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<strong>दशकों बाद देश की बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय</strong>

दशकों बाद देश की बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय

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आर.के. सिन्हा भारत ने एक बार फिर से शत्रुओं को साफ संकेत और सख़्त संदेश दे दिया कि वह अपनी सरहदों की निगाहबानी करने में कभी भी पीछे नहीं रहेगा। भारत अपने  रक्षा क्षेत्र को निरंतर मजबूत करता रहेगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट को देश के सामने पेश किया। उन्होंने बजट प्रस्तावों में रक्षा क्षेत्र के लिए पिछले वित्त साल की तुलना में 11.1 फीसद अधिक धन की व्यवस्था की। यह राशि देश के जीडीपी के कुल 3.4 फीसद होगी।यह एक स्पष्ट और सख़्त संदेश है कि चीन और पाकिस्तान जैसे दो घोषित शत्रुओं के साथ भारत कभी भी अपनी सीमाओं की रखवाली करने में कमजोर रहने वाला नहीं है। यह दोनों दी देश घनघोर रूप से धूर्त हैं। इनसे भारत कई बार जंग भी कर चुका है। अगर एक 1962 की जंग को छोड़ दिया जाए तो भारत ने हरेक बार ...
हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?

हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?

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राकेश दुबे *हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?* यूँ तो डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हार्मोन हैं । हार्मोन शरीर में बनने वाले एक तरह के केमिकल होते हैं। ये रक्त के जरिये शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों तक पहुंचते हैं। हार्मोन हमारे शरीर की सभी तरह की गतिविधियों को तो प्रभावित करते ही हैं, ये हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं को भी पैदा करते हैं या उनकी प्रकृति के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऊपर हमने जिन चार हार्मोंस का जिक्र किया है, इन सबको हैपी हार्मोंस कहते हैं। इनके नियमित और संतुलित स्राव से हम खुश रहते हैं, हमारा मूड अच्छा रहता है। जैसे - एंडोर्फिन जब पर्याप्त रूप से और नियमित स्रावित होता है तो हमारा दिमाग शांत और स्वस्थ रहता है। ये हमें कई तरह के दर्द से राहत दिलाता है, जबकि सेरोटोनिन हमारे मूड को स्थिर रखता है और डोपामाइन हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का एक ...
<em>कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग</em>

कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग

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राकेश दुबे *कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग* भारत के सामने इससे बड़ा विरोधाभास नहीं हो सकता।जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में देश के करोड़ों छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व अभिभावकों से दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम व वर्चुअल संवाद के जरिये परीक्षा भय से मुक्त होने की बात कर रहे थे, देश के कई भागों से छात्रों के आत्महत्या करने की खबरें आ रही थीं। जाहिर है अभिभावक व शिक्षक इन बच्चों के मानसिक द्वंद्व व वास्तविक दिक्कतों को नहीं समझ पा रहे हैं, जिसके चलते इन बच्चों को मौत को गले लगाना अंतिम विकल्प नजर आ रहा है। निश्चित रूप से परीक्षा का भय इस कदर बच्चों पर हावी है कि उन्हें लगने लगता है कि परीक्षा में असफलता के बाद जीवन में कुछ शेष नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इन तमाम चुनौतियों को संबोधित किया। उन्होंने गहरी बात कही कि– ‘बच्चों के रिप...
गैर हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश बंद

गैर हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश बंद

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म
गैर हिन्दुओं का मंदिरों में प्रवेश बंद -मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को“सेकुलर” सुप्रीम कोर्ट कैसे बर्दाश्त करेगा? मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस एस श्रीमथी ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए तमिलनाडु सरकार और HR&CE department को निर्देश दिए कि राज्य के सभी मंदिरों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए और उन्हें Kodimaram (Flagpole) के आगे जाने की अनुमति न दी जाए जहां नोटिस बोर्ड लगाए जाएं कि गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है - जस्टिस श्रीमथी ने स्पष्ट आदेश में कहा कि “मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं हैं; सरकार मंदिरों में उन गैर - हिन्दुओं को अनुमति न दे जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखते; यदि कोई गैर - हिंदू मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उससे वचन लेना होगा कि उसे मंदिर के देवता में विश्वास है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा” अदालत ने यह फैसला डी सेंथिल क...
नीतीश कुमार: कोई कारण होगा

