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Legal-size paper should be banned with all government-offices and High Courts asked to follow Supreme Court for using both-sides of A-4 paper with 1.5 spacing

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According to reports there has been a big saving of about 25-percent at Supreme Court every year where about 2.4 crore paper-sheets are likely to be saved ever since Chief Justice of India, known to be a nature-lover, in April 2020 directed using both sides of paper-sheet with abnormal legal-sized paper changed by normal A-4 size paper with 1.5 spacing. Step will save 2800 tress and over one crore liter of water every year for paper used by Supreme Court alone. Just replacing legal-size paper with A-4 size paper with reduced margins and 1.5 spacing will reduce the paper usage by around 45 lakh annually at Supreme Court which has also done away with practice of printing and distribution of hard copies. However Supreme Court should direct all High Courts and other sub-ordinate courts to c...

Central government should support PIL in Supreme Court to make bigamy punishable

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It refers to a group of women having approached to make bigamy for people of all religions punishable under section 494 of Indian Penal Code (IPC) in tune with UN conventions against bigamy, Presently provisions in Shariat Act prevent section 494 of IPC prevent Muslims to be exempted from provisions of section 494 of IPC because this section is subject to applicability f personal law. It is noteworthy many non-Muslims including known celebrities and in legislature misuse the provision by symbolically adopting Islam just for day to prevent punishment under section 494 of IPC Act, thus hurting and torturing rights of the first wife. Central government has already taken steps to remove evils from Muslim society like banning triple talaq. Bigamy is injurious for first wives of persons go...

NEERI develops eco-friendly Phytorid Technology Sewage Treatment Plant

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New Delhi, December 03 (India Science Wire)- A Niti Aayog report states that 21 major cities in India (including New Delhi, Chennai, Bengaluru, and Hyderabad) are all set to run out of groundwater. India’s per capita water availability is expected to further decline to 1465 cubic metre by 2025. By 2030, the country’s water demand is projected to be twice the available supply, implying severe water scarcity for hundreds of millions of people. Given the impending water crisis, the treatment and recycling of 62 billion litres of wastewater that India produces per day could be an effective way out. The Council of Scientific and Industrial Research- National Environmental Engineering Research Institute (CSIR-NEERI), Nagpur has developed an efficient Phytorid Technology Sewage Treatment ...

तारों के टूटने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं न्यूट्रिनों कण

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नई दिल्ली, बुधवार 3 दिसंबर, (इंडिया साइंस वायर): ब्रह्मांड में प्रचुरता से पाए जाने वाले न्यूट्रिनों कण के प्रभाव से तारे किस प्रकार विस्फोट के साथ टूट जाते हैं, यह गुत्थी अब शीघ्र ही सुलझ सकती है. मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के वैज्ञानिक डॉ. बासुदेब दासगुप्ता का अध्ययन इस दिशा में सहायक सिद्ध हुआ है। सैद्धांतिक भौतिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ दासगुप्ता को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की स्वर्ण जयंती फेलोशिप भी मिली है। डॉ. दासगुप्ता का शोध न्यूट्रिनों की क्वांटम अवस्था के अध्ययन के अतिरिक्त तारों के टूटने में न्यूट्रिनों की भूमिका और प्रयोग के लिए उनकी पहचान करने पर आधारित है। न्यूट्रिनो अत्यंत सूक्ष्म परमाणु कण होते हैं। पदार्थों के साथ सीमित सक्रियता के कारण इनकी पहचान करना मुश्किल होता है। फिर भी तारों में होने वाले विस्फोट के अध्ययन में...
Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

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It refers to opposition by Shiv Sena to decision of UP government to set a big film-industry with all facilities at Greater Noida (near Yamuna expressway) in size double the area presently Bollywood film-industry has available for shooting films and TV serials. India is one nation, and every state has right to take decisions on starting new innovative projects of larger public-interest. As such UP is not snatching anything from Mumbai or Maharashtra. Such opposition was not even witnessed in Jammu and Kashmir when it was full state before abolishing article 370 and 35-A of the constitution. Film-industry is not monopoly of any particular city or state as is being claimed by Shiv Sena. It would have been better if Shiv Sena through its hold on Maharashtra legislature and Bombay civic bod...

Welcome launch of Lucknow Municipal Bond should be adopted by other cities and public-sector-undertakings of the center and the states

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It refers to Lucknow Municipal Bonds of total issue-value of rupees 200 crores under Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation (AMRUT) scheme with lucrative interest-rate 8.5 percent of 10-year maturity being oversubscribed by 4.5 times just on opening issue by UP Chief Minister at Bombay Stock Exchange. Over-subscription was evident because no other government-security presently gives such high return. Even though similar bonds are to be issued by civic bodies of other cities in UP, other states should also follow the same for developing infrastructure rather than depending on public-exchequer of center and states, or hiking tax-dose. Union Ministry of Housing and Urban Development should write to states for issuing such bonds by their civic bodies. Such long-term bonds wi...
मिलावट, औषधि और संतत्व के लेबल

