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पांच राज्यों के चुनाव को कैसे देखें

पांच राज्यों के चुनाव को कैसे देखें

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अवधेश कुमारचुनाव आयोग ने भले पांच राज्यों के विधानसभाओं की औपचारिक घोषणा अब की है, देश पहले से ही चुनावी मोड में है। काफी समय से पूरी राजनीति की रणनीति 2024 लोकसभा चुनाव के इर्द-गिर्द बनाई जा रही है। लोकसभा चुनावों के पूर्व यही विधानसभा चुनाव हैं और इसके परिणाम कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण होंगे। कुल 16 करोड़ 14 लाख मतदाताओं, 679 विधानसभा सीटों तथा 83 लोकसभा स्थानों का महत्व समझना कठिन नहीं है। इन चुनावों के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिलाओं को लोकसभा एवं विधानसभाओं में आरक्षण के लिए नारी सम्मान वंदन कानून बना दिया है। इन चुनाव में करीब 7 करोड़ 80 लाख महिला मतदाता हैं। यह पता चलेगा कि महिलाओं को आरक्षण देने से ये कितना प्रभावित हैं। यह चुनाव भाजपा, कांग्रेस तथा क्षेत्रीय स्तर पर बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति के लिए एक हद तक करो या मरो जैसा है। कांग्...
क्या नई विश्व व्यवस्था के लिए अपरिहार्य है विश्वयुद्ध ? – अनुज अग्रवाल

क्या नई विश्व व्यवस्था के लिए अपरिहार्य है विश्वयुद्ध ? – अनुज अग्रवाल

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क्या नई विश्व व्यवस्था के लिए अपरिहार्य है विश्वयुद्ध ? - अनुज अग्रवालइसराइल पर हमास द्वारा आतंकी हमला करा, रुस व चीन ने अमेरिका व नाटो पर निर्णायक चोट कर ही दी। हालाँकि मंच पर ईरान , तुर्की व कतर खेल खेल रहे हैं किंतु पर्दे के पीछे डोरियाँ रुस - चीन के हाथो में ही हैं।यह सीधा सीधा अमेरिका पर हमला है और अमेरिका इसी रूप में इसको ले भी रहा है क्योंकि इसराइल का जन्म व अस्तित्व अमेरिका पर ही टिका हुआ है।नृशंस, ख़ूँख़ार व घातक इस युद्ध के लंबा और बहुत लंबा चलने के आसार हैं क्योंकि लगभग सभी इस्लामिक कट्टरपंथी गुट व राष्ट्र इससे जुड़ते जा रहे हैं।  तेल - गैस की आर्थिक व्यवस्था पर क़ब्ज़े के इस खेल में सदियो से चल रहा इस्लाम बनाम ईसाई - यहूदी  संघर्ष भी उभर कर सामने आ गया है, बल्कि इसी को हथियार बनाया है रुस व चीन ने। प्रथम व दूसरे विश्व युद्ध के साथ बनी विश्व व्यवस्था जिसके...
आदर्श भारत का संकल्प एवं घोषणापत्र…

आदर्श भारत का संकल्प एवं घोषणापत्र…

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जनहित की बात करनेवाला ही जनता के दिल को छुएगा... 1.अच्छी शिक्षा एवं अच्छा स्वास्थ्य सभी के लिए सुनिश्चित होगी।2.निजी अस्पतालों, लैबों एवं बीमा कंपनियां को दी जाने वाली रकम का इस्तेमाल दवा के निर्बाध आपूर्ति एवं टेस्ट और ऑपरेशन हेतु लंबी लाइन को खत्म करने में करेंगे।3.शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सभी के लिए निशुल्क होगी।4.संपूर्ण देश में शिक्षा का एक समान पाठ्यक्रम होगा। नैतिकता व संस्कारयुक्त गुणवत्तापूर्ण रोजगारपरक समानशिक्षा व्यवस्था लागू की जाएगी।5.प्रत्येक परिवार को कम से कम एक सरकारी नौकरी की गारंटी होगी।6.सभी बेरोजगारों के बेरोजगारी भत्ता में वृद्धि होगी।7.वोट देनेवाले सभी वोटरों को वोटर पेंशन दी जाएगी।8.सभी सरकारी योजनाओं की कड़ी मॉनिटरिंग एवं क्रियान्वयन की समीक्षा होगी।9.सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगी।10.तुरंत न्याय, सस्ता न्याय, सुलभ न्याय, सभी...
भाजपा में टिकटों पर मची रार