नीतीश कुमार: कोई कारण होगा

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य
* रजनीश कपूर ‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता।’ मशहूर शायर बशीर बद्र का यह शेर देश की राजनीति में हुए हालिया बदलाव पर एकदम सही बैठता है। बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदल कर यह बात सिद्ध कर दी है कि या तो ‘इंडिया’ गठबंधन ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया या ‘एनडीए’ गठबंधन ने उन्हें कुछ ज़्यादा ही गंभीरता से ले लिया। राजनैतिक गलियारों में इस बात को लेकर काफ़ी अटकलें लग रहीं हैं कि नीतीश कुमार के इस कदम के पीछे का कारण क्या हो सकता है। कारण जो भी हो 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही वोटरों को काफ़ी हलचल दिखाई दे रही है। बिहार में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे के कारणों में जहां एक ओर ‘इंडिया’ गठबंधन में न होने वाले समझौते हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ नेताओं में किसी न किसी तरह का ‘ख़ौफ़’ भी है। उन नेताओं को लगता है कि...
बिहार में फिर पलटमारी – आखिर क्यों और क्या होगा असर

बिहार में फिर पलटमारी – आखिर क्यों और क्या होगा असर

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मृत्युंजय दीक्षितबिहार में एक बार फिर पलटमारी की राजनीति हो गयी है। जद यू के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो संपूर्ण भारत में विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाकर प्रधानमंत्री मोदी व भारतीय जनता पार्टी को आगामी लोकसभा चुनावों में सत्ता से बाहर करके स्वयं प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे थे अचानक उस सपने को छोड़कर अपने पुराने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर एक बार फिर एनडीए के मुख्यमंत्री बन गये हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतनी बार पलटी मार चुके हैं और विगत 18 माह की उनकी सरकार ओर से लगातार हिंदू विरोधी गतिविधियाँ हो रही थीं इन दोनों ही बातों को नजरंदाज करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उनके ऊपर एक बार फिर भरोसा जताया है तो उसके पीछे कुछ विशेष कारण अवश्य होंगे ।केवल बिहार ही नहीं अपितु झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अच्छा प्रभाव है, अगर वह म...
UN संस्था के लोगों पर इज़रायल पर हमले में शामिल होने का आरोप,

UN संस्था के लोगों पर इज़रायल पर हमले में शामिल होने का आरोप,

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UN संस्था के लोगों परइज़रायल पर हमले में शामिल होने का आरोप,9 बड़े देशों ने संस्था को Funding रोकी-UN महासचिव कार्रवाई करेंगे - संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था UNRWA (The United Nations Relief and Works Agency for Palestine Refugee) पर Deir Al - Balah के warehouse में दवाओं और स्वास्थ्य संबंधी सामान की packing करने और अस्पतालों में भेजने की जिम्मेदारी थी - लेकिन उस संस्था के कई अधिकारियों पर 7 अक्टूबर, 2023 के हमास द्वारा इज़रायल पर किए गए हमले में शामिल होने के आरोप लगे - ऐसे अधिकारियों की संख्या 12 बताई गई है अमेरिका के विदेश मंत्रालय द्वारा और इसके सबूत इज़रायल ने सामने पेश किए - UNRWA के अधिकारियों पर इज़रायल पर किए गए हमले में शामिल होने के आरोप इतने गंभीर थे कि अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इटली, कनाडा, फ़िनलैंड और नीदरलैंड ने इस संस्था को दी जाने वाली आर्थिक सहायता...
<strong>सशक्त भारत का आधार है कानूनों का सरलीकरण</strong>

