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<em>मणिपुर समस्या…</em>

मणिपुर समस्या…

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वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते…* पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरा शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए पोस्ट… क्योंकि फ्रांस वीडियो चर्चा के बाद इनको बहुत पेट में मरोड़ उठा था मणिपुर को लेकर… एक इतिहास: जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर के ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला… उनको इस पर डाका डालना था…उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं… परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है… अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा… इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था… इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा औ...
अनुवाद एक सेतु है

अनुवाद एक सेतु है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हर भाषा का अपना एक अलग मिज़ाज होता है,अपनी एक अलग प्रकृति होती है जिसे दूसरी भाषा में ढालना या फिर अनुवादित करना असंभव नहीं तो कठिन ज़रूर होता है।भाषा का यह मिज़ाज इस भाषा के बोलने वालों की सांस्कृतिक परम्पराओं,देशकाल-वातावरण,परिवेश,जीवनशैली,रुचियों,चिन्तन-प्रक्रिया आदि से निर्मित होता है।अंग्रेजी का एक शब्द है ‘स्कूटर’। चूंकि इस दुपहिये वाहन का आविष्कार हमने नहीं किया,अत: इससे जुड़ा हर शब्द जैसे: टायर,पंक्चर,सीट,हैंडल,गियर,ट्यूब आदि को अपने इसी रूप में ग्रहण करना और बोलना हमारी विवशता ही नहीं हमारी समझदारी भी कहलाएगी । इन शब्दों के बदले बुद्धिबल से तैयार किये संस्कृत के तत्सम शब्दों की झड़ी लगाना स्थिति को हास्यास्पद बनाना है।आज हर शिक्षित/अर्धशिक्षित/अशिक्षित की जुबां पर ये शब्द सध-से गये हैं। स्टेशन,सिनेमा,बल्ब,पावर,मीटर,पाइप आदि जाने और कितने सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा के ...
रोबोटिक्स और एटोमिक हथियारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग घातक !

रोबोटिक्स और एटोमिक हथियारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग घातक !

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव को अब तक बहुत सी सुविधाएं प्रदान की हैं। विज्ञान मानव के लिए वरदान भी साबित हुआ है तो वहीं दूसरी ओर विज्ञान मानव जाति के लिए अभिशाप भी साबित हुआ है। आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(कृत्रिम बुद्धि)के युग में सांस ले रहे हैं। जी हां ,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि कृत्रिम बुद्धि। दूसरे शब्दों में यदि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(कृत्रिम बुद्धि)को समझना चाहें तो हम यह बात कह सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) यानी कि कृत्रिम बुद्धि मशीनों द्वारा मानव संज्ञानात्मक(कॉग्निटिव) प्रक्रियाओं का अनुकरण है। यह प्रक्रियाओं को स्वचालित(ऑटोमेटिक )करता है और आईटी सिस्टम में संज्ञानात्मक कंप्यूटिंग (मानव विचार प्रक्रियाओं का अनुकरण) को लागू करके मानव बुद्धि को अनुकरण करना इसका लक्ष्य है। सरल शब्दों में यह बात कही जा सकती है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि कृत्रिम बुद्धि ...
क्या सीमा हैदर पाकिस्तानी जासूस है?

क्या सीमा हैदर पाकिस्तानी जासूस है?

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-बलबीर पुंज गत 17-18 जुलाई को पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत आई सीमा हैदर, उसके प्रेमी सचिन मीणा और सचिन के पिता नेत्रपाल से उत्तरप्रदेश एटीएस ने गहन पूछताछ की। आलेख लिखे जाने तक, तीनों पुलिस की गिरफ्त में है। संदेह है कि 27 वर्षीय सीमा पाकिस्तानी जासूस है, जिसे 22 वर्षीय प्रेमी सचिन और उसके पिता ने अवैध शरण दी। क्या सीमा, पाकिस्तान से भेजी गई प्रशिक्षित जासूस है या फिर जैसा कि दावा किया जा रहा है कि वो कई खतरे उठाकर हुए हजारों मील का सफर करते हुए तीन देशों को पार करके अपनी मोहब्बत को पाने के लिए भारत आई है? सचिन-सीमा की प्रेम कहानी पर संदेह होना— स्वाभाविक है। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान अपनी कुटिल नीति— 'भारत को हजारों घाव देकर मौत के घाट उतारना' के अंतर्गत कई प्रपंचों पर काम कर रहा है। इसमें वह मजहब के नाम पर भारत में कुछ स्थानीय लोगों का सहयोग पाकर जिहादी 'स्लीपर सेल्स' को स...
आतंकवाद के लिए हथियार बनते ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म

