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अपनी मौत के फरमान पर खुद के दस्तखत

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पूरा भारत भाषा भूषा भोजन व्यवहार से अलग-अलग जोन में बांटा जा सकता है |हर जोन की अपनी मिट्टी, मौसमों का क्रम और जैव विविधता अलग होने से मानव का व्यवहार भी पृथक है । बदलते परिवेश के कारण  कुछ जरूरी, नए पेड़ों की प्रजातियां जो अलग- अलग प्रवासी कबीले परदेस से अपने साथ कुछ नया लाते गये | जिससे भारत विविधता का एक समूह बन गया | इस समय उत्तर भारत के मैदानों में हवा का प्रदूषण अपने चरम पर जा रहा है। सांस लेना दूभर, आंखों में तकलीफ, छोटे बच्चे और दमे के मरीजों हालत हमेशा की तरह खराब हो रही है। सरकारी दबाव और स्व नियंत्रण से इस बार दीपावली पर पटाखे चलाना कम हुआ, पर प्रदूषण के स्रोत उससे कहीं बड़े और गहरे  हैं। अफसोस कि वे सीधे उस सरकारी विकास के खाके से जुड़ी हुई हैं जो हर माल के अतिरिक्त उत्पादन और गैर जरूरी खपत से जुड़ा हुआ है। खेती भी उसके दायरे में आ गई और अस्वस्थ हुई है। गुजरात और राजस्थान में...

अनियोजित शहरीकरण एवं गांवों की उपेक्षा के खतरे

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कोरोना की उत्तरकालीन व्यवस्थाओं पर चिन्तन करते हुए बढ़ते पर्यावरण एवं प्रकृति विनाश को नियंत्रित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, इसके लिये बढ़ते शहरीकरण को रोकना एवं गांव आधारित जीवनशैली को बल देना होगा। भले ही शहरीकरण को आर्थिक और सामाजिक वृद्धि का सूचक माना जाता है। लेकिन अनियंत्रित शहरीकरण बड़ी समस्या बन रहा है। भारत में तो शहरीकरण ने अनेक समस्याएं खड़ी कर दी हैं, आम जनजीवन न केवल स्वास्थ्य बल्कि जीवनमूल्यों की दृष्टि से जटिल होता जा रहा है। आर्थिक विकास भी इसी कारण असंतुलित हो रहा है। ऐसे में जब कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट के दौरान बेतरतीब जीवनशैली से भरे शहर अचानक डराने लगे तब हमारे गांवों ने ही शहरी लोगों पनाह दी। इसलिए यह आवश्यक है कि ऐसी योजनाएं बनाई जाएं जिससे गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें ताकि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों को ह...
एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

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१) सामान्यतः देश को जितनी आवश्यकता है उससे दोगुना अनाज उगाया जा रहा है। ऐसे में अनाज गोदामों में सड़ता है व शराब बनाने वाली कम्पनियाँ उनको सस्ते में ख़रीद लेती हैं। बेहतर हो कि किसान कम मात्रा में उगाए किंतु अच्छी गुणवत्ता का अनाज उगाए व ज़ेविक कृषि की ओर बढ़े तो उसको अपनी फसल के दाम मनचाहे मिलने शुरू हो जाएँगे। क्योंकि ऐसे अनाज की माँग अधिक होगी व आपूर्ति काम तो दाम बढ़ेंगे। २) किसान देश में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने अथवा सीमित करने की माँग करे क्योंकि इसके कारण लोग अनाज कम खाते हैं व किसान का अनाज सस्ते में बिकता है। मांसाहार पर प्रतिबंध लगने से अनाज की माँग बढ़ जाएगी व दाम भी। ३) किसान नक़दी फसलें, फल व सब्ज़ी का उत्पादन बढ़ाए जो उसको अतिरिक्त आमदनी करवाएँगे। इसके साथ ही पूर्व की तरह गाय , भेंस आदि दूध देने वाले पशुओं का पालन पुन शुरू करें जो उनकी सेहत भी सुधरेगा और आमदनी भी। ४) छोट...