मिलावट, औषधि और संतत्व के लेबल

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भारत का आयुर्वेद भारत के धर्मगुरु कभी विश्व में भारत की साख हुआ करते थे | आज यह सब वैश्विक प्रश्न चिन्ह की जद में हैं | दुःख की बात यह है की संतत्व के नाम पर बाज़ार खड़ा हो गया है और संतत्व व्यापार बन गया है | आपको भी इस खबर ने विचलित किया होगा है देश की नामी कंपनियों का जीवन रक्षक माने जाने वाला शहद मिलावटी है। इससे ज्यादा विचलित करने वाली बात यह है कि इनमे से कई कम्पनी के कर्ता-धर्ता अपने को व्यापारी की जगह संत कहते हैं | अन्य उत्पादों की बात छोड़ भी दें, यह बात ज्यादा परेशान करने वाली  है कि प्राकृतिक रूप से बनने वाली  शहद के ७७  प्रतिशत नमूनों में मिलावट पायी गई है। कितनी बड़ी यह है कि कोरोना महामारी के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये शहद का उपयोग किया जाता रहा है। विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं और घरेलू उपचार में भी शहद का खूब उपयोग होता रहा है। सदियों से लोग घरेलू इलाज के लिये शहद...

कोरोना पर नियन्त्रण आप की भी जिम्मेदारी है

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कोरोना महामारी से व्याप्त संकट का अंत किसी भी रूप में होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है। अभी तक कुछ अनसुलझे प्रश्न हैं, यथा - वैक्सीन कब तक आयेगी, उसके कोविड-19 महामारी पर क्या प्रभाव होंगे। ये बहुत बड़े यक्ष प्रश्न विश्व के समक्ष हैं। आज सभी के मन में यह भय व्याप्त है कि इस वैक्सीन के दूरगामी परिणाम मनुष्य जाति के लिए हानिकारक न हों, क्योंकि किसी भी वैक्सीन को साधारण जनता में प्रयोग करने से पूर्व 15-16 वर्ष अथवा उससे भी अधिक समय इसके परिणामों का निष्कर्ष निकालने में लग जाता है। कोरोना को समाप्त करने का दायित्व सरकार व वैक्सीन का ही नहीं अपितु जनता का भी बहुत अधिक है।  आज सम्पूर्ण विश्व इससे त्रस्त है। इस महामारी का प्रकोप अब विश्व में पुनः बढ़ रहा है। विश्व के कई देशों में पुनः लाॅकडाउन की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। भारत में दिल्ली, मुम्बई जैसे शहर पुनः लाॅकडा...

क्या इस आदेश से पुलिस में कुछ बदलेगा ?

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देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस थानों में कैमरे लगाने का निर्देश यूँ ही नहीं दिए हैं |आम लोगों के प्रति पुलिसकर्मियों के व्यवहार के मामले  आये दिन सुनने को मिलते हैं । पुलिसिया रवैये को लेकर कुछ शिकायतें आम हैं। जैसे एफआईआर नहीं लिखना, थाने में लोगों से दुर्व्यवहार करना, हिरासत में लिए गए आरोपी के साथ लॉकअप में अमानवीय सुलूक करना आदि। स्थिति यहाँ तक है कोई पुलिस अफसर सादे कपड़े में किसी थाने में पहुंच जाए, तो उसके मन में भी उसके साथ बदतमीजी न हो इसकी आशंका बनी रहती है |सर्वोच्च न्यायालय का देश भर के पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया, पुलिस सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है । बशर्ते इस पर ईमानदारी से अमल हो | ये कैमरे पुलिस स्टेशन के तमाम आम और खास जगहों पर लगाए जाने के आदेश दिए गये हैं |इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी कहा है कि इन कैमरों की रिकॉर्डिंग १८  महीनो...

उच्च शिक्षा स्वभाषाओं में ?

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शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने आज घोषणा की है कि उनका मंत्रालय उच्च शिक्षा में भारतीय भाषा के माध्यम को लाने की कोशिश करेगा। बच्चों की शिक्षा भारतीय भाषाओं या मातृभाषाओं के माध्यम से हो, यह तो नई शिक्षा-नीति में कहा गया है और कोठारी आयोग की रपट में भी इस नीति पर जोर दिया गया था। 1967 में इंदिरा सरकार के शिक्षा मंत्रियों डाॅ. त्रिगुण सेन, श्री भागवत झा आजाद और प्रो. शेरसिंह तथा बाद में डाॅ. मुरली मनोहर जोशी ने भी शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ाने की भरपूर कोशिश की थी लेकिन हमारी सरकारें, चाहे वे भाजपा या कांग्रेस या जनता दल की हों, शिक्षा का भारतीय भाषाकरण करने में विफल क्यों रही हैं ? इसलिए विफल रही हैं कि उन्हें बाल तो सिर पर उगाने थे लेकिन वे मालिश पांव पर करती रहीं। पांव पर मालिश याने बच्चों को मातृभाषा के माध्यम से पढ़ाना तो अच्छा है लेकिन वे ज्यों-ज्यों आगे बढ़ते हैं, अंग्रेज...