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Reducing Global Temperature by Harnessing Geothermal Energy

Reducing Global Temperature by Harnessing Geothermal Energy

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DOWNLOAD The global surface temperature was 15 degrees centigrade before the beginning of Industrial Revolution about 150 years ago. Presently, it has risen to 16.2 degrees centigrade. Western scientists the world over are blaming the consumption of fossil fuels for this rise in temperature. Inspite of International Conference held every year by UNFCCC the global surface temperature is increasing slowly but steadily. Drowning Island nations of the world are raising hue and cry in COP-26 AND COP-27 but no relief is in sight so far. An indepth study of the problem has revealed a fundamental omission in understanding of the western scientists. Western scientists were so far attributing entire credit to the sunlight alone for the global surface temperature whereas the Mantras Number 10 ...
Why Gandhi was fond of meeting students, visiting schools

Why Gandhi was fond of meeting students, visiting schools

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
 Vivek Shukla Notwithstanding his busy schedules, Mahatma Gandhi always finds time for students. He visits schools and colleges often. He even became a teacher of both young and old. When he came to Delhi for the first time on 12 April, 1915, he stayed at the St. Stephen’s college. He was then only Mr MK Gandhi. He became Mahatma Gandhi and Bapu later. According to Father George Solomon of Delhi Brotherhood Society (DBS) that had established St. Stephen’s college, “ Gandhiji arrived here with his wife, Kasturba Gandhi ji. They were received at Delhi Junction by principle of the college, Prof. S.K. Rudra, his several colleagues and some students.” St. Stephens college moved to new or the present campus only in 1941.  But before we move further, we should know as to why he stayed...
शाकाहार-क्रांति से ही नयी विश्व-संरचना संभव

शाकाहार-क्रांति से ही नयी विश्व-संरचना संभव

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
विश्व शाकाहार दिवस- 1 अक्टूबर, 2023- ललित गर्ग-बढ़ती बीमारियां के कारण जीवन की कम होती सांसों ने इंसान को शाकाहारी बनने के लिये विवश किया है, सत्य भी यही है कि शाकाहार एक उन्नत जीवनशैली है, निरापद खानपान है। न केवल बुद्धिजीवी बल्कि आम व्यक्ति भी अब शाकाहारी जीवन प्रणाली को अधिक आधुनिक, प्रगतिशील और वैज्ञानिक मानने लगे हैं एवं अपने आपको शाकाहारी कहने में प्रगतिशील व्यक्ति होने का गर्व महसूस करते हैं। शाकाहार को बल एवं प्रोत्साहन देने के लिये ही विश्व शाकाहार दिवस, प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह 1977 में उत्तरी अमेरिकी शाकाहारी समाज का स्थापना दिवस है और 1978 में अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ द्वारा ‘शाकाहार से खुशी, करुणा और जीवन-वृद्धि की संभावनाओं को बढ़ावा देने’ के लिये इसका समर्थन किया था, यह शाकाहारी जीवन शैली के नैतिक, पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और मानवीय लाभों के ब...
कृषि-क्रांति एवं खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के महानायक

कृषि-क्रांति एवं खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के महानायक

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- ललित गर्ग - भारत में कृषि-क्रांति के जनक, विश्व खाद्य पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति, कृषि में नवाचार के ऊर्जाघर एवं कृषि विज्ञानी डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का देह से विदेह हो जाना एक स्वर्णिम युग की समाप्ति है, एक अपूरणीय क्षति हैं। भारत को अन्न के अकाल से मुक्त कर अन्न का भंडार बनाने वाले इस कृषि-युगपुरुष के अवदान इतने बहुमुखी और दीर्घायुष्य है कि वे सदिया तक कृतज्ञ राष्ट्र की धमनियों एवं स्मृतियों में जीवित रहेंगे। वे अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं कि भारतीय कृषि एवं वैश्विक खाद्य के संकट उभरने का नाम नहीं लेंगे। ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में उनके अवदानों की शुरुआत 1943 के भीषण दुर्भिक्ष के दौरान हुई, जब चावल के एक-एक दाने के लिये लाखों लोगों ने दम तोड़ दिया था। इस घोर मानवीय त्रासदी एवं  संकट ने केरल विश्वविद्यालय के इस अठारह वर्षीय युवा स्वामीनाथन मे...
भारतीय परिवारों की भौतिक आस्तियों में अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर है

