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चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाली है।

चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाली है।

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एक बहुत ही प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक समझाते है के गेहूं खाना बंद करने से आपकी सेहत को कितना अधिक लाभ हो सकता है। हृदय-चिकित्सक Dr विलियम डेविस MD ने अपने पेशे की शुरुवात हृदय रोग के उपचार के लिए 'अंजीओप्लास्टी' और 'बाईपास सर्जरी' से किया था। वे बताते है के "मुझे वो ही सब सिखाया गया था और शुरू शुरू में तो मैं भी वोही सब करना चाहता था।" लेकिन जब उनकी अपनी माताजी का निधन साल 1995 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ जो उन्हें बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराने के बावाजूद हुआ। तब उनके मन में अपने ही पेशे को लेकर चिंता और परेशान कर देने वाले प्रश्न उठने लगे। वे कहते है के, मैं रोगीयों के हृदय का इलाज कर तो देता था, लेकिन वे कुछ ही दिनों में उसी समस्या को लेकर मेरे पास फिर लौट आते थे। वो इलाज तो मात्र 'बैंड-ऐड' लगाकर छोड़ देने के समान था, जिसमें बीमारी का मूल कारण पकड़ने का तो प्रयास भी नहीं किया जाता था।" इ...
भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल?

भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल?

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आज का ‘प्रतिदिन’ भारत के भविष्य से जुड़ा है। यह भारत के भविष्य के लिए अत्यंत ही चिंताजनक बात है, जो फ़ौरन कार्रवाई की अपेक्षा की माँगती है । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् यानी एनसीईआरटी तथा भारत सरकार के स्कूली शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में एक सर्वे हुआ। इस सर्वे के आंकड़ों के अनुसार देशभर में कक्षा तीन के बच्चे विशेष रूप से गणित, अंग्रेजी एवं हिंदी में औसत से भी कमजोर साबित हुए हैं। मानव जीवन में शिक्षा का बड़ा महत्व है। दरअसल, बेहतर व्यक्तियों के निर्माण तथा उज्ज्वल करिअर के लिए सर्वथा उचित शिक्षा की आवश्यकता होती है। वैसे आजादी के बाद से ही हमारी शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव किये गये, लेकिन हाल ही में एक सर्वे से प्राप्त आंकड़ों एवं जानकारियों से पता चलता है कि उद्देश्यगत बेहतरी के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अब तक किये गये तमाम प्रयास अपर्याप्त रहे हैं। ...
विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल)

विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल)

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डॉक्टर और दवाइयों की कमी से जूझता देश का स्वास्थ्य प्रत्येक 10,000 लोगों के लिए केवल एक एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध है और 90,000 लोगों के लिए एक सरकारी अस्पताल उपलब्ध है। मासूम और अनपढ़ मरीजों या उनके रिश्तेदारों का शोषण किया जाता है। अधिकांश केंद्र अकुशल या अर्ध-कुशल पैरामेडिक्स द्वारा चलाए जाते हैं और ग्रामीण सेटअप में डॉक्टर शायद ही कभी उपलब्ध होते हैं। मरीजों को जब आपात स्थिति में तृतीयक देखभाल अस्पताल में भेजा जाता है जहां वे अधिक भ्रमित हो जाते हैं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और बिचौलियों के एक समूह द्वारा आसानी से धोखा खा जाते हैं। बुनियादी दवाओं की अनुपलब्धता भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की एक सतत समस्या है। कई ग्रामीण अस्पतालों में नर्सों की संख्या जरूरत से काफी कम है. -डॉ सत्यवान सौरभ विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल, स्वास्थ्य समस्या या विशेष ध्यान देने योग्य मुद्दे पर विश्व ...
बल, बुद्धि और सिद्धि के सागर हैं हनुमान

