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अप्रवासियों की सक्रियता से रोचक बनता पंजाब चुनाव

अप्रवासियों की सक्रियता से रोचक बनता पंजाब चुनाव

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गोवा और पंजाब दो ऐसे राज्य हैं जहां आम आदमी पार्टी न सिर्फ राजनैतिक परिदृश्य में दिखाई दे रही है बल्कि अपना एक खासा प्रभाव भी रख रही है। एक ओर पंजाब में भाजपा-अकाली दल की सरकार है तो दूसरी ओर गोवा में भी भाजपा की सरकार है। इन दोनों प्रदेशों में नशा और उससे जुड़े कारोबार एक अहम चुनावी मुद्दा है। चूंकि नशे के बड़े दुष्प्रभाव होते हैं इसलिए इसका विरोध करने वाली पार्टी जनभावना की प्रतीक बन जाती है। दोनों जगह वर्तमान सरकार के विरोध स्वरूप आम आदमी पार्टी स्वयं को एक विकल्प दिखाने में सफल रही है। हालांकि, दोनों प्रदेशों में आप बहुमत से दूर दिख रही है फिर भी सत्तासीन दलों को नाको चने चबवाने का काम तो कर ही रही है। गोवा और पंजाब को विश्लेषित करता विशेष संवाददाता अमित त्यागी का एक आलेख। पंजाब की एक बड़ी आबादी विदेशों में निवास करती है। यह अप्रवासी भारतीय विदेश में रहकर अपने पंजाब पर निगाहें लगाये...
11 घटनाएं जो साबित करती हैं कि अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बनने के लायक़ नहीं…।

11 घटनाएं जो साबित करती हैं कि अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बनने के लायक़ नहीं…।

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मुलायम सिंह यादव को अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश यादव खुद सपा के अध्यक्ष बन गये हैं। जनता में बड़ा पॉजिटिव माहौल बना है। पर ये लग रहा है कि अखिलेश हर तरह के ब्लेम से मुक्त हैं। सारी गलती सपा पार्टी की है। सपा के पुराने नेताओं की है। अखिलेश सरकार तो एकदम काम करने के मोड में थी। पिछले छह महीनों में अखिलेश ने यही इमेज बनाने की कोशिश की है और सफल भी रहे हैं। जून 2016 से मुख्तार अंसारी की पार्टी के सपा में विलय को लेकर शिवपाल के खिलाफ निशाना साधा अखिलेश ने। तो तुरंत इमेज बन गई कि अखिलेश गुंडई के खिलाफ लड़ रहे हैं। पर पिछले 5 साल में अगर अखिलेश यादव की सरकार के काम-काज पर ध्यान दें तो कई चीजें ऐसी निकलेंगी जिससे पता चलेगा कि अखिलेश शासन काल के अंत में जागे हैं। ये काम तो हर मुख्यमंत्री करता है। आइए देखते हैं अखिलेश सरकार की नाकामियों को। दंगे जिन्हें अखिलेश रोक नहीं पाये इसकी शुरूआत हुई...

अखिलेश के सपा अध्यक्ष होने का अर्थ

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अखिलेश यादव का समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बनना सपा के नेताओं और समर्थक जनाधार द्वारा युवा नेतृत्व की स्वीकृति है। कुछ लोग सोच रहे थे कि सपा दो भागों में विभक्तहो जाएगी पर ऐसा हुआ नहीं। विवाद में संसद सदस्यों, विधायकों एवं राष्ट्रीय परिषद् के सदस्यों का प्रबल बहुमत चुनाव आयोग पहुंच गया । पार्टियों में विवाद की स्थिति में अपना स्थान सुनिश्चित करने के लिए लोग गुटों का सहारा लेते हैं, लेकिन इस अवधारणा के विरूद्ध सभी के सभी अखिलेश के पास पहुंच गए। ऐसा इसलिए हुआ कि सभी को अखिलेश के अलावा कोई विकल्प दिखाई नहीं दिया। मुलायम सिंह परिस्थितियों को भांप कर नरम हो गए । पिता-पुत्र की इस नरमी में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अहम भूमिका निभाई। लालू की यह भूमिका अखिलेश के लिए पार्टी एवं नेतृत्व विस्तार में सहायक होने का संकेत है। लालू बूढ़े हो रहे हैं, उनका जनाधार राष्ट्रीय पार्टी का भा...
यूपी में गठबंधन : फायदे में सपा, भाजपा को नफा, बसपा सफा

