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ATTACK BY  TERRORISTS ON ISRAEL – A WARNING SIGNAL TO INDIA

ATTACK BY  TERRORISTS ON ISRAEL – A WARNING SIGNAL TO INDIA

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N.S.Venkataraman     Sudden  and unprecedented attack on Israel by Hamas , who are viewed as Islamic terrorists by several countries , has caught the world by shock and surprise . This is not the first time that Islamic terrorists have struck in the world causing death and destruction. Of course, the most tragic attack was the September 11 attack on the twin towers in Newyork that killed thousands of innocent Americans. The next brutal attack of the Islamic terrorists was   26/11 attack in Mumbai in India  in 2008 when 175 people were killed   and later on another brutal attack  on Easter day in  Churches  in Sri Lanka took place, when more than 250 people were killed. In between , there were so many other brutal attack...
आज इजरायल की इन हत्याओं का सेहरा किसके सर जाता है?

आज इजरायल की इन हत्याओं का सेहरा किसके सर जाता है?

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इंदिरा गांधी के। क्या आप जानते हैं...? जब आतंकवादी यासिर अराफात ने इज़राइल के विरोध में फिलिस्तीन को मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया तो फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला देश कौन-सा था...? सऊदी अरब? - नहीं पाकिस्तान? - नहीं अफगानिस्तान? - नहीं - नहीं इराक? - नहीं तुर्क? - नहीं सोचिये, फिर किस देश ने सबसे पहले फ़िलिस्तीन को मान्यता दी होगी.......? भारत....??? हाँ! वह इंदिरा गांधी ही थीं जिन्होंने सबसे पहले फिलिस्तीन को मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए मान्यता दी और यासिर अराफात जैसे आतंकवादी को "नेहरू शांति पुरस्कार" दिया और राजीव गांधी ने उन्हें "इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार" दिया और भी अद्भुत...राजीव गांधी ने उन्हें दुनिया भर में उड़ान भरने के लिए बोइंग उपहार में दी थी! उन्हीं अराफात ने OIC (इस्लामिक देशों के संगठन) में कश्मीर को "पाकिस्तान का अभिन्न अंग" कहा और कहा कि जब भी पाक...
चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं

चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य
चुनावी रथ में ही क्यों सवार होती हैं जन-हित योजनाएं   ललित गर्ग :- आजादी के अमृतकाल के पहले लोकसभा एवं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की आहट अब साफ-साफ सुनाई देे रही है, राज्यों में चुनावी सरगर्मियां उग्र हो चुकी है। भारत के सभी राजनीतिक दल अब पूरी तरह चुनावी मुद्रा में आ गये हैं और प्रत्येक प्रमुख राजनैतिक दल इसी के अनुरूप बिछ रही चुनावी बिसात में अपनी गोटियां सजाने में लगे दिखाई पड़ने लगे हैं। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें राजस्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बहुत पहले ही विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है, वे हर दिन किसी-न-किसी लुभावनी एवं जनकल्याणकारी योजना की घोषणा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा सहित विभिन्न योजनाओं की तरह अब उन्होंने प्रदेश के 240 राजकीय विद्यालयों को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्याल...
शरीर से ज्यादा मन को स्वस्थ बनाना जरूरी

शरीर से ज्यादा मन को स्वस्थ बनाना जरूरी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस -10 अक्टूबर, 2023 पर विशेषशरीर से ज्यादा मन को स्वस्थ बनाना जरूरी- ललित गर्ग-प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है और समर्थन जुटाना है। मानव समुदाय को तनावरहित जीवन देकर अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त करने में मदद करना भी इस दिन का ध्येय है। वैज्ञानिक प्रगति, औद्योगिक क्रांति, बढ़ती हुई आबादी, शहरीकरण, महंगाई, बेरोजगारी एवं आधुनिक जीवन के तनावपूर्ण वातावरण के कारण मानसिक रोगों में भारी वृद्धि हुई है। यह किसी एक राष्ट्र के लिये नहीं, समूचे विश्व के लिये चिन्ता का विषय हैं। आज जीवन का हर क्षेत्र समस्याओं से घिरा है, आपाधापी एवं घटनाबहुल जीवन के कारण तनाव एवं दबाव महसूस किया जा रहा है, चाहे वह काम हो, रिश्ते हों, जीवन से उम्मीदें हों। ...
अंग्रेजों का निमाड़ क्षेत्र में सामूहिक दमन