सशक्त भारत का आधार है कानूनों का सरलीकरण

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-ः ललित गर्ग:- सुप्रीम कोर्ट की हीरक जयन्ती एक अवसर है भारतीय न्याय प्रणाली की कमियां पर मंथन करते हुए उसे अधिक चुस्त, त्वरित एवं सहज सुलभ बनाना। मतलब यह सुनिश्चित करने से है कि सभी नागरिकों के लिये न्याय सहज सुलभ महसूस हो, वह आसानी से मिले, जटिल प्रक्रियाओं से मुक्त होकर सस्ता हो। इस दृष्टि से यह अकल्पित उपलब्धियों से भरा-पूरा अवसर भारत न्याय प्रक्रिया को एक नई शक्ति, नई ताजगी, और नया परिवेश देने वाला साबित हो रहा है। क्योंकि आजादी के अमृतकाल में पहुंचने तक भारत की न्याय प्रणाली अनेक कंटिली झाड़ियों में उलझी रही है। भारतीय न्यायिक व्यवस्था का छिद्रान्वेषण करें तो हम पाते हैं कि न्यायाधीशों की कमी, न्याय व्यवस्था की खामियाँ और लचर बुनियादी ढाँचा जैसे कई कारणों से न्यायालयों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर न्यायाधीशों व न्यायिक कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़त...
नीतिश की चालों से इंडिया गठबंधन को झटक-ः ललित गर्ग:-

नीतिश की चालों से इंडिया गठबंधन को झटक-ः ललित गर्ग:-

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अब लगभग यह तय हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विपक्षी दलों एवं उनके नेताओं के द्वारा हल्के में लेने की स्थितियां उनके लिये कितनी भारी हो सकती है। दूसरा भारत की राजनीति में भाजपा अगर कुछ करने की ठान लेती है तो वह उसे पूरा करती ही है। बिहार में सत्ता का समीकरण बदलना इसी बात का द्योतक है। बिहार में जारी सियासी उथलपुलथ के बीच आरजेडी के राज्यसभा सांसद अहमद अशफाक ने बड़ा ऐलान करते हुए आखिर कह ही दिया है कि अब जेडीयू और आरजेडी का रिश्ता टूट गया है। इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने आरजेडी से अलग होने का फैसला कर लिया है। अगर ऐसा हुआ तो बिहार में न केवल महागठबंधन की सरकार गिर जाएगी बल्कि इंडिया महागठबंधन में भी दरारे पड़ जायेगी। यह भी संभावनाएं व्यक्त की जा रही है कि इसके बाद नीतीश एक बार फिर भाजपा के साथ मिलकर बिह...
<strong>बापू सेंट स्टीफंस कॉलेज से दलित बच्चों के साथ</strong>

बापू सेंट स्टीफंस कॉलेज से दलित बच्चों के साथ

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आर.के. सिन्हा महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के सिर्फ नायक या समाज सुधारक मात्र ही नहीं थे। वे नौजवानों और विद्यार्थियों से मिलना-जुलना भी बेहद पसंद करते थे। वे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्लायों में लगातार जाया करते थे। वे पहली बार राजधानी दिल्ली 12 मार्च 1915 को आए तो सेंट स्टीफंस कॉलेज में ही ठहरे। वे वहां पर सेंट स्टीफंस कॉलेज और हिन्दू कॉलेज के छात्रों और फेक्ल्टी से भी मिले। उनके तमाम सवालों के उत्तर दिए। उनसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद से जुड़े बहुत सारे सवाल पूछे गए थे। उसके बाद वे 1918 में फिर दिल्ली आए तो पुनः सेंट स्टीफंस कॉलेज में ही ठहरे। उन्हें यहां पर ब्रजकृष्ण चांदीवाला नाम के एक छात्र मिले जो आगे चलकर उनके पुत्रवत से हो गए। जब गांधी जी की 30 जनवरी, 1948 को हत्या हुई तो ब्रज कृष्ण चांदीवाला बिड़ला हाउस में ही थे...