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रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीति

रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीति

BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
रामलहर में हिचकोले खाती भारतीय विपक्ष की राजनीतिराममय भारत और रामद्रोही सिद्ध होता विपक्षविपक्ष ने खो दिया एक सुनहरा अवसरमृत्युंजय दीक्षितअयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीरामलला का दिव्य भव्य प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हो जाने के बाद पूरे देश का वातावरण राममय है और स्वाभाविक रूप से भारतीय राजनीति भी इस राममय वातावरण से अछूती नही है। इसी राममय वातावरण के मध्य संसद व कई विधानसभाओं के बजट सत्रों का आयोजन हो रहा है किंतु चर्चा बजट की कम और रामराज्य की अधिक हो रही है। जिन विधानसभाओं में राजनैतिक कारणवश राम मंदिर के समर्थन में चर्चा नहीं हो पा रही है वहां विरोध में बैठकर भी भारतीय जनता पार्टी के विधायक जयश्रीराम का नारा लगाकर वातवारण को राममय बन रहे हैं और देश में रामलहर को तीव्र कर रहे हैं। बंगाल की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जयश्रीराम का नारा लगाया जबकि मुख्यमं...
तालिबानी हिंसा से कैसे बचेगी देवभूमि

तालिबानी हिंसा से कैसे बचेगी देवभूमि

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सभ्य देश में हलद्वानी जैसी हिंसा है अस्वीकार्य आचार्य विष्णु हरि सरस्वती हलद्वानी हिंसा के संदेश बहुत ही डरावने हैं, अमानवीय है, विखंडनकारी है, संविधान और कानून के शासन के लिए प्रतिकूल है, सामानंतर सरकार के प्रतीक है, गुडागर्दी के प्रतीक है, चोरी और सीनाजारी की कहानी कहती है, तालिबानी हिंसा की कॉपी लगती है, तालिबानी हिंसा की आहट सुनाई देती है। ऐसी हिंसा पर सिर्फ उत्तराखंड की सरकार को ही चिंतन की जरूरत नहीं है, ऐसी हिंसा पर पूरे देश को चिंता करने की जरूरत है, न्यायालयों को भी चिंता करने की जरूरत है। ऐसी हिंसा के नियंत्रण पर ठोस नीति बनाने की जरूरत है। सबसे बडी बात यह है कि ऐसी हिंसा सिर्फ अचानक घटती नहीं है बल्कि इसके पीछे साजिश होती है, तैयारी होती है, हिंसा के लिए जरूरी हथियार और ज्वलनशील पदार्थ एकत्रित किये जाते हैं, हिंसक मानसिकता का बीजारोपण कर हिंसा के लिए वातावरण तैयार...
कतर से भारतीय नौ सैनिक रिहा- असर भारत की सफल कूटनीति का

कतर से भारतीय नौ सैनिक रिहा- असर भारत की सफल कूटनीति का

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आर.के. सिन्हा कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेनिकों को 18 महीने बाद जेल से रिहाई की सोमवार को जैसे ही खबर आई तो सारा देश ही झूम उठा। कुछ समय पहले इन अधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। तब देश को कम से कम यह संतोष तो था कि चलो हमारे नागरिकों की जान तो बच गई, पर देश यह भी प्रार्थना कर रहा था कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिक रिहा होकर सकुशल देश वापस आ जाएं। बेशक, इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी सफलता ही  माना जाएगा कि कतर से फांसी की सजा घोषित हुए नागरिकों की आज रिहाई हो गई। वे सभी सकुशल और ससम्मान जनक तरीके से भारत की धरती पर वापस लौट आए। इस तरह से भारत की कुशल विदेश नीति को सारे संसार ने देखा और दांतों तले उंगलियाँ दबाकर आश्चर्य से देखते ही रह गये । अमूमन अरब देशों के शेख सामान्य तौर पर ज...
स्वास्थ्यकर्मी गुमनाम सिपाहियों को सलाम