अंग्रेजों का निमाड़ क्षेत्र में सामूहिक दमन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
वीर सीताराम कंवर के नेतृत्व में 78 क्राँतिकारियों के बलिदान ---रमेश शर्मा सत्य और स्वत्वाधिकार की स्थापना के लिये महा भारत के बाद सबसे बड़े महा युद्ध 1857 में भारतीय वीरों की पराजय के बाद अंग्रेजों ने देश में स्थानीय स्तर पर दमन आरंभ किया । जिसमें उनका लक्ष्य वनवासी क्षेत्र ही रहे । इसका कारण यह था कि उस 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के बाद अधिकाँश क्राँतिकारी वनों में चले गये थे । अंग्रेजी टुकड़ियां उनकी तलाश करने वनों में टूट पड़ी । अंग्रेजी टुकड़ियों के वनवासियों पर हुये इस अत्याचार और आतंक का न तो कहीं विधिवत वर्णन मिलता है और न कहीं दस्तावेज । हाँ अंग्रेज अफसरों के पत्र व्यवहार में इसकी झलक अवश्य मिलती है । इसी से हम अनुमान लगा सकते हैं कि 1857 क्रांति की असफलता के बाद अंग्रेजों के दमन के कितने शिकार वनवासी अंचल ही हुये । इसमें मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल भी प्रमुख है ...
<strong>Voluntary carbon market is not benefitting people</strong>

Voluntary carbon market is not benefitting people

TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति
planet, might in fact be leading to more emissions– says new CSE investigation COP28 will discuss the issue of creating an official carbon market Important to understand the workings of the voluntary carbon market that exists today, so that rules can be designed for using carbon credits for combating climate change   CSE’s six-month in-depth investigation shows that current voluntary carbon market is a shady, secretive world which might be doing much more harm than good, and seems to be working for the interests of project developers, auditors, verifiers and registries CSE’s conclusion: Our climate-risked world does not need this business of creative carbon accounting New Delhi, October 5, 2023: While the world waits to discuss – at the Dubai UN climate conferen...
रुबिका लियाकत ने स्वीकारा कि पूर्वज हिन्दू थे

रुबिका लियाकत ने स्वीकारा कि पूर्वज हिन्दू थे

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
बाँदा नबाब, शेख अब्दुल्ला नबाब छतारी से लेकर गुलामनबी आजाद तक सत्य स्वीकार करने वालों की लंबी श्रृंखला --रमेश शर्मा सुप्रसिद्ध टीवी एंकर रूबिका लियाकत ने हाल हीएक सार्वजानिक कार्यक्रम में स्वीकार किया कि उनके पूर्वज हिन्दू थे । पूर्वजों के हिन्दू होने का सत्य स्वीकार करने वाली रूबिका लियाकत पहली नहीं हैं। उनसे पहले असंख्य बुद्धीजीवी इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं। इनमें 1857 की क्रांति में सहभागी बने बाँदा नबाब, कश्मीर में अलगाव की आग्नि प्रज्ज्वलित करने वाले शेख अब्दुल्ला, मध्यप्रदेश में राज्यपाल रहे कुँअर मेहमूद अली, काँग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से लेकर बिहार सुन्नी बक्फ बोर्ड अध्यक्ष इरशादुल्लाह तक अपने पूर्वजों को हिन्दु बताने वालों की एक लंबी सूची है ।यूँ तो रुबिका लियाकत विभिन्न राष्ट्रीय चैनलों पर अपनी एकरिंग के लिये सदैव चर्चित रहीं हैं पर हाल हीतब और चर्चा मेंआईं जब एक ...
जाति जनगणना की जरूरत का समय