भारतीय परिवारों की भौतिक आस्तियों में अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर है

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किसी भी देश के लिए शुद्ध वित्तीय बचत की दर अधिक होना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मापदंड माना जाता है क्योंकि वित्तीय बचत की राशि अंततः पूंजी निर्माण करते हुए देश के आर्थिक विकास को गति देने में मुख्य भूमिका निभाती है। बचत दरअसल दो प्रकार की होती है, एक, वित्तीय बचत एवं द्वितीय, भौतिक आस्तियों के रूप में की गई बचत। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग द्वारा जारी एक प्रतिवेदन में बताया गया है कि भारत के परिवारों में हाल ही के समय में वित्तीय बचत की दर कुछ कम होकर परिवारों द्वारा भौतिक आस्तियों के रूप में की गई बचत में अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। भारत में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत जो केंद्र एवं राज्य सरकारों एवं गैर वित्तीय संस्थानों के लिए आय का मुख्य साधन है, वित्तीय वर्ष 2022-23 में गिरकर सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत रह गई है। यह बचत दर वित्तीय वर्ष 2020-21 में 11...
नेहरू द्वारा मिशनरियों को प्रचार की खुली छूट..

नेहरू द्वारा मिशनरियों को प्रचार की खुली छूट..

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9 अक्टूबर 1952 को भारत में ईसाइयों की एक प्रमुख प्रतिनिधि राजकुमारी अमृत कोर (कपूरथला के राजा के भाई, All India Conference of Indian Christians के पहले अध्यक्ष हरनाम सिंह KCIE/ Knight Commander of the Most Eminent Order of the Indian Empire/की बेटी और केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री) ने नेहरू जी को बिहार और मध्यप्रदेश में भारतीय और विदेशी ईसाई मिशनों और मिशनरियों के प्रति भेदभाव बरतने की शिकायत की। (राजकुमारी जी को Dame of Grace of the Order of St John of Jerusalem की उपाधि प्राप्त थी)।इस पर नेहरू जी ने मुख्यमंत्रियों को आदेश और ज्ञान देने के लिए लगभग पाक्षिक तौर पर लिखे जाने पत्रों में से एक, 17 अक्टूबर 1952 को लिखे पत्र में आदेश दिया। इसका मूल अँग्रेजी और उसका (इस पोस्ट के लेखक द्वारा किया गया) हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है। "I have sometimes recieved complaints from Chr...
आतंकवाद : क्या कनाडा-पाकिस्तान साथ-साथ हैं?

आतंकवाद : क्या कनाडा-पाकिस्तान साथ-साथ हैं?

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क्या कनाडा ‘दूसरा पाकिस्तान’ बन गया है? खालिस्तानी आतंकवाद और हिंसा को लेकर दोनों देश आपस में साजिशें रच रहे हैं। पाकिस्तान में सरेआम सक्रिय रहे खालिस्तानी अब दहशत के खौफ में भी हैं।जिस तरह पाकिस्तान आतंकियों की ‘पनाहगाह’ है, कनाडा भी उसी राह पर है। पंजाब में जो नौजवान मौजूदा व्यवस्था से नाराज हैं और लंबे वक्त से बेरोजगार हैं, उन्हें खालिस्तान-समर्थक एक खास पत्र देते हैं। उसके आधार पर उन्हें आसानी से कनाडा का वीजा मिल जाता है। लोकसभा सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने ऐसे पत्र की पुष्टि की है। पत्र लेने वाले 35,000 रुपए से एक लाख रुपए अथवा डेढ़-दो लाख रुपए तक का चंदा पार्टी को देते हैं। कनाडा जाने वाले ऐसे पंजाबियों को वहां प्लंबर, ड्राइवर, सेवादार, मैकेनिक, पाठी और रागी आदि के काम भी दिलवा दिए जाते हैं, लेकिन खालिस्तान के भारत-विरोधी धंधों में भी उन्हें शामिल किया जाता है। कनाडा में ऐसे 3...
अमेरिका और पश्चिमी देशों का दोहरा मापदंड

