अपनी मौत के फरमान पर खुद के दस्तखत
पूरा भारत भाषा भूषा भोजन व्यवहार से अलग-अलग जोन में बांटा जा सकता है |हर जोन की अपनी मिट्टी, मौसमों का क्रम और जैव विविधता अलग होने से मानव का व्यवहार भी पृथक है । बदलते परिवेश के कारण कुछ जरूरी, नए पेड़ों की प्रजातियां जो अलग- अलग प्रवासी कबीले परदेस से अपने साथ कुछ नया लाते गये | जिससे भारत विविधता का एक समूह बन गया |
इस समय उत्तर भारत के मैदानों में हवा का प्रदूषण अपने चरम पर जा रहा है। सांस लेना दूभर, आंखों में तकलीफ, छोटे बच्चे और दमे के मरीजों हालत हमेशा की तरह खराब हो रही है। सरकारी दबाव और स्व नियंत्रण से इस बार दीपावली पर पटाखे चलाना कम हुआ, पर प्रदूषण के स्रोत उससे कहीं बड़े और गहरे हैं। अफसोस कि वे सीधे उस सरकारी विकास के खाके से जुड़ी हुई हैं जो हर माल के अतिरिक्त उत्पादन और गैर जरूरी खपत से जुड़ा हुआ है। खेती भी उसके दायरे में आ गई और अस्वस्थ हुई है।
गुजरात और राजस्थान में...