बल, बुद्धि और सिद्धि के सागर हैं हनुमान

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हनुमान जयन्ती- 6 अप्रैल 2023 पर विशेष- ललित गर्ग - आधुनिक समय के सबसे जागृत, सिद्ध, चमत्कार घटित करने वाले एवं अपने भक्तों के दुःखों को हरने वाले भगवान हनुमान हैं, उनका चरित्र अतुलित पराक्रम, ज्ञान और शक्ति के बाद भी अहंकार से विहीन था। यही आदर्श आज हमारे लिये प्रकाश स्तंभ हैं, जो विषमताओं से भरे हुए संसार सागर में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि असंभव लगने वाले कार्यों में भी जब हनुमानजी ने विजय प्राप्त की तब भी उन्होंने प्रत्येक सफलता का श्रेय ‘सो सब तव प्रताप रघुराई’ कहकर अपने स्वामी को समर्पित कर दिया। पूरी मेहनत करना पर श्रेय प्राप्ति की इच्छा न रखना सेवक का देव दुर्लभ गुण होता है, जो उसे अन्य सभी सद्गुणों का उपहार दे देता है। यहीं हनुमानजी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है। वे शौर्य, साहस और नेतृत्व के भी प्रतीक हैं। समर्पण एवं भक्ति उनका सर्वाधिक लोकप्रिय ग...
नया उपकरण बताएगा आँतों में कैसे काम करते हैं सूक्ष्मजीव

नया उपकरण बताएगा आँतों में कैसे काम करते हैं सूक्ष्मजीव

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
नया उपकरण बताएगा आँतों में कैसे काम करते हैं सूक्ष्मजीव सूक्ष्मजीवों का मनुष्य के जीवन से गहरा संबंध है। रोगजनक सूक्ष्मजीव हमें बीमार करने के लिए जाने जाते हैं, तो दूसरी ओर बहुत से सूक्ष्मजीव बेहतर स्वास्थ्य की एक महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। सूक्ष्मजीवों का यह समुदाय माइक्रोबायोम कहलाता है, जो चयापचय और रोगों से बचाव में अपनी भूमिका निभाते हैं। मानव आँत माइक्रोबायोम की एक हजार से अधिक प्रजातियों से मिलकर बना है, जिनमें 33 लाख से अधिक विशिष्ट जीन्स हैं। आँतों में सूक्ष्मजीव भोजन को संसाधित करने के लिए एंजाइमों का स्राव करते हैं और शरीर को विभिन्न मेटाबोलाइट प्रदान करते हैं, जो शरीर की आंतरिक कार्यप्रणाली के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक हैं। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) भोपाल के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एक नया उपकरण विकसित किया है, ज...
सामाजिक विषमता का कारक है आरक्षण

सामाजिक विषमता का कारक है आरक्षण

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डॉ शंकर सुवन सिंहआरक्षण दो शब्दों से मिलकर बना है आ + रक्षण। आरक्षण शब्द में ‘आ’ उपसर्ग है और रक्षणअर्थात सुरक्षित करना। किसी वस्तु या व्यक्ति के लिए कोई स्थान पहले से बचा कर रखनाआरक्षण कहलाता है। वर्ष 1947 में भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्त की। डॉ. अम्बेडकर कोभारतीय संविधान के लिए मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सभीनागरिकों के लिए समान अवसर प्रदान करते हुए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछले वर्गोंया अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए संविधान में विशेष धाराएँरखी गयी। 10 सालों के लिए उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिएअनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए अलग से निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए।स्वतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 को आरक्षण लागू हुआ था। पिछड़ी जातियों को डॉभीम राव अम्बेडकर द्वारा दिया गया संरक्षण या आरक्षण उचित था। उस समय देश गुलामीकी जंजीरों से...
समाज