यूपी में गठबंधन : फायदे में सपा, भाजपा को नफा, बसपा सफा

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उत्तर प्रदेश में अब सियासत की महाभारत का मैदान सज चुका है। सभी दलों के योद्धा निर्धारित हो चुके हैं। सब के सब अपने अपने निर्धारित चुनाव क्षेत्रों में जीत के दावे करने लगे हैं। कई महीनों की नूरा कुश्ती के बाद सपा के चाल, चरित्र और चेहरे को नया रंग रोगन करके बाज़ार में लाया जा चुका है। अखिलेश यादव अब साढ़े चार मुख्यमंत्री में आधे नहीं बल्कि पूरे सेनापति बनाके पेश किये जा चुके हैं। नेताजी के द्वारा जिस तरह से अपने बेटे को विरासत सौंपी गयी है उसमें पूरे देश को मज़ा आया। एक सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी यह समझ रहा है कि यह सब एक पिता द्वारा पुत्र के व्यक्तित्व को चमकाने की कवायद थी। जिस तरह फिल्म में खलनायक जितना बड़ा होता है, नायक उतना ही बड़ा बनकर उभरता है ठीक वैसे ही शिवपाल को बड़ा खलनायक बना कर पेश किया गया। पर एक बात समझ में किसी को नहीं आयी कि शिवपाल को खलनायक बनाने के नेताजी के जिस दांव क...
”स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज”

”स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज”

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बालिका के स्वास्‍थ्‍य का चिंतन समाज के विकास एवं देश के भविष्य से जुड़ा हुआ हैं। मौजूदा समय में हम इससे नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं। यह मानना है स्वस्थ भारत न्यास के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह का। वह अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज विषय पर यह कार्यक्रम स्पंदन व विवि के गर्भ तपोवन संस्कांर केंद्र के सहयोग से किया गया था। समारोह का शुभारंभ मॉ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर किया गया। इस अवसर पर डॉ अभय चौधरी, डॉ यशवंत मिश्रा, कुमार कृष्णन और विनोद कुमार मौजूद थे।  यहां बता दें, आशुतोष कुमार सिंह अपने सहयोगियों के साथ बालिकाओं के स्वस्थ  जागरूकता के मुद्दे को लेकर स्वस्थ भारत यात्रा पर हैं। श्री सिंह ने बालिका स्वस्थ पर जहां चिंता जाहिर की वहीं स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की अवधारणा पर विचार भी व्यंक्तय किया। उन...
भाजपा की नीति-मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा साफ

भाजपा की नीति-मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा साफ

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भारत हो या अन्य लोकतांत्रिक देश राजनीतिक दल बिना चंदे के चुनाव लडऩे की सोच भी नहीं सकते है। यह भी सच है कि अगर चंदे में पारदर्शिता न हो तो यह भ्रष्टाचार की जड़ बन जाता है। असल में देश के ज्यादातर राजनीतिक दल चंदे के हिसाब-किताब में पारदर्शिता नहीं रखते हैं। हालाकि देश में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे को लेकर इन दिनों खूब हो हल्ला मचा हुआ है। वित्त मंत्री अरूण जेटली नेे अबकि बार अपने बजट भाषण में राजनीतिक चंदे पर एक बड़ी घोषणा कर यह जताने की कोशिश की है कि भाजपा ही वह पार्टी है जिसे चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने की फिक्र है। इस बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने राजनीतिक पार्टियां को कैश में चंदा लेने की अधिकतम सीमा 2000 रुपये निर्धारित कर दी है। नई घोषणा के साथ ही अब राजनीतिक दलों को चंदा लेने के लिए चेक और डिजिटल माध्यम का सहारा लेना पड़ेगा। इसके साथ ही पार्टियों को चंदा देने ...
धूर्त बिल्डरों पर लगाम; ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान

धूर्त बिल्डरों पर लगाम; ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान

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आप ये मानेंगे कि किसी भी इंसान की माली हालात चाहे कितनी ही खस्ता क्यों न हो पर उसके जीवन का एक बड़ा सपना होता है कि उसकी अपनी भी एक छत हो।  उसका अपना एक अदद घर हो, जिसे वह अपना आशियाना कह सके। और, इस सपने को साकार करने की दिशा में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने 2017-18 के आम बजट में बहुत से अहम कदम उठाए हैं और यह आशा की किरण गरीबों और मेहनतकश भारतीयों के मन में जगा ही दी है कि जल्दी ही उनका सपना साकार हो जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो 2022 तक हरेक भारतीय को घर देने का वादा कर ही दिया हैं। उस वादे को पूरा करने की दिशा में अरुण जेटली ने इस बार की बजट में दो दूरदर्शी कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में सस्ते घरों को“इंफ्रास्ट्रक्चर” का दर्जा दे दिया है। इससे गरीबों के लिए सस्ते घरों की आपूर्ति में तेजी से वृद्धि की संभावना तेजी से बढ़ेगी। सरकार की चाहत है कि सा...
पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे

पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे

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आदर्श की बात जुबान पर है, पर मन में नहीं। उड़ने के लिए आकाश दिखाते हैं पर खड़े होने के लिए जमीन नहीं। दर्पण आज भी सच बोलता है पर हमने मुखौटे लगा रखे हैं। ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व के सामने सबसे बड़ी गंभीर समस्या है और हम पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन प्रदूषित करते जा रहे हैं। ऐसी निराशा, गिरावट व अनिश्चितता की स्थिति में एक व्यक्ति पर्यावरण को बचाने के लिये बराबर प्रयास कर रहा है। यह व्यक्ति नहीं है, यह नेता नहीं है, यह विचार है, एक मिशन है। और येे श्री अवधूत बाबा जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अरुणगिरीजी के रूप पहचाने जाते हैं और उनका मिशन है अवधूत यज्ञ हरित पदयात्रा। पर्यावरण संरक्षण का यह अनूठा एवं अनुकरणीय उपक्रम है, जो वैष्णोदेवी से कन्याकुमारी तक निरन्तर चलित यज्ञ और पांच करोड़ पौधारोपण द्वारा विश्व पर्यावरण की शु़िद्ध के संकल्प के साथ चलयमान एक महायात्रा है। अगस्त 2017 तक चलने वाली करीब 4500 किलो...
मोदी सरकार का “कांग्रेसी” बजट

मोदी सरकार का “कांग्रेसी” बजट

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  2014 में नरेंद्र मोदी बदलाव के नारे के साथ सत्ता में आये थे और जनता को भी उनसे बड़ी उम्मीदें थीं. लेकिन तीन साल पूरे होने को आये हैं और मोदी सरकार कोई नयी लकीर खीचने में नाकाम रही है, मोटे तौर पर वह वह पिछली सरकार के नीतियों का ही अनुसरण करते हुए दिखाई पड़ रही है. हालांकि इसके साथ उनकी यह कोशिश भी है कि पुराने लकीर को पीटने में नयापन दिखाई दे. 2017 के बजट में भी यही फार्मूला अपनाया गया है बजट में कुछ नया नहीं है और अगर इसे जेटली की जगह चिताम्बरम पेश करते तो शायद इसमें शेरो-शायरी के आलावा  कोई खास फर्क नहीं होता. लेकिन जैसा की मोदी सरकार आमतौर पर करने की कोशिश करती हैं 2017-18 के आम बजट को लेकर भी कई चीजें को परम्परा तोड़ते हुए “पहली बार” करने की कोशिश की गयी है, जैसे इस बार बजट को अपने निर्धारित समय से करीब एक महीने पहले ही पेश किया गया है,इसी तरह यह पहला मौका है जब आम बजट में रेल ब...
हम  हवा-पानी सोखन लगे,  तो को कर सकै उद्धार

हम हवा-पानी सोखन लगे, तो को कर सकै उद्धार

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हर्ष की बात है कि विश्व नमभूमि दिवस - 2017 से ठीक दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 15 लाख डाॅलर की धनराशि वाले ’वाटर एंबडेंस प्राइज’ हेतु समझौता किया है। यह समझौता, भारत के टाटा औद्योगिक घराने और अमेरिका के एक्सप्राइज़ घराने के साथ मिलकर किया गया है।    विषाद का विषय है कि जल संरक्षण के नाम पर गठित इस पुरस्कार का मकसद हवा से पानी निकालने की कम ऊर्जा खर्च वाली सस्ती प्रौद्योगिकी का विकास करने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।    जाहिर है कि सस्ती प्रौद्योगिकी से हवा से पानी निकालना सस्ता पडे़गा। परिणामस्वरूप, एक नई प्रतिस्पर्धा जन्म लेगी; हवा में से ज्यादा से ज्यादा पानी निकाल लेने की प्रतिस्पर्धा। अभी हमारी भूमि फाड़कर पानी निकालने की प्रौद्योगिकी (ट्युबवैल, समर्सिवैल और जेटवैल) नमभूमि क्षेत्रों को सुखा रही है; कल को हवा से पानी निकासी की प्रौद्योगिकियां वायुमंडल को सुखाने की दौड़ में ल...