भाजपा में टिकटों पर मची रार

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रमेश सर्राफ धमोरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में अगले विधानसभा चुनाव के टिकटों को लेकर अंदरूनी गुटबाजी वह आपसी कलह बहुत बढ़ गई है। आगामी नवंबर महीने में देश के पांच प्रदेशों मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान व तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा ने अभी तक मध्य प्रदेश में 136 सीटों पर छत्तीसगढ़ में 84 सीटों पर व राजस्थान में 41 सीटों पर प्रत्याशियों के नामो की घोषणा कर दी है। भाजपा द्वारा जारी की गई सूची में बहुत से मौजूदा विधायकों व पूर्व में प्रत्याशी रहे नेताओं के नाम काट दिए जाने से पार्टी में विरोध की स्थिति उत्पन्न हो रही है। विभिन्न चुनावी एजेंसियों द्वारा किये गए सर्वे में भाजपा की स्थिति बहुत ज्यादा मजबूत नजर नहीं आ रही है। इसीलिए भाजपा ने पार्टी विरोधी लहर को रोकने के लिए बहुत सी सीटों पर प्रत्याशियों में फेरबदल किया है। भाजपा द्वारा राजस्थान में 6 लोक...
इजराइल पर आतंकी हमला— 9/11 और 26/11 से कम नहीं

इजराइल पर आतंकी हमला— 9/11 और 26/11 से कम नहीं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-बलबीर पुंज भारतीय सड़कों पर सुरक्षा की दृष्टि से एक पंक्ति अक्सर देखने और सुनने को मिलती है— सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। यह चेतावनी 7 अक्टूबर को विश्व के एकमात्र घोषित यहूदी राष्ट्र इजराइल पर फिलीस्तीनी इस्लामी आतंकवादी संगठन हमास द्वारा किए गए अप्रत्याशित हमले पर चरितार्थ होती है। यूं तो इस्लामी आतंकवादियों और इजराइल के शत्रुओं की त्वरित पहचान करने में इजराइली खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ विख्यात है। किंतु इस बार के हमले ने ‘मोसाद’ की क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। यह ठीक है कि इजराइल अपनी बेहतर तकनीक और मारक सैन्य शक्ति के बल पर हमास को संभवत: निर्णायक रूप से कुचल देगा, परंतु इस हमले ने जो घाव इजराइल को 1200 निरपराधों (कई महिला-बच्चों सहित) की मौत, 2,700 घायल और 130 लोगों को बंधक बनाकर दिया है, उससे रक्त शायद कई दशकों तक रिसता रहेगा। एक समय था, जब समस्त मुस्लिम देश मजहबी कारणों से इज...
Religion and Geopolitics: Buddhism