डीआरडीओ की ‘क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल’ का सफल परीक्षण

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नई दिल्ली, 19 नवंबर (इंडिया साइंस वायर): देश के रक्षा तंत्र की मजबूती और शक्ति संतुलन के लिए अत्याधुनिक आयुध संसाधनों का विकास वर्तमान समय की एक आवश्यकता है। वैश्विक व्यवस्था में आते सतत् बदलावों के बीच यह महत्वपूर्ण है कि भारत रक्षा-आयुध के क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाए। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक निरंतर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। एक ताजा घटनाक्रम में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ‘क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल’ (क्यूआरएसएएम) प्रणाली का सफल उड़ान परीक्षण किया गया है। यह परीक्षण ओडिशा तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से किया गया है। परीक्षण के दौरान ‘क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल’ (क्यूआरएसएएम) प्रणाली ने हवाई लक्ष्य का सटीक रूप से पता लगाया और सफलतापूर्वक उस लक्ष्य को निर्धारित समय में मार ग...

A treatment for ‘Retinitis Pigmentosa’ could be in the offing

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New Delhi, Nov 19 (India Science Wire): In a significant development in the area of ophthalmology, a team of New Delhi-based researchers has come out with a finding that shows the possibility for a cure for the progressively irreversible retinal degenerative disease which causes partial or complete blindness. Presently, there is no cure for the disease. Current modules of treatment offer only symptomatic relief. Some recent studies across the world have shown that cell therapy could be of help. However, it is difficult to find an accessible and abundant source of stem cells using minimally invasive techniques for this purpose. Besides, there is a lot of safety and ethical issues surrounding the use of stem cells. Scientists have been toying with the alternative idea of using monoc...

औद्योगिक अपशिष्ट से उपयोगी उत्पाद बनाने की नयी तकनीक

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नई दिल्ली, 18 नवंबर (इंडिया साइंस वायर): रासायनिक अभिक्रियाओं को तेज करने के लिए उनमें विशिष्ट एजेंट्स का उपयोग होता है, जिन्हें उत्प्रेरक कहा जाता है। कुशल एवं प्रभावी उत्प्रेरक रासायनिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने और उसके माध्यम से वांछित उद्देश्य को पूरा करने में मददगार होते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी और इसी शहर में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (नाइपर) के शोधकर्ताओं ने औद्योगिक एवं जैविक कचरे को मूल्यवान रसायनों में रूपांतरित करने के लिए एक प्रभावी "पिनसर उत्प्रेरक" प्रणाली विकसित की है। शोधकर्ताओं का कहना है कि "पिनसर उत्प्रेरक" की बेहद कम मात्रा ग्लिसरॉल जैसे औद्योगिक अपशिष्ट को लैक्टिक एसिड और हाइड्रोजन ईंधन में परिवर्तित कर सकती है। यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि रूपांतरण की इस ...

A new way forward for treatment of tonsil cancer

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New Delhi, Nov 18 (India Science Wire): Oropharyngeal cancer or tonsil cancer as it is known in common parlance is increasingly becoming a matter of grave concern. In 2018, a total of 92,887 new cases and 51,005 deaths due to the disease were reported across the world. India has the highest incidence as well as the mortality rate for this cancer type, with 17,903 new cases and 14,953 deaths reported for 2018. Several etiological factors are associated with the development of the cancer including consumption of tobacco (smoking and smokeless), areca nut, alcohol and Human Papilloma Virus (HPV). In India specifically, the higher incidence rates of the cancer have been correlated to specific dietary and lifestyle habits such as chewing of areca or betel nut, and consumption and exp...