आतंकवाद के लिए हथियार बनते ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
डिजिटल युग में आतंकवादी युवाओं की कमजोरियों का फायदा उठाकर उन्हें अपने गुट में शामिल होने के लिए आकर्षित करने के लिए साइबरस्पेस का उपयोग कर रहे हैं। मुद्दे की गहरी समझ और बेहतर समाधान विकसित करने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कट्टरपंथ के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना। इन कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करना, खुफिया बलों की क्षमता का विकास करना और कट्टरपंथ, विशेषकर आभासी कट्टरपंथ से निपटने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना। राज्य पुलिस की क्षमता का विकास, क्योंकि वे रक्षा की पहली पंक्ति हैं। बढ़ते कट्टरपंथ का बेहतर ढंग से मुकाबला करने के लिए राज्य पुलिस बलों को केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ अच्छे सहयोग से काम करने की जरूरत है। डॉ सत्यवान सौरभ कट्टरवाद द्वारा कोई व्यक्ति या समूह राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक यथास्थिति के विरोध में त...
पश्चिम के खेल – प्रशांत सिंह

पश्चिम के खेल – प्रशांत सिंह

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मैप को देखिए, इसमें न्यूयॉर्क से मॉस्को के बीच का दो रास्ता दिखाया गया है, एक रास्ता सीधा है उसमे दूरी ज्यादा है, दूसरा रास्ता घुमावदार है उसमें दूरी कम है।क्या ये अजीब बात नहीं है कि घुमावदार रास्ते की दूरी ज्यादा होनी चाहिए थी मगर वो कम है !!इस सवाल आसान जवाब यह है कि मैप दरअसल पृथ्वी के शेप के अनुपात से नहीं बनाई गई है अर्थात पृथ्वी पर हम जैसे जैसे equater से pole की तरफ जाएंगे वैसे वैसे देशांतर (Longitude) के बीच की दूरी घटती जाती है और इस अनुपात में मैप को ऊपर बढ़ते हुए सिकुड़ते हुए बनाया जाना चाहिए था ताकि मैप में दूरी को सही तौर से रिप्रेजेंट किया जा सके,लेकिन मैप वैसा नही बनाया जाता, ऐसा क्यों होता है.? "पश्चिम ने जितना बड़ा बौद्धिक घोटाला कर रखा है, बेइमानी की सरहदें उतनी बार लांग रखी हैं अगर उसपर लिखा जाएगा तो उन घोटाले के ऊपर सैंकड़ों किताबों की एक लाइब्रेरी तैयार हो जाए...
<strong>राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी</strong>

राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी

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- ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं,राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का मुद्दा एक बार फिर गरमा रहा है। लोकतंत्र की एक बड़ी विसंगति या कहे समस्या उस धन को लेकर है, जो चुपचाप, बिना किसी लिखा-पढ़ी के दलों, नेताओं और उम्मीदवारों को पहुंचाया जाता है, यानी वह काला धन, जिससे देश के बड़े राजनीतिक आयोजन चलते हैं राजनैतिक रैलियां, सभाएं, चुनाव प्रचार होता है। उम्मीदवारों के साथ-साथ मतदाताओं को लुभाने एवं उन्हें प्रलोभन देने में इस धन का उपयोग होता है। जब से चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को चंदा देने का प्रचलन शुरु हुआ है, राजनीतिक दलों को इससे मिलने वाली राशि में काफी इजाफा हुआ है। देश के सात राष्ट्रीय और चौबीस क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की ओर से सार्वजनिक किए गए आमदनी के ब्योरे से यह खुलासा हुआ है। एडीआर द्वारा किए गए इस ब्योरे के विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 2017-1...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा

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फ्रांस भारत साझेदारी ऐतिहासिक दौर मेंअवधेश कुमारफ्रांस की राजधानी पेरिस में राष्ट्रीय दिवस समारोह बस्ताइल दिवस परेड में फ्रांसीसी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के तीनों अंगों के 241 सदस्यीय मार्चिंग दस्ते को परेड करते, सैनिक बैंड द्वारा सारे जहां से अच्छा धुन बजाते सुन तथा राफेल विमानों का परेड के दौरान फ्लाईपास्ट का हिस्सा बनता देख समूचे भारत ने गर्व का अनुभव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। मैक्रो ने ट्वीट में लिखा विश्व इतिहास में व भविष्य में निर्णायक भूमिका निभाने वाला एक रणनीतिक साझेदार एक मित्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया कि अपने सदियों पुराने लोकाचार से प्रेरित भारत विश्व को शांतिपूर्ण समृद्धि और टिकाऊ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक मजबूत और भरोसेमंद भागीद...
ईडी: कार्यपालिका पर न्यायपालिका की नज़र

ईडी: कार्यपालिका पर न्यायपालिका की नज़र

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-विनीत नारायणप्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मौजूदा निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को सर्वोच्च न्यायालयने अवैध ठहराया है। क्योंकि उनको तीन बार जो सेवा विस्तार दिया गया वो सर्वोच्च न्यायालय के 1997 केआदेश, ‘विनीत नारायण बनाम भारत सरकार, सीवीसी एक्ट, दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट वकॉमन कॉज़’ के फ़ैसले के विरुद्ध था। इन सब फ़ैसलों के अनुसार ईडी निदेशक का कार्यकाल केवल दो वर्षका ही होना चाहिए। इस तरह लगातार सेवा विस्तार देने का उद्देश्य क्या था? इस सवाल के जवाब मेंभारत सरकार का पक्ष यह था कि श्री मिश्रा ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (एफ़एटीएफ़) में भारत काप्रतिनिधित्व कर रहे हैं इसलिए इनको सेवा विस्तार दिया जा रहा है। जबकि एफ़एटीएफ़ की वेबसाइट परईडी निदेशक का कोई कोई उल्लेख नहीं है। इस पर न्यायाधीशों की टिप्पणी थी कि क्या भारत में कोईदूसरा व्यक्ति इतना योग्य नहीं है जो ये काम...
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : चुनौतियां और हमारी भूमिका

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : चुनौतियां और हमारी भूमिका

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
-------------------------------------------------परिचयों में पारिभाषिक शब्द चुनना और उन्हीं के न्यूनाधिक विस्तार में परिचय पा लेने का क्रम एक उत्सुक मन को कुछ थाह दे सकता है किंतु जब राष्ट्र की बात हो तो, चिंतन इसकी अनुमति नहीं देता ! प्रसिद्ध चिंतक वासुदेवशरण अग्रवाल ने तो राष्ट्र के स्वरूप का परिचय ही दिया कि भू , जन और संस्कृति के संयोग से ही "राष्ट्र" बनता है। यह तीन इसके प्रमुखांग हैं और इनका संलयन एक स्वाभाविक, प्राकृतिक प्रक्रिया है। राष्ट्र के निर्माण में किसी एक की भी उपेक्षा असंभाव्य है! पश्चिम का संपूर्ण विचार पहले दो कारकों पर ही आधारित है, संभवतः दो सहस्राब्दियों का कालखंड छोटा पड़ गया! संस्कृति को अनुभव में , राष्ट्र के एक जीवमान अंग के रूप में लाने के लिए कुछ और समय की साधना अभी आवश्यक थी! और, भारतीय विचार साधना के पास वह अवसर ईश्वर प्रदत्त रहा! वैदिक काल से आज तक साधना...