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आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं?

आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं? हाल के वर्षों में नदियों के पानी से डूबने वाले क्षेत्रों में शहरी बस्तियां बसने की रफ़्तार तेज़ हो गई है. इस कारण से भी बाढ़ से होने वाली क्षति का दायरा बढ़ रहा है. क्योंकि किसी भी शहर का भौगोलिक दायरा और आबादी बढ़ने से ज़्यादा से ज़्यादा लोगो के बाढ़ के शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है. जैसे ही बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में बस्तियां बसने लगती हैं, तो बाढ़ के पानी के निकलने का रास्ता रुक जाता है. इससे बाढ़ का पानी निकल नहीं पाता. फिर बस्तियों को बाढ़ के पानी से बचाने के लिए उनके इर्द गिर्द बंध बनाए जाते हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बस्तियां बसने और इन बंधों के बनने से नदी घाटी और नदियों के इकोसिस्टम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. -डॉ सत्यवान सौरभ नदियां हमारी सभ्यता की जड़ों का अभिन्न अंग हैं, तो उनकी वजह से आने वाली बाढ़ भी हमारे देश का हिस्स...
लैंगिक समानता : भारत बहुत पीछे है

लैंगिक समानता : भारत बहुत पीछे है

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इंदौर के मेरे कुछ मित्र संसद में लम्बित “महिला आरक्षण बिल” को लेकर चिंतित हैं । वे सेमिनार, प्रकाशन और जाने क्या-क्या कर रहे हैं और गांधीवादी तरीक़े से आगे भी कुछ करना चाहते हैं । मुझे तो लगता है भारत का नज़रिया इस लैंगिक समानता के मुद्दे पर बदल रहा है और महिलाओं के पक्ष में दूर से दूर होता जा रहा है। बानगी के लिए देखिए भारत के कुल राजदूतों में से महज 13 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि वर्ष 2021 में यह संख्या 17.4 प्रतिशत थी। जाहिर है, इस सन्दर्भ में हम वैश्विक औसत से बहुत दूर हैं और मध्य-पूर्व के देशों के समक्ष खड़े हैं। लैंगिक समानता के हरेक आयाम में भारत दुनिया के सबसे असमान देशों के साथ ही खड़ा रहता है। यूनाइटेड अरब एमिराट्स की संस्था, अनवर गर्गाश डिप्लोमेटिक अकैडमी की रिपोर्ट मेरे सामने है , यह संस्था वीमेन इन डिप्लोमेसी इंडेक्स प्रकाशित करता है। इसके 2023 वीमेन इन डिप्लोमेसी इंडेक्...
राजनीतिक वादे और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

राजनीतिक वादे और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

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मध्यप्रदेश सहित पाँच राज्य विधानसभा चुनाव की दहलीज़ पर खड़े हैं। इन राज्यों में एक समान नौटंकी शुरू होने जा रही है, वादों की नौटंकी। यह विडंबना ही है कि जनता के हितों की दुहाई देकर सत्ता में आने पर राजनीतिक दलों द्वारा किए गये वादे और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। वे दावे तो आसमान से तारे तोड़ लाने के करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक ही होती है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि थोड़े से काम को इस तरह प्रचारित किया जाता है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। जबकि हकीकत में जनता के करों से अर्जित धन को निर्ममता से प्रचार-प्रसार में उड़ाया जाता है। विकास की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज करके सरकारी धन को विज्ञापनों व फिजूलखर्ची में उड़ाने वाली एक राज्य सरकार, दिल्ली सरकार की कारगुजारियों पर शीर्ष अदालत की फटकार को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। अदालत ने सख्त लहजे में कहा भी कि ऐसा क्यों है कि ...
हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर बदनुमा दाग

हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर बदनुमा दाग

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-ः ललित गर्ग:- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को हिंसक प्रतिस्पर्धा में नहीं बदला जा सकता, लोकतंत्र का यह सबसे महत्वपूर्ण पाठ पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस एवं अन्य राजनीतिक दलों को याद रखने की जरूरत है। जैसाकि पश्चिम बंगाल में इन दिनों पंचायत चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा देखने को मिली, इससे पूर्व वर्ष 2013 और 2018 के पंचायत चुनावों में भी ऐसी ही हिंसा सामने आई। 2019 के लोकसभा चुनावों में एवं 2021 के विधानसभा चुनावों में भी व्यापक हिंसा हुई थी। अब पंचायत चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद राजनीतिक दल एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। राज्य चुनाव आयुक्त भी बेबस बना हुआ इस हिंसा का जिम्मेदार जिला प्रशासन को ठहराकर अपना पल्ला झाड़ना चाहता है। निश्चित ही हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है। आखिर यह किस लोकतंत्र का चेहरा है। इस तरह की हिंसा से कोई जीत भी गया तो वह कि...
जनसंख्या विनियमन कानून लागू हो

जनसंख्या विनियमन कानून लागू हो

BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
इन दिनों हमारे देश भारत में विचार का विषय बढ़ती जन संख्या है । देश में जनसंख्या विनियमन कानून लागू करना एक बड़ा महत्त्वपूर्ण व प्रशंसनीय कदम होगा,इसके पक्ष और प्रति पक्ष में विचार आ रहे हैं । इस कानून को राजनीतिक या धार्मिक रंग देना या इस दृष्टि से देखना सरासर अनुचित, बेमानी व अवांछनीय है क्योंकि बढ़ती जनसंख्या के परिणाम धर्म और जाति में पहचान नहीं करेंगे। 18वी शताब्दी के दार्शनिक टॉमस मुल्थस ने कहा था- ‘मानव की बच्चे पैदा करने की न मिटने वाली प्यास हमें इस उपग्रह पर अंतत: एक दिन अत्यधिक जनसंख्या तक ले जाएगी। मानव सब संसाधनों को खा जाएगा और स्वयं महा अकाल का शिकार हो जाएगा।’ इतने वर्ष पहले मानव के भविष्य के बारे में उनका ये आकलन सही है और एक भयानक त्रासदी की ओर संकेत करता है। इसे देखते हुए हमारे देश में जनसंख्या विनियमन कानून लागू करना एक बड़ा महत्त्वपूर्ण व प्रशंसनीय कदम होगा। ...
क्या भाजपा को “भ्रष्टाचार” पर कुछ कहने का अधिकार है?

क्या भाजपा को “भ्रष्टाचार” पर कुछ कहने का अधिकार है?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, घोटाला, समाचार, साहित्य संवाद
जब आप किसी की ओर एक उँगली दिखाते ते है, तो तीन उँगलियाँ आपकी और होती है यह उक्ति मौजूदा हालात में भाजपा पर काफी सटीक बैठती है। विपक्षी नेताओं पर सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई किसी से छिपी नहीं है। भ्रष्टाचार में संलिप्त कई नेता भाजपा में शामिल हुए और उनसे जुड़े मामलों पर ताला लग गया। अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि भाजपा उस वाशिंग मशीन की तरह है, उसमें जो भी जाता है उसके सारे दाग धुल जाते हैं। जिन पर घोटाले के कई बड़े आरोप हैं और उसके बावजूद जांच एजेंसियों की ओर से उन्हें क्लीन चिट मिली हुई है। महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार समेत कई नेताओं के शामिल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है। भाजपा ने भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे अजित पवार और दूसरे विधायकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करवा कर पक्षपात करने और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करने का मौका विपक्षी दलों को दे दिया। विपक्षी नेताओं द्व...
गुरु गोलवलकर के नाम पर झूठ

गुरु गोलवलकर के नाम पर झूठ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, सामाजिक
अवधेश कुमारइस समय सोशल मीडिया पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का एक ट्वीट वायरल है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के नाम से कुछ पंक्तियां लिखी हुईं हैं। 'मैं सारी जिंदगी अंग्रेजों की गुलामी करने के लिए तैयार हूं लेकिन जो दलित, पिछड़ों और मुसलमानों को बराबरी का अधिकार देती हो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए।' इसमें कहा गया है कि गुरु गोलवलकर ने 1940 में यह बात कही थी। इसी तरह एक पंक्ति और है-'जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल पर अपने दो-तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें , 95 प्रतिशत जनता को भिखारी बना दें उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी।' यह भी कहा गया है कि गुरु गोलवलकर की पुस्तक वी एंड आवर नेशनहुड आईडेंटिफाइड में ये पंक्तियां लिखी हुई है। वैसे उस पुस्तक का नाम वी एंड आवर नेशनहुड डिफाइ...
हलाल कावड़ यात्रा से दो हजार करोड़ से ज्यादा कमाते हैं मुसलमान

