कैसा चल रहा है ‘दुनिया का दवाखाना’ ?
‘दुनिया का दवाखाना’ कहे जाने वाले भारत में ‘जेनेरिक दवा’ मरीज़ों को लिखने न लिखने पर बहस छिड़ी हुई है। संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वे के अनुसार, विश्व के कुल दवा उत्पादन में 20 प्रतिशत अंश के साथ भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है। करीब 200 से अधिक मुल्कों को 50 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य की दवाएं निर्यात होती हैं और सभी प्रकार के वैक्सीनों की 60 प्रतिशत भारत में तैयार होती हैं। अमेरिका से इतर भारत में एफडीए मानकों के अनुरूप दवाएं बनाने वाली दवा उत्पादन इकाइयां सबसे अधिक हैं। तभी तो भारत को ‘दुनिया का दवाखाना’ कहा जाता है।
भारत देश ने अपने बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 प्रतिशत खर्च का प्रावधान किया है। गैर-सरकारी इलाज के लिए लोगों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है। किसी के ऋणी होने के पीछे इलाज पर होने वाले व्यय एक बड़ा कारण है। इसलिए पूछना तार्कि...