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Axis Bank’s Threat Letter to RNA Exotica flat-buyers

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गौरक्षक आहत क्यों ?

गौरक्षक आहत क्यों ?

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जिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिला जिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिलाजिस तरह मीडिया ने गौरक्षकों के खिला सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज बरसी है. नरेंद्र मोदी के उभार के बाद से बीजेपी बेहद मजबूती से उन पर दावा ठोंक रही है इसीलिए सरकार बनते ही अक्टूबर 2014 में सरदार पटेल का एक स्टैच्यू बनाने का ऐलान किया गया. कहा गया कि 182 फुट का ये स्टैच्यू दुनिया में सबसे ऊंचा होगा और इसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (SOU) कहा जाएगा. ...

चक्रव्यूह में मोदी सरकार

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चक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकारचक्रव्यूह में मोदी सरकार...
चक्रव्यूह में मोदी सरकार

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सूचना क्रांति के इस युग में जबकि घटना घटित होने से पूर्व ही विश्लेषण एवं निष्कर्र्ष संभव होने के दावे किये जा रहे हैं, एक नयी मासिक पत्रिका का प्रकाशक चौकाता तो है ही, साथ ही इससे स्पष्ट हो जाता है कि या तो प्रकाशक भावावेशी है अथवा एक सुनियोजित मस्तिष्क, किन्तु व्यवसायिक बिल्कुल भी नहीं। निश्चय ही यह कदम एक सुनियोजित योजना का प्रथम पग है। सैंकड़ो राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक पत्र-पत्रिकाओं, चैनलों, प्रकाशनों, सेमिनारों, जनर्लों व पुस्तकों आदि के बाद भी अगर 'डॉयलाग' की आवश्यकता है तो क्यों? क्या अब तक के डॉयलाग अधुरे थे? अथवा उनके निष्कर्ष अप्रभावी? शायद ऐसा नहीं है। हमारा उद्देश्य किसी वाद, विचारधारा, दर्शन अथवा मत को बड़ा या छोटा करना नहीं है, न ही उसे नकारना अथवा उसको महत्वहीन या महत्वपूर्ण साबित करना। हम सब मतों, विचारों, आन्दोलनों दर्शनों का सम्मान करते हैं और उनकी अपने समय के अनुरुप ...