Religion and Geopolitics: Buddhism

TOP STORIES, सामाजिक
Mr Niraj Kumar, Asianist and Buddhologist in conversation with Convenor NatStrat Ambassador Pankaj Saran. They deliberate on the significance of the Nalanda tradition in the evolution of Buddhism in India. The speaker highlights the development of Buddhism in China and the impact of the Cultural Revolution on the spread of Buddhism. Mr Niraj Kumar as a distinguished Indian contributor in the development of Buddhist literature emphasizes the need for new Buddhist philosophies and trends. The two experts go into the depths of the concept of reincarnation and how it has globalized the ideology of Buddhism. #Buddhism#DalaiLama#ChineseBuddhism#ChineseCulturalRevolution Follow us on: Instagram - https://www.instagram.com/natstrat_of... Twitter - https://twitter.com/natstrat_org LinkedIn - h...
इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
अभी तक अरब जगत को प्रसन्न करने और वोट बैंक की राजनीति के कारण भारतीय नेतृत्व इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर न्याय की बात नहीं कर सका था तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वर्तमान भारतीय नेतृत्व सही के पक्ष में न खड़ा हो। भारत तो वह भूमि है जहाँ ढाई हजार वर्ष पूर्व भी यहूदियों को शरण प्राप्त हुआ था और उसके बाद भी अपनी भूमि से मारे गए, सताए गए यहूदि भारत में आकर शरण लेते रहे। क्या कोई यह बता सकता है कि यहूदी कहाँ उत्पन्न हुए? यहूदी न मक्का में उत्पन्न हुए न मदीना में, न रोम में उत्पन्न हुए न अमेरिका में, न भारत में उत्पन्न हुए न यूरोप में। इजरायल यहूदियों की मूल भूमि है। यहूदी अच्छे हों या बुरे हों, चालाक हों या मक्कार हों, लेकिन जब न्याय की बात आएगी तो यहूदी समाज उन लोगों में है जो मजहबी बर्बरता के सर्वाधिक शिकार हुई। यह अलग बात है कि जिन अब्राहमिक मजहबों ने यहूदियों पर सर्वाधिक बर्बरता ...
संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते

संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
 आज हम में से बहुतों के लिए खून के रिश्तों का कोई महत्त्व नहीं। ऐसे लोग संबंधों को महत्त्व देने लगे हैं। और आश्चर्य की बात ये कि ऐसा उन लोगों के बीच भी होने लगा है जिनका रिश्ता पावनता के साथ आपस में जोड़ा गया है। वैसे तो हमारे सामाजिक संबंधों और सगे रिश्तों में खूनी जंग का एक लंबा इतिहास रहा है। पर पहले इस प्रकार की घटनाएं राजघरानों के आपसी स्वार्थों के टकराने तक सीमित रहती थीं। लेकिन अब यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है, क्योंकि अब छोटे-छोटे निजी स्वार्थों को लेकर रक्त संबंधों अथवा नातेदारी संबंधों की बलि चढ़ाने में आमजन भी शामिल हो गए हैं। वर्तमान की इस सच्चाई को प्रस्तुत करने में कोई हिचक नहीं कि तकनीकी मूल्यो, पूंजी के जमाव, आक्रामक बाजार, सूचना तकनीकी के साथ में सोशल मीडिया से बढ़ती घनिष्ठता जैसे कारकों के फैलाव के सामने परिवार, समुदाय तथा इनमें समाहित...
आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

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11 अक्टूबर पर विशेषः-आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले - लोकनायक जयप्रकाश नारायणमृत्युंजय दीक्षितभारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारन जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब देश विदेशी सत्ता के आधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई थी । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे पटना में बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने के साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व विसकांसन विवि में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियंत्रित करने के लिए खेतों व रेस्टोरेंट में काम किया। वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होनें ए...
वो गुरु जिसने तराशा अमिताभ बच्चन

वो गुरु जिसने तराशा अमिताभ बच्चन

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(11 अक्टूबर, जन्मदिन पर खास) अथवा क्यों अमिताभ बच्चन कृतज्ञ हैं अपने उस अनाम गुरु के आर.के. सिन्हा अमिताभ बच्चन ने जब अपने फिल्मी करियर का श्रीगणेश किया तब 1970 के दशक का आरंभ हो रहा था। तब भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे। वो आधी सदी पहले की दुनिया आज से हर मायने में अलग थी। पर इन पचास सालों में बहुत कुछ बदला, पर अमिताभ बच्चन अब भी करोडों सिने प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं। उन्होंने इस दौरान ना जाने कितनी सुपर हिट फिल्में दीं, टीवी पर अपनी धाक जमाई और विज्ञापन के संसार के शिखर पर रहे। कुछ समय तक राजनीति करने के बाद उसे इस तरह से छोड़ा कि फिर मुड़कर नहीं देखा। उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वकालिक महानतम अभिनेता माना जा सकता है। अमिताभ ने अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पु...