
यह बांड की राजनीति
इलेक्ट्रोल बॉन्ड से अडानी अम्बानी का नाम गायब है बस इसी से राहुल सहित पूरे विपक्ष के मुंह पर जूता पड़ गया है-अच्छा डोनेशन हर पार्टी प्राप्त करती है-जो पार्टी सत्ता में रहती है वह अधिक पाती है, और जो विपक्ष में है उसे कम मिलता है —और यह कोई गुप्त रहस्य नहीं बल्कि राजनीति का आदिकालीन सुस्थापित सत्य है,जिस इंडीविजुअल या कंपनी का जिस पार्टी को सपोर्ट करने का मन हुआ उसने उसे इलेक्टोरल बाँड्स के माध्यम से पैसा दिया-यहाँ प्रश्न यह है कि मेरी धनसंपदा सिर्फ मेरी है - मैं जिसे मर्जी उसे दूँ. . . इसमे अनुचित क्या है-?कि कोई इसे “स्कैम” कहने की मूर्खतापूर्ण हेकड़ी दिखाये-???
लेकिन युवराज न केवल इसे स्कैम कह रहा हैं, बल्कि खुलेआम उन उद्योगपतियों / उद्योग-समूहों को धमका भी रहा हैं कि जिस दिन हम पॉवर में आ गये उस दिन तुम्हारा जीना हराम कर देंगे- और धमकी देने की क्या वजह है? वजह है खुद को कम और भा...