स्वास्थ्यकर्मी गुमनाम सिपाहियों को सलाम

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’ रजनीश कपूरएक पुरानी कहावत हैए ष्लड़ती है फ़ौज और नाम कप्तान का होता है।ष् यह बात काफ़ी हद्द तक सही हैए क्योंकि वो फ़ौज काकप्तान ही होता है जो सारी रणनीति बनाता है। हर कप्तान को अपनी फ़ौज पर पूरा विश्वास होता है और उसी विश्वास परवह जंग में जीत हासिल कर लेता है। यह बात हर उस जंग के लिए कही जा सकती है जहां एक टीम के साथ उसका एककप्तान होता है। परंतु हर टीम में कुछ ऐसे गुमनाम सिपाही होते हैं जिन्हें हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। आज हम ऐसे ही कुछगुमनाम सिपाहियों का ज़िक्र करेंगे जिनके योगदान के बिना देश भर की स्वास्थ्य सेवा अधूरी है। यह स्वास्थ्यकर्मी आपको हरअस्पताल या बड़े क्लिनिक में दिखाई तो देते होंगे पर आपने इनकी सेवा पर इतना गौर नहीं किया होगा।पिछले सप्ताह मुझे कुछ दिनों के लिए दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में परिवार के एक सदस्य की तीमारदारी के लिये रुकनापड़ा। वहाँ पर हुए कुछ अनुभव के आधार पर...
पुस्तकों का मेला क्यों है अलबेला

पुस्तकों का मेला क्यों है अलबेला

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-ललित गर्ग - इंसान की ज़िंदगी में विचारों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है। वैचारिक क्रांति एवं विचारों की जंग में पुस्तकें सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन यह हथियार जिसके पास हैं, वह ज़िंदगी की जंग हारेगा नहीं। जब लड़ाई वैचारिक हो तो पुस्तकें हथियार का काम करती हैं। पुस्तकों का इतिहास शानदार और परम्परा भव्य रही है। पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मार्गदर्शक हैं। पुस्तकें सिर्फ जानकारी और मनोरंजन ही नहीं देती बल्कि हमारे दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रखती हैं। आज डिजिटलीकरण के समय में भले ही पुस्तकों की उपादेयता एवं अस्तित्व पर प्रश्न उठ रहा हो लेकिन समाज में पुस्तकें पुनः अपने सम्मानजनक स्थान पर प्रतिष्ठित होंगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। पुस्तकों पर छाये धुंधलकों को दूर करने के लिये एवं पुस्तक की प्रासंगिकता को नये पंख देने की दृष्टि से लेखक, पुस्तक प्रेमी और प्रकाशकों का ’महाकुंभ’ यानी नई दिल्ली विश्व प...
राम मंदिर आंदोलन के आधार स्तम्भ- भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी

राम मंदिर आंदोलन के आधार स्तम्भ- भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
“जहाँ राम का जन्म हुआ था, मंदिर वहीँ बनायेंगे”- संकल्प की सिद्धि के अजेय योद्धामृत्युंजय दीक्षितभारतीय जनता पार्टी के संस्थापक नेता, श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के महानायक तथा अपनी रथ यात्राओं के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी को देश के सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में प्रतिस्थापित में अहम भूमिका निभाने वाले महारथी श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न का सम्मान करोड़ों रामभक्तों का भी सम्मान है।आज संपूर्ण भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति की जो लहर चल रही है उसके आधार स्तम्भ भी कहीं न कहीं आडवाणी जी ही हैं। भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी का राजनैतिक जीवन अत्यंत शुचितापूर्ण रहा है जिसे एक बार सुषमा स्वराज ने सदन में “ राजनैतिक जीवन में शुचिता की पराकाष्ठा” कहकर व्याख्यायित किया था। विरोधियों द्वारा अपने ऊपर छल पूर्वक हवाला रैकेट में सम्मिलित होने का आरोप लगाए जाने पर उन्होंने ...
देश को तोड़ने की मांग करने वाले कौन