अमेरिका और पश्चिमी देशों का दोहरा मापदंड

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_-बलबीर पुंज_ भारत-कनाडा संबंध इस समय बहुत तनाव में है। इसका कारण कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में मोदी सरकार की संलिप्तता का मनगढ़ंत आरोप और भारत में दम तोड़ चुके सिख अलगाववाद की आग में लगातार घी डालने का प्रयास है। जिस प्रकार यह घटनाक्रम रूप ले रहा है, उसने अमेरिका के साथ पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंडों और इन देशों में भारत-विरोधी शक्तियों को पुन: बेनकाब कर दिया है। निज्जर की हत्या पर अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा नैरेटिव बनाया जा रहा है कि यदि जांच में मोदी सरकार की संलिप्तता पाई गई, तो इसपर भारत को दंडित किया जाना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन के अनुसार, “यह एक गंभीर मामला है और हम कनाडा में चल रहे कानून प्रवर्तन प्रयासों का समर्थन करते हैं।“ यही नहीं, पश्चिमी मीडिया का एक बड़ा भाग अपन...
भारत में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ही होगा

भारत में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ही होगा

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भारत अपनी ऊर्जा की कुल आवश्यकता का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा कच्चे तेल के रूप में आयात करता है एवं भारत के कुल आयात में कच्चे तेल की भागीदारी सबसे अधिक है। इससे भारत के विदेश व्यापार में असंतुलन पैदा होता है तथा विदेश व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। कच्चे तेल को परिष्कृत कर पेट्रोल एवं डीजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि जीवाश्म ऊर्जा की श्रेणी में आता है, इससे कार्बनडाई आक्सायड नामक गैस वातावरण में फैलती है और देश का पर्यावरण दूषित होता है। अतः अब समय आ गया है कि भारत में जीवाश्म ऊर्जा के उपयोग को कम करते हुए जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाय। इस दृष्टि से हाल ही में जी-20 सम्मेलन के इत्तर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की घोषणा 9 सितम्बर 2023 को की। 9 संस्थापक सदस्य और 2 पर्यवेक्षक देश इस लॉंचिंग में शामिल हुए। वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन...
गिरती घरेलू बचत एवं बढ़ती महंगाई से त्रस्त अर्थव्यवस्था

गिरती घरेलू बचत एवं बढ़ती महंगाई से त्रस्त अर्थव्यवस्था

TOP STORIES, आर्थिक
- ललित गर्ग - आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के मध्यनजर महंगाई का लगातार बढ़ते रहना चिंता का विषय है। घरेलू बचत, महंगाई, बढ़ता व्यक्तिगत कर्ज, बढ़ते व्यक्तिगत खर्चे आदि को लेकर निम्न एवं मध्यम वर्ग परेशान है। इस परेशानी के समाधान की बजाय सत्ता एवं विपक्ष दल एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा मासिक बुलेटिन में माना है कि खाद्य मुद्रास्फीति को काबू करना कठिन साबित हो रहा है। आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2022-23 में पांच दशकों के निचले स्तर पर पहुंच गई। 18 सितंबर को जारी इन आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में देश की शुद्ध घरेलू बचत पिछले साल की तुलना में 19 फीसदी कम रही है। 2021-22 में देश की शुद्ध घरेलू बचत जीडीपी के 7.2 फीसदी पर थी जो इस साल और घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 5 दशक के निचले स्तर 5.1 प्र...