हलाल कावड़ यात्रा से दो हजार करोड़ से ज्यादा कमाते हैं मुसलमान

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हलाल कावड जिहाद अनभिज्ञ क्यों, अब हिंदुओं को भगवान भी नहीं बचा सकते ==================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती मैंने कभी लव जिहाद शब्द का नाम दिया था, कभी मैंने नमाजी हिंसा जिहाद शब्द का नाम दिया था, आज मैं हलाल कांवड शब्द का नाम दे रहा हूं। हलाल कांवड का कन्सेप्त अभी तक विचारण और विमर्श से बाहर क्यों है? तुम्हारी पैरों के नीचे से जमीन सिखक रही है और तुम अभी भी अपरिचित और अज्ञानी बने बैठो हों तो फिर भगवान भी तुम्हें बचा नहीं सकते हैं।मेरे परिचित को एक एक कावंड चाहिए था। कांवड खोजने हमलोग निकले। बहुत खोजने के बाद अब्दुल करीम नामक व्यक्ति की दुकान से कांवड मिला। मेरा दोस्त आश्चर्यचकित नहीं था, उसे क्या मतलब कि कांवड कौन बेच रहा है? उसे कांवड खरीदना है और फिर हरिद्वार से गंगा से जल लाकर भगवान शिव मंदिर पर चढा देना है, धर्म-पुण्य का कार्य उसका पूरा हो जाता है।लेकिन मेरे लिए आ...
डाइलॉग इंडिया एकेडेमिया – इंडस्ट्री कांक्लेव एवं इंटरनेशनल एकेडेमिया अवार्ड -2023

डाइलॉग इंडिया एकेडेमिया – इंडस्ट्री कांक्लेव एवं इंटरनेशनल एकेडेमिया अवार्ड -2023

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Dialogue India Academia - Industry Conclave & International Academia Award -2023 Serious dialogue, important suggestions and awards to leading institutions of private higher education and business sector Dialogue India Academia International Award on the basis of ranking of many popular educational institutions of the country for better performance in the field of education by the country's popular magazine Dialogue India and Business Connect in collaboration with PHD Chamber of Commerce and Industry in Delhi's PHD Chamber - Awarded from 2023. Chandigarh University, Amity University, GLA University, Chitkara University, Modi University of Science and Technology, Era Medical College University, Mewar University AKG Engineering College etc. topped the country in various categorie...
<strong>राकांपा की फूट से विपक्षी एकता को झटका</strong>

राकांपा की फूट से विपक्षी एकता को झटका

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  ललित गर्ग:- वर्ष 2024 के चुनाव से पूर्व भारतीय राजनीति के अनेक गुणा-भाग और जोड़-तोड़ भरे दृश्य उभरेंगे। महाराष्ट्र में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है। वहां जो हुआ है उससे विपक्ष में खलबली है, घबराहट एवं बेचैनी स्पष्ट देखी जा सकती है, जो पटकथा महाराष्ट्र में लिखी गयी है, वही बिहार में भी लिखी जा सकती है। राजनीतिक दलों के भ्रष्टाचार को दबाने के लिये, सत्ताकांक्षा एवं आंतरिक असंतोष के चलते ऐसे समझौते, दलबदल एवं उल्टी गिनतियां अब आम बात हो गयी है। कल तक सत्ता पक्ष को कोसने वाले अजित पवार अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से बगावत कर डिप्टी सीएम बन गए हैं। राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार की पार्टी का यह हश्र आश्चर्यकारी ही नहीं, बल्कि एक बड़ा विरोधाभास एवं विपक्ष्ी एकता का संकट भी है। एक तरफ इस तरह के घटनाक्रम को राजनीतिक दलों में आंतरिक असंतोष व ...