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मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल

मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल

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मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दलमृत्युंजय दीक्षितलोकसभा चुनावों के मतदान के दो चरण समाप्त हो जाने के बाद सभी राजनैतिक दलों को जनता के मध्य अपनी स्थिति की वास्तविकता का कुछ सीमा तक पता चल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की सम्भावना वाली भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्ष ने एक बार फिर मुस्लिम तुष्टीकरण का विकृत खेल खेलना प्रारम्भ कर दिया है। तथाकथित इंडी गठबंधन में शामिल दलों के नेता लगातार भड़काऊ और नफरत भरी बयानबाजी कर रहे हैं जिसमें अब वोट जिहाद और तालिबान भी आ गया है। दिल्ली के मंडी हाउस इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ आतंकी फंडिंग मामले में सजा काट रहे यासिन मलिक का फोटो लगाया गया है। पोस्टर में यासिन मलिक की रिहाई के साथ कांग्रेस को वोट देने की अपील की गई है। हालांकि जानकारी मिलते ही दिल्...
<strong>गहराते जल-संकट से जीवन एवं कृषि खतरे में</strong>

गहराते जल-संकट से जीवन एवं कृषि खतरे में

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
- ललित गर्ग - मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के साथ जलाशयों एवं नदियों के लिए खतरा बन चुका है। जलवायु परिवर्तन का खतरनाक प्रभाव गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित प्रमुख जलाशयों और नदी घाटियों में कुल जल भंडारण पर खतरनाक स्तर पर महसूस किया जा रहा है, जिससे लोगों को गंभीर जल परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। केंद्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़े भारत में बढ़ते इसी जल संकट की गंभीरता को ही दर्शाते हैं। आंकड़े देश भर के जलाशयों के स्तर में आई चिंताजनक गिरावट की तस्वीर उकेरते हैं। रिपोर्ट के अनुसार 25 अप्रैल 2024 तक देश में प्रमुख जलाशयों में उपलब्ध पानी में उनकी भंडारण क्षमता के अनुपात में तीस से पैंतीस प्रतिशत की गिरावट आई है। जो हाल के वर्षों की तुलना में बड़ी गिरावट है। जो सूखे जैसी स्थिति की ओर ...
<strong><em><u>क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल</u></em></strong>

क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल या  क्यों चौ. छोटू राम- सीएफ एंड्रूज के कॉलेज का स्कूल खोलना खास आर.के. सिन्हा कभी विचार कीजिए कि किसी स्कूल या कॉलेज को किस आधार पर श्रेष्ठ कहा जाना चाहिए?  बेशक, इसका एकमात्र पैमाना यही हो सकता है कि उस शिक्षण संस्थान ने अपने विद्यार्थियों को इस तरह के संस्कार दिए जिसके चलते उन्होंने आगे चलकर बेहतर नागरिक बनकर देश और समाज की सेवा की। इसका एक पैमाना यह भी हो सकता है कि क्या उसने ( शिक्षण संस्थान) ने अपना विस्तार किया ? विस्तार से मतलब है कि क्या उसने अपनी कोई अन्य शाखा भी खोली और वहां का शिक्षण भी श्रेष्ठ और स्तरीय रहा । बेशक, इस मोर्चे पर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज का नाम लेना होगा। सेंट स्टीफंस कॉलेज को गांधी जी के परम सहयोगी दीनबंधु सी.एफ.एंड्रूज की संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी ने स्थापित किया था।...
ईवीएम की बची इज़्ज़त

ईवीएम की बची इज़्ज़त

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हर चुनाव में नेताओं से ज्यादा EVM की इज्जत दांव पर लगी होती है. हर जीत EVM की कारीगरी बताई जाती है. लोकतंत्र की जीत को EVM की जीत बताया जाता है. EVM को बदनाम किया जाता है. चुनाव दर चुनाव EVM पर परिपक्वता बढ़ने की बजाय शंका और अविश्वास बढ़ाया जाता है. लोकसभा चुनाव में तो लगभग सभी विपक्षी दलों ने बैलेट पेपर की पद्धति से चुनाव कराने की मंशा जाहिर की. कई बड़े नेताओं ने तो इतनी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी उतारने तक की जुगाड़ लगाई, ताकि EVM मशीन की तकनीकी क्षमता समाप्त हो जाए और चुनाव बैलेट पेपर पर हो जाए. देश में शंका का ऐसा वातावरण बनाया गया, कि जैसे EVM के जरिए चुनाव परिणामों को मैनेज किया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय में बैलेट पेपर से मतदान के मांग की याचिका डाली गई. EVM और VVPAT पर्चियां का शत प्रतिशत मिलान करने की याचिकाएं पेश की गईं. सर्वोच्च न्यायालय ने बारीकी से EVM की शुद्धता और न...
मौसम गड़बड़ा सकता है- सारे आर्थिक अनुमान

मौसम गड़बड़ा सकता है- सारे आर्थिक अनुमान

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मौसम गड़बड़ा सकता है- सारे आर्थिक अनुमान* बड़ी अजीब कश्मकश है, प्रतिकूल मौसमी हालात तथा बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों ने चिंता को और गहरा दिया है। निर्धारित चार प्रतिशत तक मुद्रास्फीति नियंत्रण के लक्ष्य को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। बीते माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर 4.9 प्रतिशत थी इस पर केंद्रीय बैंक समेत आर्थिक विशेषज्ञ उत्साहित थे कि अब चार फीसदी के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इसी मकसद से केंद्रीय बैंक ने अप्रैल 2023 के बाद से रेपो दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। केंद्रीय बैंक को आशंका थी कि रेपो दरों में बदलाव से महंगाई बढ़ सकती है। ऐसे में आरबीआई मुद्रा स्फीति की मौजूदा स्थिति को लेकर आशावान है। लेकिन साथ ही चिंतित है कि मौसम के मिजाज में लगातार आ रहे बदलाव तथा दो साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध व हालिया गाजा संकट से वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ सकती है। जिसका असर भार...
विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं

विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं

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विकसित देश भारत के आर्थिक दर्शन को लागू कर अपनी आर्थिक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं विश्व के कुछ विकसित देश, विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन, भारत को समय समय पर आर्थिक क्षेत्र में अपना ज्ञान प्रदान करते रहे हैं। परंतु, अब विश्व के आर्थिक धरातल पर परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं और भारत की स्थिति इस संदर्भ में बहुत सुदृढ़ होती जा रही है वहीं विकसित देशों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। अमरीका स्थित निवेश बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान भारत के कुल कर्ज की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहते रहे हैं कि भारत का कर्ज, सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में, तेजी से बढ़ता जा रहा है। जबकि, इसी मापदंड के आधार पर अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की स्थिति देखी जाय तो भारत की तुलना में इन देशों की स्थिति बहुत अधिक दयनीय स्थिति में पहुंच गई है, परंतु यह देश भारत को आज भी ज्ञान देते नहीं चूकते हैं कि...
aastha

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आस्था का सैलाब मनुष्य एक धार्मिक प्राणी है, इसीलिए वह अपनी धर्मांधता के वशीभूत होकर निर्णय लेता है। जब धर्मभीरू भक्तों की आस्था अतिश्यता में परिवर्तित हो जाती है, तो उसके दुष्परिणाम भी प्रकट होने प्रारम्भ हो जाते हैं। ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने के लिए कौन उत्तरदायी है? यह एक यक्ष प्रश्न है क्योंकि हम किसी को भी इस परिस्थिति का एकमात्र उत्तरदायी नहीं कह सकते। परन्तु इससे साधारण जनता ही सबसे अधिक प्रभावित होती है, क्योंकि उस भोलीभाली जनता को कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा स्वयं के आर्थिक लाभ हेतु गुमराह कर दिया जाता है, धर्मांधता की अतिशयता एक प्रकार के पागलपन कारण बन जाती है। ऐसी धर्मांधता मुख्यतः हिन्दु और मुस्लिम धर्म के अनुयायियों में देखने मिलती है। फलस्वरूप मन्दिर व मस्जिदों में त्योहारों के अवसर पर जनता का सैलाब इस विश्वास के साथ एकत्रित हो जाता है कि इन धार्मिक स्थलों पर अल्हाह अथ...
<strong>भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है</strong>

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है वर्ष 1991 में भारत के पास केवल 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बच गया था जो केवल 15 दिनों के आयात के लिए ही पर्याप्त था। वहीं, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है एवं यह पूरे एक वर्ष भर के आयात के लिए पर्याप्त है। आज भारत विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चीन, जापान, स्विजरलैंड के बाद विश्व का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है। कोरोना महामारी के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7,100 करोड़ अमेरिकी डॉलर से कम हुआ था, परंतु वर्ष 2022 के बाद से यह अब लगातार उतनी ही तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है। और, अब तो यह उम्मीद की जा रही है कि आगे आने वाले समय में यह एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को भी पार कर जाएगा। भारत में वित्तीय एवं बैंकिंग क्षेत्र में लागू किए गए...
<strong>क्या कांग्रेस को लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिले</strong>

क्या कांग्रेस को लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिले

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आर.के. सिन्हा लोकसभा चुनाव का सारे देश में माहौल बन चुका है और इस दौरान एक बात पर राजनीति की गहरी समझ रखने वाले ज्ञानियों को गौर करना होगा कि कांग्रेस लगभग 330 सीटों पर ही क्यों चुनाव लड़ रही है। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में सरकार बनाने का ख्वाब देखनी वाली कांग्रेस के इतने कम सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ी करने की क्या वजह है? क्या उसे कायदे के उम्मीदवार नहीं मिले ?  कांग्रेस ने 1999 के लोकसभा चुनाव में 529 उम्मीदवार उतारे थे। उसके बाद  1998 में 477,1999 में 453, 2004 में 417, 2009 में 440, 2014 में 464 और 2029 में 421 उम्मीद उतारे। इस बार कांग्रेस के उम्मीदवारों की तादाद में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में भारी गिरावट होने जा रही है। कांग्रेस के नेता लाख तर्क दें कि उनकी पार्टी क्यों कम सीटों पर उम्मीदवारों को उतार रही है, पर सच यही है कि सन...
<strong>वित्तीयवर्ष 2023-24 मेंभारतकाव्यापारघाटा 36 प्रतिशतकमहुआ</strong>

वित्तीयवर्ष 2023-24 मेंभारतकाव्यापारघाटा 36 प्रतिशतकमहुआ

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विदेशी व्यापार के क्षेत्र में भारत के लिए एक बहुत अच्छी खबर आई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान  भारत के व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। यह विशेष रूप से भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं में की गई कमी के चलते सम्भव हो सका है। केंद्र सरकार लगातार पिछले 10 वर्षों से यह प्रयास करती रही है कि भारत न केवल विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने बल्कि विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन भी भारत में ही प्रारम्भ हो। अब यह सब होता दिखाई दे रहा है क्योंकि भारत के आयात तेजी से कम हो रहे हैं एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराईल-हम्मास युद्ध, लाल सागर व्यवधान, पनामा रूट पर दिक्कत के साथ ही वैश्विक स्तर पर मंदी के बावजूद एवं विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के हिचकोले खाने के बावजूद भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में मामूली बढ़ौतरी...