यूरोक्...
<em>संघीय मान्यता प्राप्त संवैधानिक संस्थाओं की अवहेलना क्यों?</em>

संघीय मान्यता प्राप्त संवैधानिक संस्थाओं की अवहेलना क्यों?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
देश के सर्वोच्च न्यायालय को राज्य सरकारों के प्रमुखों को संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान के बारे में निर्देश देना ही पड़ेंगे, इसकी ज़रूरत अब साफ़ नज़र आ रही है। आज ये प्रश्न खड़े हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल संवैधानिक जांच एजेंसियों के सामने पेश क्यों नहीं हो रहे ? क्या आम आदमी इन एजेंसियों के समन को लगातार खारिज कर सकता है? क्या इनके समन को स्वीकार न करना ‘असंवैधानिक’ नहीं है? अदालत का इस व्यवस्था पर एक स्पष्ट आदेश जरूर आना चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई सरीखी एजेंसियों को संवैधानिक, संघीय मान्यता हासिल है कि वे देश के प्रधानमंत्री को भी जांच के लिए तलब कर सकती हैं। केजरीवाल भी संवैधानिक पद पर हैं और संविधान, लोकतंत्र बचाने के नारों पर राजनीति करते रहे हैं। फिर ईडी के समन को बार-बार ‘अवैध’ करार देना क्या संविधान-सम...
<em>चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?</em>

चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण
*चिकित्सा : कहाँ भटक गए हम ?* इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि विश्व को ज्ञान देने वाली भारत की प्रतिभाएं तथा अभिभावक मौजूदा दौर में शिक्षा को लेकर दुश्वारियों के दौर से गुजर रहे हैं। देश की हजारों प्रतिभाएं पढ़ाई के नाम पर प्रतिवर्ष विदेशी शिक्षण संस्थानों का रुख कर रही हैं, बल्कि कई छात्र भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। भले ही भारत की करोड़ों आबादी गरीबी रेखा से नीचे बसर करने को मजबूर है, मगर विदेशों में शिक्षा हासिल करने वाले हजारों भारतीय छात्रों के अभिभावक हर वर्ष करोड़ों रुपए की महंगी फीस अदा करके अमरीका, कनाडा, ऑस्टे्रलिया, ब्रिटेन व न्यूजीलैंड सहित कई अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। अमरीका, कनाडा व ब्रिटेन शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों के लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन चुके हैं। ‘शिक्षा एक राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है। यदि आप किसी देश के उन्नयन एवं अवनयन का काल जानना चाहत...
समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया

समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
- ललित गर्ग - वैश्विक संस्था ऑक्सफैम ने अपनी आर्थिक असमानता रिपोर्ट में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति समय-समय पर देते हुए इसे संतुलित एवं समानतामय संसार-संरचना के लिये घातक बताया है। संभवतः यह एक बड़ी क्रांति एवं विद्रोह का कारण भी बन सकता है। ऑक्सफैम के अनुसार आर्थिक असमानता के लिहाज से पिछले कुछ साल काफी खराब साबित हुए हैं। आज देश एवं दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, भारत में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। भारत में भी भले ही गरीबी कम हो रही हो, लेकिन अमीरी कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है। बीते चार सालों की घटनाएं, इनमें चाहे कोरोना हो या युद्ध या इससे उपजी महंगाई, बेरोजगारी, अभाव इन सभी कारणों के चलते साल 2020 के बाद दुनियाभर म...
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई रजनीश कपूरबचपन में जब हम सभी दोस्त मिल कर क्रिकेट खेलते थे तो कोई मित्र बैट ले कर आता था तो कोई बॉल। अचानक खेलते हुएजब बैट या बॉल लाने वाला मित्र बिना कोई रन बनाए आउट हो जाता था तो ख़ुद को आउट होना न स्वीकारते हुए ग़ुस्से मेंवो अपना बैट या बॉल लेकर घर चला जाता था। ऐसा वो इस उम्मीद से करता था कि उसे एक बार और खेलने का मौक़ामिले। परंतु जैसे ही उसे कोई बड़ा जना यह समझाता कि खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए, हार-जीत तो होती हीरहती है। इसमें बुरा मानने की क्या बात? तो वो मान जाता था।पिछले दिनों देश की सर्वोच्च अदालत ने भी एक समझदार व्यक्ति की भूमिका निभाते हुए न सिर्फ़ बेईमानी कर रहे अधिकारीको आईना दिखाया बल्कि पूरे देश में एक संदेश भी भेजा कि जो भी हो नियम और क़ानून की हद में हो।चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव को लेकर जो विवाद सुर्ख़ियों में था उस पर सर्वोच्च न्याया...
<strong>उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस</strong>

उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार
उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में बीती 8 फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद देश में जो एक राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद थी, वह फिलहाल तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। पाकिस्तान, जिसकी नियति ही हो गई है हमेशा संकट में रहना I अब तो वह अराजकता की चपेट में है और भारी मुश्किल की स्थिति में दिखाई दे रहा है। हालांकि लंबी कवायद के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) ने देश में मिल कर सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। फिलहाल राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों और आम जन को कुछ समझ नहीं आ रहा कि देश किस दिशा में जा रहा है। हर कोई अनभिज्ञ सा ही दिख रहा है। चुनाव के नतीजों ने पाकिस्तानी सेना के मोटी तोंद वाले जनरलों को उनकी औकात दिखा दी है। उनके लाख चाहने के बावजूद नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग को जनता ने बहुमत नहीं दिया। नवाज शरीफ लंदन ...
<strong>मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट</strong>

मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट

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- ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव सन्निकट हैं। भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक एवं धमाकेदार जीत के प्रति आश्वस्त है। एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का यह तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार वर्षों के लिए एक मजबूत नींव रखने का कार्यकाल होगा। इस अवधि में भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ विश्वगुरु भी बन सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी के दो कार्यकाल की समीक्षा करें तो स्पष्ट हो जाता है कि उनकी सरकार द्वारा उठाये गये हर कदम एवं उनकी हर बात राष्ट्र निर्माण की दिशा में बढ़ाये गये अनूठे, परिवर्तनकारी एवं सकारात्मक कदम रहे हैं। 2014 से पहले के भारत में भ्रष्टाचार, घोटालों और तुष्टिकरण की ही बात सामने आती थी लेकिन अब विकास, अविष्कार और नवाचार की बातें हो रही हैं, जिनमें नये भारत, सशक्त भारत की जड़े गहरी हुई है। ...