देश को तोड़ने की मांग करने वाले कौन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आर.के.सिन्हानिस्संदेह बजट प्रस्तावों की तीखी आलोचना करने में कोई बुराई भी नहीं है। आप देश के सामान्य नागरिक हों या फिर सांसद,आपको केन्द्रीय बजट पर अपनी बेबाक राय रखने का पूरा हक है। पर इस बात को देश का कोई नागरिक कैसे स्वीकार कर सकता है कि कोई इंसान सिर्फ इसलिए ही अलग देश बनाने की मांग करने लगे , क्योंकि उसे बजट प्रस्ताव पसंद नहीं आए। यह पूर्णतः अस्वीकार्य है। कांग्रेस सांसद डी. के. सुरेश ने यही किया। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट पर सुरेश ने दक्षिण भारत के लिए ‘अलग देश’ बनाने की ही मांग कर डाली। धिक्कार है ऐसे सांसद का ! अपमान है भारतीय संविधान का जिसकी शपथ लेकर वे चुने गये और पुनः संसद में वही शपथ लेकर बैठे । उन्होंने कहा है कि अगर विभिन्न करों से एकत्रित धनराशि के वितरण के मामले में दक्षिणी राज्यों के साथ हो रहे ‘अन्याय’ को ठीक नहीं किया गया...
भ्रष्टता निवारण है सशक्त लोकतंत्र का आधार

भ्रष्टता निवारण है सशक्त लोकतंत्र का आधार

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 -ः ललित गर्ग :- झारखंड राज्य में जमीन खरीद में गड़बड़ी, अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग के कथित पुराने मामलों की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्रवाई से झारखंड की सरकार संकट में आ गयी और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ केन्द्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का बुगल बजाय हुए है, जिससे राजनीति में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण का नया सूरज उदित होता हुआ दिखाई दे रहा है, जो दुनिया के सबसे बड़े भारत लोकतंत्र के आदर्श एवं सशक्त होने की बड़ी अपेक्षा है। आजादी के अमृत काल में राजनीति का शु़िद्धकरण एवं अपराध मुक्ति ही भारत को सशक्त एवं विकसित राष्ट्र बना सकेगा। हेमंत सोरेन के बाद अब अगला नम्बर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का है। स्पष्ट है कि अब भ्रष्टाचारियों की नैया पार होने वाली नहीं ह...
खाली हाथ बजट …..

खाली हाथ बजट …..

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
 स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत। 2024 का अंतरिम बजट प्रशासनिक रवायत है क्योंकि पूर्ण बजट तो जुलाई में आएगा‚ जिस पर नई सरकार का रिपोर्ट कार्ड़ स्पष्ट नजर आएगा। व्यवसायों को फलने-फूलने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने, पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के उत्थान की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि विकास न्यायसंगत, टिकाऊ और हरित हो, विकास की गुणवत्ता पर ध्यान दें। सरकार को बड़ी-बड़ी योजनाओं पर ध्यान देने की बजाय स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि ये गरीबों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, लेकिन यह इस तथ्य से दूर नहीं है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा बजट बेहद अपर्याप्त हैं, भले ही ये सेवाएं खराब बुनियादी ढांचे, भारी रिक्तियों और अपर्याप्...
विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष

विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष

TOP STORIES, राष्ट्रीय
विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष कैंसर नियंत्रण की दिशा में उठाने होंगे बड़े कदम रमेश सर्राफ धमोरा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही घबराहट होने लगती है। कैंसर से पीड़ित व्यक्ति बीमारी से अधिक तो कैंसर के नाम से डर जाता है। जिस व्यक्ति को कैंसर होता है वह तो गंभीर यातना से गुजरता ही है उसके साथ ही उसका परिवार को भी बहुत कष्टमय स्थिति में गुजरना पड़ता है। जानलेवा होने के साथ ही कैंसर की बीमारी में मरीज को बहुत अधिक शारीरिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। कैंसर की बीमारी इतनी भयावह होती है जिसमें मरीज की मौत सुनिश्चित मानी जाती है। बीमारी की पीड़ा व मौत के डर से मैरिज घुट-घुट कर मरता है।  कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस का जन्म 4 फरवरी 2000 को पेरिस में ...