पाकिस्तान का कलंक

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वर्ष 1947 में अंग्रेजो से आजादी प्राप्त होते ही पाकिस्तान के निर्माण की बुनियाद प्रारम्भ हो गई थी। पाकिस्तान के निर्माण के साथ-साथ विध्वंसकारी शक्तियों का भी प्रादुर्भाव हो गया था। परिणामस्वरूप लाखों कन्याओं और महिलाओं की अस्मिता को धूल-धूसरित कर दिया गया। इस अपमान को न सहने के कारण कुछ महिलाओं ने कूओं में कूद कर अपने प्राण त्याग दिये। इन वीभत्स मंजर के विरुद्ध सरकार ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया और इन्हीं परिस्थितियों में ही पाकिस्तान का निर्माण हो गया। पाकिस्तान का स्वतंत्र अस्तित्व निश्चित होने पर जो शासक आये, वे इन वास्तविकताओ को देखकर भी अनदेखा करते रहे। उन्होंने यह समझने का भी प्रयास नहीं किया कि कितने मासूम बेगुनाहों की हाय पाकिस्तान पर पड़ी होगी। पाकिस्तान के शासकों ने वर्ष 1947-48 का मंजर विस्मृत कर दिया, फिर वर्ष 1965 और वर्ष 1971 तत्पश्चात वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, जिनमें वे भ...

कोरोना वैक्सीन : सरकार को बजट बढ़ाना होगा

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अपने देश में  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कस्बों और गांवो में इलाज का पर्याय है ।सरकार की यह स्वास्थ्य सेवा इकाई है| कहने को यहाँ विशेषज्ञ डाक्टरों का प्रावधान है, लेकिन उनमें से लगभग ८० प्रतिशत स्थान रिक्त है। जनसंख्या के लगभग ५५ प्रतिशत हिस्से की सबसे जरूरी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है और स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च का ७७  प्रतिशत हिस्सा परिवार के अपने बजट में से खर्च होता है।आक्सफैम द्वारा कुछ समय पहले जारी किए गए विषमता कम करने की सूचकांक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वास्थ्य के बजट की दृष्टि से जिन १५८  देशों का आकलन किया गया, उनमें भारत का स्थान सबसे नीचे के पांच देशों में है। नीचे से चैथा स्थान भारत को प्राप्त है। बजट का १५  प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करने को इस रिपोर्ट में उचित माना गया है, जबकि भारत में मात्र ४ प्रतिशत ही स्वास्थ्य पर खर्च होता है। रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थिति गं...

भारत की सभी देशी गायों की नस्लो का नाम और उनसे संबंधित पूरी जानकारी एक साथ

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अभी तक लोगों को गायों की साहीवाल, गिर, थारपारकर जैसी देसी नस्लों के बारे में ही पता है, लेकिन आज हम ऐसी ही गाय की देसी नस्लों के बारे में बता रहे हैं जिनमें से कई विलुप्त हो गईं हैं और कुछ विलुप्त होने के कागार पर हैं। वैज्ञानिक रिसर्चों में जब से यह प्रमाणित हुआ है की देशी गाय का A2 मिल्क मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे श्रेष्ठ है तब से भारतीय नस्ल की देसी गाय सबकी जुबान पर हैं। विलुप्त के कगार पर खड़ी भारतीय नस्ल की गायों की दूध ₹80  से लेकर ₹120 तक किलो बिकता हैं वही गाय और बुल की कीमत लाखों में हैं। अभी अनुसंधान केन्द्र में साहीवाल (पंजाब), हरियाणा (हरियाणा), गिर (गुजरात), लाल सिंधी (उत्तरांचल), मालवी (मालवा मध्यप्रदेश), देवनी (मराठवाड़ा महाराष्ट्र), लाल कंधारी (बीड़ महाराष्ट्र) राठी (राजस्थान), नागौरी (राजस्थान), खिल्लारी (महाराष्ट्र), वेचुर (केरल), थारपरकर (राजस्थान), अंगोल (आन्ध्र प्र...