समाज

TOP STORIES, सामाजिक
समाज । यह एक शब्द है जो आज के घुटनों तक कच्छा पहनकर घूमने वाले युवक युवतियों को बड़ा ही बकवास और दकियानूसी लगता है । क्युकी यह समाज ही है जो अभी तक अपने कंधे पर अपने अतीत और अपनी सामाजिक परम्पराओं की गठरी लेकर चलता आया है और समाज यह गठरी जिम्मेदारी के उन कंधों पर डालता है जो इसे संभालकर रख सके और आगे किसी जिम्मेदार व्यक्ति को हस्तांतरित कर सके । लेकिन यह हमारे और आपके लिए कितने अफसोस और शर्म की बात है कि हमारे इतनी बड़ी बड़ी डिग्री धारण करने के बाबजूद समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों को वो कंधे नही मिल पा रहे है । वैसे समाज करता क्या है ? समाज का काम क्या है ? समाज ने आज तक किया ही क्या है ? ये सब बातें आज के पढ़े लिखे कूल ड्यूड के दिमाग में आती ही है क्युकी आजका कुल ड्यूड हर चीज को अपने किताबी ज्ञान के तर्क,वितर्क और कुतर्कों से ही परखता है । यहां तर्क,वितर्क और कुतर्को का नाम इसलिए दिया जा ...
हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
- ललित गर्ग- रामनवमी पर निकाली गई शोभा यात्राओं के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में हिंसा की जो वीभत्स, त्रासद एवं उन्मादी घटनाएं सामने आई हैं वे एक सवाल खड़ा करती हैं कि हिन्दुओं के त्यौहारों को ही अशांत एवं हिंसक क्यों किया जाता है? आखिर हिन्दू उत्सवों के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल खराब करने के लिए क्या जानबूझकर कोई षड्यंत्र किया जाता है? क्यों हिन्दू देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था पर ही हमला क्यों किया जाता है। गैर भाजपा सरकारों के राज्यों में ही हिन्दूओं पर हमले क्यों हो रहे हैं? सवाल यह भी है कि संबंधित राज्य की सरकार और स्थानीय पुलिस-प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही सतर्क क्यों नहीं रहता और दो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने का इंतजार क्यों करता है? हर साल की तरह इस बार भी रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र में हिंसा हुई और इसके बाद बिहार सुलग उठा। ब...
क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
क्या है हिन्दू फोबिया का कारणहिन्दू धर्म या सनातन संस्कृति जिसकी जड़ें संस्कारों के रूप में, परम्पराओं के रूप में भारत की आत्मा में अनादि काल से बसी हुई हैं।ये भारत में ही होता है जहाँ एक अनपढ़ व्यक्ति भी परम्परा रूप से नदियों को माता मानता आया है और पेड़ों की पूजा करता आया है क्या है हिन्दू फोबिया का कारणआज जहां एक तरफ देश में हिन्दू राष्ट्र चर्चा का विषय बना हुआ है। तो दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों में रामनवमी के जुलूस के दौरान भारी हिंसक उत्पात की खबरें आती हैं। एक तरफ हमारे देश में देश में धार्मिक असहिष्णुता या फिर हिन्दुफोबिया का माहौल बनाने की कोशिशें की जाती हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका की जॉर्जिया असेंबली में 'हिंदूफोबिया' (हिंदू धर्म के प्रति पूर्वाग्रह) की निंदा करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया जाता है। इस प्रस्ताव में कहा जाता है कि "हिंदू धर्म दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुरा...
आसान नहीं  है कर्नाटक की राजनीति को समझना

आसान नहीं  है कर्नाटक की राजनीति को समझना

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
उमेश चतुर्वेदी टीवी चैनलों के दौर इस में बौद्धिकों की नजर में हर विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल बन गया है। विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होते ही विशेषकर राजधानी केंद्रित बौद्धिक घोषित करने लगते हैं कि आने वाले चुनावों पर इस चुनाव विशेष के नतीजों का बड़ा असर होगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भी ऐसी ही स्थापित धारणाएं लगातार प्रसारित हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के उभार के बाद ऐसी धारणाएं कई बार ध्वस्त हुई हैं। फिर भी इन्हीं धारणाओं के इर्द-गिर्द कर्नाटक के संभावित नतीजों का आकलन किया जा रहा है। अतीत के अनुभवकर्नाटक के अतीत के अनुभव भी इन स्थापित धारणाओं को खारिज करते रहे हैं।याद कीजिए 1999 के विधानसभा चुनाव को। तब जनता दल के जेएच पटेल मुख्यमंत्री थे। आम धारणा थी कि येदियुरप्पा की अगुआई में दक्षिण के इस राज्य में अपने दम पर कमल खिल जाएगा। लेकिन कमल खिलने के पहले ही मुरझा गया। वजह ...