जाति जनगणना की जरूरत का समय

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
21वीं सदी भारत के जाति प्रश्न को हल करने का सही समय है, अन्यथा हमें न केवल सामाजिक रूप से, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक रूप से भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और हम विकास  में पिछड़ जायेंगे। जाति जनगणना का अर्थ है भारत की सभी जातियों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित जनसंख्या का जाति-वार सारणीबद्ध होना, न कि केवल एससी और एसटी। 1952 की जनगणना में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) पर पहला अलग डेटा प्रकाशित किया गया था। पहली जाति जनगणना के आंकड़े 1931 में जारी किए गए थे। 2011 की जनगणना में जाति जनगणना होने के बावजूद डेटा जारी नहीं किया गया था। शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जातिगत पहचान के आधार पर प्रदान किया जाता है। ताजा जाति जनगणना डेटा की अनुपस्थिति का मतलब है कि 1931 के जाति अनुमानों को 2021 में कल्याणकारी नीतियां तैयार करने के लिए पेश किया...
एशियाड 2023 में भारत की चमक से दुनिया चौंकी

एशियाड 2023 में भारत की चमक से दुनिया चौंकी

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- ललित गर्ग-खेलों में ही वह सामर्थ्य है कि वह देश एवं दुनिया के सोये स्वाभिमान को जगा देता है, क्योंकि जब भी कोई अर्जुन धनुष उठाता है, निशाना बांधता है तो करोड़ों के मन में एक संकल्प, एकाग्रता एवं अनूठा करने का भाव जाग उठता है और कई अर्जुन पैदा होते हैं। अनूठा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी माप बन जाते हैं और जो माप बन जाते हैं वे मनुष्य के उत्थान और प्रगति की श्रेष्ठ, सकारात्मक एवं अविस्मरणीय स्थिति है। भारत की अनेकानेक अनूठी एवं विलक्षण उपलब्धियों के बीच चीन के हांगझू में आयोजित 19वें एशियाई खेलों में भारत एवं उसके खिलाड़ियों ने जिस तरह अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को पीछे छोड़ते हुए 83 पदक अर्जित कर लिए, वह न केवल भारत के खिलाड़ियों बल्कि हर युवा के मन और माहौल को बदलने का माध्यम बनेगा, ऐसा विश्वास है। शतक पदकों की ओर बढ़ने की गौरवपूर्ण स्थिति से भारत में नयी ऊर्जा का संचार होगा, इससे न...
‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर हमें क्या खिलाया जा रहा है?

‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर हमें क्या खिलाया जा रहा है?

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*रजनीश कपूर आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में हम अपने भोजन पर उतना ध्यान नहीं देते जितना हमें स्वस्थ रहने के लिए देनाचाहिए। इसीलिए आए दिन हमारे शरीर में कोई-न-कोई दिक़्क़त उत्पन्न होती रहती है। रोज़मर्रा के खाने में पौष्टिकतत्वों की कमी के कारण अक्सर बीमार पड़ने पर डॉक्टर भी हमें ताज़ी और शुद्ध चीज़ें खाने की ही सलाह देते हैं।इसके साथ हमारी डाइट को ‘हेल्थ फ़ूड’ पर आधारित होने कि भी सलाह देते हैं। अपनी सेहत की चिंता करते हुएहम बाज़ार में ‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर मिलने वाली वस्तुएँ ख़रीदने की होड़ में लग जाते हैं। परंतु यहाँ सवाल उठताहै कि क्या ‘हेल्थ फ़ूड’ के नाम पर बिकने वाले डिब्बा बंद या सील बंद उत्पादन वास्तव में हमारे शरीर के लिए‘हेल्थी’ हैं?बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादनों ने बाज़ार में एक ऐसा मायाजाल बिछाया है जिसके शिकंजे में हम बड़ी आसानीसे फँस जाते हैं। यह कंपनियाँ अपने उत्पादनों को ‘हे...